Book Title: Agam 28 Tandulvaicharik Sutra Hindi Anuwad Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Dipratnasagar, DeepratnasagarPage 14
________________ आगम सूत्र २८, पयन्नासूत्र-५, 'तन्दुलवैचारिक' सूत्रसूत्र -८८ एक रात्रि-दिन में १,१३,९०० उच्छ्वास होते हैं । सूत्र - ८९ एक महिने में ३३५५७०० उच्छ्वास होते हैं। सूत्र- ९० एक साल में ४०७४८४०००० उच्छवास होते हैं । सूत्र - ९१ १०० साल के आयु में ४०७४५४०००० उच्छ्वास होते हैं। सूत्र - ९२ अब रात दिन क्षीण होने से आयु का क्षय देखो । (सूनो) सूत्र-९३ रात-दिन में तीस और महिने में ९०० मुहूर्त प्रमादि के नष्ट होते हैं । लेकिन अज्ञानी उसे नहीं जानते । सूत्र-९४ हेमंतऋतुमें सूरज पूरे ३६०० मुहूर्त आयु को नष्ट करते हैं । उसी तरह ग्रीष्म और वर्षा में भी होता है ऐसा जानना चाहिए। सूत्र-९५ इस लोक में सामान्य से सौ साल के आयु में ५० साल निद्रामें नष्ट होते हैं । उसी तरह २० साल बचपन और बुढ़ापे में नष्ट होते हैं। सूत्र - ९६, ९७ बाकी के १५ साल शर्दी, गर्मी, मार्गगमन, भूख, प्यास, भय, शोक और विविध प्रकार की बीमारी होती है। ऐसे ८५ साल नष्ट होते हैं । जो सौ साल जीनेवाले होते हैं वो १५ साल जीते हैं और १०० साल जीनेवाले भी सभी नहीं होते। सूत्र - ९८ इस तरह व्यतीत होनेवाले निःस्सार मानवजीवन में सामने आए हए चारित्र धर्म का पालन नहीं करते उसे पीछे से पछतावा करना पड़ेगा। सूत्र- ९९ इस कर्मभूमि में उत्पन्न होकर भी किसी मानव मोह से वश होकर जिनेन्द्र के द्वारा प्रतिपादित धर्मतीर्थ समान श्रेष्ठ मार्ग और आत्मस्वरूप को नहीं जानता। सूत्र-१०० यह जीवन नदी के वेग जैसा चपल, यौवन फूल जैसा मुझानेवाला और सुख भी अशाश्वत है । यह तीनों शीघ्र भोग्य हैं। सूत्र-१०१ जिस तरह मृग के समूह को जाल समेट लेती है उसी तरह मानव को जरामरण समान जाल समेट लेती है। तो भी मोहजाल से मूढ़ बने हुए तुम यह सब नहीं देख सकते। सूत्र - १०२ हे आयुष्मान् ! यह शरीर इष्ट, प्रिय, कांत, मनोज्ञ, मनोहर, मनाभिराम, दृढ, विश्वासनीय, संमत, अभीष्ट, मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (तंदुलवैचारिक) आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद Page 14Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22