Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ पढमो वमो--२-१० अभयणाणि १०. भंतेति ! भगवं गोयमे' समणं भगवं महावोरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता' एवं वयासो-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी जाली नामं अणगारे पगइभद्दए। से ण जाली अणगारे कालगए कहिं गए? कहिं उववण्णे ? ११. एवं खलु गोयमा ! मम अंतेवासी तहेव जहा खंदयस्स जाव' कालगए उड़ढं चंदिम-सूर-गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जाव" विजए विमाणे देवत्ताए उववण्णे ।। जालिस्सणभंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ।। १३. से णं भंते ! ताओ' देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं कहिं गच्छिहिइ ? कहि उवज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ ।। निक्खेव-पदं १४.. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं अणुत्तरोववाइय दसाण पढ़मस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमट्ठपण्णत्त ।। २-१० अज्झयणाणि मयालिपभिति-पदं १५. एवं सेसाण वि नवण्हं भाणियव्वं, नवरं-सत्त धारिणिसुग्रा, वेहल्लवेहायसा चेल्लणाए, अभए नंदाए । 'सव्वेसि सेमिनो पिया | आइल्लाणं पंचण्हं सोलस वासाइं सामण्णपरियायो। तिण्हं वारस वासाई। दोण्हं पंच वासाई" ! पाइल्लाणं पंचण्हं प्राणुपुटवीए उववाग्रो विजए वेजयंते जयंते अपराजिए १. स० पा०-गोयमे जाव एवं । २. पू०-ना० १११।२०६। ३. भ० २०७१। ४. अ० १०८। ५. ततो (ख)। ६. अ० ३१७५। ७. अट्टण्हं (क, ख,)। ८. छ (ख,ग)। ६. °वेहासा (क, ख); विहल्लवेहासे (ग)। १०. x (क, ख)। ११. अतोऽने 'मासियाए सलेहणाए' इति पाठः द्वितीयवर्गस्य ६ सूत्रानुसारेण अध्याहर्तव्यः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118