Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
१२।११७
१११११७
११५॥७५
१२५७३; भ० १८।२१५-२१६
एवं पासत्थे कुसीले पमते एवं भासा वि । नवरं इमं नाणत----मास। तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--कालमासा य अस्थमासा य धन्नमासा य । तत्थ णं जे ते कालमासा ते णं दुवालस तं जहा---सावणे जाव आसाढे । तेणं अभक्खेया। अत्थमासा दुविहा हिरण्णमासा य सुवण्णमासा य तेणं अभक्खेया । धन्नमासा तहेव एवं वट्टए आडोलियाओ तिदूसए पोचुल्लए साडोल्लए एवं सेसाओ वि एवं सेसाओ वि ओरोह जाव विहरइ ओसन्ने जाव संथारए ओहय जाव झियायह ओयमण जाव झियायइ ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणि ओहयमणसंकप्पा० ओहयमणसंकप्पा जाब झियाइ ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ ओहयमणसंकप्पा जाव झियायंति ओयमणसंकप्पा जाव झियायह ओहयमणसंकप्पा जाव झियायामि ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ ओयमणसंकप्पे जाव झियायमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायसि कंडरीए उट्टाए उट्टेइ उठेत्ता जाव से जहेयं कत्ता जाव भवेज्जामि कते जाव जीवियऊसासए कक्खडा जाव दुरहियासा कज्जेसु य जाव रहस्सेसु कटु जाव पडिसहेइ कट्ठस्स य जाब भरेति
११८८
१।१८८ २७६
२।७।२ २।८६
२१८२ १।१६२२५
१।१६:१६५ शश१२५
१६५।११७ १1८1१७१
११११३४ १।३।२३
११३४ १।१४।३८,१।१६।२०५
१११।३४ १११४१३८
११११३४ श१३४
वृत्ति १३१४॥३७,१३१६६६२,८७,२०७ ११११३४ १शक्षा१५
११११३४ १शमा१७३
१।११३४ १११६२६५
१५१०३४ १।१६.६४,६२,२०८
१।११३४ १।१७१०
११॥३४ ११११६८,१२१४१७७,१११७१८ ११।३४ १।१६।३२
१६१२३४ १।१७।६
१११।३४ १।१६।१२
१११०१ १११६३९७
१०१४।४३ १।१।१४५
१।१।१०६ १११११६२
वृत्ति १७.४२
११५१० १११६।२५५
१११६१२५१,२५२ ११७२८
१।१७।२२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118