Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 116
________________ मित्त जाव परिवुडा मित्त जाव परिवृढाओ मित्त जान परिवुडे मित्त जाव महिलाओ मित्त जाव सद्धि मिल जाय सदि मियादेवी जान पडिजायरमाणी मुंडा जाव पव्वयंति च रट्ठेय जाव अंतेउरे राईसर जाव नो खलु अहं राईसर जान पभियो राईसर जाब व्यभियओ राईसर जाव सत्यवाह० राईसर जान सत्यवाहाण राईसर जाव सत्यवाहेहि राया जाय जीवयमाणे वेणुलयाहि य जाव वायरासीहि संगयगय० सणाहाण य जाव वसभाण सुण जा पहरणे सष्णद्धबद्ध जान पहरणेहि सण्णद्धबद्ध जाव प्पहरणा 。 सत्येहिय जान नहच्छेयणेहि समये जाव विहर समाणे सिघाउन तहेव जय सुदरिसणाए समुपणे जाव तहेब निग्गए सागरोवम० सिंघाडग जाव एवं सिंघाडग जाब पहेसु सुंदरथण सुबहं जाव समज्जिणित्ता सुबाहुकुमारे जाव अलंभोगस मत्थं तुहिया हय जाव परिसेहिए Jain Education International ४७ ११२।५४ ११७/२३ १।३।५५ ११७/२६ १७/२३ १२९४४५ १.१.२६ २।१।३१ १।१।५७ १।१।५७ २।१।१३ १/२/७२ १०१०१७ १।५।२२,२३ ११११५० १।६।५७ १/६/३७ १।६।२३ १।२२७ १।२।२४ १।२।२६ १।३।४७ १।३।२४ १/६/२३ १।१।२० १।४।२२-२४ १।३।१५ ११११७० १।१०।१३ ११२५७३११८१२१:२/१।२३ १।२१० १०८११२:१।९१२६:१।१०1० २।१।१०,११ १।१।२१ १।३।५० For Private & Personal Use Only ११२।३७ १२७/१९ १४२०३७ १२७११६ १२७११६ ११२।३७ १।१।१५ २११।१३ १०१।५७ वृत्ति वृत्ति ११.५० १३१।५० ११११५० ओ०० ५२ १।१३५० १/६/३६ १०६।१६ वृत्ति १।२।२० ११२।१४ १।२।१४ १/२/१४ १।६:२२ ना० १।११६३ १०२०५०-५१ १०२।१५ २०१०५७ १०१०५३ १।१।५३ वृति १४१०५१ ओ०सू० १४८, १४९ ओ०सू० २० १०३२४१ www.jainelibrary.org

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