Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 60
________________ तच्चो वग्गो-पढमं प्रज्झयण (धण्णे) ४६. सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए ॥ धण्णस्स णं अणगारस्स उट्ठाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए सुक्कजलोया इ वा सिलेस-गुलिया इ वा अलत्त'-गुलिया इ वा, एवामेव 'धण्णस्स अणगारस्स उट्ठा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ४७. धण्णस्स णं अणगारस्स जिब्भाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था से जहानामए वडपत्ते इ वा पलासपत्ते इ वा सागपत्ते इ वा, एवामेव 'धण्णस्स अणगारस्स जिब्भा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए ॥ ४८. धण्णस्स णं अणगारस्स नासाए अयमेयारूवे तब-रूव-लावण्णे होत्था-से जहा नामए अंबगपेसिया इ वा अंबाडगपेसिया इ वा माउलुंगपेसिया इ वा तरुणिया 'छिण्णा प्रायवे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्टइ, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स नासा सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ४६. धण्णस्स णं अणगारस्स अच्छीणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था से जहा नामए वीणाछिद्दे इ वा बद्धीसगछिद्दे इ वा पाभाइयतारिगा' इ वा, एवामेव 'धण्णस्स अणगारस्स अच्छीओ सुक्कानो लुक्खायो निम्मंसायो अटि-चम्म छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ५०. धण्णस्स णं अणगारस्स कण्णाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए मूलाछल्लिया इ वा वालुकछल्लिया इ वा कारल्लयछल्लिया" इवा, एवामेवर 'धण्णस्स अणगारस्स कण्णा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ५१. धण्णस्स णं अणगारस्स सीसस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहा नामए तरुणगलाउए इ वा तरुणगएलालुए इ वा सिण्हालए" इ वा तरुणए" - - -- -- - -. १. अलत्तग (ग)। ८. सं० पा०—एवामेव । २. सं० पा०-एवामेव । १. केसाणं (क)। ३. x (क); पलासपत्ते इ वा (ग); उंबरपत्ते १०. वालुका (क) (घ)। ११. क्वचिच्च नीतिपदं दृश्यते न चावगम्यते (व)। ४. सं० पा०-एवामेव । १२. सं० पा०.-एवामेव । ५. सं० पा०-तरुणिया ' एवामेव ° । १३. पिण्हालुए (क्व)। ६. पब्बीस (क, ख)। १४, स० पा०-तरुणए जाव चिट्ठइ । ७. पभयातारगा (ख); पाभाइयतारा (वृपा)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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