Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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अणुत्तरोववाइयदसाओ सव्वदृसिद्ध ! 'दोहदंते सव्वट्ठसिद्धे" उक्कमेणं सेसा । अभनो विजए । सेसं जहा
पढमे ॥ निक्खेव-पदं १६. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं अणुत्तरोववाइय
दसाणं पढमस्स वग्गस्स अयम? पण्णत्ते ।।
अस्मिन् नानात्वस्य संकेतोऽस्ति, किन्तु २. पढमे । अभयस्स नाशत्त, रायगिहे नयरे यन्नानात्व प्रदर्शितं तत् सर्व पूर्वमायातमेव ।
सेणिए राया, नंदा देवी, सेसं तहेवक, ख, ३. अ०३७५ । ग] । असौ पाठो वाचनान्तरस्य प्रतीयते ।
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