Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
६१८
अणुत्तरोदवाइयदसायो कलाओ, नवरं --दीहसेणो कुमारो सव्वेव वत्तव्वया जहा जालिस्स जाव' अंतं
काहिइ॥ ५. एवं तेरस वि रायगिहे नयरे । सेणियो पिया। धारिणी माया । तेरसह वि
सोलस वासा परियाओ। प्राणपुव्वीए विजए दोण्णि, वेजयंते दोण्णि, जयंते
दोग्णि, अपराजिए दोषिण, सेसा महादुमसेणमादी पंच सव्वट्ठसिद्धे ।। निक्खेव-पदं ६. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं अणुत्तरोववाइय
दसाणं दोच्चस्स वगस्स अयम? पण्णत्ते । मासियाए संलेहणाए दोसु वि वग्गेसु ।।
१. अ० श६-१३ 1
२. अ०३७५ 1
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118