Book Title: Agam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ፡ www.kobatirth.org उवासमदसाओ १/१२ सित्ता स मत्ताइं अणसणाए छेदेता आलोइय-पडिक्कते समाहिपते कालमासे कालं किच्चा ] सोहम्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति तत्थ णं अत्येगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवपाई ठिई पन्नत्ता तत्थ णं आणंदस्स वि समणोवासगस्स चत्तारि पतिओवमाई ठिई पन्नत्ता भविस्सई तए णं समणे पगवं महावीरे अण्णदा कदाइ जाव विहरइ 1901-10 (१३) तए णं से आणंदे समणोवासए जाए-अभिगवजीवाजीवे [ उवलद्धपुण्णापावे आसवसंवरनिज्जर - किरिया अहिगरण - बंधमोक्खकुसले असहेजे देवासुरणागसुवण्णजक्खरक्खस - किष्णर- किंपुरिस गरुल- गंधव्व-महोरगाइएहिं देवगणेहिं निष्ांथाओं पावरणाओ अणइकुकमणि निग्ये पावयणे निस्संकिए निक्कंखिए निव्वितिगिच्छे लखट्टे गहियठ्ठे पुच्छिय अभिगयट्टे विणिच्छियट्टे अट्ठिर्भिजपेमाणुरागते अथमाउसो निग्गंधे पावयणे अड्डे अयं परमठ्ठे सेसे अणट्टे ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउर-परघरदार-प्पवेसे चाउद्दसमुद्दिट्ठ- पुण्णमा-सिणीसु पडणं पोसहं सम्म अणुपालेत्ता समणे निष्गंधे फासु एसणिणं असण- पाण- खाइमं साइमेणं बत्थ-पडिग्गह-कंबल पायपुंछणेण ओसह सज्जेणं पाडिहारिएणं य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं] पडिला माणे विहरइ तए णं सा सिवानंदा भारिया समणोवासिया जाया- अभिगय- जीवाजीवा समणे निग्धे फासु-एसणिज्जेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं वत्थ - पडिग्गह कंबल - पायपुंछणेणं ओसह सज्जेणं पाडिहारिएणय पीढ-फलग-सेज्जा-संधारएणं] पडिलामेमाणी विहरइ 1991 - 11 (१४) तए णं तस्स आनंदस्स समणोवासगस्स उच्चावएहिं सीलव्वयगुण - वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोट्स संवच्यराई बीइक्कंताई पन्नरसमस्स संवच्छरस्त अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुच्चरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पचित्या- एवं खलु अहं वाणियगा नपरे बहूणं राईसर-(तलवर-माइंबिय कोडुंबिय - इब्भ-सेट्ठि- सेणावइ - सत्यवाहाणं बहूसु कजेसु य कारणेसु य कुटुंबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेषु य आपुच्छणिचे पडिपुच्छणिजे] सयस्स वि य णं कुटुंबस्स (मेढी पमाणं आहारे आलंबणं चक्खू मेढीभूए पमाभूए आहारभूए आलंबणभूए चक्खुभूए सव्वकञ्जवड्ढावए । तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्ति उवसंपञ्चित्ता णं विहरितए तं सेयं खलु ममं कल्लं [पाउष्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियम्मि अह पंडुरे पहए रत्तासोगप्पगास - किंसुय- सुयमुह - गुंजद्धरागसरिसे कमलागरसंडबोहए उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्समिम्मि दिन रेतेयसा] जलते विपुलं असण- पाण- पाण- खाइम- साइमं [ उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियम-सयणसंबंधिपरिजणं आमंतेत्ता तं मित्त-नाइ नियग-सयण संबंधि- परिजण विपुलेणं असण- पाण- खाइमसाइमेणं वत्थ- गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेता तस्सेव मित्त-नाइ नियग-सयण-संबंधिपरिजणस्स पुरओ ! जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता तं मित्तजाव जेठ्ठपुत्तं च आपुच्छित्ता कोल्लाए सण्णिवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्रत्ति उवसंपजित्ताणं विहरित्तए - एवं संपेहइ संपेलहेत्ता कल्लं जाव विपुलं असण- पाण- खाइमं साइमं उवक्खडावे उबक्खडावेत्ता मित्त-जाद परिजणं आमंतेइ आमंतेत्ता ततो पच्छाहाए कयबलिकम्मे [कयकोय-मंगल- पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई वत्थाई पवर परिहिए] अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरे भायणवेलाए पोषणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिज - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only

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