Book Title: Agam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 57
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२ ज्वासगदसाओ ७/७ तव जेठपुतं साओ गिहाओ नीणेइ नीणेता तव आगओ धाएइ नो खलु केइ पुरिसे तव मझिम पुत्तं साओ गिहाओ नीणेइ नीणेत्ता तव अग्गओ घाएइ नो खलु केई पुरिसे तव कणीयसं पुत्तंसाओ गिहाओ नीणेइ नीणेता तब अग्गओ घाएइ एस णं केइ पुरिसे तब उवसगं करेइ एस णं तुम विदरिसणे दिवे तं णं तुम इयाणिं भागवए भग्गनियमे भग्गपोसहे विहरसि तं णं तुम पिया एयस्स ठाणस्स आलोएहि पडिक्कमाहि निंदाहि गरिहाहि विउट्टाहि विसोहेहि अकरणयाए अभुट्ठाहि अहारिहं पायछित्तं तवोकम्मं पडिवजाहि तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए अग्गिमित्ताए भारिवाए तए ति एयमद्वं विणएणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ पडिक्कमइ निदइ गरिहइ विउद्दइ विसोहेइ अकरणाए अदमुढेइ अहारिहं पायच्छित्तं तवोकप्पं पढिवज्जइ तए णं से सद्दालपुत्ते सममोवासए पढम उवासगपडिमं उरसंपजित्ता णं विहाइ तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए पढम उवासगपडिमं अहासुतं अहाकप्पं अहामणं अहातनं सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ तएणं से सद्दालपुत्ते समणोवासए दोच्चं उवासगपिडम एवं तचं चउत्थं पंचमं छटुं सत्तमं अट्ठमं नवमं दसम एक्कारसमं उवासपपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव आराठेइतएणं से सद्दालपुत्ते समोवासए तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पाहिएणं तवोकप्पेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अद्विचम्पावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे घमणिसंतए जाए तए णं तरस सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स अण्णदा कदाइ पुबरतावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणसस अवं अन्झस्थि चितए पथिए पणोगए संकप्पे समुप्पजित्या-एवं खलु अहं इमेणं एपारवेणं ओरालेणं जाव धमणिसंतए जाए तं अस्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वारिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे तंजावता मे अस्थि उट्ठाणे कम्पे बले वीरिए पुरिसक्कार-पकक्कमे सद्धा-धिइसंवेगे जाव च मे धम्मायरिए धमोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ तावता में सेयं कलं पाउपभाषाए रयणीए जाव उहियम्मि सूरे सहस्सरसस्सिम्मि दिणवरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा-झूसणा-झूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए-एवं संपेहेइं संपेहेत्ता कलं पाउप्प- मायाए रयणीए जाय उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिप्पि दिणयरे तेवसा जप्ते अपच्छिपमारणंतिय- संलेहणा-झूसणा-झूसिए भत्तपाण-पडियाइखिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ एक्कारस य उवासगपडिमाओ समंकाएणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिकूकंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणचए विमाणे देवत्ताए उववण्णे चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता] महाविदेहे याप्ते सिझिहिइ बुझिहिइ मुचिहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ एवं खलु जंबू सपणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं सत्तमस्स अज्झवणस्स अयमढे पत्रत्ते।४५-45 सत्तमं अन्यायणं समतं. अट्टमं अल्झयणं-महासतए (४८) [जइणं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्त अंगस्स उवासगदसाणं सत्तमस्स अज्झयणस्स अवमढे पन्नत्ते अट्ठमस्स णं भंते अज्झयणस्स के अटे पन्नत्ते] एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया तत्थ णं रायगिहे नयरे महासतए नाम गाहावई परिवसइ-अड्डे (जाव बहुजणस्स अपरिभूए तस्स णं पहासतबस्स गाहावइस्स अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ निहाणपउत्ताओ अट्ठ हिरण्यकोडीओ सकसाओ For Private And Personal Use Only

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