Book Title: Agam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उवासगदसाओ ३/३० अग्गओ घाएइ एस णं केइ पुरिसे तब उवसग्गं करेइ एस णं तुमे विदरिसणे दिढे तंणं तुम इयाणि भागवए भागनियपे पाणपोसहे विहरसि तं गं तुमं पुत्ता एयस्स ठाणस्स आलोएहि [पडिक्कमाहि निंदाहि गरिहाहि विउद्याहि विसोहेहि अकरणयाए अब्मुट्ठाहि अहारिहं पायच्छित्तं तवोकप्प पडियजाहि तए णं से चुलणापिता समणोवासए अम्माए भद्दाए सत्थवाहीए तए ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ पडिक्कमइ निदइ गरिहइ विउट्टइ विप्तोहेइअकरणयाए अब्भुट्टेइ अहारिहं पायच्छितंतवोकम्मो पडिवज्जइ।२८1-28 (३१) तए णं से चुलणीपिता समणोवासए पढम उवासगपडिपं उवसंपजित्ता णं विहाइ [तए णं से चुलणीपिता समणोवासए पदमं उवासगपडिमं अहासुतं अहाकप्पं अहापगं अहातचं सम्म कारणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ तए णं से चुलणीपिता समणोवाप्सए दोच्चं उवासगपडिमं एवं तन्वं चउत्यं पंचमं छटुं सत्तमं अट्ठमं नवमं दसमं एककारसमं उवासगपडिपं आहासुतं अहाकप्पं अहामग्गं अहातचं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ तए णं से चुलणीपित्ता समणोवासए तेणं ओरालेणं [विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे नियंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासगस्स अण्णदा कदाई पुबरतावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरपाणस्स अयं अज्झस्थिए चिंतिए पथिए मणौगए संकप्पे समुप्पञित्या-एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पाहिएणं तवोकम्मेणं सुकूके लुक्खे निप्पंसे अट्ठिवम्मावणद्धे किडिकिड़ियाभूए किसे धमणिसंतए जाए तं अस्थि ता पे रहाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे तं जावता मे अस्थि उठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे जाव य पे धप्पायरिए धप्पोयएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्यी विहरइ तावता मे सेयं कलं पाउप्पभायाए स्वणीए जाव उद्वियभि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयो तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसलेहणा-झूसणा-झूसियस भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए-एवं संपेहेइ संपेहेता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते अपच्छिममारणंतियसलेहणा-झूसणा-झूसिए पत्तपाणपडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ तए णं से चुलणीपिता समणोवासए दाहिं सीलब्बय-गुण वेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणंभावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणिता एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं भूसित्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा] सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरथिमि णं अरुणप्पमे विमाणे देवत्ताए उववण्णे चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ युग्झिहिइ मुच्चिहिइ सव्यदु खाणमंतं काहिइ (एव स्खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं तच्चस्स अन्झयणस्स अयमट्टे पन्नत्ते ।२९।-29 तइयं अन्ययणं समतं. चउत्थं अज्झयणं-सुरादेवे (३२) [जइ णं मंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तपस्स अंगस्स उवासइसाणं तस्स अज्झयणस्स अयपढे पन्नते चउत्यास णं भंते अज्झयणस्स के अवे पत्रत्ते] एवं For Private And Personal Use Only

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