Book Title: Agam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ उबास गदाओ ५ / ३६ सुहवी विहरड़ तावता मे सेयं कल्ला राउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसं जलते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा-झूलणा-झूसियस्स पत्तपाण -पडियाइक्खियस कालं अणवखमाणस्स विहरित्तए एवं संपेइ संपेत्ता कल्लं पाउप्पभयाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे जलते अपच्छिममारणंतिय संलेहणा-झूसणा-झूसिए भतपाण -पडियाइक्खिए कालं अणवकखमाणे विहरइ तए णं से चुल्लसयए समणोवासए बहूहिं सीलव्यय-गुण- वेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाई समणोवास- गपरियागं पाउणित्ता एक्किारस य उवासगपडिमाओ सम्मं काएणं फासित्ता मासिवाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सट्टिं भत्ताइ अणसणाए छेद्देत्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा] सोहम्मे कप्पे अरुणसिद्धे विमाणे देवत्ताए उबवण्णे [ तत्थ णं अत्येगइयाणं देवाणं चत्तारि पलि ओवमाई ठिई पत्ता चुल्लसयगस्स वि देवस्स चत्तारि पलि ओवमाई ठिई पत्रत्ता से णं भंते चुल्लसवर ताओ देवलगाओ आउक्खएणं भवक्चएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइता कहिं गमिहिइ कहिं] उववजिहि गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहि मुधिहि सव्वदुक्खातं काहि एवं खतुं जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं पंचमस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पन्नत्ते । ३४ ।-34 पंचमं अापणं समतं छट्टै अज्झयणं-कुंडकोलिए (३७) (जइ णं भंते समणेणं भगदया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सतमस्स अंगस्स उवासगदसाणं पंचमस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पत्ते छट्ठस्स णं मंते अज्झयणस्स के अट्ठे पत्रते] एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं कंपिल्लपुरे नयरे सहस्संबवणे उज्जाणे जियसत्तू राया [ तत्थ णं कंपिल्लपूरे नयरे कुंडकोलिए नाम गाहावई परिवसइ अट्ठे जाव बहुजणस्स अपरिभूए तस्स णं कुंडकोलियरस गाहावइस्स छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओए छ हिरण्णकोडीओ वुड्ढि - पुत्ताओ छ हिरण कोडीओ पवित्यरपउत्ताओ छच्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्या से णं कुंडुकोलिए गाहावई बहूणं जाव आपुच्छणिजे पडिपुच्छणिजे सयस्स वि य णं कुटुंबसस मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए यावि होत्या तस्स णं कुंडकोलियस्स गाहावइस्स पूसा नाम भारिया होत्या - अहीणपडि पुण्ण-पंचिंदियसरीरा जाव माणुस्सए काम्भोए पच्चणुभवमाणी विहरइ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे जेणेव सहस्सबंवणे उज्जाणे तेणेव उबागच्छइ उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओहं ओगिव्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भायेमाणे विहरइ परिसा निग्गया कूणिए गया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पञ्जुवासइ तए णं से कुंडकोलिए गाहावई इमीसे कहाए लट्ठे समाणे एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुष्ि मग माणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव कंपिल्लसपुरस्स नयरस्स बहिया सहस्संबवणे उज्जाणे अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हिता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ तं महाफलं खलु भो देवाणुप्पिया तहारूयाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सदणयाए किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए एगस्स वि आरियस धम्मसुवण वया किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए तं गच्छामि णं देवाणुप्पिया समणं भगवं महावीरं वंदामि नम॑सामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवा For Private And Personal Use Only

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