Book Title: Agam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक्षयणं-४ समणोचासयं अभीयं जाव पासइ पासिता आसुरते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसीयमाणे सुरादेवस्स समणीचासयस्स जेट्ठपुत्तं गिहाओ निणेइ नीणेत्ता अग्गओ घाएइ पाएता पंच मंससोल्ले करेइ करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अहे अद्दहेत्ता सुरादेवस्स समणोवासयस्स गायं मंसेणं यसोएिणय आइंचइ त णं से सुरादेवे समणोवासए तं उज्जलं विउलं कक्कसं पगाढं चंडं दुक्खं दुरहियासं वेयणं सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ तए णं से देवे सुरादेवं समणोवासयं अमीयं जाव पासइ पासित्ता सुरादेव समणोवासयं एवं वयासी- हंभो सुरादेवा समणोवासया जाव जणं तु अज्ज सीलाई वयाई वेरमणाई पच्चक्खाणाई पोसहोववा-साइं न छड्डेसि न भंजेसि तो ते अहं अन्न मज्झिमं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि नीणेत्ता तव अग्गओ धाएमि घाएत्ता पंच मसंससोले करेमि करेत्ता आदाणभरियंसि कड़ाहवंसि अहेमि अद्दहेत्ता तव गावं मंसेण य सोणिरय आइंचामि जहा णं तुमं अट्ट दुहट्ट-वसट्टे अकाले चैव जीवियाओ ववरोविजसि तए णं से सुरादेवे समणोवासए तेणं देवेणं एवं बुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ तए णं से देवे सुरादेवे समणोवासयं अभीयं जाव पासइ पालित्ता दोघं पि तचं पि सुरादेवं समणोवासयं एवं वयासी-हंभो सुरादेवासमणोवासया जाब जइ गं तुमं अज सीलाई वयाई वेरमणाई पञ्चक्खाणाई पोसहोवनासाई न छड्रेसि न भंजेसि तो ते अहं अज मज्झिमं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि नीणेत्ता जाव जीविबाओ बवरीविद्धसि तए णं से सुरादेवे समणोवासए तेणं देवेगं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ तए णं से देवे सुरादेवं समणोवासयं अभीयं जाव पास पासित्ता आसुरते रुट्टे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसीयमाणे सुरादेवस्स समणोवासवास मज्झिमं पुत्तं गिहाओ नीणेइ नीत्ता अग्गओ घाएइ घाएता पंच मंससोल्ले करेइ करेत्ता आदाण- भरियंसि कडाहयंसि अद्दइ अद्दहेत्ता सुरादेवस्स समणीबासयस्स गायं मंसेण य सोणिएण य आई- चइ तए णं से सुरादेवे समणीवासए तं उज्जलं जाब वेयणं सम्यं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ २९ तणं से देवे सुरादेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ पासित्ता सुरादेवं समणोवासयं एवं वयासी-हंभो सुरादेवा समणोवासया जाव जइ गं तुमं अज्ज सीलाई बधाई वेरमणाई पत्रक्खाणाई पोहोचवास न छड्डेसि न भंजेसि तो ते अहं अज कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ नाणेमि नीणेत्ता तव अग्गओ घाएमि घाएत्ता पंच मंससोल्ले करेमि करेता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अमि अत्ता तव गायं मंसेण य सोमिएण य आइंचामि जहा णं तुमं अट्ट दुहट्ट बसट्टे अकाले चेव जीविया ओ बदरोविजसि तए णं से सुरादेवे समणोवासए तेणे देवेणं एवं वुत्ते लमाणे अभीए जाव विहरइ तए णं से देवे सुरादेवे समणोवासयं अभीयं जाव पासइ पासिता दोघं पि तचं पि सुरादेवं समणोवासयं एवं वापासी-हंभो सुरादेवा समणोबासया जाव जइ णं तुमं अज्ज सीलाई क्याई वेरमणाई पच्चक्खाणाई पोसहोबवासाई न छड्डेसि न भंजेसि तो ते अहं अज्ज कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि नीणेत्ता जाव जीवियाओ ववरो विजसि तए णं से सुरादेवे समणीवासए तेणं देवेणं दोघं पित पि एवं वृत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ तए गं से देवे सुरादेव समणोवासयं अभीयं जाव पासइ पासित्ता आसुरते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसीयमाणे सुरादेवस्स समणोवासयस्स कणीयसं पुत्तं गिहाओ नीणेइ नीणेत्ता अग्गओ घाएइ घाएता पंच मंससोल्ले करेइ करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अहे अहेता सुरादेवस्स समणोवासयस्स गायं मंसैण य सोणिएणय आइंचइ तए णं से सुरादेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव वेयणं सम्यं सहइ खमइ तिति For Private And Personal Use Only

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