Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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हुणंसमणोणंबहुणंसावयाणंबहुणंसावियाणं अचणिज्ज वंदणिज्ज पूणिज्जे सकाररिज्न समा णणिज्ज कल्लाणंमंगल देवयंचेयं पज्ज वासएणिज्जत्तिकट्ट, परलोएवियणंणोआगच्छ बहुदंड
णाणियमुंडणाणियतज्जणाणिय तालणाणियजावचाउरंतसंसारक्तारं जाववोईवदूसइजहावसे गीजामनुष्यसंबंधीयाकामभोगेकरीविशेषथकी सर्वथाप्रतिधातव्याघातपाने नहीं साधु साधवीयाभवाविद्यमानभवने विचेवनि
घणासाधुने धणीसाधवीयाने घणाश्रावकाने घणीश्राविकाने अर्चनीकपूजवायोग्यथाइवादिवायोग्यथा पूजवायोग्यथाई सत्कार करिवायोग्यहुई बहुमानदेवायोग्यङई कल्याणकारीमंगलीकका देवतानीपर प्रतिमानीपरें पर्युपासनासेवाकरिवायाराधवायो । # ग्यथाई परलोकपरभवने विचेवनिवेएचवोकष्टपामें नहौढूकडापावे नहीं तेके हवाछेघणाकिस्याघणादंडनपडेघणामुडनराज * निग्रहनपामें कोईतर्जेनहौंबागुलीनदेखाडे कोईचपेटेकरीता.नहौंमार नहौंअनुक्रमें चाउरंतच्यारगतिसंसाररूपकातारभयंका रयटयौमते व्यतिक्रमस्ये उल्लंघणकरस्येमोक्षजास्य निमतेपुडरीकनामासाधुनीपरेंत्रीसुधर्माखामीकहें इणेप्रकारे निश्चे हेजबूत्रम

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