Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 1462
________________ त्थंचणिवारिया अणाहद्वियासच्छ दमई अभिक्खर हत्येधोवेदू जावयासयवासवातरणंसाका लोअज्जापासत्यापासत्यविहारिणौ चोओसणाओ सणविहारिणी ओकुसौलाकुसौलविहारिणोअ प्रभातथइताल गीजा जा जूल्य मानसूर्यथएछते जुदा लगाउपासरामते' मागील्ये मागौलेदूने रहे तिहाद्यनिवारिकानहींछे निवार कवर्जणहारइमतुं मकरिएहवोनिषेध वु'जेकालीने तयानथी विद्यमान उपघटिवोकन्हियो जेहने एतले पोतानी इच्छापू' प्रवर्त्ततीने 'हा येकालीकरीने निवर्त्ताविवो वर्नवे न होजेकाली साधवीने एकारणथकीसच्छंदमतिकहता पोताने छादे' चभिप्रायें करी मतिबुद्धि के जेहनीपोतानी बुद्धि चालतीछती वारंवार हाथप्रमुख सर्वधोवे पळे प्रथमवरती पाणी ये छाटीका उसग करें' वेसे सूई सझायकरें' तिवारें विशेषथकी तेकाली साधवोतिवारपछी ते कालीमाध्वी तिहानिये पणे पासत्या कहता एकपा से अलग ज्ञानदर्शनचारित्रवा हिराअलगारह्याछे' जे साधवीथकीतेपासत्याकहीयें तेपासव्यानो जेविहारघग्गा दिवसताइ एकथानकने विषे रहिवोपासत्यावि हारकहिये तेपासत्यानोविहारछे' एसाध्वीने ते मासव्यविचारणीकहिये रूडीकियाछाडी किवा अनुष्ठानने विधे चालतूथ ई पडि

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