Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 1487
________________ 3 * ए पुस्तक छपावणेका कारण ये हे के सर्वजन धर्मावलंबि साधसाध्वी श्रावकश्राविका के पढ़णेसे ज्ञानकी दृद्धी होगा इस , खातर 45 घागमसूत्र और टीका और वालाववोधसहित 500 पुस्तक छपाके 500 टीकाने भंडार कीया इस्म महान् ज्ञानका - ही होगा और पंडतजनोसे एही प्रार्थना हेके अच्छीतरेसे पढेपढावे शुणेशुणावे जयणाकरके और बिनयकरके रक्ख और यह श्रीसिद्धान्त पंचागी प्रमाण संग्रहकीया और इसमें चरमचक्षु करके भूलचक रहगया होय तो मिछामिदुकडं देता और मैं श्रीसंघसे यह विनति हे की जीस वखत वाचे उस वखत जो भूलचक नौकसे तो पंडतजनोसे संसोधन कराय लेवे मेरेपर कपा करके इह प्रार्थना अंगीकार करना और भंडारकरी भई पुस्तक कोई वेचना नही कोइ खरीद करेनही करतो 24 का गुनेगार - संधका गुनागार होगा और मेरा परिचे के वास्ते ध्यपना पूरव वंसावली लोखता हु पच्छिमदेसमे किसनगढके वासी प्रपिता l मह श्रौलश्रीयुक्त दुगडगोत्री वशाखा श्रौलश्रीवीरदासजी संवत् १८०२की सालमे पूरवदेसने आए तत्पुत्र श्रीलश्रीयुक्त बुधरिंघ * जी तत्पुत्र श्रीलश्रीयुक्त प्रतापसिंघ जी चतुर्थ सहधर्मचारणिसौलालंकार विभुशित श्रीमहताव कुवरवीवीहादश ब्रतधारिका तत्पुत्र लघु श्रीरायधनपतसिंघ वहादुरने वडा परिश्रमसे संसोधन कराया हे और श्रीभगवान वीजजीने संशोधन करा। संवत १८४३मिति भादो शुदी। पाजीमगंज राय धनपतसिंहवाहादुर / ARRRRRRREFERENENE 繼器带滤器競悲器凝器菲諾港益亲從這不信

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