Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 1477
________________ नरकाधिकार २१७ , ओठ और जिव्हा काट लिये गये हैं ऐसे वे नारकि जीव, स्थानमें रातदिन व्यतीत करते हैं वहाँ वे अज्ञानी पवन सदा जोर जोर से रोते रहते हैं । तथा वे आगमें जलाये हुए. रातदिन अपने अड्गोंसे रक्त पीब और मांसका स्राव लोहितपूअपाई, बालागणी तेअगुणा परेणं । या, समूसिता लोहियपूयपुण्णा ॥ २४ ॥ लोहितपूयपाचिनी बालाग्निना तेजोगुणा परेण धकपौरुपीया समुच्छ्रिता लोहितपूयपूर्णा ।। पूयपाई) रक्त और पीबको पकानेवाली (बालागणी तेभगुणा परेण) मान जिसका गुण है अर्थात् जो अत्यन्त तापयुक्त है (महंता) बहुत 1 पुरुष प्रमाणसे अधिक प्रमाणवाली (लोहियपृयपुग्णा) रक्त और ) ऊँची (कुभी जइ ते सुता) कुम्भी नामक नरकभूमि कदाचित् पीबको पकानेवाली तथा नवीन अग्निके तेजसे युक्त होनेके कारण के प्रमाणसे भी अधिक प्रमाणवाली, रक्त और पीवसे भरी हुई कुम्भी तुमने सुनी होगी। सुधर्मस्वामी जम्बूस्वामिनमुद्दिश्य भगवद्वचनमाविष्करोति' आकर्णिता-लोहितं रुधिरं पूयं-रुधिरमेव पक्कं ते द्वे सा लोहितपूयपाचिनी-कुम्भी, तामेव विशिनष्टि-'बाल' न तेजा-अभितापः स एव गुणो यस्याः सा वालागित्तेण तप्तत्यर्थः, पुनराप तस्सा एवं विशेषणं महती गृहत्तरा पुरुषप्रमाणाधिका 'समुच्छ्रिता' उष्ट्रिकाकृतिसर्च व्यवच पूर्णा, सैवम्भूता कुम्भी समन्ततोऽग्निना प्रज्वलिताऽतीव ४॥ तासु च यक्रियते तदशयितुमाहमोस्वामी जम्बून्वामीसे भगवान्का वचन कहते हैं-रक्त और • स्वभाव है ऐसी कुम्भी नामक नारकभूमि कदाचित

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