Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 1437
________________ ************** समाणेएवंदयासीजद्वणंभंते समणेर भगवयामहावौरेणं नावसंपत्त णं छट्टस्य गस्स पटम सुयखंधस्म णायाणं यमट्ट पण्णत्ते दो स्वर्णमंतेसुयखंधस्सधम्मकहाणंसमणेणं भगवयाम हावौरेणं नावसंपत्तणं केअठ्ठ ेपणत्त एवंखलुजंबूसमणेणंभगवयामहावीरेणं जावसंपत्त गंधम्म कहाणंद सवग्गामणत्तातंनहा चमरस्मणंअग्गमहिसौणंपट मेवग्र्ग १ व लिवइ रोयदिस्म वइरोयणरणो अग्गमहिसौणंबीएवग्रे 米米米米米米米米米米米米粥 विषे'द्यार्यसुधर्मानामा साधुगणधरनोथिष्य पायें रहणहारोसेवावर्त्ती आर्यनंवनामे साधुळे ते सुधर्मास्वामी प्रतें वादीने नमस्कार करीने पर्युपासतासेवाकरतोछतो इणे प्रकारे पूछतोहवो नोभंते हे भगवन् श्रमण भगवंतश्रीमहावीरदेव मोक्षपहृतेौं छट्ठाग्रंगनाप्रथम पहिलाश्रुतस्कंधना एगुणवीस यध्ययन नोएअर्थतुमने कह्यो तेमें तुमारामुरूथकीसाभल्यो अर्थ हिवे भंते हे भगवन्दोञ्चस्मकहताबीजा श्रुतसंधनाधर्मनीकथानो श्रमण भगवंतश्रीमहावीरदेवें' तालगीनामोक्षपहृते स्योश्चर्थको छे तेमुझने कहो हिवे सुधर्मकन्हें एवंए णें प्रकारें निश्च'हेजंबूश्रमण भगवंतश्री महावीरदेवमोक्षपते धर्मकथानाद सवर्गक ह्या तेदशवर्गनानाम अनुकमे करीकहेवें चमरे'

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