Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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BHEEMEDIESES PEK
रभिधीयते इत्येवंसंबंधोयं सर्वः सुगमोनवरं वड्डत्तिवृहतीवयसा सैवटहत्त्वादपरिणीतत्वाच्च वृहत्कुमारीजीर्णाश रीरजरणाद्द्व ेत्यर्थः सैवजीर्णत्वा परिणतत्वाभ्या जीर्ण कुमारीजोर्सशरीरत्वा देवपतितपुत्त्रस्तनी अवनतिगतनितं
लसिरौणामंभारियाहोत्था
सुकुमालपाणिपायानावसुरुवातस्वर्णकालस्मगाहा वदूरमधूयाकालसिरी एभारियाएअत्तयाकालौणामंदारियाहोत्थावड्डावड्डुकुमारोजुखानुपकुमारोपडियपुयत्थणोणिव्वि विषे'कालनामे'गाथापतिचद्धिवंत ग्टहस्यह तो षणुंऋद्धिवंत तालगोजा अगणित ऋद्दिनोधणीछे कोईपराभवीस के नहीं तेकाल नामाग्टहस्थने' कालसिरी एहवें नामें खोडती सुकुनाल सुंहाला हाथपगछे जेकालश्रीनाथावत् सुरूपवतीले' तेकालनामाग्टहस्थनी पुत्त्रीकालसिरीभार्यांस्त्रीनी अंगजातवेटीकालीनामे बालिकाडतो तेकेवीके बड्डा कहतावये करौटहतीमोटीवडी ते हिनवडाप णाथकीअपरिणीतचणपरण्यापणायकी वृहत्कुमारीमोटीकुमरोछे' जुन्नाकहतांशरीरने जी रणजूनाथकी वृद्धागरढीछे' तेन्हिनशरी रौंजूनाथणाथकी नौकुमरी के जूनागरढशरीरपणाथको हेठापयागण्या पुत्तकहतां केडिनाभागमने सनजेहना निर्विण्णा कह
HEME REMEDIES MERE HE KEERM
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KAN

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