Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 823
________________ जाताधर्मकथाजमने निर्गता यावत् भगवन्तं पर्युपास्ते । तस्मिन् काले तस्मिन् समये ' राई ' रात्रिःरात्रिनाम्नी देवी चमरचञ्चायां राजधान्याम् , एवं यथा काली तथैव-आगता, नाटयविधिमुपदर्य प्रतिगता । ' भंते त्ति' हे भदन्त ! इति सम्बोध्य भगवान् गौतमः 'पुचभवपुच्छा ' पूर्वभवपृच्छा रात्रि देव्याः पूर्वभवं पृच्छति । भगवान् पाह-एवं खलु हे गौतम ! तस्मिन् काले तस्मिन् समये आमलकल्पा नगरी, आम्रशालपनं चैत्यम् , जितशत्रू राजा, रात्रिर्गाथापतिः, रात्रिश्री र्या, तयोः तेणं कालेणं तेणं समएणं राई देवी चमरचंचाए रायहाणीए एवं जहा काली-तहेव आ गया नदृविहिं उपदंसेत्ता पडिगया) प्रभु का आगमन सुनकर नगर निवासिनी समस्त जनता उन प्रभु के दर्शन करने और उनसे धर्मोपदेश सुनने के लिये उस गुणशिलक उद्यान में आई। प्रभु ने सब को धर्म का उपदेश दिया। सबने प्रभु की पर्युपासना की। उस काल में और उस समय में रात्रिनाम की देवी चमरचंचाराजधानी में रहती थी-जैसे वहां काली देवी रहती थी। सो वह भी प्रभु का आगमन सुनकर वहां आई। वहां आकर उसने नाटय विधि दिखलाई-और दिखलाकर फिर वह वहां से वापिस अपने स्थान पर चली गई । ( भंते त्ति भगवं गोयमा! पुव्वभवपुच्छा-एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा गयरी अंबसालवणे चेइए-जियसत्तू राया-राई गाहावई, रायसिरी भारिया, राई चमरचंचाए रायहाणीए एवं जहा काली-तहेव आगया नट्टविहिं उवंदसेत्ता पडिगया) પ્રભુનું આગમન સાંભળીને નગરના બધા નાગરિકને તે પ્રભુનાં દર્શન કરવા માટે તેમજ તેમની પાસેથી ધર્મોપદેશ સાંભળવા માટે તે ગુણશિલક ઉદ્યાનમાં આવ્યા. પ્રભુએ બધાને ધર્મને ઉપદેશ આપે. બધાએ પ્રભુની પપાસના કરી. તે કાળે અને તે સમયે રાત્રિ નામે દેવી ચમચંચા રાજ. ધાનીમાં કાલી દેવીની જેમ રહેતી હતી. તે પ્રભુનું આગમન સાંભળીને ત્યાં આવી. ત્યાં આવીને તેણે નાટયવિધિ બતાવી અને બતાવીને તે ત્યાંથી પાછી જતી રહી. (भंते ति भगवं गोयमा ! पुव्वभवपुच्छा-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा णयरी अंबसालवणे चेइए-जियसत्तः राया-राई गाहावई, रायसिरी भारिया, राई दारिया, पासस्स समोसरणं-राई दारिया श्री शताधर्म अथांग सूत्र:०३

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