Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 828
________________ अनगारधर्मामृतवषिणी टोका श्रु. २ व १ रजनीदारिकादिचरित्रनिरूपणम् ८१३ ' एवं विवि ' इत्यादि । एवं विद्युदपि । आमलकल्पा नगरी, विद्युद् गायापतिः, विद्युत् श्रीर्भार्या, विद्युद्दारिका । शेषं तथैव । इति प्रथमवर्गस्य चतुर्थाध्ययनम् ॥ १-४ ॥ उसने नाटयविधिका प्रदर्शन किया बाद में वह जब वहां से प्रभु की पर्युपासना कर वापिस अपने स्थान पर चली गई-तब प्रभु से गौतम गणधर ने उसके पूर्व भव पूछे तब प्रभु ने उनसे इस प्रकार कहा-उस काल और उस समय में आमलक कल्पा नामकी नगरी थी-उसमें रजनी नामका गाथापति रहता था। रजनी श्री उसकी भार्या का नाम था।इन दोनों के एक पुत्री जिसका नाम रजनी था। इसके विषय का अवशिष्ट कथानक "समस्त दुःखो का यह अन्त करेगी" यहां तक का काली दारिका के जैसा ही जानना चाहिये ॥ सू०६॥ ॥प्रथम वर्ग का तीसरा अध्ययन समाप्त ॥ एवं विज्जूवि आमलकप्पा नयरी विज्जू गाहावई ॥ विज्जुसिरीभार्या विज्जुदारिया, सेसं तहेव ॥ ४॥ एवं मेहावि आमलकप्पाए नयरीए मेहे गाहावई ॥ मेहासिरी भारिया मेहा दारिया सेसं तहेव ॥५॥ (एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तण धम्मकहाणं पढमस्स वग्गપ્રભુની પર્ય પાસના કરીને પાછી પિતાના સ્થાને જતી રહી ત્યારે ગૌતમ ગણ ધરે પ્રભુને તેના પૂર્વ પૂગ્યા. ત્યારે પ્રભુએ તેને આ પ્રમાણે કહ્યું કે તે કાળ અને તે સમયે આમલકલ્પ નામે નગરી હતી, તેમાં રજની નામે ગાથાપતિ રહેતા હતા, રજની શ્રી તેની પત્નીનું નામ હતું. તેઓ બંનેને એક પુત્રી હતી-જેનું નામ રજની હતું. એના વિષેની બાકીની બધી વિગત “સમસ્ત દુઃખને તે અન્ત કરશે ” અહીં સુધીની કાલી દારિકાની જેમજ સમજી લેવી જોઈએ. એ સૂત્ર ૬ છે "प्रथम पनी अध्ययन समास ॥ ( एवं विज्जूवि आमलकप्पा नयरी विज्जु गाहावई । विज्जुसिरीभार्या विज्जुदारिया, सेसं तहेव ॥ ४ ॥ एवं मेहा वि आमलकप्पाए नयरीए मेहे गाहावई । मेहासिरी भारिया मेहा दारिया सेसं तहेव ॥ ५ ॥ ( एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अय श्री शताधर्म अथांग सूत्र : 03

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