Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 857
________________ ज्ञाताधर्मकथाजसूत्र शेषाः ज्योत्स्नामादि देव्योऽपि विज्ञेयाः । सर्वाः पूर्वभवे मथुरायां नगयों जाताः पार्थप्रभुसमीपे च प्रवजिताः। मातापितरोऽपि दुहितसदृशनामानः ॥सू०१३॥ इति धर्मकथानामाष्टमो वर्गः समाप्तः ॥ ८॥ अथ नवमो वर्गः प्रारभ्यते-‘णवमस्स ' इत्यादि । मूलम्-णवमस्त उक्खेवओ, एवं खलु जंबू ! जाव अट्रअज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-पउमा सिवा सई अंजू रोहिणी णवामिया, अचला अच्छरा, पढमज्झयणस्स उक्खेवओ, एवं खल्ल जंब ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं पउमावई देवो सोहम्मे कप्पे पउमवडसए विमाणे सभाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणंसि जहा कालोए एवं अवि अज्झयणा कालीगमएणं नायव्वा, णवरं सावत्थीए दो जणीओ हत्थिणाउरे दोजणीओ कंपिल्लपुरे दोजणीओ सागेयनयरे दोजणीओ पउमे पियरो विजया मायराओ सव्वाओऽवि पासस्स अंतिए पव्वइयाओ सकस अग्गमहिसीओ ठिई सत्त पलिओवमाई महाविदेहे वासे सिज्झिहिंति जाव अंतं काहिति ॥ सू०१४ ॥ ॥णवमो वग्गो समत्तो ॥९॥ आदि देवियां पूर्व भव में ( महुराए णयरीए) मथुरा नगरी में उत्पन्न हुई और पार्श्वनाथ प्रभु के समीप दीक्षित हुई। (माया पिघरोवि० धृया सरिसणामा ) इन पुत्रियों का नाम वैसा ही नाम इनके माता पिता का है। -अष्टमवर्ग समाप्त:भी थी यानाला वगैरे देवी मां (महुराए णयरीए) भ७२१ नगरीमा पनि थमने पायानाथ प्रभुनी पासेथी दीक्षित 5. ( मायापियरो वि धूया सरिसणामा ) मा पुत्रीसाना नाम 24 तमना मातापिता-मानां નામે પણ છે. આઠ વર્ગ સમાપ્ત. श्री शताधर्म अथांग सूत्र : 03

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