Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 8
________________ आत्म-कथ्य आत्मा को पवित्र और विशुद्ध बनाने वाला साधन है-धर्म। शुद्धि (उपादान-) की दृष्टि से धर्म का आधार है--आत्मा। किन्तु आत्म-शुद्धि के लिए साधना तप-जप आदि की क्रियाओं का सम्यक् ज्ञान होना भी जरूरी है, और उस ज्ञान का निमित्त कारण है-शास्त्र। धर्म ग्रन्थ। प्रत्येक धर्म परम्परा में धर्म ग्रन्थों का पठन-पाठन-स्वाध्याय-श्रवण इसलिए किया जाता है कि उनसे साध्य का, साधनों का ज्ञान भी होता है और जिन महापुरुषों व सत्पुरुषों ने धर्माचरण द्वारा अपना कल्याण किया है उनका प्रेरक पवित्र जीवन दर्पण की भाँति हमारे सामने उपस्थित हो जाता है, जिससे धर्माचरण की क्रिया सुविधाजनक हो जाती है। भगवान महावीर ने जो धर्मोपदेश दिया, आत्म-शुद्धि की साधना का मार्ग बताया, उन धर्म-वचनों का संकलित रूप आगम है। आगम वाणी उस समय की लोक-भाषा प्राकृत-अर्द्धमागधी में है। किसी समय अर्द्धमागधी जनता की बोलचाल की भाषा थी, परन्तु आज वह अनजान और कठिन भाषा बन गई है। इसलिए शास्त्र पढ़ने से लोग कतराते हैं और केवल उनका अनुवाद अपनी भाषा में पढ़कर ही संतोष कर लेते हैं। भगवान महावीर के उपदेशों व तत्त्वज्ञान को विषयक्रम के अनुसार चार अनुयोगों में बाँटा गया है, जिनमें एक अनुयोग है--धर्म-कथानुयोग। कथा, उदाहरण, दृष्टान्त व रूपक के द्वारा उपदेश देना और धर्म का तत्त्व समझाना एक सरल और रोचक शैली है। इसलिए कथानुयोग की शैली सबसे अधिक रुचिकर व लोकप्रिय बनी है। कथानुयोग में जिन शास्त्रों/आगमों का नाम आता है उनमें ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र सबसे अधिक प्रसिद्ध, और सबसे अधिक रोचक तथा सबसे बड़ा है। यों तो अन्तकृदशासूत्र, उपासकदशांग, अनुत्तरोपपातिक, निरयावलिका, राजप्रश्नीय, विपाकसूत्र आदि भी कथा-प्रधान होने से कथानुयोग में ही गिने जाते हैं किन्तु ज्ञाताधर्मकथा सूत्र का स्थान कुछ विशेषता रखता है। इस सूत्र की भाषा अन्य आगमों की अपेक्षा अधिक प्रौढ़, साहित्यिक और लालित्यपूर्ण है। अन्य कथाओं की अपेक्षा इसकी कथाएँ भी अधिक रोचक और विश्वस्तर की हैं। ज्ञातासूत्र की कुछ कथाएँ तो बौद्ध साहित्य में, वैदिक ग्रन्थों व विदेशी कथा साहित्य में भी मिलती हैं। जैसे मेघकुमार की कथा जातक के नन्द की कथा से, दो कछुओं की कथा गीता की टीकाओं में तथा रोहिणी ज्ञात की कथा बाइबिल की मेथ्यू और लूक की कथा से काफी समानता रखती है। इससे यह प्रतीत होता है कि "ज्ञातासूत्र की सैकड़ों कथाएँ धीरे-धीरे सम्पूर्ण विश्व साहित्य में रूपान्तरित हो गई हैं। (8) OTE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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