Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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नैन
भावार्नु श्री म. सा. ३. स्थानयासी
शास्त्रोद्धार समिति, है. रेडियामा । सट, (सौराष्ट्र).
Published by : Shri Akhil Bharat S. S. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra), W. Ry, India.
ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्ययज्ञा, जानन्ति ते किमपि तान् प्रति नैष यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्ययं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥१॥
हरिगीतच्छन्दः
करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके लिये। जो जानते हैं तत्त्व कुछ फिर यत्न ना उनके लिये ॥ जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्त्व इससे पायगा। है काल निरवधि विपुल पृथ्वी ध्यान में यह लायगा ॥१॥
भूख्यः ३. २५300
પ્રથમ આવૃત્તિ : પ્રત ૧૨૦૦ वीर संवत : २४८१ વિક્રમ સંવત ૨૦૨૨ ઈસવીસન ૧૯૬૫
:मुद्र: મણિલાલ છગનલાલ શાહ નવપ્રભાત પ્રિન્ટીંગ પ્રેસ,
ઘીકાંટા રોડ, અમદાવાદ,
श्री स्थानांग सूत्र :03
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