Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 767
________________ आचारचिन्तामणि टीका अध्य. १ उ. ७ सू. ६ मुखवस्त्रिकाविचारः ७०७ प्रमाणदवरकेण सर्द्ध मुखे वध्नीयात् मुखपत्र्या भदन्त ! कोऽर्थः ?, गौतम ! यत्खलु मुखान्ते सदा वर्तते तेनार्थेन मुखपत्री । कस्मै अर्थाय भदन्त ! मुखपत्री मुखेन साई वध्नीयात् ?, गौतम ! स्वलिङ्गवायुजीवरक्षणार्थम् ॥ ३॥ यदि खलु भदन्त ! मुखपत्री वायुजीवरक्षणार्थाय तत्कि सूक्ष्मवायुकायजीवरक्षणार्थाय वा वादरवायुकायजीवरक्षणार्थाय ? गौतम ! नो इति सूक्ष्मवायुकायजीवरक्षणार्थीय, (किन्तु) बादरवायुकायजीवरक्षणार्थांय, नो इति अविशेषम् , एवं ते सर्वेऽपि अर्हन्तः ब्रुवन्ति ॥ ४ ॥ इति । संपति केचिन्मुनिम्मन्या मुखवस्त्रिकावन्धनं प्रतिषेधयन्ति तेषामाचार्यास्तु प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती का अर्थ क्या है ? उत्तर-वह सदैव मुंह पर बंधी रहती है इस लिए वह मुँहपत्ती कहलाती है । प्रश्न-किस प्रयोजन से मुँहपत्ती मुख पर बाँधनी चाहिए ? उत्तर-मुँहपत्ती बाँधना साघु का स्वलिंग है इस लिए, तथा वायुकाय के जीवों की रक्षा के लिए मुँहपत्ती बाँधी जाती है ॥३॥ प्रश्न-भगवान् अगर वायुकाय की रक्षा के लिए मुँहपत्ती है तो सूक्ष्म वायुकाय की रक्षा के लिए है या बादर वायुकाय की रक्षा के लिए ? उत्तर-सूक्ष्म वायुकाय की रक्षा के लिए नहीं किन्तु बादर वायुकाय के जीवों की रक्षा के लिए है । सभी अर्हन्त ऐसा ही कहते है " ॥४॥ आजकल अपने को मुनि मानने वाले कोई-कोई मुखवत्रिका के बाँधने का પ્રશ્ન–ભગવન્! મુંહપત્તીને અર્થ શું છે? ઉત્તર–ગૌતમ! તે હમેશાં મુખપર બાંધી રહે છે. તેથી તે મુંહપત્તી કહેવાય છે. પ્રશ્ન–શું પ્રયોજનથી મુંહપત્તી મુખપર બાંધવી જોઈએ? ઉત્તર–સંહપત્તી બાંધવી તે સાધુનું સ્વલિંગ છે એ માટે, તથા વાયુકાયના वानी २क्षा भाटे मुंडपत्ती मांधे. (3)। પ્રશ્ન–ભગવન! અગર વાયુકાયની રક્ષા માટે, મુંહપત્તી છે. તે શું સક્ષમ વાયુકાયની રક્ષા માટે છે. અથવા બાદર વાયુકાયની રક્ષા માટે છે? ઉત્તર–સૂમ વાયુકાયની રક્ષા માટે નહિ પરંતુ બાદર વાયુકાયના જીની રક્ષા માટે છે. સર્વ અહંન્ત એ પ્રમાણેજ કહે છે. (૪). આજ કાલ પિતાને મુનિ માનવાવાળા કેઈક ઈ મુખવસ્ત્રિકા બાંધવાને નિષ

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