Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 766
________________ ७०६ भाचाराशस्त्रे - छाया" ...ततः पश्चात् गौतम ! सलिङ्गो मुखपत्रीं मुखेन साई वस्नीयात् । मुखपत्री खलु भदन्त ! किंप्रमाणा ?, गौतम ! मुखप्रमाणा मुखपत्री। मुखपत्री खलु भदन्त ! केन वस्त्रेण कृता ?, गौतम ! एकस्यापि श्वेतवस्त्रस्याष्टपुटका मुखपत्रीं कुर्यात् ॥ २॥ कस्मै अर्थाय भदन्त ! मुखपत्री खलु अष्टपुटका ?, गौतम ! अष्टकर्मदहनार्थम् । मुखपत्रीं भदन्त ! कथं वध्नीयात् ?, गौतम ? एककर्णेन द्वितीयकर्ण ". ..गौतम ! तत्पश्चात् स्वलिंगी साधु मुख के साथ मुखपत्ती बाधे ॥१॥ प्रश्न-भगवान् । मुँहपत्ती का क्या प्रमाण है ? उत्तर-गौतम ! मुँह के बराबर मुँहपत्ती होती है। प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती किस वस्त्र की होती हैं ? उत्तर-गौतम ! एक सफेद वस्त्र की आठ पुटकी मुँहपत्ती होती है ॥२॥ प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती आठ पुटकी क्यों होनी चाहिए ? उत्तर-गौतम ! आठ कर्मों को भस्म करने के लिए। प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती किस तरह बाँधनी चाहिये ? उत्तर-गौतम ! एक कान से दूसरे कान तक लम्बे डोरे के साथ मुँहपत्ती मुख पर बौद्धनी चाहिए। "....गौतम! तत्पश्चात स्पलिंगी साधु भुम साथै भुमपत्ति मांध. (१) પ્રશ્ન–ભગવાન્ ! મુંહપત્તીનું શું પ્રમાણ છે? उत्तर-गौतम! भुमनी १२॥१२ भुंडपत्ती खाय छे. प्रश्न-मापन् ! भुउपत्ती ४॥ पनी मन छ ? ઉત્તર–ગૌતમ! એક સફેદ વસ્ત્રની આઠ પડની મુંહપત્તી હોય છે. (૨) प्रश्न-भगवन् ! मुंडपत्ती मा8 ५डनी भोट डावी नये ? ઉત્તર–ગૌતમ! આઠ કર્મોને ભસ્મ કરવા માટે. प्रश्न-भगवन् ! मुंडपत्ती वी शते माधवी नये ? ઉત્તર–ગૌતમ! એક કાનથી બીજા કાન સુધી લાંબા દેરાની સાથે મુંહપના મુખ પર બાંધવી જોઈએ.

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