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आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ
उपसंहार यह ग्रंथकार श्रीमद्देवसेनाचार्य देव का अति संक्षेप में परिचय है । माणिकचंद दिगंबर जैन प्रथमाला के ग्रंथों से तथा सोलापुर के मराठी ग्रंथादि से इस प्रबंधार्थ सामग्री, सहायता ली गयी है एतदर्थ उनका उल्लेख उचित ही है । छद्मस्थ त्रुटियों के लिए लेखक क्षतव्य है। अनंत काल तक अखंड आनंदोपलब्धि चाटनेवाले जिज्ञासु और पौरुषपात्र भव्य जीवों को मूल ग्रंथ का स्वाध्याय करना चाहिए । देहग्रहण, देहत्यजन के महादुःखकारी अनादि दुष्ट चक्र से मुक्त होकर शाश्वत सुखी होना चाहिए यही मंगल दृढ भावना है।
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