Book Title: Acharanga Stram Part 03 Author(s): Shilankacharya Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम् ॥४२१॥ *२२%२४२** ||श्रीजिनाय नमः। ॥श्रीआचाराङ्गसूत्रम्॥ (मूळ अने शिलांकाचायें रचेली टीकार्नु भाषांतर ) भाग त्रीजो छपाची प्रसिद्ध करनार-पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा) । । (शितोष्णीय नामनुं त्रीजुं अध्ययन.) बीजुं अध्ययन कई हवे त्रीजु कहे छे. तेनो आ प्रमाणे संबंध छ-पूर्वे शस्त्रपरिज्ञा नामना पहेला अध्ययनमा आ अध्ययननो अधिकार कह्यो छे. के शीत, अने गरमीनो अनुकुल के प्रतिकुळ ( सुख-दुःख ) परिषद आवे; तो, समभावे सहन करखो. ते हवे कहे छे: अध्ययननो संबंध शस्त्रपरिज्ञामां कहेल महाप्रतने धारण करेला; अने, लोकविजय नामना अध्ययनमा बतावेल संयम पाळनारा 1 For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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