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सूत्रम्
॥४२१॥
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||श्रीजिनाय नमः। ॥श्रीआचाराङ्गसूत्रम्॥ (मूळ अने शिलांकाचायें रचेली टीकार्नु भाषांतर )
भाग त्रीजो छपाची प्रसिद्ध करनार-पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा)
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(शितोष्णीय नामनुं त्रीजुं अध्ययन.) बीजुं अध्ययन कई हवे त्रीजु कहे छे. तेनो आ प्रमाणे संबंध छ-पूर्वे शस्त्रपरिज्ञा नामना पहेला अध्ययनमा आ अध्ययननो अधिकार कह्यो छे. के शीत, अने गरमीनो अनुकुल के प्रतिकुळ ( सुख-दुःख ) परिषद आवे; तो, समभावे सहन करखो. ते हवे कहे छे:
अध्ययननो संबंध शस्त्रपरिज्ञामां कहेल महाप्रतने धारण करेला; अने, लोकविजय नामना अध्ययनमा बतावेल संयम पाळनारा
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