Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 6
________________ आशीर्वादः श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्ध:२ // 4 // ऽयमेवमेव लाभान्वितो भवत्विति भृशमाशास्यते। अमीषामागमग्रन्थानामध्ययनं प्रसरतु श्रमणसंधे। श्रमणैश्चागमानाममीषामुपनिषद्भूत उपदेशः प्रसरतु सकलश्रीसंघे- इत्याशीर्वादः / तपागच्छाधिराजपूज्यपादाचार्यवर्यश्रीमद्विजयरामचन्द्रसूरीश्वराणां पट्टालङ्काकाराणां प्रशान्तमूर्तिपूज्यपादाचार्यवर्यश्रीमद्विजयजितमृगाङ्कसूरीश्वराणांचरणकिङ्करो विजयहेमभूषणसूरिः। कान्दीवली, मुंबई. विक्रम सं० 2064 वीर सं० 2534 पोष सुद 13

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