Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 16
________________ श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् आचाराङ्ग GEIST श्रुतस्कन्धः२ विषयानुक्रम क्रमः विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः | क्रमः विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः स्थानादिनिषेधः। 295 634 अल्पक्रिया वसतिः। 307-309 - 639-641 2.2.2 पुनरशनाधुपस्कृते |2.3 द्वितीयाध्ययने तृतीयोद्देशकः सागारिकोपाश्रयेऽस्थानं (छलनापरिहारः) 310-333 - 641-652 दारुभेद-क्रमाणाद्यग्निकाया 2.3.1 प्रचुरप्रासुकान्ने ग्रामे तापनादिप्रसङ्गात्तथा 310 शुद्धवसतिकथनम्। - विधेऽस्थानम्। 641 296-297 2.3.2 लघूपाश्रयेऽन्यच्छत्राद्य२.२.३ द्वारोद्धाटने स्तेनसङ्गेऽ- / संघट्टेन गमनादि वसतियास्थान। 298 - 635 शाविधिः शय्यातरपिण्ड| 2.2.4 सतृणादावस्थानं वर्जनं साग्निके भूयः साधर्मिकावपातेऽ वसतावस्थानम्। 311-314 - 643-645 स्थानम्। 299-300 2.3.3 कुलमध्यगमनयुक्तेऽस्थानम् 2.2.5 कालातिक्रान्तशय्या। 301 गाथापत्यादेः परस्परमा२.२.६ उपस्थानक्रिया। 302 - 637 क्रोशाद्यभ्यङ्गाद्या घर्षणादि२.२.७ अभिक्रान्तशय्या स्नानादियुक्तेष्वस्थानं नग्नादिअनभिक्रान्तशय्या। 303-304 - 637-638 गृहपत्यादियुक्तेऽस्थानम् 2.2.8 वर्ण्यक्रिया वसतिः साण्डादिसंस्तारकस्य महावय॑क्रिया। 305-306 - 638-639 निषेधः (4) इतरस्य 2.2.9 सावधक्रिया महासावद्यक्रिया ग्रहः (5) / 315-322 - 645-647

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