Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 15
________________ श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 5 // श्रीआचाराड़सूत्रस्य विषयानुक्रमः क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः | क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः शय्यैषणाख्यम् 287-333 298-307 624-652 स्थानादिनिषेधः। 288 628 2.1 द्वितीयाध्ययने प्रथमोद्देशकः | 2.1.7 विनाऽऽगाढानागाढकारणैः (वसतेरुद्रमदोषाः) 287-294 298-307624-633 स्कन्धमञ्चादावस्थानं२.१.१ द्रव्यादिभेदेन शय्याया स्थाने यतना च। 289 निक्षेपचतुष्कम्। 298-302 624 | 2.1.8 स्त्रीक्षुल्लकादियुक्ते उपाश्रये 2.1.2 सचित्तद्रव्यशय्यायां व्याधावभ्यङ्गादिगौतमनैमित्तिकदृष्टान्तः। - 303625 प्रसङ्गादस्थानम्। 290 2.1.3 काये षड्भावे भावशय्या। - 2.1.9 गाथापत्याद्याक्रोशादेः 304 2.1.4 उद्देशत्रये शय्याधिकारः शुभाशुभमनोभावात् 1 उद्गमदोषाः संसक्तापायाश्च तथाविधोपाश्रये स्थानादि२ शौचवादिदोषा: शय्यात्यागश्च निषेधः। 291 2.1.10 साग्निकस्थाननिषेधः। 292 3 छलनापरिहारः स्वाध्याययोग्यस्थानम्। 305-307 626 2.1.11 सकुण्डलादिके निषेधः / 293 2.1.5 साण्डाघेकबहुसाधर्मिकश्रमण 2.1.12 गाथापतिस्त्र्यादियुक्ते भिक्ष्वाधुद्दिष्टादिशय्यायां स्थानादिनिषेधः। 294 - 633 स्थानादिवर्जनम्। - 626-627 | 2.2 द्वितीयाध्ययने द्वितीयोद्देशकः 1.1.6 साधूद्देशेन महाद्वारकरणे (शौचवादिदोषाः) 295-309 - 63 कन्दपीठादिसङ्कमणे 2.2.1 शौचवाधुपाश्रये FWF Orror mmmm -641

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