Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 13
________________ नियुक्तिः पृष्ठ: श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 3 // -601 595-596 249 597 598 क्रमः विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः | क्रमः विषयः सूत्रम् |1.5 प्रथमाध्ययने पञ्चमोद्देशकः 1.7 प्रथमाध्ययने सप्तमोद्देशकः (पिण्डग्रहणविधिः) 248-253 - 582-589 (संयमात्मदातृ 1.5.1 अग्रपिण्डादिप्रतिषेधः। 248 विराधना) 260-264 |1.5.2 भिक्षाटनविधिः। 583-584 | 1.7.1 मालाहृताहारप्रतिषेधः। 260 1.5.3 भिक्षार्थं प्रविष्टस्य 1.7.2 पृथिवीकायावलिप्तापथ्युपयोगः। 250 हारप्रतिषेधः। 261 1.5.4 भिक्षोः पिहितद्वारमुद्धाट्य 1.7.3 सूर्पादिना प्रवेशाप्रवेशविधिः। 251 शीतीकृताहारप्रतिषेधः। 262 1.5.5 यथाविध्युद्धाट्य प्रविष्टस्य 1.7.4 वनस्पतित्रसकायप्रतिविधिः। 252 586-587 ष्ठिताहारप्रतिषेधः। 263 1.5.6 बहिरालोकस्थानप्रवेश 1.7.5 पानकग्रहण विधिः। 264-265 प्रतिषेधः। 253 588-589 | 1.8 प्रथमाध्ययने अष्टमोद्देशक: 1.6 प्रथमाध्ययने षष्ठोद्देशकः / (पानकविधि:) 266-271 (अन्तरायप्रतिषेधः) 254-259 589-595 | 1.8.1 पानकविधिगतविशेषः। 266 1.6.1 कुक्कुटादिप्राण्यन्तरायभयाद् 1.8.2 भक्तपानविशेषे रागागृहप्रवेशप्रतिषेधः। 254-258 589-594 करणीयत्वोपदेशः। 267-268 1.6.2 गृहपतिकुलप्रविष्टस्य / 1.8.3 अकल्पनीयाग्राह्यसाधोर्विधिः। 259 - 594-595 त्वोपदेशः। 269-271 599-601 601-607 601-602 - 60

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