Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 1 // ॥श्रीआचाराङ्गसूत्रस्य विषयानुक्रमः॥ द्वितीयश्रुतस्कन्धस्य सूत्राणि-१७९, सूत्रगाथा:-३६, नियुक्तिगाथा:-७२ विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः | क्रमः विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः ॥प्रथमा चूला॥ प्रज्ञापने हेतुः। ___- 292-295552-553| 1.1.4 तद्रक्षणार्थमेकैकस्य भावनाप्रथममध्ययन पञ्चकं-तासां शस्त्रपरिज्ञापिण्डैषणाख्यम् .. 224-286 285-297 548-623 ध्ययनाभ्यन्तरत्वं.१ प्रथमाध्ययने प्रथमोद्देशकः चूडानां यथास्वं परिमाणम्। - 296-297 553 (पिण्डः ) 224-232 285-297548-564 | | 1.1.5 अशनादिविषयो विधिः। 224 1.1.1 द्रव्याग्रनिक्षेपः 1.1.6 औषधिविषयो विधिः। 225 उपकाराग्राधिकारः। - 285-286549-550 550 1.1.7 आहारस्य ग्राह्याग्राह्यविधि: 1.2 अग्राणामुद्धारक-प्रयोजना गृहपतिकुलप्रवेशविधिः। ऽपादानानि अग्रोद्धारस्य विभागेना अन्यतीर्थिकेभ्योऽशनादिख्यान-आचाराग्राणां शस्त्रपरिज्ञा दानप्रतिषेधः। 226-228 - 558-560 ध्ययनानियूंढत्वम्। - 287-291 551 / | 1.1.8 अनेषणीयविशेषप्रतिषेधः 1.3 सङ्केपाभिहितसंयमस्य प्रकारान्तरेणाविशुद्धिविस्तारप्रदर्शनं पञ्चमहाव्रत कोटिः। 229-230 - 561-562 554
Loading... Page Navigation 1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 240