Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 14
________________ श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० आचाराड वृत्तियुतम् सुत्रस्य विषया श्रुतस्कन्धः२ // 4 // नक्रमः क्रमः विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः / क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्तिः पृष्ठः 1.9 प्रथमाध्ययने नवमोद्देशक: वसतिगतसाधोः कर्त्तव्य(अनेषणीयपिण्ड विधिः, असाधारणपिण्डापरिहारः) 272-278 - 607-613 वाप्तौ कर्त्तव्यविधिश्च। 279-280 613-614 1.9.1 अनेषणीयपिण्डपरि 1.10.2 इक्षुपर्वमध्याद्यकल्पनीयहार्यत्वोपदेशः। 272 - 607 | परिग्रहणे परिष्ठापनविधिः / 281 614-615 1.9.2 अनेषणीयपिण्डयाचन 1.10.3 अप्रासुकलवणागमे प्रतिषेधः। 273 - 08-609 विधिः। 282 616 1.9.3 गृहीताहारस्य सुरभिदुर 1.11 प्रथमाध्ययने एकादशोद्देशकः भिगन्धत्वेऽपरित्यागत्वम् / 274 611 (वसतिशेषविधिः) 283-286 617-623 1.9.4 गृहीतपानकस्य पुष्पकषाय 1.11.1 ग्लानाय गृहीते पिण्डे पानकापरित्यागत्वम्। 275 मायानिषेधः। 283 617 1.9.5 अधिकाहारे परिगृहीते 1.11.2 ग्लानाय दत्ते पिण्डे मिथ्याविधिः। 276 - 611 ग्लानान्तरायनिषेधः। 284 1.9. अनेषणीयाहारपरित्यागे 1.11.3 पिण्डपानैषणासप्तके 285 9-620 भिक्षोः सामग्यम्। 277-278 611-612 1.11.4 प्रतिपद्यमानपूर्वप्रतिपन्न१.१० प्रथमाध्ययने दशमोद्देशक: पिण्डपानैषणस्य कर्त्तव्यो (वसतिविधिः) 279-282 - 613-616 | विधिः। 1.10.1 साधारणादिपिण्डावाप्तौ 2 द्वितीयमध्ययनं // 4 // 286

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