Book Title: Acharang Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 6
________________ श्रीआचारांग सूत्रचूर्णिः ॥४॥ (९-६) जण कारणेण एत्थ आयारो वन्निजइ चरणं चेव मोक्खस्स सारो, तत्थ ठितो सेसाणि अंगाणि अहिजइ तेण सो पढम कतो, आदिस्थाइयाणिं गणित्ति 'आयारंमि अहीए' गाहा (१०-६) गणीति गणं वावारेति तम्हा आयारो भविस्सइ पढमं गणिठाणं । इयाणि hी पनहेतुः परिमाणं, तत्थ 'णवयंभचेरमइओ अट्टारमपदसहस्सिओ वेओ'गाहा (११-६) तत्थ णव बंभवेरा आयारो, तस्स पंच || पदमान, ब्रह्मनिक्षेपः। | चूलाओ, ताओ पुण आयारेहितो अज्झयणसंखाए बहु पदग्गेण बहुत्तरियाओ दुगुणा तिगुणा वा, ताओ पुण इमाओ भवंति-एकारस पिंडेसणाओ जाव उग्गहपडिमा पढमा चूला, सत्तमत्तिक्कया वितिया, भावणा ततिया, विमोत्ति चउत्था, णिसीह पंचमा चूला। इदाणि समोयारो, तत्थ दवे जहा आमंतणे बडुया, खलगादिसु कवोयादी, ण्हाणाणुयाणादिसु अरुहंतयादिसुसाहुणो, भावे अयमेव || नाणादीण भावाणं समोयारो, तत्थ गाहाओ तिणि पढियवाओ। (१२, १३, १४-७) इयाणि सारो, तत्थ दवे जहा कोडीसारो देवदत्तो अहया समारो बंभो मसारोदधि एवमादि, भावे अयमेव नाणादी भावो चेव, सुत्ते आयारो सारो, अहवा सवस्सेव सुयनाणस्स एम आयारो सारो, तत्थ गाहाओ 'अंगाणं किंसारों' गाहाओ (१६, १७) दोन्नि पढियवाओ। इयाणि अंगं, तं चउविहंनामंगं ठवर्णगं दबंग भावंगंति, णामठवणाओ गयाओ, दवंगं जहा चउरंगिज, भावंगं आगमओ जाणओ उवउत्तो. नोआगमओ इमं चैव आयारभावंगं. तेण अहीगागे. इदाणि सुत्तं, दवे पत्तयपोन्थयलिहियं, भावे इमं चेव, खंधेचउबिहे दवे सचित्तादी भावे एतसिं चेव नवण्हं अज्झयणाणं ममुदाओ, को य पुण एस भावसुयक्बंधो?, भण्णइ, बंभचेरा, तेण बंभ णिक्खिवियवं Dj बंभंमि(मी उ)चउक्क' गाहा ( ) तन्थ ठवगाभं अक्खणिक्खेवादिसु, अहवा बंभणुप्पत्ती भाणियत्वा, 'एगा मणुस्सजाई' गाहा (१९-८ ) एन्थ उमभमामिस्स पुत्वभवजम्मणअहिसेयचकवट्टिायाभिसंगाति, तत्थ जे रायअस्सिता ते य खत्तिया ॥ ४ ॥

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