Book Title: Acharang Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 12
________________ श्रीआचारांग सूत्रचूर्णिः ॥ १० ॥ खड्या वा होजा खओवसमिया वा अणुभवणसण्णा कम्मोदयनिष्फण्णा पायं सोलसविहा भवति, तंजहा- 'आहारभयपरिगहा गाहा (३९ - १२) वितिगिच्छा तेहिं तेर्हि नाणंतरादीहि सम्मदिट्ठिस्सवि भवति, किन्नु सेसस्स १, कोहसण्णा कोहज्झवसाओ, एवं माण० माया० लोभ० सोगो य, ओहसण्णा सेससण्णाविरहिया केवलं उवओगो, लोगसण्णा सच्छंदवियप्पिया अणेगरूवा, अणवचस्स लोगो णत्थि, सोयसुत्त (द्व) त्थो रणमुह एवमादि, धम्मसण्णा णाम धम्मपियया तस्सीलसेवणा य, जाणणासण्णाए अहिगारो, तं च पडुच्च भण्णइ - 'इहमेगेसिं नो सन्ना भवति, तंजहा- पुरच्छिमाओ वा दिमाओ आगतो अहमंसि जाव अणुदिसातो आगओ अहमंसि' (२-१३) दिसते जा सा दिसा ताओ पुव्यमादि, सा सत्तविहा 'णामं ठवणा' गाहा ।। (४० - १३) ।। णामदिसा जहा दिसाकुमारी, ठवणादिसा अक्खणिक्खेवादिसु दिसाविभागो ठाविओ, स पुण सुतपरूवणादिसुवि विजति, दव्यदिसा 'तेरस पदेसियं खलु' गाहा ।। ( ४१-१३ ) || खेतदिसा 'अट्ठपदेसो रुयओ गाहा ।। (४२-१३) ।। इंदग्गेयी जंमा यगाहा ॥ (४३-१३) || 'अंतो सादीआओ' गाहा ।। (४५ - १४) । 'सगड्डुद्धिसंठियाओ' गाहाओ (४६-१४) केठाओ। 'जस्स जओ आइचो उदेइ' गाहा 'दाहिणपासंमि य' गाहा ।। ( ४७, ४८-१४) ॥ भाणियचा, सव्वेसिं मेरुगिरी उत्तरतो 'सधेसि उत्तरेणं' ' जत्थ य जो पण्णवओ णव ग़ाहा कंख्या (५०, ५८-१५) । इदाणिं भावदिसा अट्ठासविहा 'मण्या इंदियकाया' गाहा ।। (६०-१५) ।। तिरिया काया कम्मभूमगा अकम्मभूमगा य अन्तरदीवगा संमुच्छिममणुस्सा बेइंदिय तेइंदिय चउरिंदिय पंचेंदियतिरिक्खजोणिया, पुढविकाइया तेउकाइया वाउकाइया आउकाइया वणस्सइकाइयाअग्गबीया मूलवीया खंधवीया पोरवीया देवा नेरइया, एसा भावदिसा, दिस्सति तेण दिसा, तेण प्रकारेण दिस्सति जहा पुढवि दिशः ॥ १० ॥

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