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आस-परीक्षा।
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पुरुष, कहीं पर भी, किसी वस्तु के अभाव का ज्ञान, तब ही कर सकता है, जबकि उस पुरुष को, उस वस्तु का ज्ञान हो जाय, जिसका कि उसको अभाव सिद्ध करना है। जैसे कि कोई भी पुरुष घट पट आदिक पदार्थों का अभाव तब ही सिद्ध कर सकता है जब कि उस पुरुष ने घट पट आदिक पदार्थ पहिले देखे हों, और वर्त'मान में उन पदार्थों की उस पुरुष को यादगारी हो,
तथा जिस स्थान में घट पटादिक का अभाव सिद्ध करना है उस स्थान का भी उस पुरुष को ज्ञान हो । क्यों कि घट का अभाव सिद्ध करने वाले पुरुष को यदि घट का ज्ञान नहीं है, तो घर के रहने पर भी वह पुरुष यह नहीं जान सकता कि यहां पर घट है या नहीं। इसी प्रकार सर्वज्ञ का निषेध करने वाले पुरुष को यदि पूर्व में सर्वज्ञ का ज्ञान नहीं है, तो वह पुरुष कदापि सर्वज्ञ का अभाव सिद्ध नहीं कर सकता, और जहां पर सर्वज्ञ का निषेध करना है, उस स्थान अर्थात तीन लोक का भी यदि सर्वज्ञ के निषेध करने वाले पुरुष को ज्ञान नहीं है, तो कदापि वह पुरुष सर्वज्ञ का निषेध नहीं कर सकता ।
और यदि सर्वज्ञ का निषेध करने वाले पुरुष को निषेध करने से पहिले सर्वज्ञ का ज्ञान और सर्वज्ञके आधारभूत तीन लोक का ज्ञान-माना जायगा तो फिर सर्वज का निषेध न हो कर उल्टा सर्वज्ञ का सद्भाव ही सिद्ध हो