Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री प्रश्न व्याकरण सूत्र ॥ श्री आगम-गुण-मञ्जूषा। ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO १०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है। उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। छह छेद सूत्र (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। चार मूल सूत्र १) श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। २) श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। International 2010 03. 乐乐乐乐乐乐出乐城 ३) श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं । ४) श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ श्री आगमगुणमंजूषा I २) श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम् ॥ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶KK Introduction 45 Agamas, a short sketch YURALSEA PERLA RADIO Quan Bài 3 Bà Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là 35 3 3 20 It is of the size of around 800 Ślokas. (8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas. I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas. (2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas. (3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas. (5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas. (6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas. SEVEN A (7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. (10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas. (11) II Twelve Upangas (1) Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas. (2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas. www.jainelibrary Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SSRO% % %%%%%%%%%% % 19/stal alalt男 男男男男男男男男男%%%%%% %OS આગમ - ૧૦ ચરણાનુયોગમય પ્રશ્નવ્યાકરણાંગ સૂત્ર - ૧૦ (૧) આશ્રવ શ્રુતસ્કંધ (૧) અધ્યયનઃ પ્રાણાતિપાત આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં નમસ્કારમંત્ર આપીને આશ્રવ અને સંવરના વર્ણન હેઠળ પાંચ પ્રકારના આશ્રવ, પ્રાણાતિપાતના પાંચ વિભાગ અને ૩૦ નામ, વિવિધ પ્રકારના જીવોની હિંસા, તેનું પ્રયોજન અને ફળ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે હિંસાને અધર્મના પ્રથમ દ્વાર કહી ઉપસંહાર ર્યો છે. (૨) અધ્યયનઃ મૃષાવાદ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં મૃષાવાદ (જૂઠું બોલવું તે) નું સ્વરૂપ અને તેના કે ૩૦ નામ, ચાર પ્રકારના મુખ્ય મૃષાવાદ, મૃષાવાદીની દુર્ગતિ વગેરે વર્ણન પછી અંતે મૃષાવાદને અધર્મનું બીજું દ્વાર ગણાવ્યું છે. (૩) અધ્યયન: અદત્તાદાન આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં અદત્તાદાન (ચોરી)ના ૩૦ નામ, ચોરી, કરનારાઓ, ચોરીનું ફળ, ભયંકર વેદનાઓ વગેરે વર્ણન કરી અંતે અદત્તાદાન - ચોરીને અધર્મના ત્રીજા દ્વાર તરીકે ગણાવ્યું છે. (૪) અધ્યયન: અ-બ્રહ્મચર્ય આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં અ-બ્રહ્મચર્ય (મૈથુન)નું સ્વરૂપ, તેના ૩૦ નામ અને અબ્રહ્મચર્ય સંબંધી દેવતાઓ, ચક્રવર્તીઓ, વાસુદેવો, માંડલિક રાજાઓ, દેવકુવાસીઓ અને ઉત્તરકુરુવાસીઓ વગેરેનું વર્ણન અને મૈથુનનું ફળ જણાવી તેને અધર્મના ચોથા દ્વાર તરીકે ગણાવ્યું છે. (૫) અધ્યયનઃ પરિગ્રહ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં પરિગ્રહનું સ્વરૂપ, તેના ૩૦ નામ, પરિગ્રહ સંગ્રહ વૃત્તિવાળા જીવો અને પરિગ્રહનું ફળ બતાવીને અંતે તેને અધર્મના પાંચમાં દ્વાર તરીકે ગણાવ્યું છે. 8 | અન્ય નામ:- પહાવાગરણ શ્રુતસ્કંધ ---- અધ્યયન ---- ઉદ્દેરાક - પદ ------ o - GO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐玩玩乐乐明乐乐乐乐S2 - o ૨,૧૬,૦૦૦ છે. e. | શ્લોક પ્રમાણ ઉપલબ્ધ પાઠ --- ગદ્યસૂત્ર ----- પઘસૂત્ર o I " ૫ આશ્રવ શ્રુતસ્કંધ અધ્યયન --- -- ઉદ્દેશક ----- સૂત્ર ----- ગાથા -- - - - સંવર શ્રુતસ્કંધ અધ્યયન ------ ઉદ્દેશક ---- સૂત્ર ----- ગાથા ---- (૨) સંવર શ્રુતસ્કંધ (૧) અધ્યયન: અહિંસા આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં પાંચ સંવરોના વર્ણનની પ્રતિજ્ઞા કરીને તેના પાંચ માં નામ અને પરિચય આપીને સર્વપ્રથમ અહિંસાના ૬૦ નામ, તેની ઉપમા, અહિંસા આચરનારાના કર્તવ્ય વગેરે આપીને અહિંસાનું સ્વરૂપ, પાંચ મહાભાવનાઓ તેમજ સાધકનું અપ્રમત્ત જીવન વર્ણવીને અંતે અહિંસાને સંવરનું પ્રથમ દ્વાર કહ્યું છે. BC ÉÉ મારામગુurખંજૂષા - રૂ E M F T F 5 F FICE Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C HK સરળ ગુજરાનીભાવા (૨) અગમાન : જીત્ય ના અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં સત્યનું સ્વરૂપ, પ્રભાવ, ૧૦ પ્રકાર તેમજ તેની કેટલીક ઉપમાઓ, સત્યના બે પાસાંઓ - અવક્તવ્ય અને પ્રરાસ્ત, ૧૨ પ્રકારની ભાષા, ૧૬ પ્રકારના વચન, સત્યની પાંચ ભાવના, અસત્યના પાંચ કારણ વગેરે વર્ણન કરી અંતે સત્યને સંવરના ખીજા દ્વાર તરીકે બતાવ્યું છે. (૩) અધ્યયન : અસ્તેય આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં દાનમાં આપેલું અને અનુજ્ઞા (પરવાનગી)થી મેળવેલું એમ બે પ્રકારના અસ્તેય (ચોરીનકરવી)નું સ્વરૂપ, તેના વિરાધકો અને આરાધકો, અને પાંચ ભાવનાઓ આપીને અસ્તેયને સંવરના ત્રીજા દ્વાર તરીકે ગણાવ્યું છે. (૪) અધ્યયન : બ્રહ્મચર્ય આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેરાકમાં બ્રહ્મચર્યનું સ્વરૂપ અને પ્રભાવ, તેની ઉપમાઓ, બ્રહ્મચારીના કર્તવ્ય - અકર્તવ્ય અને કૃત્ય-અકૃત્ય તેમજ તેની પાંચ ભાવનાઓ આપીને અંતે બ્રહ્મચર્યને સંવરનું ચોથું દ્વાર કહ્યું છે. (૫) અધ્યયન : અપરિગ્રહ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં પરિગ્રહ (સંગ્રહ કરવો એ)ના સ્વરૂપ વગેરે વર્ણવીને સંવરવૃક્ષનું રૂપક, પરિગ્રહ વિરત - અપરિગ્રહીના કાર્ય-અકાર્ય, શુદ્ધનિર્દોષ ભિક્ષાગ્રહણનું વિધાન, ઔષધ વગેરેનો પણ અપરિગ્રહ, ધર્મસાધના ઉપયોગી સાધનના પરિગ્રહનું વિધાન, પાંચ સમિતિ, ત્રણ ગુપ્તિ, અપરિગ્રહની પાંચ ભાવના વગેરે જણાવીને અંતે અપરિગ્રહને સવરનું પાંચમું દ્વાર ગણાવ્યું છે. h - - Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOO55555555555555555555555555555555555555555555555556YOR ROO55555555555555(१०) पहावागरणं पढमो सुयक्खंधो पढम अज्झयणं । पढम आयवदारं (अधम्मदार) पिका (१) [१]5555555555555OOL सिरि उसाहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदय पास गहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु - देवाणं णमो | 55 श्रीप्रश्नव्याकरणदशाङ्गम्- जंबू । 'इणमो अण्हयसंवरविणिच्छयं पवयणस्स निस्संदं । वोच्छामि णिच्छयत्थं सुहासियत्थं महेसीहिं॥१॥ (तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्था, पुण्णमद्दे चेइए वणसंडे असोगवरपायवे पढवीसिलापट्टए, तत्थ णं चंपाए नगरीए कोणिए नाम राया होत्था, धारिणी देवी, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मे नाम थेरे जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने रूवसंपन्ने विणयसंपन्ने नाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने लज्जासंपन्ने लाघवसंपन्ने ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोभे जियनिद्दे जियइंदिए जियपरीसहे जीवियासमरणभयविप्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे मुत्तिप्पहाणे विज्ञापहाणे मंतप्पहाणे बंभप्पहाणे वयप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे चोद्दसपुवी चउनाणेवगए पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिखुडे पुव्वाणुपुब्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नगरी तेणेव उवागच्छइ जाव अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति। तेणं कालेणं० अज्जसुहम्मस्स अंतेवासी अज्जजंबूनामं अणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव संखित्तविपुलतेयलेस्से अज्जसुहम्मस्स थेरस्स अदरसामन्ते उडढंजाणू जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से अज्जजंबू जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नसद्धे० संजायसद्धे० समुप्पन्नसद्धे० उठाए उट्टेइ त्ता जेणेव अज्जसुहम्मे थेरे तेणेव उवागच्छइ त्ता अज्जसुहम्मं थेरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदइ नमसइ त्ता नच्चासन्ने नाइदरे विणएणं पंजलिपुडे पज्जुवासमाणे एवं व०-जइ णं भंते । समणेणं भगवयामहावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं अयमढे पं० दसमस्स णं भंते ! अंगस्स पण्हावागरणाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पं०?. जंबू ! दसमस्स अंगस्स समणेणं जाव संपत्तेणं दो सुयक्खंधा पं०- आसवदारा य संवरदारा य, पढमस्स णं भंते! सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पं० १. जम्बू ! पढमस्स णं सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं पंच अज्झयणा पं०, दोच्चस्स णं भंते ! ० एवं चेव, एएसिणं भंते ! अण्हयसंवराणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पं०१, तते णं अज्जसुहम्मे थेरे जंबूनामेणं अणगारेणं एवं वत्ते समाणे जंबू अणगारं एवं व०-पा०) 'पंचविहो पण्णत्तो जिणेहिं. इह अण्हओ अणादीओ। हिंसा मोसमदत्तं अब्बंभ परिग्गहं चेव ।।२।जारिसओ १ जनामा २ जह य कओ ३ जारिसं फलं देति । जेविय करेंति पावा पाणवहं ५ तं निसामेह ||३|| पाणवहो नाम एस निच्चं जिणेहिं भणिओ-पावो चंडो रुद्दो खुद्दो साहसिओ अणारिओ णिग्घिणो णिस्संसो महब्भओ पइभओ १० अतिभओ बीहणओ तासणओ अणज्जो उव्वेयणओ य णिरवयक्खो णिद्धम्मो णिप्पिवासो णिक्कलणो निरयवासगमणनिधणो २० मोहमहब्भयपयट्टओ मरणावेमणस्सो २२ ★★★। पढम अधम्मदारं ।* १। तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं,तं०-पाणवह उम्मूलणा सरीराओ अवीसंभो हिंसविहिंसा तहा अकिच्चं च घायणा मारणाय वहणा उद्दवणा तिवायणाय १० आरंभसमारंभो आउयकम्मस्सुवद्दवो भेयणिट्ठवणगालणाय संवट्टगसंखेवो मच्चू असंजमो कडगमद्दणं वोरमणं परभवसंकामकारओ दुग्गतिप्पवाओ पावकोवोय पावलोभो २० छविच्छेओजीवियंतकरणो भयंकरो अणकरो य वज्जो परितावणअण्हओ विसाणो निज्जवणा लुंपणा गुणाणं विराहणत्ति ३० विय तस्स एवमादीणि णामधेज्जाणि होति तीसं पाणवहस्स कलुसस्स कड़यफलदेसगाई।शतं च पुण करेंति केई पावा अस्संजया अविरया अणिहुयपरिणामदुप्पयोगी पाणवहं भयंकरं बहुविहं बहुप्पगारं परदुक्खुप्पायणप्पसत्ता इमेहिं तसथावरेहिं जीवेहिं पडिणिविठ्ठा, किं ते ?, पाढीणतिमितिमिगिलअणेगझसविविहजातिमंडुक्कदुविहकच्छभणक्कमगरदुविहगाहादिलिवेढयमंदुयसीमागारपलयसंसमारबहप्पगारजलयरविहाणाकते य एवमादी कुरंगरुरुसरभचमरसंबरउरब्भससयपसयगोण-सरोहियहयगयखरकरभखग्गवानरगव 0555555555555555555555555555555555$$$$$$$$$$$$$$ 7 સૌજન્ય :- પ. પૂ. સાધ્વીશ્રી ધૈર્યપ્રભાશ્રીજીના શિષ્યા પ.પૂ. સાધ્વી શ્રી ગુણમાલાશ્રીજી ના શિષ્યા પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી હિતપ્રભાજી ની પ્રેરણાથી. _ भुतु (पूर्व) अयल२७न संध MovELLEGEL 5 555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७३३ 995555555555555555555555556/ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्हावागरणं पढमो सुयक्खंधो पढमं अज्झयणं पढमं आसवदारं (अधम्मदारं) यविगसियालकोलमज्जारकोल (क पा० ) - सुणकसिरियंदलगावत्त-कोकं तियगोकण्णमियमहिसविग्घछगलदीवियासा-णतरच्छ अच्छभल्लसद्दूलसीहचिल्ललचउप्पयविहाणाकए य एवमादी अयगरगोणसवराहिम- उलिकाओ दरदब्भपुप्फ यासालियमहोरगोरगविहाणकए य एवमादी छीरलसरंबसेहसेल्लगगोधुंदरणउलसरडजाहगमुगुं सखाडहिलवाउपइयघीरोलियसिरीसिवगणे य एवमादी कादंबकबकबलाकासारसआडासेतीकुललवंजुलपारिप्पवकीवसउणदीविय (पीलिय) हंसधत्तरिट्ठगभासकुलीको सकुं चदगतुंड ढे णियालगसूयीमुहक विलपिंग- लक्खगकारंड गचक्क वाग(प्र० वडग) [२] उक्कोसगरुलपिंगुलसुयबरहिण-मयणसालनंदीमुहनंदमाणगकोरंगभिंगारगकोणाल-गजीवजीवकतित्तिरवट्टकलावककपिंजलककवोतकपारेवयगचिडिग ढिंककुक्कुडवेसरमयूरगचउरगहयपोंडरीयसालाग (करक पा०) वीरल्लसेणवायसयविहंगभि (प्र० से ) णासिचासवग्गुलिचम्मट्ठिलविततपक्खिखहयरविहाणाक य एवमायी जलथलखगचारिणो उ पंचिदिए पसुगणे बियतियचउरिदिए य विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बहुसंकिलिट्ठकम्मा, इमेहिं विविहे हिं कारणेहिं, किं ते ?, चम्मवसामं समेयसोणियजगफि प्फि समत्थुलुं गहितयं तपित्तफोफ सदंतट्ठा मंजन हनणकणण्हारुणिनक्कधमणिसिंगदाढिपिच्छविसविसाणवालहेउं, हिंसंति य भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेंदिए सरीरोवकरणट्टयाए किवणे बेदिए बहवे वत्थोहारपरिमंडणट्ठा, अण्णेहिं एवमाइएहिं बहुहिं कारणसतेहिं अबुहा इह हिंसंति तसे पाणे इमे य एगिदिए बहवे वराए तसे य अण्णे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति अत्ताणे असरणे अणाहे अबंधवे कम्मनिगलबद्धे अकुसलपरिणाममंदबुद्धिजणदुव्विजाणए पुढवीमये पुढवीसंसिए जलमए जल गए अणलाणिलतणवणस्सतिगणनिस्सिए य तम्मयतज्जिते (जिते पा० ) चेव तदाहारे तप्परिणतवण्णगंधरसफास (प्र० फरिस) बोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य 'तसकाइए असंखे थावरकाए य सुहुमबायरपत्तेयसरीरनामसाधारणे अणंते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ? करिसणपोक्खरणीवाविवप्पिणिकूवसरतलागचितिवेति यखातियआरामविहारथूभपागारदारगोउरअट्टालगचरियासेतुसंकमपासायविकप्पभवणघ (प्र० पु) रसरणलेणआवणचेतियदेवकुलचित्तसभापवाआयतणा-वसहभूमिघरमंडवाण य कए भायणभंडोवगरणस्स विविहस्स य अट्ठाए पुढविं हिंसंति मंदबुद्धिया जलं च मज्जणयपाणभोयणवत्थधोवणसोयमादिएहिं पयणपयावणजलावणविदंसणेहिं अगणिं सुप्पवियणतालयंटपेहुणमुहकरयलसागपत्तवत्थमादिएहिं अणिलं अगारपरिवा (डिया) रभक्खभोयणसयणासणफलकमुसलउखलततविततातोज्जवहणवाहणमंडवविविहभवणतोरणविडंगदएवमादिएहिं बहूहिं कारणसतेहिं हिंसन्ति ते तरुगणे, भणिता एवमादी सत्तपरिवज्जिया उवहणन्ति दढमूढा दारुणमती कोहा माणा माया लोभा हस्सरती अरतीसोयवेदत्थीजीयकामत्थधम्महेउं सवसा अवसा अट्ठा अणट्ठाए य तसपाणे थावरे य हिंसंति, हिंसंति मंदबुद्धी सवसा हणंति अवसा हणंति सवसा अवसा दुहओ हणंति. अट्ठा हणंति अणट्ठा हणंति अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति, हस्सा हणंति वेरा हणंति रतीय हणंति हस्सवेरारतीय हणंति कुद्धा हणंति लुद्धा हणंति मुद्धा हणंति कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणंति अत्था हणंति धम्मा हणंति कामा Life धमाकामा हणंति । ३। कयरे ते ?, जे ते सोयरिया मच्छबंधा साउणिया वाहा कूरकम्मा वाउरिया दीवितबंधणप्पओगतप्पगलजालवीरल्लगायसीदब्भवग्गु राकू डछे लिहत्था (दीविया पा०) हरिएसा साउणिया य वीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धयमहुघातपोतघाया एणीयारा पएणियारा सरदहदीहिअतलागपल्ललपरिगालणमलणसोत्तबंधणसलिलासपसोसगा विसगरस्स य दायगा उत्तणवल्लरदवग्गिणिद्दयपलीवका कूरकम्मकारी इमे यह मिलक्खुजाती, के ते ?, सकजवणसबरबब्बरगायमुरुंडोदभडगतित्तियपक्कणियकुलक्खगोडसीहलपारसकों चंधदविलबिल्ललपुलिंद अरोसडोंबपोक्कणगंधहारगबहलीयजल्लरोममासबउसमलया चुंचुया य चूलिया कोंकणगा मेतपण्हवमालवमहुर ( प्र० मग्घर ) आभासिया अणक्कचीणल्हासियखसखासिया नेहुरमरहट्ठ मुट्ठि अआरबडो बिलगकु हणके क यहूणरो मगरु ( प्र ० भ) रुमरुगा चिलायविसयवासी य पावमतिणो जलयरथलयरसणप्फ तोरगखहचरसंडासतोंडजीवोवघायजीवी सण्णी य असण्णिणो य पज्जत्ता असुभलेस्सपरिणामा एते अण्णे य एवमादी करेति पाणातिवायकरणं पावा पावाभिगमा पावरुई श्री आगमगुणमंजूषा ७३४OX Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐所乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 HOROREXSEEEEEEEssss (१०) पहावामरणं पडमो सुरक्खंचो आसक्यारं (अधम्मदा) [ भ EMEMOREMIXMAMRA पाणावहकयरतीया पाणवहरूवाणुट्ठाणा पाणवहकहासु अभिरमंता तुट्ठा पावं करेत्तुं होति य बहुप्पगारं, तस्स य पावस्स फलविवागं अयाणमाणा वड्ढंति महब्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालबहुदुक्खसंकडं नरयतिरिक्खजोणि, इओ आउक्खए चुया असुभकम्मबहुला उववज्जति नरएसु हुलितं महालएसु वयरामयकुड्डरुद्दनिस्संधिदारविरहियनिम्मद्दवभूमितलखरामरिसविसमणिरयघरचारएसुंमहोसिणसयावतत्तदुग्गंधविस्सउव्वेयजणगेसुबीभच्छदरिसणिज्जेसु निच्चं हिमपडलसीयलेसु कालोभासेसु य भीमगंभीरलोमहरिसणेसु णिरभिरामेसु निप्पडियारवाहिरोगजरापीलिएसु अतीव निच्चंधकारतमिस्सेसु पतिभएसु ववगयगहचंदसूरणक् खत्तजोइसेसु मेयवसामंसपडलपोच्चडपूयरुहिरुक्किण्णविलीणचिक्कणरसिया वावण्णकु हियचिक्खल्लकद्दमेसु कुकूलानलपलित्तजालमुम्मुरअसिक्खुरकरवत्तधारासु निसितविच्छुयडंकनिवातोवम्मफरिसअतिदुस्सहेसु य अत्ताणासरणकडुयदुक्खपरितावणेसु अणुबद्धनिरंतरवेयणेसु जमपुरिससंकुलेसु, तत्थ य अन्तोमुहुत्तलद्धिभवपच्चएणं निव्वत्तेति उ ते सरीरं हुंडं बीभच्छदरिसणिज्ज बीहणगं अट्ठिण्हारुणहरोमवज्जियं असुभगंधदुक्खविसहं, ततो य पज्जत्तिमुवगया इंदिएहिं पंचहिं वेदेति असुभाए वेयणाए उज्जलबलविउल(प्र० तिउल)उक्कडखरफरुसपयंडघोरबीहणगदारुणाए, किं ते ?, कं दुमहाकुं भियपयणपउलणतवगतलणभट्ठभज्जणाणि य लोहक डाहुक्कड्ढणाणि य कोट्टबलिकरणकोट्टणाणि य सामलितिक्खग्गलोहकंटकअभिसरणपसारणाणि फालणविदालणाणि य अवकोडकबंधणाणि लट्ठिसयतालणाणि य गलगवलुल्लंबणाणि सूलग्गभयणाणि य आएसपवंचणाणि खिंसणविमाणणाणि विघुट्ठपणिज्जणाणि वज्झसयमातिकाति य एवं ते पुव्वकम्मकयसंचयोवतत्ता निरयग्गिमहग्गिसंपलित्ता गाढदुक्खं महब्भयं ककस जसायं सारीरं मानसं च तिव्वं दुव्विसहं वेदेति वेयणं पावकम्मकारी बहूणि पलिओवमसागरोवमाणि कलुणं पालेन्ति ते अहाउयं जमकातियतासिता य सह करेति भीया, किं तं ?, अवि भायसामिमायबप्पताय जितवं मुय मे मरामि दुब्बलो वाहिपीलिओऽहं किं दाणि सि ? एवं दारुणो णिद्दय ! मा देहि मे पहारे उस्सासेतं मुहुत्तयं मे देहि पसायं करेहि मा रुस वीसमामि गेविज्जं मुयह मे मरामि, गाढं तण्हातिओ अहं देह पाणीयं हंता पिय इमं जलं विमलं सीयलंति घेत्तूण य नरयपालाई तवियं तउयं से देति कलसेण अंजलीसुदगुण यतं पवेवियंगोवंगा अंसुपगलंतपप्पुयच्छा छिण्णा तण्हाइयम्ह कलुणाणि जंपमाणा विप्वेक्खन्ता दिसोदिसिं अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहूणा विपलायंति य मिगा इव वेगेण भयुव्विग्गा, घेत्तूण बला पलायमाणाणं निरणुकंपा मुहं विहाडेत्तुं लोहडंडेहिं कलकलं ण्हं वयणं सि छु भंति के ई जमकाइया पासंता, तेण दड्ढा संतो रसंति य भीमाई विस्सराई रुवंति य कलुणगाई पारेवतगाव, एवं पलवितविलावकलुणाकंदियबहुरुन्नरुदियसद्दो परिदेवितरुद्धबद्धयनारकारवसंकुलो णीसट्ठो रसियभणियकुविउक्कूइयनिरयपालतज्जिय गेण्हक्कम पहर छिंद भिंद है उप्पाडेहुक्खणाहि कत्ताहि विकत्ताहि य भुज्जो हण विहण विच्छुभोच्छुब्भ आकड्ढ विकड्ढ, किं ण जंपसि ? सराहि पावकम्माई दुक्कयाइं एवं वयणमहप्पगब्भो पडिसुयासहसंकुलो तासओ सया निरयगोयराण महाणगरडज्झमाणसरिसो निग्घोसो सुव्वए अणिट्ठो तहियं नेरइयाणं जाइज्जताणं जायणाहिं, किं ते ?, असिवणदब्भवणजंतपत्थरसूइतलक्खारवाविकलकलन्तवेयरणिकलंबवालुयाजलियगुहनिरंभणउसिणोसिणकंटइल्लदुग्गमरहजोयणतत्तलोहमग्गगमणवाहणाणि इमेहिं विविहेहिं आयुहेहिं, किं ते ?, मोग्गरमुसुंढिकरकयसत्तिहलगयमुसलचक्ककोततोमरसूललउलभिडिमालसद्द(द्ध)लपट्टिसचम्मेठ्ठदुहणमुट्ठियअसिखेडगखग्गचावनारायकणककप्पणिवासिपरसुटकतिक्खनिम्मल अण्णेहि य एवमादिएहिं असुभेहिं वेउव्विएहिं पहरणसतेहिं अणुबद्धतिव्ववेरा परोप्परवेयणं उदीरेति अभिहणंता, तत्थ य मोग्गरपहारचुण्णियमुसुंढिसंभग्गमहितदेहा जंतोवपीलणफुरंतकप्पिया केइत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूललूणकण्णोठ्ठणासिका छिण्णहत्थपादा असिकरकयतिक्खकोतपरसुप्पहारफालियवासीसंतच्छितंगमंगा कलकलमाणखारपरिसित्तगाढडझंतगत्तकुंतग्गभिण्णजज्जरियसव्वदेहा विलोलंति महीतले विसूणियंगमंगा (निग्गयंगजीवा पा०) तत्थ य विगसुणगसियालकाकमज्जारसरभदीवियवियग्धवगसदूलसीहदप्पियखुहाभिभूतेहिं णिच्चकालमणसिएहिं O須與劣历历明明失明明明明明明明明听听听听听听听听听听听乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明 ROYo 5 5555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७३५ E FONOR Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ x (१०) पण्हावागरणं पढमो सुयक्खंधो १ आसवदारं (अधम्मदार) [४] घोरा रसमाणभीमरूवेहिं अक्कमित्ता दढदाढागाढडक्क कडि ढयसुतिक्खनहफालियउद्धदेहा विच्छिष्पंते समतओ विमुक्त संधिबंधणा वियंगमंगा कंककुररगिद्धघोरकट्ठवायसगणेहि य पुणो खरथिरदढणक्खलोहतुंडेहिं ओवतित्ता पक्खाहयतिक्खणक्खविकिन्नजिब्भंछियनयणनिद्धओलुग्गविगतवयणा उक्कोसंता य उपयंता निपतता भमंता पुव्वकम्मोदयोवगता पच्छाणुसएण डज्झमाणा णिदंता पुरेकडाई कम्माई पावगाई तहिं २ तारिसाणि ओसन्नचिक्कणाइं दुक्खातिं अणुभविता ततो य आउक्खएणं उव्वट्टिया समाणा बहवे गच्छति तिरियवसहिं दुक्खुत्तरं सुदारुणं जम्मणमरणजरावाहिपरियट्टणारहट्ट जलथलखहचरपरोप्परविहिंसणपवंचं इमं च जगपागडं वरागा दुक्खं पावेन्ति दीहकालं, किं ते ?, सीउण्हतण्हाखुहवेयणअप्पईकारअडविजम्मणणिच्चभउव्विग्गवास जग्गणवहबंधणताडणंकणनिवायणअद्विभंजणनासाभेयप्पहारदूमणच्छ विच्छे यणअभिओगपावणक संकु सारनिवायदमणाणि वाहणाणि य मायापितिविप्पयोगसोयपरिपीलणाणि य सत्यग्गिविसाभिघायगलगवलआवलणमारणाणि य गलजालुच्छिप्पणाणि पउलणविकप्पणाणि य जावज्जीविगबंधणाणि पंजरनिरोहणाणि य सयूहनिद्धाडणाणि य धमणाणि य दोहणाणि य डगलबंधणाणि य वाडगपरिवारणाणि य पंकजलनिमज्जणाणि य वारिप्पवेसणाणि य ओवायणिभंगविसमणिवडणदवग्गिजालदहणाई य. एवं ते दुक्खसयसंपलित्ता नरगाउ आगया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्खपंचेदिएसु पाविति पावकारी कम्माणि पमायरागदोसबहुसंचियाइं अतीव अस्सायकक्कसाई भमरमसगमच्छिमाइएस य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं नवहिं चउरिदियाण तहिं तहिं चेव जम्मा अणुभवंता कालं संखेज्जकं भमंति नेरइयसमाणतिव्वदुक्खा फरिसरसणघाणचक्खुसहिया तहेव तेइंदिएस कुंथुपिपीलिकाअवधिकादिके सु य जातिकुलकोडिसयसहस्सेहिं अट्ठहिं अणूणएहिं तेइंदियाण तहिं २ चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जकं भमंति नेरइयसमाणतिव्वदुक्खा फरिसरसणघाणसंपउत्ता गंडूलयजलूयकिमियचंदणगमादिएसु य जातीकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहिं अणूणएहिं बेइंदियाण तहिं २ चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखिज्जकं भमंति नेरइयसमाणतिव्वदुक्खा परिसरसणसंपत्ता पत्ता एगिदियत्तणंपि य पुढवीजलजलणमारुयवणप्फती सुहुमबायरं च पज्जत्तमपज्जत्तं पत्तेयसरीरणाम साहारणं च पत्तेयसरीरजीविएसु य तत्थवि कालमसंखेज्जगं भमंति अणंतकालं च अनंतकाए फासिंदियभावसंपउत्ता दुक्खसमुदयं इमं अणि पाविति पुणो तहिं चेव परभवतरुगणगणे (गहणे पा० ) कोद्दालकु लियदालणसलिलमलणखं भणरुं भणअणलाणिलविविहसत्थघट्टणपरोप्पराभिहणणमारणाविराहणाणि य अकामकाई परप्पओगोदीरणाहि य कज्जपओयणेहि य पेस्सपसु निमित्तओ सहाहारमाइएहिं उक्खणणऊक्कत्थणपयणकोट्टणपीसणपिट्टणभज्जणगालण आमोडणसडणफु डणमज्जणछे यणतच्छणविलुं चणपत्तज्झोडणअग्गिदहणाइयातिं, एवं ते भवपरंपरादुक्खसमणुबद्धा अडति संसारबीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अणंतकालं, जेविय इह माणुसत्तणं आगया कहंचि नरगा उव्वट्टिया अधन्ना तेविय संति पायो विकयविगलरूवा खुज्जा वडभा य वामणा य बहिरा काणा कुंटा पंगुला विउला य मूका य (अविय जलमूया पा० ) मंमणा य अंधयगा एगचक्खू विणिहयसचे (पिस पा०) ल्लया वाहिरोगपीलियअप्पाउयसत्थवज्झवाला कुलक्खणुक्किन्नदेहा दुब्बलकुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा किविणा या सत्ता निच्चं सोक्खपरिवज्जिया असुहदुक्खभागा णरगाओ उव्वहंति इहं सावसेसकम्मा एवं णरगं तिरिक्खजोणिं कुमाणुसत्तं च हिंडमाणा पावंति अणंताई दुक्खाई पावकारी, एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भयो बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चति, नय अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेज्जो कहेसीय पाणवहस्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रुद्दो खुद्दो अणारिओ निग्घिणो निस्संसो महब्भओ बीहणओ तासणओ अणज्नो उव्वेयणओ य णिरवयक्खो निद्धम्मो निप्पिवासो निक्कलुणो निरयवासगमणनिधो मोहमहब्भयपवड्ढओ मरणवेमणसो★★★ पढमं अहम्मदारं समत्तंतिबेमि ★★★ | ४ || द्वारं १ ॥ जंबू | बितियं च दारं★ ★ ★ अलियवयणं लहुसगलहुचवलभणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसवियरणं अलियनियडिसातिजोयबहुलं नीयजणनिसेवियं निस्संसं ॐ श्री आगमगुणमजूषा - ७३६ ५०% Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फफफफफफफ (१०) पण्डावागरण पटमा मुक्यम्यधावदार अ (3) Og अप्पच्चयकारकं परमसहुगरहणिज्जं परपीलाकारकं परमकिण्हलेस्ससहियं दुग्गइविणिवायवड्ढणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचियमणुगतं दुरन्तं कित्तिय बितित अधम्मंदारं । ५। तस्स य णामाणि गोण्णाणि होति तीसं, तं०- अलियं सढं अणज्जं मायामोसा असंतकं कूडकवडमत्थुगं च निरत्थयमवत्थयं च विद्देसगरहणिज्जं अणुज्जुकं कक्कणाय १० वंचणाय मिच्छापच्छाकडं च साती उ उच्छन्नं उक्कूलं च अहं अब्भकखाणं च किब्बिसं वलयं गहणं च २० मम्मणं च नूमं निययी अप्पच्चओ असमओ असच्चसंधत्तणं विवक्खो अवहीयं (आणाइयं पा०) उवहिअसुद्धं अवलोवोत्ति ३०. अविय तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसं सावज्जस्स अलियस्स वइजोगस्स अणेगाई । ६ । तं च पुण वदंति केई अलियं पावा असंजया अविरया कवडकुडिलकडुयचडुलभावा कुद्धा लुद्धा भया य हस्सट्टिया य सक्खी चोरचारभडा खंडरक्खा जियजूईकरा य गहियगहणा कक्ककुरुगकारगा कुलिंगी उवहिया वाणियगा य कूडत्तुलकूडमाणी कुडकाहावणोवजीवी पडगारकलायकारुइज्जा वंचणपरा चारियचाटुयारनगरगोत्तियपरिचारगा दुट्ठवायिसूयक अणबलभणिया य पुव्वकालियवयणदच्छा साहसिका लहुस्सगा असच्चा गारविया असच्चट्ठावणाहिचित्ता उच्चच्छंदा अणिग्गहा अणियता छंदेण मुक्कवाता भवंतिअलियाहिं जे अविरया, अवरे नत्थिकवादिणो वामलोकवादी भांति नत्थि जीवो न जाइ इह परे वा (१३०) लोए न य किंचिवि फुसति पुन्नपावं नत्थि फलं सुकयदुक्कयाणं पंचमहाभूतियं सरीरं भासंति हे ! वातजोगजुत्तं, पंच य खंधे भांति केई. मणं च मणजीविका वदंति, वाउजीवोत्ति एवमाहंसु. सरीरं सादियं सनिधणं इह भवे एगे भवे तस्स विप्पणासंमि सव्वनासोत्ति, एवं जंपंति मुसावादी, तम्हा दाणवयपोसहाणं तवसंजमबंभचेरकल्ला माइयाणं नत्थि फलं नवि य पाणवहे अलियवयणं न चेव चोरिक्ककरणपरदारसेवणं वा सपरिग्गहपावकम्मकरणंपि नत्थि किंचि न इयतिरियमणुयाण जोणी न देवलोको वा अत्थि न य अनि सिद्धिगमणं अम्मापियरो नत्थि नवि अत्थि पुरिसकारो पच्चक्खाणमवि नत्थि नवि अत्थि कालमच्चू य अरिहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा नत्थि नेवत्थि केई रिसओ धम्माधम्मफलं च नवि अत्थि किंचि बहुयं च थोवकं वा तम्हा एवं विजाणिऊण जहा सुबहु इंदियाणुकूलेसु सव्वविसएस वगृह णत्थि काई किरिया वा अकिरिया वा एवं भणति नत्थिकवादिणो वामलोगवादी, इमपि बितीयं कुदंसणं असब्भाववाइणो पण्णवेति मूढा संभूतो अंडकाओ लोको सयंभूणा सयं च निम्मिओ, एवं एवं अलियं. पयावइणा इस्सरेण य कयंति केति, एवं विण्हुमयं कसिणमेव य जगति केई, एवमेके वदंति मोसं एको आया अकारको वेदको य सुकयस्स दुक्कयस्स य करणाणि कारणाणि सव्वहा सव्वहिं च निच्चो य निक्किओ निम्गुणो य अणुव (अन्नो अ पा०) लेवओत्तिविय एवमाहंसु असम्भावं, जंपि इहं किंचि जीवलोके दीसह सुकयं वा दुक्कयं वा एयं वा जदिच्छाए वा सहावेण वावि दइवतप्पभावओ वावि भवति, नत्थेत्थ किंचि कयकतत्तं लक्खणविहाणनियतीए कारियं एवं केई जंपंति इडिढरससातगारवपरा बहवे करणालसा परूवेति धम्मवीमंसएण मोसं, अवरे अहम्मओ यदुवं अभक्खाणं भणेतिअलियं चोरोत्ति अचोरयं करेंतं डामरिउत्तिवि य एमेव उदासीणं दुस्सीलोत्ति य परदारं गच्छतित्ति मइलिति सीलकलियं अयंपि गुरुतप्पओ अण्णे एमेव भांति उवाहणंता मित्तकलत्ताइं सेवंति अयंपि लुत्तधम्मो इमोवि विसंधायओ पावकम्मकारी अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुए य पापगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपति मच्छरी, भद्दके वा गुणकित्तिनेहपरलोगनिप्पिवासा, एवं ते अलियवयणदच्छा परदोसुप्पायणप्पसत्ता वेढेन्ति अक्खातियबीएण अप्पाणं कम्मबंधणेण मुहरी असमिकिखयप्पलावा निक्खेवे अवहरंति परस्स अत्यंमि गढियगिद्धा अभिजुंजंति य परं असंतएहिं लुद्धा य करेति कूडसक्खित्तणं असच्चा अत्थालियं च कन्नालियं च भोमालियं च तह गवालियं च गरुयं भांति अहरगतिगमणं, कारणं अन्नंपि य जातिरूवकुलसीलपच्चयं मायाणिगुणं चवलपिसुणं परमभेदकमसंकं विसमणत्यकारकं पावकम्ममूलं दुद्दिद्वं दुस्सुयं अमुणियं निल्लज्जं लोकगरहणिज्जं वहबंधपरिकिलेसबहुलं जरामरणदुक्खसोयनिम्मं असुद्रपरिणामसंकैिलि भांति अलिया हिंसंति संनिविट्ठा असंतगुणुदीरका य संतगुणनासका य हिंसाभूतोवघातितं अलियसंपउत्ता वयणं सावज्जमकुसलं सागरहणिजे अथम्यजणां भांति अणभिगयपुन्नपावा. पुणोवि अधिकरणकिरियापवत्तका बहुविहं अणत्थं अवमद्दं अप्पणी परस्स य करेति, एमेव जंपमाणा महिससकरे य सानि चायगाणं स्वपसयरोहिट्रय साहिति वागुराणं तित्तिरवकलावके य कविजनकवोयके य साहिति साउणीणं झसमगरकच्छभे य साहिति ((0555554 श्रीग Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्हावागरणं पढमो सुयवधी २,३ आसवदारं (अधम्मदार) [६] मच्छियाणं. संखके खुल्लए य साहिति मगराणं (मग्गिणं पा०) अयगरगोणसंमंडलिदव्वीकरे मउली य साहिति वालवीणं (वायलियाणं पा०) गोहासेहगसल्लंगसरडके य साहिति लुद्धगाणं गयकुलवानरकुले य साहिति पासियाणं सुकबरहिणमयणसालकोइलहंसकुले सारसे य साहिति पोसगाणं वधबंधजावणं च साहिति गोम्मियाणं धरधन्नगवेलए य साहिति तक्कराणं गामागरनगरपट्टणे य साहिति चारियाणं पारघाइयपंथघातियाओ साहंति गंठिभेयाणं कयं च चोरियं नगरगोत्तियाणं लंछणनिल्लंछणधमणदुहणपोसणवणणदवणवाहणादियाई साहिति बहूणि गोमियाणं धातुमणिसिंलप्पवालरयणागरे य साहिति आगरीणं पुप्फविहिं फलविहिं च साहिति मालियाणं अग्घमहुकोसए य साहिति वणचराणं जंताई विसाई मूलकम्मं आहेव (हिव्व पा० ) णआविंधणआभिओगमंतोसहिप्पओगे चोरियपरदारगमणबहुपावकम्मकराणं उक्खंधे गामघातवाओ वणदहणतलागभेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि वसीकरणमादियाइं भयमरणकिलेसदोसजणणाणि भावबहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भूतघातोवघातियाइं सच्चाईपि ताइं हिंसकाई वयणाई उदाहरंति पुट्ठा वा अपुट्ठा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो उवदिसं सहसा उट्ठा गोणा गवया दंमंतु परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलगकुक्कुडा य किज्जंतु किणावेध य विक्केह पयह य सयणस्स देह पियय (खादत पिबत दत्त च पा० ) दासिदासभयकभाइल्लका य सिस्सा य पेसकजणो कम्मकरा य किंकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति भारिया भे करित्तु (करिंतु पा०) कम्मं गहणाई वणाई खेत्तखिलभूमिवल्लराई (छिद्यन्तामखिलभूमिवल्लराणि पा०) उत्तणघणसंकडाई डज्झंतु सूडिज्जंतु य रुक्खा भिज्जंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुज्झंतु पीलिज्जंतु य तिला पयावेह य इट्टकाउ मम घरट्ठयाए खेत्ताइं कसह कसावेह य लहुं गामआगरनगरखेडकब्बडे निवेसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे पुप्फाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताइं गेण्हेह करेह संचयं परिजणट्टयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप्फणिज्जंतु य लहुं च पविसंतु य __कोट्ठागारं अप्पमहउक्कोसगा य हमंतु पोयसत्था सेणा णिज्जाउ जाउ डमरं घोरा वट्टंतु य संगामा पवहन्तु य सगडवाहणाई उवणयणं चोलगं विवाहो जन्नो अमुगम्मि उ होउ दिवसेसु करणेसु मुहुत्तेसु तिहिसु य अज्ज होउ ण्हवणं मुदितं बहुखज्जपिज्जकलियं कोतुकं विण्हावणकं संतिकम्माणि कुणह ससिरविगहोवरागविसमेसु सज्जणपरियणस्स य नियकस्स य जीवियस्स परिरक् खणट्टयाए पडिसीसकाई च देह देह य सीसोवहारे विविहोसहिमज्जमंसभक्खन्नपाणमल्लाणुलेवणपईवजलिउज्जलसुगंधिधूवावकरपुप्फफल (प्र० बलि) समिद्धे पायच्छित्ते करेह पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरी उप्पाय दुस्सु मिणपावसउणअसोमग्गहचरियअमंगलनिमित्तपडिघायहेउं वित्तिच्छेयं करेह मा देह किंचि दाणं सुद्ध हओ सुठु छिन्नो भिन्नत्ति उवदिसंता एवंविहं करेति अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य अकुसला अणज्जा अलियप्पाणो अलियधम्मणिरया अलियासु कहासु अभिरमंता तुट्ठा अलियं करेत्तु होति य बहुप्पयारं ।७| तस्स य अलियस्स फलविवागं अयाणमाणा वड्ढेति महब्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहुदुक्खसंकडं नरयतिरियजोणि तेण य अलिएण समबद्धा आइद्धा पुण॰भवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमुवगया. ते य दीसंतिह दुग्गया दुरंता परवसा अत्थभोगपरिवज्जिया असुहिता फुडियच्छविबभच्छन्न खरफरूसविरत्तज्झामज्झसिरा निच्छाया लल्लविफलवाया असक्कतमसक्कया अगंधा अचेयणा दुभंगा अकंता काकस्सरा हीणभिन्नघोसा विहिंसा जडबहिरन्धमूया य मम्मणा अकं (क पा०) तविकयकरणा णीया णीयजणनिसेविणो लोगगरहणिज्जा भिच्चा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोकवेदअज्झप्पसमयसुतिवज्जिया नरा धम्मबुद्धिवियला अलिएण य तेणं पडज्झमाणा असंतएण य अवमाणणपट्ठिमंसाहिक्खेव पिसुणभेयणगुरूबंधवसयणमित्तवक्खारणादियाइं अब्भक्खाणारं बहुविहाई पावेंति अणुपमाणि (अमणोरमाइं पा० ) हिययमणदूमकाई जावज्जीवं दुरूद्धराइं अणिट्ठसरफरूसवयणतज्जणनिब्भच्छणदीणवदणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संता नेव सुहं नेव निव्वुइं उवलभंति अच्छंतविपुलदुक्खसयसंपलि (प्र० उ त्ता. एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अहो बहुदुक्ख महब्भओ बहुरयप्पगाढो दारूणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, न य अवेदयित्ता अत्थि हु मोक्खोत्ति एवमाहंसु, नायकुलनंदण महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेज्जो कहेसीय अलियवयणस्स फलविवागं एयं तं वितीयंपि अलियवयणं लहुसगलहुचवलभणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं 5 श्री आगमगुणमंजूषा - १३८ TOK 7666666 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐明明明明明明明明明明明乐开$$$$乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FSC IG:0555555555555598 15555555555555ypoin अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविरयणं अलियणियडिसादिजोगबहुलं नीयजणनिसेवियं निस्संस्सं अप्पच्चयकारकं परमसाहुगरहणिज्ज परपीलाकारगं परमकण्हलेससहियं दुग्गतिविनिवायवड्ढणं पुणब्भवकर चिरपरिचियमणुगयं दुरंतं. ***बितियं अधम्मदारं समत्तं ।८।। दारं २॥ जंबू ! तइयं च अदत्तादाण हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतिगऽभेज्जलोभमूलं कालविसमसंसियं अहोऽच्छिन्नतण्हपत्थाणपत्थाइमइयं अकिनिकरणं अणज्जं छिद्दमंतरविधुरवसणमग्गणउस्सवमत्तप्पमत्तपसुत्तवंचणक्खिवणघायणपराणिहुय-परिणामतक्करजणबहुमयं अकलुणं रायपुरिसरक्खियं सया साहुगरहणिज्ज पियजणमित्तजणभेदविप्पीतिकारकं रागदोसबहुलं पुणो य उप्पूर (प्र०थूर) समरसंगामडमरकलिकलहवे (प्र०व) हकरणं दुग्गइविणिवायवड्ढणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचितमणुगयं दुरंतं, तइयं अधम्मदारं ।९। तस्स य णामाणि गोन्नाणि होति तीसं.तं०-चोरिक्वं परहडं अदत्तं कूरिकडं (कुसटुयकयं पा०) परलाभो असंजमो परधणंमि गेही लोलिक्कं तक्करत्तणंति अवहारो १० हत्थलत्तणं (लहुत्तं पा०) पावकम्मकरणं तेणिक्कं हरणविप्पणासो आदियणा लुंपणा धणाणं अप्पच्चओ अ (प्र० ओ) वीलो अक्खेवो खेवो २० विक्खेवो कूडया कुलमसीय कंखालालप्पणपत्थणाय (आससणाय पा०) वसणं इच्छामुच्छा यतण्हागेहि नियडिकम्मं अपरच्छंतिविय. ३०, तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसं अदिन्नादाणस्स पावकलिकलुसकम्मबहुलस्स अणेगाई।१०॥ तं पुण करेति चोरियं तक्करा परदव्वहरा छया कयकरणलद्धलक्खा साहसिया लहुस्सगा अतिमहिच्छलोभगत्था दद्दरओवीलका यगेहिया अहिमरा अणभंजकभग्गसंधिया रायदुट्ठकारीय विसयनिच्छूढलोन झा उद्दोहकगामघाययपुरघायगपंथघायगआलीवगतित्थभेया लहुहत्थसंपउत्ता जूइकरा खंडरक्खत्थी चोरपुरिसचोरसंधिच्छे या य गंथिभेदगपरधणहरणलोमावहारअक्खेवी (घ पा०) हडकारका निम्मद्दगगूढचोरकगोचोरगअस्सचोरगदासिचोरा य एक (प्र० थक्क) चोरा ओकड्ढकसंपदायकउच्छिपकसत्थघायकबिलचोरी (कोली) कारका य निग्गाहविप्पलुंपगा बहुविहतेणिक्क (प्र० तहव) हरणबुद्धी. एते अन्ने य एवमादी परस्स दव्वा हि जे अविरया०, विपुलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधणंमि गिद्धा सए व दव्वे असंतुट्ठा परविसएअहिहणंति ते लुद्धा परधणस्स कज्जे चउरंगविभत्त (प्र० समंत) बलसमग्गा निच्छियवरजीहजुद्धसद्धियअहमहमितिदप्पिएहिं (सेन्नेहिं पा०) संपरिवुडा पउम (प्र०त्त) सगडसूइचक्कसागरगरूलवूहातिएहिं अणिएहिं उत्थरंता अभिभूय हरंति परधणाइं अवरे रणसीसलद्धलक्खा संगामंमि अतिवयंति सन्नद्धबद्धपरियरउप्पीलियचिंधपट्टगहियाउहपहरणा माढिवर (गूढ पा०)-वम्मगुंडिया आविद्धजालिका कवयकंकडइया उरसिरमुहबद्धकंठतोणमाइतवरफलहरचितपहकरसरहसखर चावकरकरंछियसुनिसितसरवरिसचडकरकमुयंत (मंते पा०) घणचंडवेगधारानिवायमग्गे अणेगधणुमंडलग्गसंधिता उच्छलियसत्तिकणगवामकरगहियखेडगनिम्मलनिक्किट्ठखग्गपहरंतकोततोमरचक्कगयापरसुमुसललंगलसूललउलभिडमालासब्बलपट्टिसचम्मेठ्ठदु घणमोट्ठियमोग्गरवरफलिहजंतपत्थरदुहणतोणकुवेणीपीढकलियईलीपहरणमिलिमिलिमिलंतखिप्पंतविजुजलविरचितसमप्पहणभतले फुडपहरणे महारणसंखभेरि (प्र० दुन्दुभि) वरतूरपउरपडुपहडाहयणिणाय- . गंभीरणंदितपक्खुभियविपुलघोसे हयगयरहजोहतुरितपसरितउद्धततमंधकारबहुले कातरनरणयणहिययवाउलकरे विलुलियउक्कडवरमउडतिरीडकुंडलोडुदामाडोवियम्मि पागडपडागउसियज्झयवेजयंतिचामरचलंतछत्तंधकारगम्भीरे हयहेसियहत्थिगुलुगुलाइयरहघणघणाइयपाइक्कहरहराइयअप्फोडियसीहनाया छेलियविघुछक्कुटठुल्लंठगयसद्दभीमगज्जिए सयराहहसंतरूसंतकलकलरवे आसूणियवयणरूद्दे भीमदसणाधरोढगाढदट्टे सप्पहरणुज्जयकरे अमरिसवतिव्वरत्तनिद्दारितच्छे वेरदिट्ठिकुद्धचिट्ठियतिवलीकु डिलभिउडिकयनिलाडे वहपरिणयनरसहस्सविक्कमवियंभियबले वगततुरगरहपहावियसमरभडावडियछे यलाघवपहारसाधितासमूसवियबाहुजुयले मुक्कट्टहासपुक्कं तबोलबहुले म फलफलगावरणगहियगयवरपत्थितदरियभडखलपरोप्परपलग्गजुद्धगवितविउसितवरासिरोसतुरियअभिमुहपहरितछिन्नकरिकरविभंगितकरे ॥ अवइट्ठनिसुद्धभिन्नफालियपगलियरूहिरकतभूमिकद्दमचिलिचिल्लपहे कुच्छिविदालियगलितरुलितनिभेल्लततफुरुंफुरंतविगलमम्माहयविकयगाढSO55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७३९55555555555555555555555555EGIOR M9455555555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听%2C Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KG:055555555555555 (१०) पण्हावागरणं पढमा सुयक्ग्बंधा ३ आसबदारं (अधम्मंदारं) [८] 5555555555FOOK CC乐听听听听听听听听玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐于乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐3C दिन्नपहारमुच्छितरूलं तवें भल विलावकलुणे हयजोहभमंततुरगउद्दाममत्तकुंजरपरिसंकितजणनिलुक्के छिन्नधयभग्गरहवरनट्ठ + सिरकरिकलेवराकिन्नपतितपहरणविकिन्नाभरणभूमिभागे नच्चंतकबंधपउरभयंकर वायसपरिलेंतगिद्धमंडलभमंतच्छायंधकारगंमीरे वसुवसुहविकंपितव्व पच्चक्खपिउवणं परमरूद्दवीहणगं दुप्पवेसतरगं अभिवयंति संगामसंकडं, परधणं महंता अवरे पाइक्कचोरसंधा येणावतिचोरवंदपागडिढका य अडवीदेसदुग्गवासी कालहरितरत्तपीतसुक्कि ल्ल अणे गसयचिंघपट्टबद्धा परविसए अभिहणं ति लुद्धा धणस्स कजे रयणागरसागरं च ॥ उम्मीसहस्समालाउलाकुलवितोयपोतकलकलेंतकलियं पायालसहस्सवायवसवेगसलिलउद्धम्ममाणदगरयरयंधकारं वरफेणपउरधवलपुलंपुलसमुट्ठियट्टहासं मारूयविच्छुभमाणपाणियजलमालुप्पीलहुलियं अविय समंतओ खुभियलुलियखोखुब्भमाणपक्खलियचलियविपुलजलचक्कवालमहानईवेगतुरियआपूरमाणगंभीरविपुलआवत्तचवलभममाणगुप्पमाणु च्छलंतपच्चोणियत्तपाणियपधावियखरफरूसपयंडवाउलियससलिलं फुटुंतवीतिकल्लोलसंकुलजलं महामगरमच्छकच्छभोहारगाहतिमिसुंसुमारसावयसमाहयसमुद्धायमाणकपूरघोरपउरं कायरजणहिययकंपणं घोरमारसंतं महब्भयं भयंकरं पतिभयं उत्तासणगं अणोरपारं आगासं चेव निरवलंब उप्पाइयपवणणितनोल्लियउवरूवरितरंगदरियअतिवेगवेगचक्खुपहमुच्छरंतं कत्थई गंभीरविपुलगज्जियगुंजियनिग्धायगरूयनिवतितसुदीहनीहारिदूर सुव्वंतगंभीरधुगुधुगंतसई पडिपहरूभंतजक्खरक्खसकुहंडपिसाय (रूसियतज्जाय पा०) उवसग्गसहस्ससंकुलं बहूप्पाइय (उवद्दव पा०) भूयं विरचितबलिहोमधूवउवचारदिन्नरूधिरच्चणाकरणपयतजोगपययचरियं परियन्तजुगंतकालकप्पोवमं दुरंतमहानईनईवइमहाभीमदरिसणिज्जं दुरणुच्चरं विसमप्पवेसं दुक्खुत्तारं दुरासयं लवणसलिलपुण्णं असियसियसमूसियगेहिं हत्थतरकेहिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुद्दमज्झे हणंति गंतूण जणस्स पोते परदव्वहरण (हराण) रभसनिरणुकंपा (नरापा०) निरावयक्खा गामागरनगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमणिगमजणवते यधणसमिद्धे हणंति थिरहिययछिन्नलज्जा बंदिग्गहग्गोग्गहे य गेण्हंति दारूणमती णिक्किवा धणियं हणंति छिदंति गेहसंधि निक्खित्ताणि य हरंति धणधन्नदव्वजायाणि जष्पवयकुलाणं णिग्घिणमती परस्स दव्वाइं जे अविरया०, तहेव केइ अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियकापज्जलियसरसदरदड्ढकडिढयकलेवरे रूहिरलित्तवयणअखत (अदर पा०) खातियपीतडाइणिभमंतमयंकरे जंबुयक्खिक्खियंते घूयकयघोरसद्दे वेयालुट्ठियनिसुद्धकहकहितपहसितबीहणकनिरभिरामे अतिदुब्भिगंधबीभच्छदरिसणिज्जे सुसाणवणसुन्नघरलेणअंतरावणगिरिकंदरविसमसावयसमाकुलासु वसहीसु किलिस्संता सीतातवसोसियसरीरा दड्ढच्छवी निरयतिरियभवसंकडदुक्खसंभारवेयणिज्जाणि पावकम्माणि संचिणंता दुल्लहभक्खन्नपाणभोयणा पिवासिया झुझिया किलंता मंसकुणिमकंदमूलजंकिंचियाहारा उव्विग्गा उप्पुया असरणा अडवीवासं उवेति वालसतसंकणिज्ज अयसकरा तक्करा भयंकरा कास हरामोत्ति अज्ज दव्वं इति सामत्थं करेति गुज्झं बहुयस्स जणस्स कज्जकरणेसु विग्घकरा मत्तपमत्तपसुत्तवीसत्थछिद्दधाता वसणब्भुदएसु हरणबुद्धी विगव्व रूहिरमहिया परेति नरवतिमज्जायमतिकंता सज्जणजणदुगुंछिया सकम्मेहिं पावकम्मकारी असुभपरिणयाय दुक्खभागी निच्चाइलदुहमनिव्वुइमणा इहलोके चेव किलिस्संता परदव्वहरा नरा वसणसयसमावण्णा।११। तहेव केइ परस्स दव्वं गवे समाणा गहिता य हया य बद्धरूद्दा य तुरियं अतिधाडिया पुरवरं समप्पिया चोरग्गहचारभड चाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहारनिद्दयआरक्खियखरफरू सवयणतज्जणगलच्छल्लच्छल्लणाहिं विमणा चारगवसहिं पवेसिया निरयवसहिसरिसं तत्थवि गोमियप्पहारदूमणनिब्भच्छणकडुयवदणभेसणगा (गभया पा०) भिभूया अक्खित्तनियंसणा मलिणदंडिखंडनिवसणा उक्कोडालंचपासमग्गणपरायणेहि दुक्खसमुदरीणेहिंगोयम्मियभडेहिं विविहेहिं बंधणेहिं, किं ते?, हडिनिगडवालरज्जयकुदंडगवरत्तलोहसंकलहत्थंदुयवज्झपट्टदामकणिक्कोडणेहिं अन्नेहि य एवमादिएहिं गोम्मिकभंडोवकरणे हिं दुक्खसमुदीरणे हिं संकोडमोडणाहिं वज्झंति मंदपुन्ना संपुडकवाड लोहपंजरभूमिघरनिरोहकू व चारगकीलगजूयचक्कविततबंधणखंभालणउद्धचलणबंधणविहम्मणाहि य विहेडयन्ता अवकोडकगाढउरसिरबद्धउद्धपूरितफुरंतउरकडगमोडणामेडणाहिं बद्धा या Ker.c$$$$$$$555555555555555 श्री आगमगुणमजपा - ०४० $555555555555555555ROR 39555听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐253 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TO.055555555555555 __ (१०) पावागरण पढमा मुक्कांपो २३ आमवदार (अधम्मदा) 0 5 555555555555sisex नीससंता सीसावेढउरूयावलचप्पडगसंधिबंधणतत्तसलागसूइयाकोडणाणि तच्छणविमाणणाणिय खारकडुयतित्तनावणजायणाकारणसयाणि बहुयाणि पावियंता उरक्खडोदिन्नगाढपेल्लणअट्ठिकसंभग्गसपंसुलीगा गलकालकलोहदंडउरउदरवत्थिपरिपीलिता मत्थंतहिययसंचुण्णियंगमंगा आणत्तीकिंकरेहिं के ति अविराहियवेरिएहिं जमपुरिससन्निहेहिं पहया ते तत्थ मंदपुण्णा चवेडवेलावज्झपट्टपाराइंछिवकसलतवरत्तनेत्तप्पहारसयतालियंगमंगा किवण्णा लंबंतचम्मवणवेयणविमुहियमणा घणकोट्ठिमनियलजुयलसंकोडियमोडिया य कीरंति निरूच्चारा एया अन्ना य एवमादीओ वेयणाओ पावा पावेति अदन्तिदिया वसट्टा बहुमोहमोहिया परधणंमि लुद्धा फासिदियविसयतिव्वगिद्धा इत्थीगयरूवसद्दरसगंइट्ठरतिमहितभोगतण्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे नरगणा पुणरवि ते कम्मदुब्वियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसिं वहसत्थगपाढयाणं विलउलीकारकाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमायानियडिआयरणपणिहिवंचणविसारयाणं बहुविहअलियसतजंपकाणं परलोकपरम्मुहाणं निरयगतिमामियाणं तेहि य आणत्तजीयदंडा तुरियउग्घाडिया पुरवरे सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु वेत्तदंडलउडकट्ठलेठु पत्थरपणालिपणोल्लिमुट्ठिलयापादपण्हिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्ता अट्ठारसकंमकारणा जाइयंगमंगा कलुणा सुक्कोट्ठकंठगलकतालुजीहा जायंता पाणीयं विगयजीवियासा तण्हादिता वरागा तंपिय ण लभंति वज्झपुरिसेहिंधाडियंता तत्थ य खरफरूसपडहघट्टितकूडग्गहगाढरूट्ठनिसठ्ठपरामुट्ठा वज्झकरकु डि जुयनियत्था सुरत्तकणवीरगहियविमुकुलकंठे गुणवज्झदूतआविद्धमल्लदामा मरणभयुप्पण्णसेदआयतणेहुत्तुपियकि लिन्नगत्ता चुण्णगंडियसरीररयरेणुभरियके सा कुसुभगोक्किन्नमुद्धया छिन्नजीवियासा धुन्नता वज्झपाणपीया (याण भीता पा०) तिलंतिलं चेब छिज्जमाणा सरीरविक्कन्तलोहिओलित्ता कागणिमंसाणि खावियता पावा खरफरूसएहिं तालिज्जमाणदेहा वातिकनरनारीसंपरिवुडा पेच्छिज्जता य नागरजणेण वज्झनेवत्थिया पणेज्जति नयरमज्झेण किवणकलुणा अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहीणा विपेक्खिंता दिसोदिसिं मरणभयुव्विग्गा आघायणपडिदुवारसंपाविया अधन्ना सूलग्गविलग्गभिन्नदेहा, ते य तत्थ कीरंति परिकप्पियंगमंगा उल्लंबिज्जति रूक्खसालासु केइ कलुणाई विलवमाणा अवरे चउरंगधणियबद्धा पव्वयकडगा पमुच्चंते दूरपातबहुविसमपत्थरसहा अन्ने य गयचलणमलणयनिम्मद्दिया कीरंति पावकारी अट्ठारसखंडिया य कीरंति मुंडपरसूहि केई उक्कत्तकन्नोट्ठनासा उप्पाडियनयरदसणवसणा जिब्भिदियऽच्छिया छिन्नकन्नसिरा पणिज्जते छिज्जते य असिणा निव्विसया छिन्नहत्थपाया पमुच्चंते जावज्जीवबंधणा य कीरंति केई परदव्वहरणलुद्धा कारग्गलनियलजुयलरूद्धा चारगावहतसारा सयणविप्पमुक्का मित्तजणनिरिक्ख (रक्कि) या निरासा बहुजणधिक्कारसद्दलज्जायिता अलज्जा अणुबद्धखुहा पारद्धसीउण्हतण्हवेयणदुग्घट्टिया विवन्नमुहविच्छविया विहलमतिलदुब्बला किलंता कासंता वाहियाय आमाभिभूयगत्ता परूढनहकेसमंसुरोमा छगमुत्तमि नियगंमि खुत्ता तत्थेव मया अकामका बंधिऊण पादेसुकड्डिया खाइयाए छूढा तत्थ य बगसुणगसियालकोलमज्जारचंडसंदंसगतुंडपक्खिगणविविहमुहसयलविलुत्तगत्ता कयविहंगा केई किमिणा य कुहियदेहा अणिट्ठवयणेहिं सप्पमाणा सुठु कयं जं मउत्ति पावो तुटेणं जणेण हम्ममाणा लज्जावणका य होति सयणस्सविय दीहकालं मया संता, पुणो परलोगसमावन्ना नरए गच्छंति निरभिरामे अंगारपलित्तककप्पअच्चत्थसीतवेदणअस्साउदिन्नसयतदुक्खसयसमभिदुते ततोवि उव्वट्टिया समाणा पुणोवि पवजंति तिरियजोणि तहिपि निरयोवमं अणुहवंति वेयणं, ते अणंतकालेण जति नाम कहिंचि मणुयभावं लभंति णेगेहि णिरयगतिगमणतिरियभवसयसहस्सपरियट्टेहिं तत्थविय भवंतऽणारिया नीचकुलसमुप्पण्णा आरियजणेवि लोगबज्झा तिरिक्खभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं निबंधंति निरयवत्तणिभवप्पवंचकरणपणोल्लिं पुणोवि संसार (रा) वत्तणेममूले धम्मसुतिविवज्जिया अणज्जा कूरा मिच्छत्तसुतिपवन्ना य होति एगंतदंडरूइणो वेढेंता कोसिकारकीडोव्व अप्पगं अट्ठकम्मतंतुघणबंधणेणं, एवं नरगतिरियनरअमरगमणपेरंतचक्कवालं जम्मजरामरणकरणगम्भीरदुक्खपखुभियपउरसलिलं संजोगविओगवीचीचिंतापसंगपसरियवहबंधमहल्ल-विपुलकल्लोलकलुणविलवितलोभकलक लिंतबोलबहुलं अवमाणणफेणं तिव्वखिसणपुलंपुलप्पभूयरोगवेयणपराभवविणिवातफरूसधरिसणसमा-वडियकढिणकम्मपत्थरतरंगरंगंतनिच्चमच्चुभयतोयपटुं कसायपायालसंकुलं PRO:05555555555555555555555555 श्री आगममृणमनूषा - ७४१ )555555555555555FFFFFF55555570 HONGC写纸$$$$$乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐纸听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$乐乐55C 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐坂听听听听听听听听听听听听屬 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्हावागरणं पढमी सुयक्खंधो ३,४ आसवदारं (अधम्मवार) (१०) 155555555555555OKOT %%%%HOTOS %%%%%% %%%%%%%%%%%%%%%% भवसयसहस्सजलसंचयं अणंतं उव्वेयणय अणोरपार महब्भयं भयंकर पइभयं अपरिमियमहिच्छ कलुसमतिवाउवेगउद्धम्ममाणआसापिवासपायालकामरतिरागदोसबंधणबहुविहसंकप्पविपुलदगरयरयंधकारं मोहमहावत्तभोगभममाणगुप्प-माणुच्छलंतबहुगब्भवासपच्चोणियत्तपाणियं पधावित (वाहिय पा०) वसणसमावन्नरून्नचंडमारूयसमाहयामणुन्नवीचीवाकुलितभग्गफुटुंतनिट्ठकल्लोलसंकुलजलं पमातबहुचंडदुट्ठसावयसमाहयउद्धायमाणगपूरघोरविद्धंसणत्थबहुलं अण्णाणभमंतमच्छ परिहत्थं अनिहुति दियमहामगरतुरियचरियखोखुब्भमाणसंतावनिचयचलंतचवलचंचलअत्ताणऽसरणपुव्वकयकम्मसंचयोदिन्नवज्जवेइज्जमाणदुहसयविपाकघुन्नतजलसमूहं इड्डिरससायगारवोहारगहियकम्मपडिबद्धसत्तकड्डिज्जमाणनिरयतलहुत्तसन्नविसन्नबहुला अरइरइभयविसायसोगमिच्छत्तसेलसंकडं अणातिसंताणकम्मबंधणकिले सचिक्खिल्लसुदुत्तरं अमरनरतिरियनिरयगतिगमणकडिलपरियत्तविपुलवेलं हिंसाऽलिय अदत्तादाणमेहुणपरिग्गहारंभकरणकारावणाणु-(१३१) मोदणअट्ठविहअणिट्ठकम्मपिडितगुरुभारक्वंतदुग्गजलोघदूरपणोलिज्जमाणउम्मुग्गनिमुग्गदुल्लभतलं सारीरमणोमयाणि दुक्खाणि उप्पियंता सातस्सायपरित्तावणमयं उब्बुड्डनिबुड्डयं करेंता चउरंतमहंतमणवयग्गं रुई संसारसागरं अट्ठियं अणालंबणमपतिट्ठाणमप्पमेयं चुलसीतिजोणिसयसहस्सगुविलं अणालोकमंधकार अणंतकालं निच्वं उत्तत्थसुण्णभयसण्णसंपउत्ता वसंति उब्विगावासवसहिं जहिं २ आउयं निबंधंति पावकम्मकारी बंधवजणसयणमित्तपरिवज्जिया अणिट्ठा भवंति अणादेज्जदुविणीया कुठाणासणकुसेजकुभोयणा असुइणो कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा बहुकोहमाणमायालोभा बहुमोहा धम्मसन्नसम्मत्तपन्भट्ठा दारिद्दोवद्दवाभिभूया निच्च परकम्मकारिणो जीवणत्थरहिया किविणा परपिंडतक्कका दुक्खलद्धाहारा अरसविरसतुच्छकयकुच्छिपूरा परस्स पेच्छंता रिद्धिसक्कारभोयणविसेससमुदयविहिं निदंता अप्पकं कयंतं च परिवयंता इह य पुरेकडाइं कम्माई पावगाइं विमणसो सोएण डज्झमाणा परिभूया होति सत्तपरिवज्जिया यसोभासिप्पकलासमयसत्थपरिवज्जिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्चनीयकम्मोवजीविणो लोयकुच्छणिज्जा मोघमणोरहा निरासबहुला आसापासपडिबद्धपाणा अत्थोपायाणकामसोक्खे य लोयसारे होति अफलवंतका य सुट्ठविय उज्जमंता तद्दिवसुज्जुत्तकम्मकयदुक्खसंठवियसित्थपिंडसंचयपक्खीणदव्वसारा निच्चं ॥ अधुवधणधण्णकोसपरिभोगविवज्जिया रहियकामभोगपरिभोगसव्वसोक्खा परसिरिभोगोवभोगोनिस्साणमग्गणपरायणा वरागा अकामिकाए विणेति दुक्खं णेव सुहं णेव निव्वुति उवलभंति अच्वंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता परस्स दव्वेहिं जे अविरया, एसो सो अदिण्णादाणस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहुरयप्पगाढोदारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चति, न य अवेयइत्ता अत्थि उ मोक्खोत्ति एवमाहंसु, णायकुलनंदणो महप्पा जिणोउ वीरवरनामधेजो कहेसी य अदिण्णादाणस्स फलविवागंएयं, तं ततियंपि अदिन्नादाणं हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतिकभेज्जलोभमूलं एवं जाव चिरपरिगतमणुगतं दुरंतं, * ततियं अहम्मदारं समत्तंतिबेमि ।१२ ॥द्वारं ३ ॥ जंबू ! अबंभं च चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स ★★★ लोयस्स पत्थणिज्ज पंकपणयपासजालभूयं थीपुरिसनपुंसवेदचिंधं तवसंजमबंभचेरविग्धं भेदायतणबहुपमादमूलं कायरकापुरिससेवियं सुयणजणवज्जणिज्जं उड्ढनरयतिरियतिलोकपइट्ठाणं जरामरणरोगसोगबहुलं वधबंधविघातदुविघायं दसणचरित्तमोहस्स हेउभूयं चिरपरिचितमणुगयं दुरतं, चउत्थं अधम्मदारं।१३। तस्स य णामाणि गोन्नणि इमाणि होति तीसं, तं०- अबंभ मेहुणं चरंतं संसग्गि सेवणाधिक्कारो संकप्पो बाहणा पदाणं दप्पो मोहो मणसंखेवो १० अणिग्गहो वुग्गहो विघाओ विभंगो विब्भमो अधम्मो असीलया गामधम्मतित्ती रति राग २० कामभोगमारो वेरं रहस्सं गुज्झं बहुमाणो बंभचेरविग्यो वावत्ति विराहणा पसंगो कामगुणो ३० त्तिविय, तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसं ।१४ । तं च पुण निसेवंति सुरगणा सअच्छरा मोहमोहियमती असुरभुयगगरुलविज्जुजलणदीवउदहिदिसिपवणथणिया अणवं निपणवं नियइसिवादियभूय-वादियकं दियमहाकं दियकु हंडपयंगदेवा KOKG555555555555555555555555555555555555555555555555500 %%%%%%%%%%%%%%%% 0 SHOROS995555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-७४२555555555555555555555555555OORA Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फ्र (१०) पहावरणं पटां य सुरनरवतिसक्कया पिसायभूयजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसमहोरगगंधव्वा तिरियजोइसविमाणवासिमणुयगणा जलयरथलयरखहयरा य मोहपडिवद्रचित्ता अवितण्णा कामभोगतिसिया तहाए बलवईए महईए समभिभूया गढिया य अतिमुच्छिया य अबंभे उस्सण्णं तामसेण भावेण अणुम्मुक्का दंसणचरित्तमोहस्स पंजरंपिव करेति अन्नोऽत्रं सेवमाणाभुज्जो असुरसुरतिरियमणु अभोगरतिविहारसंपउत्ता चक्क वट्टी सुरवरुव देवलोए भरहणगणगरणियम जणवयपुरवरदोणमुहखेडकब्बडमडंबसंवाहपट्टणसहस्समंडियं थिमियमेयणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मरुयवसभकप्पा अब्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायवंसतिलगा रविससिसं खवरचक्क सोत्थियपडागजवमच्छ कुम्मरहवर्भगभवणविमाणतुरयतोरणगोपुरमणिरयणनंदियावत्तमुसलणंगलसुरइयवरकप्परुक्खमिगवतिभद्दासणसुरूविथूभवरमउडसरिय कुंडलकुंजरवरवसभदीव मंदिरगरुलद्धयइंदकेउदप्पणअट्ठावयचावबाणनक्खत्तमेहमेहलवीणाजुगछत्तदामदामिणिकमंडलुकमघंटावरपोतसूइसागरकुमुदागरमगरहारगागरनेउरणगण गरवइरकिन्नरमयूरवररायहंससारसचकोरचक्कवागमिहुणचामरखेडगपव्वीसगविपंचिवरतालियंटसिरियाभिसेयमेइणिखग्गंकुसविमलकलसभिंगारवद्धमाण गपसत्थउत्तमविभत्तवरपुरिस लक्खणधरा बत्तीसंवररायसहस्साणुजायमग्गा चउसट्ठि सहस्सपवरजुवतण रत्ताभा पउमपम्हकोरंटगदामचंपक सुतवियवरक णक निहसवन्ना सुजायसव्वंगसुंदरंगा महग्घवरपट्टणुग्गयविचित्तरागएणिपेणिणिम्मियदु गुल्लवरचीणपट्टकोसेज्जसोणीसुत्तक (ज्जाखोमिय पा०) विभूसियंगा वरसुरभिगंधवरचुण्णवासवरकुसुमभरियसिरया कप्पियच्छेयायरियसुकयरइत- मालकडगं (कुंडल पा०) गयतुडियपवरभूसणपिणद्धदेहा एकावलिकंठसुरइयवच्छा पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जमुद्दियापिंगलंगुलिया उज्जलनेवत्थरइयचेल्लगविरायमाणा तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारयनवत्थणियमहुरगंभीरनिद्धघोसा उप्पन्नसमत्तरयणचक्करयणप्पहाणा नवनिहिवइणो समिद्धकोसा चाउरंता चाउराहिं सेणाहिं समणुजातिज्नमाणमग्गा तुरगवती गयवती रहवती नरवती विपुलकुलवीसुयजसा सारयससिसकलसोमवयणा सूरा तेलोक्कनिग्गयपभावलद्धसद्दा समत्तभरहाहिवा नरिंदा ससेलवणकाणणं च हिमवंतसागरंतं धीरा भुत्तूण भरहवासं जियसत्तू पवररायसीहा पुव्वकडतवप्पभावा निविट्ठसचियसुहा अणेगवाससयमायुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसद्दफरिसरसरूवगंधे य अणुभवेत्ता (न्ता) तेवि उवणमंति मरणधम्मं अवितत्ता कामाणं । भुज्जो भुज्जो बलदेववांसुदेवा य पवरपुरिसा महाबलपरक्कमा महाधणुवियट्टका महासत्तसागरा दुद्धरा धणुदरा नरवसभा रामकेसवा भायरो सुपुरिसा वसुदेवसमुद्दविजयमादियदसाराणं पज्जुन्न पतिवसंबअनिरूद्धनिसहउम्मुयसारणगयसुमुहदुम्मुहादीण जायवाणं अद्धट्ठाणवि कुमारकोडीणं हिययदयिया देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंदहिययभावनं दणकरा सोलसरायवरसहस्साणुजातमग्गा सोलसदेवी सहस्सवरणयणहिययदइया णाणामणिक णगरयणमोत्तियपवालधणधन्नसंचयरिद्धिसमिद्धकोसा हयगयरहसहस्संसामी गामागरनगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसहस्सथिमियणिव्वयपमुदितजविविहसासनिप्फज्जमाणमेइणिसरसरियतलागसेलकाणणआरा मुज्जाणमणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्ढवेयड्ढगिरिविभत्तस्स लवणंजलहिपरिगयस्स छव्विहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका धीरकित्तिपुरिसा ओहबला अइबला अनिहया अपराजियसत्तुमद्दणरिपुसहस्समाणमहणा साणुक्कोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मितमंजुलपलावा हसियगंभीरमहुरभणिया (महुरपरिपुण्णसच्चवयणा पा० ) अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारकं तपियदंसणा अमरिसणा पर्यडडंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा तालद्धउव्विद्धगरूलके ऊ बलवगगज्जतदरितदप्पितमुट्ठियचाणूरमूरगा रिट्ठवसभघातिणो केसरिमुहविप्फाडगा दरितनागदप्पमहणा जमलज्जुणभंजगा महासउणिपूतणारिवू कंसमउडमोडगा जरासिंधमाणमहणा (अब्भपडलपिंगलुज्जले हिं अविरलसमसहियचंडमंडलसमप्पभे हिं (मंगल सयभत्तिच्छे यचित्तियखिखिणिमणि हे मजालविइयपरिगयपेरं तक णयघंटियपयलिय खिणिखिणित सुमहु रसुइसुहसद्दालसो हिऐहिं तेहि य पा० ) Private & Personal Use Only LC LC LE LE LG G4545454545454545454545454545454 श्री आLLET णयणकं ता HARY Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G555555555555555 (१८) पाहाबागरणं पढमा सुयकवंधा ४ आगवदारं (अधम्मदार) [१२] $$ $$$$$ $$$$$ C OC$乐乐乐听听听听听听听听乐乐乐明明纸听听国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听乐乐玩玩乐乐乐乐听听听听听听听乐55 सपयरगमुत्तदामलम्बन्तभूसणे हिं नरिंदवामप्पमाणरूं दपरिमंडले हिं सीयायववायवरिसविसदोसणासे हिं तमरयमलबहुलपडलधाडणपहारे हिं मुद्धसुहसियच्छायसमणुबद्धेहि वयरामयवस्थिणिउणजोइयअडसहस्सवरकं चणसलागनिम्मिएहि सुविमलरययसुठु च्छइएहिं णिउणोवियमिसिमिसिंतमणिरयणसूरमंडलवितिमिरकरनिग्गयपडिहयपुणरविपच्चोवयंतचंचलमरीइकवयं विणिम्मुयंतेहिं पा०) सूरमिरीयकवयं विणिम्मुयंतेहि सपतिदंडे हिं आयवत्तेहि धरिज तेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकु हरविहरणसमुट्ठियाहिं निरूवयचमरपच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमलविमुकु लुज्जलितरयतगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलहोयनिम्मलाहिं पवणायचवलचलियसललियपणच्चियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरूप्पूरचंचलाहिं माणससरपसरपरिचियावासविसदवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसिताहिं ओवाउप्पातचवलजयिणसिग्धवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिया नाणामणिकणगमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तडंडाहिं सललियाहिं नरवतिसिरिसमुदयप्पगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहि कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्क धूववरवासविसदगंधुधुयाभिरामाहिं चिल्लिकाहिं उभयोपासंपि चामराहिं उक्खिप्पमाणाहिं सुहसीतलवातवीतियंगा अजिता अजितरहा हलमुसल (कणग पा०) पाणी संखचक्कगयसत्तिणंदगधरा पवरूज्जलसुकंतविमलकोथूभतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीयणयणा एगावलिकंठरतियवच्छासिरिवच्छसुलंछणा वरजसा सव्वोउयसुरभिकुसुमसुरइयपलंबसोहंत वियसंतचित्तवणमालरतियवच्छा(प्र० लक्खणवंजणगुणोववेया) अट्ठसयविभत्तलक्खणपसत्थसुंदरविराइयंगमंगा मत्तगयवरिंदललियविक्कमविलसियगती कडिसुत्तगनीलपीतकोसिज्जवाससा पवरदित्ततेया सारयनवथणियमहुरगंभीरनिद्धघोसा नरसीहा सीहविक्कमगई अत्थमियपवररायसीहा सोमा बारवइपुन्नचंदा पुव्वकयतवप्पभावा निविट्ठसंचियसुहा अणेगवाससयमातुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसद्दफरिसरसरूवगंधे अणुभवेत्ता (न्ता) तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । भुज्जो मंडलियनरवरेंदा सबला सअंतेउरा सपरिसा सपुरोहियामच्चदंडनायकसेणावतिमंतनीतिकुसला नाणामणिरयणविपुलधणधन्नसंचयनिहीसमिद्धकोसा रज्जसिरि विपुलमणुभवित्ता (न्ता) विक्कोसंता बलेण मत्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं, भुज्जो उत्तरकुरूदेवकुरूवणविवरपादचारिणो नरगणा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा भोगसस्सिरीया पसत्थसोमपडिपुण्णरूवदरसणिज्जा सुजातसव्वंगसुंदरंगा रत्तुप्पलपत्तकंतकरचरणकोमलतला सुपइट्ठियकुम्मचारूचलणा अणुपुव्वसुसंहयं (जायपवरं पा०) गुलीया उन्नयतणुतंबनिद्धनखा संठितसुसिलिट्ठगूढ गोंफा एणीकु रूविंदावत्तवट्टाणुपुग्विजंघा ॥ समुग्गनिमग्गगूढजाणूवरवारणमत्ततुल्लविक्कमविलासितगती वरतुरगसुजायगुज्झदेसा आइन्नहयव्व निरूवलेवा पमुइयवरतुरगसीहअतिरेगवट्टियकडी गंगावत्तदाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणबोहियविकोसायंतपम्हगंभीरविगडनाभी साहतसोणंदमुसलदप्पणनिगरियवरकणगच्छरूसरिसवरवइरवलियमज्झा उज्जुगसमसहियजच्चतणुकसिणणिद्धआदेजलडहसूमालमउयरोमराई झझविहगसुजातपीणकुच्छी झसोदरा पम्हविगडनाभा संनतपासा संगयपासा सुंदरपासा सुजातपासा मितमाइयपीणरइयपासा अकरंडुयकणगरूयगनिम्मलसुजायनिरूवहयदेहधारी कणगसिलातलपसत्थसमतलउवइयविच्छिन्नपिहुलवच्छा जुयसंनिभपिणरइयपीवरपउट्ठसंठियसुसिलि-द्वविसिट्ठलट्ठसुनिचितघणथिरसुबद्धसंधी पुरवरवरफलिहवट्टियभुया भुयईसरविपुलभोगआयाण फलिउच्छूढदीहबाहू रत्ततलोवतियमउयमंसलसुजायलक्खणपसत्थअच्छिद्दजालपाणी पीवरसुजायकोमलवरंगुली तंबतलिणसुइरूइलनिद्रणक्खा निद्धपाणिलेहा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्क पाणिलेहा दिसासोवत्थियपाणिले हा रविससिसंखवरचक्क दिसासोवत्थियविभत्तसुविरइयपाणिले हा वरमहिसवराहसीहसदूलसिंहनागरवरपडिपुन्नविउल खंधा चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवा अवट्ठियसुविभत्तचित्तमंसू उवचियमसलपसत्थसदूलविपुलहणुया म ओयवियसिलप्पवालबिबफलसंनिभाधराट्ठा पंडुरससिसकलविमलसंखगोखीरफेणकुंददगरयमुणालियाधवलदंतसेढी अखंडदंता अप्फुडियदंता अविरलदंता सुणिद्धदंता सुजायदंता एगदंतसेढिव्व अणेगदंता हुयवहनिद्धंतधोवतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा गरूलायतउज्जुतुंगनासा अवदालियपोंडरीयनयणा ROOF+ 55555श्री आगमगुणमंजूषा-७४४ # 555 5555$$OOK 0明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听少于450高 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EROE955555555555555 (१०) पण्हावागरणं पढमा सुयक्खंधा ४ आसवदार (अपम्मदार) (१३) 5555SSINISSESoy OO%明明明明明听听听听听听听听听听听听听听明明$乐乐乐明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐所所 कोकासियधवलपत्तलच्छा आणामियचावरूइलकिण्हब्भराजिसंठियसंगयाययसुजायभुमगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीणमंसलकवोलदेसभागा अचिरूग्गयबालचंदसंठियमहानिडाला उडुवतिरिव पडिपुन्नसोमवयणा छत्तागारूत्तमंगदेसा घणनिचियसुबद्धलक्खणुन्नयकूडागारनिभपिडियग्गसिराहुयवहनिद्धंतधोयतत्ततवणिज्जरत्तकेसंतकेसभुमी सामलीपोंडघणनिचियछोडियमिउविसतपसत्थसुहुमल-क्खणसुगंधिसुंदरभुयमोयगभिंगनीलकज्जलपहट्ठभमरगणनिद्धनिगुरूंबनिचियकुंचियपयाहिणावत्तमुद्धया सुजातसुविभत्तसंगयंगमंगा लक्खणवंजणगुणोववेया पसत्थबत्तीसलक्खणधरा हंसस्सरा कुंचस्सरा दुंदुभिस्सरा सीहस्सरा वग्घ (ओघ) सरा मेघसरा सुस्सरासुस्सरनिग्धोसा बजरिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छायाउज्जोवियंगमंगा पसत्थच्छवी निरातका कंकग्गहणी कवोतपरिणामा सगुणिपोसपिटुंतरोरूपरिणया पउमुप्पलसरिसगंधुस्साससुरभिवयणा अणुलोमवाउवेगा अबदायनिद्धकाला विग्गहियउन्नयकुच्छी अमयरसफलाहारा तिगाऊयसमूसिया तिपलिओवमट्टितीका तिन्नि य पलिओवमाइं परमाउंपालयित्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं, पमयावि य तेसिं होति सोम्मा सुजायसव्वंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अतिकंतविसप्पमाणमउयसुकुमालकुम्मसंठियविसिट्ठसिलिट्ठचलणा उज्जुमउयपीवरसुसाहतंगुलीओ अब्भुन्नतरतिततलिणतंबसुइनिधनखा रोमरहियवट्टसंठियअजहन्नपसत्थलक्खणअकोप्पजंघजुयला सुणिम्मितसुनिगूढजाणू मंसलपसत्थसुबद्धसंधी कयलीखंभातिरेकसंठियनिव्वणसुकु मालमउयकोमलअविरलसमसहितसुजायवट्टपीवरनिरन्तरोरू अट्ठावयवीइपट्टसंठियपसत्थविच्छिन्नपिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणियविसालमसलसुबद्धजहणवरधारिणीओ वज्जविराइयपसत्थलक्खणनिरोदरीओ म तिवलिवलियतणुनमियमज्झियाओ - उज्जु यसमसहियजच्चतणुकसिणनिद्धआदेजलड हसुकु मालमउयसुविभत्तरोमरातीओ गंगावत्तगपदाहिणावत्ततरंगभंगरविकिरणतरूणबोधितआकोसायंत-पउमगंभीरविगडनाभा अणुब्भडपसत्थसुजातपीणकुच्छी सन्नतपासा सुजातपासा संगतपासा मियमायियपीणरतितपासा अकरंडुयकणगरूयगनिम्मलसुजायनिरूवहयगायलट्ठी कंचणकलसपमाणसमसहियलट्ठचुचुयआमेलगजमलजुयलवट्टियपओहराओ भुयंगअणुपुव्वतणुयगोपुच्छ वट्टसमसहियनमिआदेजलडहबाहा तंबनहा मंसलग्गहत्था कोमलपीवरवरंगुलीया निद्धपाणिलेहा ससिसूरसंखचक्क वरसोत्थियविभत्तसुविरइयपाणिले हा पीणुण्णयक क्खवत्थिप्पदेसपडि पुन्नगलकवोला चउरंगुलसुप्पमाणकं बुवरसरिसंगीवा मंसलसंठियपसत्थहणुया दालिमपुप्फप्पगासपीवरपलं बकुंचितवराधरा सुंदरोत्तरोट्ठा दधिदगरयकुं दचंदवासंतिमउलअच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पलपउमपत्तसुकुमालतालुजीहा कणवीरमुउलऽकुडिलऽब्भुन्नयउज्जुतुंगनासा सारदनवकमलकुमुतकुवलयदलनिगरसरिसलक्खणपसत्थअजिम्हकंतनयणा आनामियचावरूइलकिण्हन्भराइसंगयसुजायतणुकसिंणनिद्धभुमगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुस्सवणा पीणमट्ठगंडलेहा चउरंगुलविसालसमनिडाला 卐 कोमुदिरयणिक रविमलपडिपुन्नसोमवदणा छत्तुन्नयउत्तमंगा अक विलसुसिणिद्धदीहसिरया छत्तज्झयजूवथूभदामिणिकमंडलु कल सवाविसोत्थियपडागजवमच्छ कुम्मरथवरमक रज्झयअंक थालअंकु सअट्ठावयसुपइट्ठ अमरसिरियाभिसेयतोरणमे इणिउदधिवरपवरभवणगिरिवरवरायससललियगयउसभसीहचामरपसत्थबत्तीसलक्खणधरीओ हंससरिच्छ गतीओ कोइलमहुरगिराओ कंता सव्वस्स अणुमेयाओ ववगयवलिपलितवंगदुव्वन्नवाधिदोहग्गसोयमुक्काओ उच्चत्तेण य नराण थोवूणभूसियाओ सिंगारागारचारूवेसाओ सुंदरथणजहणवयणकरचरणणयणा लावन्नरूवजोव्वणगुणोववेया नंदणवणविवरचारिणीओ व्व अच्छराओ उत्तरकुरूमारुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिज्जियाओ तिन्नि य पलिओवमाइं परमाउंपालयित्ता ताओऽवि उवणमंति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं ।१५। मेहुणसन्नासंपगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहिं हंणति एक्कमेक्कं विसयविसउदीरएसु, अवरे परदारेहिं हम्मंति विमुणिया धणनासं सयणविप्पणासं च पाउणंतिपरस्स दाराओ जे अविरया, मेहुणसन्नसंपगिद्धा य मोहभरिया अस्सा हत्थी गवा य महिसा मिगा य मारेति एक्कमेक्कं, मणुयगणा वानरा य पक्खी य विरूज्झंति, मित्ताणि खिप्पं भवंति सत्तू, समये धम्मे गणे य भिदंति पारदारी, धम्मगुणरया य बंभयारी खणेण उल्लोट्ठएर MOT.05555555555555555555555555 श्री आगमगणमनष: 5555555555555555555555570 g乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्डावागरणं पढमी सुयक्खंधी ४, ५ आसवदारं (अधम्मदारं ) [१४] फफफफफफफ चरित्ताओ जसमन्तो सुव्वया य पावेति अ (जस पा०) कित्तिं रोगत्ता वाहिया पवढिति रोयवाही, दुवे य लोया दुआराहगा भवंति इहलोए चेव परलोए चेव परस्स दारओ जे अविरया, तहेव केई परस्स दारं गवेसमाणा गहिया हया य बद्धरुद्धा य एवं जाव गच्छंति विपुलमोहाभिभूयसन्ना मेहूणमूलं च सुव्वए तत्थ २ वत्तपुव्वा संगामा जणक्खयकरा सीयाए दोवईए कए रूप्पिणीए पउमावईए ताराए कंचणाए रत्तसुभद्दाए अहिल्लियाए सुवन्नगुलियाए किन्नरीए सुरूवविज्जुमतीए रोहिणीए य अन्नेसु य एवमादिसु बहवो महिलाकएसु सुव्वंति अइक्कंता संगामा गामधम्ममूला इहलोए ताव नट्टा परलोएवि य णट्टा महया मोहतिमिसंधकारे घोरे तसथावरसुहुमबादरेसु पज्जत्तमपज्जत्तसाहारणसरीरपत्तेयस रीरेसु य अंडजपोतजजराउयरसजसंसेइमसंमुच्छिमउब्भियउववादिएसु य नरगतिरियदेवमाणुसेसु जरामरणरोगसोगबहुले पलिओवमसागरोवमाई अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टंति जीवा मोहवससंनिविट्टा, एसो सो अबभस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ य अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहुरयप्पगाढो दारूणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चती, न य अवेदइत्ता अस्थि हु मोक्खत्ति एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेज्जो कहेसी य अबंभस्स फलविवागं एयं तं अबंभंपि चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पत्थणिज्जं एवं चिरपरिचियमणुगयं दुरंतं ★ ★ ★ चउत्थं अधम्मदारं समत्तंतिबेमि ॥ १६ ॥ दारं ॥ ४ ॥ जंबू ! इत्तो परिग्गहो पंचमो ★★★ उ नियमा णाणामणिकणगरयणमहरिहपरिमलसपुत्तदारपरिजणदासीदासभयगपे सहयगयगोमहिस उट्टखरअयगवे लगसीयासगड रहजाणजुग्गसंदणसयणासणवाहणकु वियधणधन्नपाणभोयणाच्छायणगंधमल्लभायणभवणविहिं चेव बहुविही भरहं णगरगरणियम जणवयपुरवरदोणमुहखेडकब्बडमडंबसंबाहपट्टणसहस्सपरिमंडियं थिमियमेइणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं अपरिमियमणंततण्हमणुगयमहिच्छसारनिरयमूलो लोभक लिक सायमहक्खंधो चिंतासयनिचियविपुलसालो गारवपविरल्लियग्गविडवो नियडितयापत्तपल्लवधरो पुप्फफलं जस्स कामभोगा आयासविसूरणाकलहपकंपियग्गसिहरो नरवतिसंपूजितो बहुजणस्स हिययदइओ इमस्स मोक्खवरमोत्तिमग्गस्स फलिहभूओ चरिमं अहम्मदारं | १७| तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं, तं० परिग्गहो संचयो चयो उवचओ निहाणं संभारो संकरो आयरो पिंडो दव्वसारो १० तहा महिच्छा पडिबंधो लोहप्पा मह (प्र० परिव्वआ) इ (द्धी पा०) उवकरणं संरक्खणा य भारो संपाउप्पायको कलिकरंडो पवित्थरो २० अणत्थो संथवो अगुत्ती आयासो अवियोगो अमुत्तीतण्हा अणत्थको आसत्ती असंतोसोत्तिविय ३०, तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसं । १८ । तं च पुण परिग्गहं ममायंति लोभघत्था भवणवरविमाणवासिणो परिग्गहरूती परिग्गहे विविहकरणबुद्धी देवनिकाया य असुरभुयगगरूलसुवण्णविज्जु जलणदीवउदहिदिसिपवणथणिय अणवं नियंपणवं नियइसिवातियभूतवाइयकं दियमहाकं दियकु हंडपतंगदेवा पिसायभूयजक्खरक्खसकिंनरकिं पुरिसमहोरगगंधव्वा य तिरियवासी पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सतीचंदसूरसुक्कसनिच्छरा राहुधूमकेउबुधा य अंगारका य तत्ततवणिज्जकणयवण्णाजे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य गतिरतीया अट्ठावीसतिविहा य नक्खत्तदेवगणा नाणासंठाणसंठियाओ य तारगाओ ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साममंडलगती उवरिचरा उडढलोगवासी दुविहा वेमाणिया य देवा सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदबंभलोगलंतगमहासुक्कसहस्सार आणयपाणयआरणअच्चुया कप्पवरविमाणवासिणो सुरगणा गेवेज्जा अणुत्तरा दुविहा कप्पात या विमाणवासी महिड्डिका उत्तमा सुरवरा एवं च ते चउव्विहा सपरिसावि देवा ममायंति भवणवाहणजाणविमाणसयणासणाणि य नाणाविहवत्थभूसणा पवरपहरणाणि य नाणामणिपंचवन्नदिव्वं च भायणविहिं नाणाविहकामरूवे वेडव्वित अच्छरगणसंघाते दीवसमुद्दे दिसाओ विदिसाओ चेतियाणि वणसंडे पव्वते य गामनगराणि य आरामुज्जाणकाणणाणि य कूवसरतलागवाविदीहियदेवकुलसभप्पवावसहिमाइयाइं बहुकाई कित्तणाणि य परिगेण्हित्ता परिग्गहं विपुलदव्वसारं देवावि सइंदगा नं तित्तिं तुट्ठि उवलभंति अच्चतविपुललोभाभिभूतसत्ता वासहरइक्खु गारवट्टपव्वयकुं डलरूचगवरमाणु सोत्तरकालोदधिलवणसलिलदहपतिरतिकरअंजणकसेलदहिमुहऽवपातुप्पायकंचणकचित्तविचित्तजमकवरसिहरकूडवासी वक्खारअकम्मभूमिसु सुविभत्तभागदेसासु कम्मभूमिसु, श्री आगमगुणमंजूषा ७४६ ॐ ॐ ॐ93 न YOO Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्हावागरणं बीओ सुयक्खंधो ६ अ. १ संवरदाराई (१५) ******** जेविय नरा चाउरंतचक्कवट्टी वासुदेवा बलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावती इब्भा सेट्ठी रट्ठिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा माडंबिया सत्थवाहा को डुबिया अमच्चा एए अन्ने य एवमाती परिग्गहं संचिणंति अणंतं असरणं दुरंतं अधुवमणिच्चं असासयं पावकम्मनेम्मं अवकिरियव्वं विणासमूलं वहबंधपरिकिलेसबहुलं अणंतसकिलेसकारणं, ते तं धणकणगरयणनिचयं पिंडिंता चेव लोभघत्था संसारं अतिवयंति सव्वदुक्ख (प्र० भय) संनिलयणं, परिग्गहस्सेव य अट्टाए सिप्पससिक्खए बहुजणो कलाओ य बावत्तरिं सुनिपुणाओ लेहाइयाओ सउणरूयावसाणाओ गणियप्पहाणाओ चउसद्धिं च महिलागुणे रतिजणणे सिप्पसेवं असिमसिकिसिवाणिज्जं ववहारं अत्थइसत्थच्छरूप्पवायं विविहाओ य जोगजुंजणाओ अन्नेसु एवमादिएसु बहूसु कारणसएस जावज्जीवं नडिज्जए संचिणंति मंदबुद्धी, परिग्गहस्सेव य अट्टाए करंति पाणाण वहकरणं अलियनियडिसा इसंपओगे परदव्वअभिज्जा सपरदारअभिगमणासेवणाए आयासविसूरणं कलहभंडणवेराणि य अवमाणणविमाणणाओ इच्छामहिच्छप्पिवाससतततिसिया तण्हगेहिलोभघत्था अत्ताणा अणिग्गहिया करेति कोहमाणमायालोभे अकित्तणिज्जे परिग्गहे चेव होति नियमा सल्ला दंडा य गारवा य कसाया सन्ना य कामगुणअण्हवगा इंदियलेसाओ सयणसंपओगा सचित्ताचित्तमीसगाई दव्वाइं अनंतकाई इच्छंति परिघेत्तुं सदेवमणुयासुरम्मि लोए लोभपरिग्गहो जिणवरेहिं भणिओ नत्थि एरिसो पासो पडिबंधो अत्थि सव्व- (१३२) जीवाणं सव्वलोए ।१९। परलोगम्मि य नट्टा तमं पविट्ठा महयामोहमोहियमती तिमिसंधकारे तसथावरसुहुमबादरेसु पज्जत्तमपज्जत्तग एवं जाव परियट्टंति दीहमद्धं जीवा लोभवससंनिविट्ठा, एसो सो परिग्गहस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहुरयप्पगाढो दारूणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, न अवेततित्ता अत्थि हु मोक्खेत्ति एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेज्जो कहेसी य परिग्गहस्स फलविवागं. एसो सो परिग्गहो पंचमो उ नियमा नाणामणिकणगरयणमहरिह एवं जाव इमस्स मोक्खवरमोत्तिमग्गस्स फलिहभूयो । चरिमं अधम्मदारं समत्तं | २० | 'एएहिं पंचहिं असंवरेहिं (प्र० आसवेहिं) रयमादिणित्तुमणुसमयं । चउविहगइपज्जंतं अणुरियति संसारं ||४|| सव्वगईपक्खंदे काहिति अणंतए अकयपुण्णा । जे य न सुणंति धम्मं सुणिऊण य जे पमायंति || ५ || अणुसिद्वंपि बहुविहं मिच्छाद्दिट्ठी य जे नरा अहमा (प्र० अबुद्धिया) । बद्धनिकाइयकम्मा सुणंति धम्मं न य करेन्ति ||६|| किं सक्का काउं जे जं नेच्छइ ओसहं मुहा पाउं । जिणवयणं गुणमहुरं विरेयणं सव्वदुक्खाणं ||७|| ★★★पंचेव (प्र० ते) उज्झिऊणं पंचेव य रक्खिऊण भावेणं । कम्मरयविप्पमुक्का सिद्धिवरमणुत्तरं जंति ॥८॥ द्वारं ५ ॥ जंबू ! - ★★★ 'एतो संवरदाराइं पंच वोच्छामि आणुपुव्वीए। जह भणियाणि भगवया सव्वदुहविमोक्खणट्ठाए || ९ || पढमं होइ अहिंसा बितियं सच्चवयणंति पण्णत्तं । दत्तमणुन्नाय संवरो य बंभचेरमपरिग्गहत्तं च ॥ १०॥ तत्थ पढमं अहिंसा तसथावरसव्वभूयखेमकरी । तीसे सभावणाए किंचि वीच्छं गुणुद्देसं ॥ ११ ॥ ताणि उ इमाणि सुव्वय ! महव्वयाइ (लोकहियसवयाइं) सुयसागरदेसियाइं तवसंजममहव्वयाइं सीलगुणवरव्वयाइं सच्चज्जवव्वयाइं नरमतिरियमणुयदेवगतिविवज्जकाई सव्वजिणसासणगाइं कम्मरयविदारगाइं भवसयविणासणकाई दुहसयविमोयणकाई सुहसयपवत्तणकाई कापुरिसदुरूत्तराई (सम्पुरिसतीरियाई पा० ) सप्पुरिसनिसेवियाई निव्वाणगमणमग्गसग्गप्पणायकाई (याणगाई पा०) संवरदाराई पंच कहियाणि उ भगवया, तत्थ पढमं अहिंसा जा सा सदेवमणुयासुरम लोगस्स भवति-दीवो ताणं सरणं गती पइट्ठा निव्वाणं निव्वुई समाही सत्ती कित्ती कंती रती य विरती य सुयंगतित्ती १० दया विमुत्ती खन्ती सम्मत्ताराहणा महंती बोही बुद्धी धिती समिद्धी रिद्धी २० विद्धी ठिती पुट्ठी नंदा भद्दा विसुद्धी लद्धी विसिट्ठदिट्ठी कल्लाणं मंगलं ३० पमोओ विभूती रक्खा सिद्धावासो अणासवो केवलीण ठाणं सिवं समिई सीलं संजमो ४० त्तिय सीलपरिघरो संवरो य गुत्ती ववसाओ उस्सओ जन्नो आयतणं जतणमप्पमातो आसासो ५० वीसासो अभओ सव्वस्सवि अमाघाओ चोक्ख पवित्ती सूती पूया विमल पभासा य निम्मलतर ६० त्ति एवमादीणि निययगुणनिम्मियाइं पज्जवनामाणि होति अहिंसाए भगवतीए । २१ | एसा सा भगवती अहिंसा जा सा भीयाणंविव सरणं पक्खीणंपिव गमणं तिसियाणंपिव सलिलं खुहियाणंपिव असणं समुद्दमज्झेव पोतवहणं चउप्पयाणंव जब 05 OR 5 श्री १०० **** Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOXO फ्र (१०) पण्हावागरणं बीओ सुयक्खंधो ६ अ. १ संवरदाराई [१६] फ्र आसमपयं दुहट्ठियाणं (प्र० दुहदुहियाणं) व ओसहिबलं अडवीमज्झे सत्थगमणं एत्तो बिसिट्ठतरिका अहिंसा जा सा पुढवीजल अगणिमारुयवणस्सइबीजहरितजलचरथलचरखहचरतसथावरसव्वभूयखेमकरी, एसा भगवती अहिंसा जा सा अपरिमियनाणदंसणधरेहिं सीलगुणविणयतवसंयमनायकेहिं तित्थंकरेहिं सव्वजगजीववच्छलेहिं तिलोगमहिएहिं जिण चंदेहिं सुठु दिट्ठा (उवलद्धा) ओहिजिणेहिं विण्णाया उज्जुमतीहिं विदिट्ठा विपुलमतीहिं विविदिता पुव्वधरेहिं अधीता वेउव्वीहिं पतिन्ना आभिणिबोहियनाणीहिं सुयनाणीहिं मणपज्जवनाणीहिं केवलनाणीहिं आमोसहिपत्तेहिं खेलोसहिपत्ते हिं जल्लोसहिपत्तेहिं विप्पोसहिपत्तेहिं सव्वोसहिपत्तेहिं बीजबुद्धीहिं कुट्ठबुद्धीहिं पदाणुसारीहिं संभिन्नसोतेहिं सुयधरेहिं मणबलिएहिं वयबलिएहिं कायबलिएहिं नाणबलिएहिं दंसणबलिएहिं चरित्तबलिएहिं खीरासवेहिं मधुआसवेहिं सप्पियासवेहिं अक्खीणमहाणसिएहिं चारणेहिं विज्जाहरेहिं (प्र० जंघाचारणेहिं विज्जाचारणेहिं) उत्थभत्तिएहिं एवं जाव छम्मासभत्तिएहिं उक्खित्तचरएहिं निक्खित्तचरएहिं अंतचरएहिं पंतचरएहिं लूहचरएहिं समुदाणचरएहिं अन्नइलायएहिं मोणचरएहिं तज्जायसंसकप्पिएहिं उवनिहिएहिं सुद्धेसणिएहिं संखादत्तिएहिं दिट्ठलाभिएहिं अदिट्ठलाभिएहिं पुट्ठलाभिएहिं आयंबिलिएहिं पुरिमड्डिएहिं एक्कासणिएहिं निव्वितिएहिं भिन्नपिंडवाइएहिं परिमियपिंडवाइएहिं अंताहारेहिं पंताहारेहिं अरसाहारेहिं विरसाहारेहिं लूहाहारेहिं तुच्छाहारेहिं अंतजीवीहिं पंतजीवीहिं लूहजीवीहिं तुच्छजीवीहिं उवसंतजीवीहिं पसंतजीवीहिं विवित्तजीवीहिं अखीरमहुसप्पिएहिं अमज्जमंसासिएहिं ठाणाइएहिं पडिमठइहि ठाणुक्कडिएहिं वीरासणिएहिं णेसज्जिएहिं डंडाइएहिं लगंडसाईहिं एगपास(प्र० सप्पि ) गेहिं आयावएहिं अप्पाव (प्र० पाउ) एहिं अणिड्डुभएहिं अकडूयएहिं धूतकेसमंसुलोमनखेहिं सव्वगायपडिकम्मविप्पमुक्केहिं समणुचिन्ना सुयधरविदितत्थकायबुद्धीहिं धीरमतिबुद्धिणो य जे ते आसीविसउग्गतेयकप्पा निच्छयववसाय ( विणीय पा० ) पज्जत्तकयमतीया णिच्चं सज्झायज्झाणअणुबद्धधम्मज्झाणा पंचमहव्वयचरित्तजुत्ता समिता समितिसु समितपावा छव्विहजगवच्छला निच्चमप्पमत्ता एएहिं अन्नेहि य जा सा अणुपालिया भगवती इमं च पुढवीदग अगणिमारुयतरुगणतसथावरसव्वभूयसं- यमदयट्टयाते सुद्धं उञ्छं गवेसियव्वं अकतमकारियमणाहूयमणुद्दिवं अकीयकडं नवहि य कोडीहिं सुपरिसुद्धं दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्कं उग्गमउप्पायणेसणासुद्धं ववगयचुयचावियच- त्तदेहं च फासूयं च न निसिज्जकहापओयणक्खासु ओवणीयंति न तिमिच्छामंतमूलभे सज्जकज्जहेउं न लक्खणुप्पायसुमिणजोइसनिमित्तकहप्पउत्तं नवि डंभणाए नवि रक्खणाते नवि सासणाते नवि दंभणरक्खणसासणाते भिक्खं गवेसियन्वं नवि वंदणाते नवि माणणाते नवि पूयणाए नवि वंदणमाणणपूयणाते भिक्खं गवेसियव्वं नवि हीलणाते नवि निंदणाते नवि गरहणाते नवि निंदणगरहणाते भिक्खं गवेसियव्वं नवि भेसणाते नवि तज्जणाते नवि तालाणाते नवि भेसणतज्जणतालणाते भिक्खं गवेसियव्वं नवि गारवेणं नवि कुह (प्र० प्प) णयाते नवि वणीमयाते नवि गारवकुह ( प्र० प्प) वणीमयाए भिक्खं गवेसियव्वं नवि मित्तयाए नवि पत्थणाए नवि सेवणाए नवि मित्तपत्थणसेवणाते भिक्खं गवेसियव्वं अन्नाए अगढिए अदुट्ठे अदीणे अविमणे अकलुणे अविसाती अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविणयगुणजोगसंपत्ते भिक्खू भिक्खेसणाते निरते, इमं च णं सव्वजीवरक्खणदयद्वाते पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभद्दं सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विउवसमणं । २२ । तस्स इमा पंच भावणातो पढमस्स वयस्स होति पाणातिवायवेरमणपरिरक्खणट्टयाए पढमं ठाणगमणगुणजोगजुंजणजुगंतरनिवातियाए दिट्ठीए ईरियव्वं कीडपयंगतसथावरदयावरेण निच्वं पुप्फफलतयपवालकंदमूलदगमट्टियबीजहरियपरिव- ज्जिएण संमं, एवं खलु सव्वपाणा न हीलियव्वा न निदियव्वा न गरहिव्वा नहिंसियव्वा न छिंदियव्वा न भिंदियव्वा न वहेयव्वा न भयं दुक्खं च किंचि लब्भा पावेउं एवं ईरियासमिति जोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, बितीयं चं मणेण अपावएणं पावकं अहम्मियं दारुणं निस्संसं वहबंधपरिकिलेसबहुलं जरा (भय पा०) मरणपरिकि ले ससंकि लिट्ठ न कयावि मणेण पावतेणं पावगं किंचिवि झायव्वं एवं मणसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, ततियं च वतीते अपावियाते (प्र० अहम्मियं दारुणं नीसंसं वहबंधपरिकिलेससंकिलिट्टं न कयाइ श्री आगमगुणमजूषा - ७४८ SSOOR Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ COC玩玩乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听玩乐乐明明明明明明明明明乐听听听听听听听听听听听听听 OCG5步步步步步步步步步步 (१०) पण्हावागरणं बीओ सुयक्रवधा : अ.१.२ संवरदाराई १७] 153 4 5%%%%%%servey वईए पावियाए) पावकं न किंचिवि भासियव्वं एवं वतिसमिति- जोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसओ संजसो ८ सुसाहू, चउत्थं आहारएसणाए सुद्धं उञ्छं गवेसियव्वं अन्नाए (अगढिते पा०)(प्र० अगिद्धे) अदुढे अदीणे (प्र० अविमणे) अकलुणे अविसादी अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविणयगुणजोगसंपओगजुत्ते भिक्खू भिक्खेसणाते जुत्ते समुदाणेऊण भिक्खचरियं उंछं घेत्तूण आगतो गुरुजणस्स पासं गमणागमणातिचारे पडिक्कमणपडिक्कंते आलोयदायणं च दाऊण गुरुजणस्स गुरुसंदिट्ठस्स वा जहोवएसं निरइयारं च अप्पमत्तो, पुणरवि अणेसणाते पयतो पडिक्कमित्ता पसंते आसीणसुहनिसन्ने मुहत्तमेत्तं च झाणसुहजोगनाणसज्झायगोवियमणे धम्ममणे अविमणे सुहमणे अविग्गहमणे समाहियमणे सद्धासंवेगनिज्जरमणे पवतणवच्छल्लभावियमणे उट्ठेऊण य पहठ्ठतुट्टे जहारायणियं निमंतइत्ता य साहवे भावओ य विइण्णे य गुरुजणेणं उपविढे संपमज्जिऊण ससीसं कायं तहा करतलं अमुच्छिते अगिद्धे अगढिए अगरहिते अणज्झोववण्णे अणाइले अकुद्धे अणत्तट्टिते असुरसुरं अचवचवं अदुतमविलंबियं अपडिसाडि आलोयभायणे जयं पय(प्र० जयमप्पम)त्तेण ववगयसंजोगमणिंगालं च विगयधूमं अक्खोवंजणाणुलेवणभूयं संजमजायामायानिमित्तं संजमभारवहणट्ठयाए भुंजेज्जा (प्र० भोत्तव्वं) पाणधारणट्ठयाए संजएण समियं एवं आहारसमितिजोगेणंभाविओभवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठनिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, पंचमं आदाणनिक्खेवणासमिई पीढफलगसिज्जासंथारगवत्थपत्तकंबलदंडगरयहरणचोलपट्टगमुहपो-त्तिगपायपुञ्छणादी एयंपि संजमस्स उववूहणट्ठयाए वातातवदंसमसगसीयपरिरक्खणट्ठयाए उवगरणं रागदोसरहितं परिहरितव्वं संजमेणं निच्चं पडिलेणपप्फोडणपमज्जणाए अहो य राओ अ अप्पमत्तेणं होइ सययं निक्खिवियव्वं च गिण्हियव्वं च भायणभंडोवहिउवगरणं एवं आयाणभंडनिक्खेवणासमितिजोगेण भाविओ भवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठनिव्वणच- रित्तभावणाए अहिंसए संजते सुसाहू, + एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होति सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहि मणवयणकायपरिरक्खिएहिं णिच्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्वो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो (प्र० अपरिस्सावी) असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नातो, एवं पढमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं आराहियं आणाते अणुपालियं भवति, एयं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवितं सुदेसितं पसत्थं पढम संवरदारं समत्तंतिबेमि ।२३ ॥ संवरद्दारं १(६) ॥जंबू ! बितियं ** च सच्चवयणं सुद्धं सुचियं सिवं सुजायं सुभासियं सुव्वयं सुकहियं सुदिटुं सुपतिट्ठियं सुपइट्ठियजसं सुसंजमियवयणबुइयं सुरवरनरवसभपवरबलवगसुविहिय- जणबहुमयं परमसाहुधम्मचरणं तवनियमपरिग्गहियं सुगतिपहृदेसकं च लोगुत्तमं वयमिणं विज्जाहरगगणगमणविज्जाण साहकं संगमग्गसिद्धिपहदेसकं अवितहं तं सच्चं उज्जुयं अकुडिलं भूयत्थं अत्थतो विसुद्धं उज्जोयकरं पभासकं भवति सव्वभावाण जीवलोगे अविसंवादि जहत्थमधुरं पच्चक्खं दयिवयंव जंतं अच्छेरकारकं अवत्थतरेसु बहुएसुमाणुसाणं सच्चेण महासमुद्दमज्झवि चिट्ठति न निमज्जति मूढाणियावि पोया सच्चेण य उदगसंभमंमिवि न वुज्झन्ति न य मरंति थाहं ते लभंति सच्चेण य अगणिसंभमंमिवि न डझंति उज्जुगा मणूसा सच्चेण य तत्ततेल्लतउलोहसीसकाई छिवंति धरेति न य डझंति मणूसा पव्वयकडकाहिं मुच्चंते न य मरंति सच्चेण य परिग्गहीया असिपंजरगया छुटृति समराओवि णिइंति अणहा य सच्चवादी वहबंधभियोगवेरघोरेहिं पमुच्चंति य अमित्तमज्झाहिं नियंति अणहा य सच्चवादी सादेव्वाणि (प्र०सण्णिज्झाणिवि) य देवयाओ करति सच्चवयणे रताणं, तं सच्चं भगवं तित्थकरसुभासियं दसविहं चोद्दसपुव्वीहिं पाहुडत्थविदितं महरिसीण य समयप्पदिन्नं (महरिसिसमयपइन्नचिन्तं पा०) देविंदनरिंदभासियत्थं वेमाणियसाहियं महत्थं मंतोसहिविज्जासाहणत्थं चारणगमणसमणसिद्धविज्ज मणुयगणाणं वंदणिज्ज अमरगणाणं अच्चणिज्ज असुरगणाणं च पूणिज्जं अणेगपासंडिपरिग्गहितं जं तं लोकंमि सारभूयं गंभीरतरं महासमुद्दाओ थिरतरगं मेरुपव्वयाओसोमतरगं चंदमंडलाओ दित्ततरं सूरमंडलाओ विमलतरं सरयनयलाओ सुरभितरं गंधमादणाओ जेविय लोगम्मि अपरिसेसा मंतजोगा जवा य विज्जा य जंभका य अत्थाणि य सत्थाणि य सिक्खाओ य आगमा य सव्वाणिवि ताई सच्चे पइट्ठियाई. सच्वंपिय 乐听听听听听听听听听听听听听听听听国乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 VIDEducation International 2010_03 www.jainelibrary.oney Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्हावागरणं बीओ सुयवखंधा अ. २ संवरदाराई [१८] संजमस्स उवरोहकारकं किंचि न वत्तव्वं हिंसासावज्जसंपउत्तं भेयविकहकारकं अणत्थवायकलहकारकं अणत्थं वज्जं अव (प्र० आ) वायविवायसंपउत्तं वेलंब ओजधेज्जबहुलं निल्लज्जं लोयगरहणिज्जं दुद्दिद्वं दुस्सुयं अमुणियं अप्पणो थवणा परेसु निंदा न तंसि मेहावी ण तंसि धन्नो न तंसि पियधम्मो न तं कूलीणो न सि दाणवती न नंसि सूरो न तंसि पडिरूवा न तंसि लट्ठो न पंडिओ न बहुस्सुओ नवि य तं तवस्सी ण यावि परलोगणिच्छियमती सि सव्वकालं जातिकुलरूववाहिरोगेण वावि जं होइ वज्जणिज्जं दुहिलं (पा० दूहओ) उवयारमतिक्कंतं एवंविहं सच्वंपि न वत्तव्वं, अह केरिसकं पुणाई सच्वं तु भासियव्वं ?, जं तं दव्वेहिं पज्जवेहि य गुणेहिं बहुवि सिप्पेहिं आगमेहि य नामक्वायनिवाउवसग्गतद्वियसमाससंधिपदहेउजोगियउणादिकिरियाविहाणधातुसरविभत्तिवन्नजुत्तं तिकल्लं दसविहंपि सह भणि तह य कम्मुणा होइ दुवालसविहा होइ भासा वयणंपिय होइ सोलसविहं, एवं अरहंतमणुन्नायं समिक्खियं संजएण कालंमि य वत्तव्वं । २४ । इमं च अलियपि सुणफरुसकडुयचवलयवयणप रिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभाविकं आगमेसिभद्दं सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाणं विओसमणं, तस्स इमा पंच भावणाओ बितियस्स वयस्स अलियवयणस्स वेरमणपरिरक्खणट्टयाए पढमं सोऊणं संवरद्वं परमट्टं सुट्टु जाणिऊण न वेगियं न तुरियं न चवलं न कडुयं न फरुसं न साहसं न य परस्स पीलाकरं सावज्जं सच्चं च हियं च मियं च गाहगं च सुद्धं संगयमकाहलं च समिक्खितं संजतेण कालंमि य वत्तव्वं एवं अणुवीतिसमितिजोगेण भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सच्चज्जवसंपुन्नो, बितियं कोहो ण सेवियव्वो, कुद्धो डिकिओ मणूस अलियं भणेज्ज पिसुणं भणेज्ज फरुसं भणेज्ज अलियं पिसुणं फरुसं भणेज्जा कलहं करेज्जा वेरं करेज्ज विकहं करेज्जा कलहं वेरं विकहं करेज्जा सच्च हज्ज सीलं हणेज्न विणयं हणेज्न सच्चं सीलं विणयं हणेज्ज वेसो हवेज्ज वत्थं भवेज्ज गम्मो भवेज्ज वेसो वत्युं गम्मो भवेज्ज एयं अन्नं च एवमादियं भणेज्न कोहम्गिसंपलित्तो • तम्हा कोहो न सेवियव्वो, एवं खंतीइ भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवलयणो सूरो सच्चज्जवसंपन्नो, ततियं लोभो न सेवियव्वो, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं खेत्तस्स व वत्थुस्स व कतेण, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं कित्तीए लोभस्स व कएण, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं रिद्धीय व सोक्खस्स व कएण, लुद्दो लोलो भज्न अलि भत्तस्स व पाणस्स व कएण, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं पीठस्स व फलगस्स व कएण, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं सेज्माए व संधारकस्स व कएण, लुद्दो लोलो भणेज्ज अलियं वत्थस्स व पत्तस्स व कएण लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं कंबलस्स व पायपुंछणस्स व कएण, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं ससस्स व सिस्सिणीए व करण, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं अन्नेसु य एवमादिएसु बहुसु कारणसतेसु, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं तम्हा लोभो न सेवियव्वो, एवं मुत्तीय भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सच्चज्जवसंपन्नो, चउत्थं न भाइयव्वं, भीतं खु भया अइंति लहुयं भीतो अबितिज्जओ मणूसो भीतो भूतेहिं घिप्पइ भीतो अन्नंपिहु भेसेज्जा भीता तवसंजमंपिहु मुएज्जा भीतो य भरं न नित्थरेज्जा सप्पुरिसनिसेवियं च मग्गं भीतो न समत्थो अणुचरिउं तम्हा न भातियव्वं भयस्स वा वाहिस्स वा रोगस्स वा जराए वा मच्चुस्स वा अन्नस्स वा एगस्स वा ( एवमादियस्स वा पा० ) एवं घेज्जेण भाविओ भवति अंतरपा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सच्चज्जवसंपन्नो, पंचमकं हासं न सेवियव्वं, अलियाई असंतकाई जंपंति हासइत्ता परपरिभवकारणं च हासं परपरिवायप्पियं च हासं परपीलाकारगं च हासं भेदविमुत्तिकारकं च हासं अन्नोन्नजणियं च होज्ज हासं अन्नोन्नगमणं च होज्ज मम्मं अन्नोन्नगमणं च होज्ज कम्मं कंदप्पाभियोगगमणं च होज्ज हासं आसुरियं किव्विसत्तणं च जणेज्ज हासं तम्हा हासं न सेवियव्वं, एवं मोणेण भाविओ भवइ अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सच्चज्जवसंपन्नो, एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहिं मणवयणकायपरिरक्खिएहिं निच्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्वो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नाओ, एवं बितियं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं आणा आराहियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं, सिद्धवरसासणमिणं आघवितं सुदेसियं पसत्थं ★ ★ ★ बितियं संवरदारं समत्तंत्तिबेमि | २५ || दारं २(७) || जंबू ! दत्तमणुण्णायसंवरो नाम होति ततियं सुव्वता ! ★★★ महव्वतं गुणव्वतं परदव्वहरणपडिविरइकरणजुत्तं श्री आगमगुणमजूषा ७५० xo Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CSC乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 SE0%%%%%%%%%5555 (१०) पण्हावागरणं बीआ सुयकम्बंधी अ. ३संबरदाराई [१९] 155555583%sEXEINOR अपरिमियमणंततण्हाणुगयमहिच्छमणवयणकलुसआयाणसुनिग्गहियं सुसंजमियमणोहत्थपायनिभियं निग्गंथं णेट्ठिकं निरुत्तं निरासवं निभयं विमुत्तं उत्तमनरवसभपवरबलवगसुविहितजणसंमतं परमसाहुधम्मचरणं जत्थ य गामागरनगरनिगमखेडकब्बडमडंबदोणमुहसंवाहपट्टणासमगयं च किंचि दव्वं मणिमुत्तिसिलप्पवालकंसदूसरययवरकणगरयणमादि पडियं पम्हुटुं विप्पणटुं न कप्पति कस्सति कहेउं वा गेण्हिउँ वा अहिरन्नसुवन्निकेण समलेढुकंचणेणं अपरिग्गहसंबुडेणं लोगंमि विहरियव्वं, जंपिय हो जाहि दव्वजातंखलगतं खेत्तगतं रन्न(जलथलगयं खेत्त पा०) मंतरगतं वा किंचि पुप्फफलतयप्पवालकंदमूलतणकट्ठसक्करादि अप्पं च बहुं च अणुं च थूलगं वा न कप्पति उग्गहंमि अदिण्णंमि गिहिउं जे, हणि २ उग्गहं अणुन्नविय गेण्हियव्वं वज्जेयव्वोय सव्वकालं अचियत्तघरप्पवेसो अचियत्तभत्तपाणं अचियत्तपीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपत्तकंबलदंडगरयहरणनिसेज्जचोलपट्टगमुहपो-त्तियपायपुंछणाइ भायणभंडोवहिउवकरणं परपरिवाओ परस्स दोसो परववएसेणं जं च गेण्हइ परस्स नासेइ(सो)जं च सुकयं दाणस्स य अंतरातियं दाणविप्पणासो पेसुन्नं चेव मच्छरितंच, जेविय पीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपायकंबलमुहपोत्तियपायपुंछणादिभायणभंडोवहिउवकरणं असंविभागी असंगहरुती तवतेणे य वइतेणे य रूवतेणे य आयारे चेव भावतेणे य सद्दकरे झञ्झकरे कलहकरे वेरकरे विकहकरे असमाहिकरे सया अप्पमाणभोती सततं अणुबद्धवेरे य निच्चरोसी से.तारिसए नाराहए वयमिणं, अह केरिसए पुणाई आराहए वयमिणं?, जे से उवहिभत्तपाणसंगहणदाणकुसले अच्चंतबालदुब्बलगिलाणवुडखमके पवत्तिआयरिउवज्झाए सेहे साहम्मिके तवस्सीकुलगणसंघचेइयढे य निज्जरट्ठी वेयावच्चं अणिस्सियं दसविहं बहुविहं करेति, न य अचियत्तस्स गिहं पविसइ न य अचियत्तस्स गेण्हइ भत्तपाणं न य अचियत्तस्स सेवइ पीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपायकंबलडंडगरयहरणनिसेज्जचोलपट्टय- मुहपोत्तियपायपुच्छणाइभायणभंडोवहिउवगरणं न य परिवायं परस्स जंपति ण यावि दोसे परस्स गेण्हति परववएसेरवि न किंचि गेण्हति न य विपरिणामेति कंचि जणं न यावि णासेति दिन्नसुकयं दाऊण य न होइ पच्छाताविए संभागसीले संगहोवग्गहकुसले से तारिसते आराहते वयमिणं, इमं च परदव्वहरणवेरमणपरिरक्खणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहितं पेच्चाभावितं आगमेसिभ सुद्दे नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विओसमणं, तस्स इमापंच भावणातो ततियस्स वयस्स होति परदव्वहरणवेरमणपरिरक्खणट्ठयाए, # पढमं देवकुलसभप्पवावसहरुक्खमूलआरामकंदरागरगिरिगुहाकम्मउज्जाणजाणसालाकुवितसालामंडवसुन्नघरसुसाणलेण आवणे अन्नंमि य एवमादियंमि ॐ दगमट्टियबीजहरिततसपाणअसंसत्ते अहाकडे फासुए विवित्ते पसत्थे उवस्सए होइ विहरियव्वं, आहाकम्मबहुले य जे से आसितसंमज्जिउस्सित्तसोहियछायण(प्र० छगण)दूमणलिंपणअणुलिंपणजलणभंडचालणे अंतो बहिं च असंजमो जत्थ वट्टती संजयाण अट्ठा वज्जेयव्वो हु उवस्सओ से तारिसए सुत्तपडिकुटे, एवं विवित्तवासवसहिसमितिजोगेर भावितो भवति अंतरप्पा निच्वं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरतो दत्तमणुन्नायओग्गहरुती, बितीयं आरामुज्जाणकाणणवणप्पदेसभागे जं किंचि इक्कडं व कढिणगं च जंतुगं च परामरकुच्चकुसडब्भपलालमूयगवक्कयपुप्फ- फलतयप्पवालकंदमूलतणकट्ठसक्करादी गेण्हइ सेज्जोवहिस्स अट्ठे न कप्पए उग्गहे अदिन्नंमि गिण्हेउं जे हणि २ उग्गहं अणुन्नविय गेण्हियव्वं एवं उग्गहसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निच्च अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायओग्गहरुती, ततीयं पीढफलगसेज्जासंथारगट्ठयाए रुक्खा न छिदियव्वा नवि छेदणेण भेयणेण सेज्जा कारेयव्वा जस्सेव उवस्सते वसेज्ज सेज्जं तत्थेव गवेसेज्जा न य विसमं समं करेज्जा न य निवायपवायउस्सुगत्तं न डंसमसगेसु खुभियव्वं अग्गी धूमो न कायव्वो, एवं संजमबहुले संवरबहुले संवुडबहुले समाहिबहुले धीरे काएण फासयंतो सययं अज्झप्पज्झाणजुते समिए एगे चरेज धम्म, एवं सेज्जासमितिजोगेण भावितो भवति म अंतरप्पा निच्चं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउग्गहरुती, चउत्थं साहारणपिंडपातलाभे भोत्तव्वं संजएण समियं न सायसूयाहिकं न खद्धं ण म वेगितं न तुरियं न चवलं न साहसं नय परस्सपीलाकरं सावज तह भोत्तव्वं जह सेततियवयं न सीदति साहारणपिंडवायलाभे सुहुमं अदिन्नादाण (विरमणवयनियमणं, वयनियमवेरमणं पाठ) एवं साहारणपिंडवायलाभे समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निच्चं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउग्गहरुती, --- En B ate Persooallie Only 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐乐乐乐所乐于听听听听听听 Education International 2010_03 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 (१०) पण्हावागरणं बीओ सुयक्खंधो अ. ३,४ संवरदाराई [२०] पंचमगं साहम्मिए विणओ पउंजियव्वो उवकरणपारणासु विणओ पउंजियब्वो वायणपरियट्टणासु विणओ पउंजियव्वो दाणगहणपुच्छणासु विणओ परंजिव निक्खमणपवेसणासु विणओ पउंजियव्वो अन्नेसु य एवमादिसु बहुसु कारणसएस विणओ पउंजियव्वो, विणओवि तवो तवोवि धम्मो तम्हा विणओ पउंजियव्वो गुरू साहू तवस्सीस य एवं विणतेण भाविओ भवइ अंतरप्पा णिच्चं अधिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउग्गहरुई, एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुपणिहियं एवं जाव आघवियं सुदेसितं पसत्थं । ★★★ततियं संवरदारं समत्तंत्तिबेमि | २६ ॥ द्वारं ३ (८) ॥ ★★★ जंबु ! एत्तो य बंभचेरं उत्तमतवनियमणाणदंसणचरित्तसम्मत्तविणयमूलं यमनियमगुणप्पहाणजुत्तं हिमवंतमहंततेयमंतं पसत्थगंभीर अतुच्छथिमितमज्झं अज्जवसाहुजणाचरितं मोक्खमग्गं विसुद्धसिद्धिगतिनिलयं (१३३) सासयमव्वाबाहमपुणब्भवं पसत्थं सोमं सुभं सिवमचलमक्खयकरं जतिवरसारक्खितं सुचरियं सुभासियं नवरि मुणिवरेहिं महापुरिसधीरसूरधम्मियधितिमंताण य सया विसुद्धं भव्वं भव्वजणाणुचिन्नं निस्संकियं निब्भयं नित्तुसं निरायासं निरुलेवं निव्वुतिघरं नियमनिप्पकंपं तवसंजममूलदलियम्मं पंचमहव्वयसुरक्खियं समितिगुत्तिगुत्तं झाणवरकवाडसुकय मज्झप्पदिन्नफलिहं सन्नद्धोच्छइयदुग्गड्पहं सुगतिपहदेसगं च लोगुत्तमं च वयमिणं पउमसरतलागपालिभूयं महासगडअरगतुंबभूयं महाविडिमरुक्खक्खंधभूयं महानगरपागारकवाडफलिहभूयं रज्जुपिणिद्धो व इंदकेतू विसुद्धणेगगुणसंपिणद्धं जंमि य भग्गमि होइ सहसा सव्वं संभग्गमथियचुन्नियकु सल्लियपल्लट्टपडियखंडियपरिसडियविणासियं विणयसीलतवनियमगुणसमूहं तं बंभं भगवंतं गहगणनक्खत्ततारगाणं व जहा उडुपती मणिमुत्तिसिलप्पवालरत्तरयणागराणं व जहा समुद्दो वेरुलिओ चेव जहा मणीणं जहा मउडो चेव भूसणाणं वत्थाणं चेव खोमजुयलं अरविंदं चेव पुप्फजेट्टं गोसीसं चेव चंदणाणं हिमवंतो चेव नगाणं बम्भी ओसहीणं सीतोदा चेव निन्नगाणं उदहीसु जहा सयंभूरमणो रुयगवरे चेव मंडलिकपव्वयाणं पवरे एरावण इव कुंजराणं सीहोव्व जहा मिगाणं पवरे पवकाणं चेव वेणुदेवे धरणो जहा पण्णगइंदराया कप्पाणं चेव बंभलोए सभासु य जहा भवे सुहम्मा ठितिसु लवसत्तमट्ठ पक्रा दाणाणं चेव अभयदाणं किमिराओ चेव कंबलाणं संघयणे चेव वज्जरिसभे, संठाणे चेव समचउरंसे झाणेसु य परमसुक्कझाणं णाणेसु य परमकेवलं तु सिद्धं लेसासु य परमदुक्कलेस्सा तित्थंकरे जहा चेव मुणीणं वासेसु जहा महाविदेहे गिरिराया चेव मंदरवरे वणेसु जह नंदणवणं पवरं दुमेसु जहा जंबू सुदसणा वीसुयजसा जीय नामेण य अयं दीवो, तुरगवती गयवती रहवती नरवती जह वीसुए चेव राया रहिए चेव जहा महारहगते, एवमणेगा गणा अहीणा . भवंति एक्कमि बंभचेरगुणे जंमि य आराहियंमि आराहियं वयमिणं सच्चं सीलं तवो य विणओ य संजमो य खंती गुत्ती मुत्ती तहेव इहलोइयपारलोइयजसे य कित्ती य पच्चओ य, तम्हा निहुएण बंभचेरं चरियव्वं सव्वओ विसुद्धं जावज्जीवाए जाव सेयट्ठिसंजउत्ति, एवं भणियं वयं भगवया, तं च इमं 'पंचमहव्वयसुव्वयमलं, समणमणाइलसाहु सुचिन्नं । वेरविरामणपज्जवसाणं, सव्वसमुद्दमहोदधितित्थं ॥ १२ ॥ तित्थकरेहि सुदेसियमग्गं, नरयतिरिच्छविवज्जियमग्गं । सव्वपवित्तिसुनिम्मियसारं, सिद्धिविमाणअवंगुयदारं ॥ १३ ॥ देवनरिंदनमंसियपूयं सव्वजगुत्तममंगलमग्गं । दुद्धरिसं गुणनायकमेक्कं, मोक्खपहस्स वडिंसकभूयं || १४ || जेण सुद्धचरिएणं भवइ सुबंभणो सुसमणो सुसाहू सुइसी सुमुणी सुसंजए, स एव भिक्खू जो सुद्धं चरति बंभचेरं, इमं च रतिरागदोसमोहपवड्ढणकरं किं मज्झ ( ज्ज) पमायदो सपासत्थसीलकरणं अब्भंगराणियते ल्लमज्जणाणिय अभिक्खणं कक्खासीकरचरणवदणधो वणसं वाहण गायकम्मपरिमद्दणाणुलेवणचुन्नावासधूवणसरीरपरिमंडणवाउसियहसियभणियन ट्टगीयवाइयनडनट्टकज-ल्लमल्लपेच्छणवेलंबकज्जाणिय सिंगारागाराणि (प्र० रकारणाणि) य अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजमबंभचेरघातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं वज्जेयव्वाइं सव्वकालं, भावेयव्वो भवइ य अंतरप्पा इमेहिं तवनियमसीलजोगेहिं निच्चकालं, किं ते ?- अण्हाणअदंतधावणसेयमलजल्लधारणं मूणवयकेसलोयखमदमअचलगखुप्पिवासलाघवसीतो- सिणकद्वसेज्जाभूमि निसेज्जापरघरपवेसलद्धावलद्धमाणावमाणनिंदणदंसमसगफासनियमत-वगुणविणयमादिएहिं जहा से थिरतरकं होइ बंभचेरं, इमं च अबंभचेरविरमणपरिरक्खणट्टयाए पावणं भगवया सुकहियं अत्तहित्तं पेच्चाभाविकं आगमेसिभद्दं सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विउसवणं, तस्स इमा पंच भावणाओ चउत्थवयस्स 5 श्री आगमगणमंजुषा - ७५२ 55556 Xx Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पण्डावागरणं बीओ सूयवखंधो अ. ४ संवरदाराई (२१) ततीयं नारीण होति अबंभचेरवेरमणपरिरक्खणट्टयाए, पढमं सयणासणघरदुवारअंगण आगासगवक्खसाल अभिलोयणपच्छवत्थुकपसाहणकण्हाणिकावकासा अवकासा जे य वेसियाणं अच्छंति य जत्थ इत्थिकाओ अभिक्खणं मोहदोसरतिरागवड्ढणीओ कहिति य कहाओ बहुविहाओ तेऽवि हु वज्जणिज्जा इत्थीसंसत्तसंकिलिट्ठा अन्नेविय एवमादी अवकासा ते हु वज्जणिज्जा जत्थ मणोविन्भमो वा भंगो वा भस्सणा वा अहं रुदं च हुज्ज झाणं तं तं वज्जेज्ज वज्जभीरू अणायतणं अंतपंतवली एवमसंपत्तवासवसही समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितिदिए बंभचेरगुत्ते, बितियं नारीजणस्स मज्झे न कहेयव्वा कहा विचित्ता विब्बोयविलाससंपउत्ता हाससिंगारलोइयकहव्व अणायतणं अन्तपन्तवासी एवमसंसत्तवासवसधी मोहजणणी न आवाहविवाहवरकहाविव इत्थीणं वा सुभगभगकहा चउसट्ठि च महिलागुणा न वन्नदेसजातिकुलरूवनामनेवत्थपरिजणकहा इत्थियाणं अन्नावि य एवमादियाओ कहाओ सिंगारकलणाओ तवसंजमबंभचेरघातोवघातियाओ अणुचरमाणेणं बंभचेरं न कहेयव्वा न सुणयव्वा न चिंतेयव्वा, एवं इत्थीकहविरतिसमितिजोगेणं भावितो भवति अंतरप्पा आरत मणविरयगामधम्मे जिति दिए बंभचेरगुत्ते, हसितभणितचेट्टियविप्पे क्खितगइविलासक लियं विब्वोतियनट्टगीतवातियसरीरसंठाणवन्नकरचरणनयणलाववन्नरूवजोव्वणपयोहराधरवत्थालंकारभूसणाणि य गुज्झोवकासियाई अन्नाणि य एवमादियाई तवसंजमबंभचेरघातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं न चक्खुसा न मणसा न वयसा पत्थेयव्वाइं पावकम्माई, एवं इत्थीरूवरितिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितिदिए बंभचेरगुत्ते, चउत्थं पुव्वरयपुव्वकीलियपुव्वसंगंथगंथसंथुया जे ते आवाहविवाह चोल्लकेसु य तिथिसु जन्नेसु उस्सवेसु सिंगारागार चारुवे साहिं हावभाव पललियविक्खे वविलाससालिणीहिं अणुकूलपेम्मिकाहिं सद्धिं अणुभूया सयणसंपओगा उदुसुहवरकुसुमसुरभिचंदणसुगंधिवरवासधू वसु हफ रिसवत्थभूसणगुणोववेया रमणिज्जाउज्जगे वपउरा नडनट्टगजल्लमल्लमुट्ठिकवेलंबगकहगपवगलासगआइक्खगलंखलंखमंखतूणइल्लतुंबवी- णियतालायरपकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सराई अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजमबं भचे रघातो वघातियाइं अणुचरमाणेणं बंभचेरं न तातिं समणेणं लब्भा दट्टु न कहेउ नवि सुमरिउ जे, एवं पुव्वरयपुव्वकीलियविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरयमणविरतगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते, पंचमगं आहारपणीयनिद्धभोयणविवज्जते संज सुसाहू ववगय खीरदहिसप्पिनवनीयतेल्लगुलखंडमच्छंडिकममहुमज्जामांसखज्जकज्जविगतिपरिचत्तकयाहारे ण दप्पणं न बहुसो न नितिकं न सायसूपाहिकं न खद्धं तहा भोत्तव्वं जह से जायामाता य भवति, न य भवति विब्भमो न भंसणा य धम्मस्स, एवं पणीयाहारविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरयमणविरतगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते, एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुपणिहितं इमेहिं पञ्चहिवि कारणेहिं मणवयणकायपरिरक्खिएहिं णिच्चं. आमरणतं च एसो जोगो णेयव्वो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिदो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नातो, एवं चउत्थं संवरदारं फासिय पालितं सोहितं तीरितं किहितं आणाए अणुपालियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धवरसासणमिणं सिद्धं आघवियं सुदेसितं पसत्थं, ★★★ चउत्थं संवरदारं समत्तंतिबेमि । २७ । द्वारं ४ (९) ॥ जंबू ! ★★★ अपरिग्गहसंवुडे य समणे आरंभपरिग्गहातो विरते विरते कोमाणमायालोभाएगे असंजमे दो चेव रागदोसा तिन्नि य दंडगारवा य गुत्तीओ तिन्नि तिन्नि य विराहणाओ चत्तारि कसाया झाणासन्नाविकहा चउरो पंच य किरियाओ समिति इंदियमहव्वयाइं च छ जीवनिकाया छच्च लेसाओ सत्त भया अट्ठ य मया नव चेव य बंभचेरवयगुत्ती दसप्पकारे य समणधम्मे एक्कारस य उवासकाणं बारस य भिक्खूणं पडिमा किरियठाणा य भूयगामा परमाधम्मिया गाहासोलसया असंजम अबंभणाअसमाहिठाणा सबला परिसहा सूयगडज्झयणदेवभावणउद्देसगुणपकप्पपावसुतमोहणिज्जे सिद्धानिगुणा य जोगसंगहे तित्तीसा आसातणा सुरिंदा आदिं एक्कातियं करेत्ता एक्कत्तरियाए कड्ढीए तीसती जाव उभवे तिकाहिका विरतीपणिही अविरतीसु य एक्भादिसु बहूस ठाणेसु जिणपसत्थेसु अवितहेसु सासयभावेसु अवट्ठिएस संकं कखं निराकरेत्ता Education International 2010 03 ..For Private & Bersonal Use Only 11 फफफफफफफफफफफफ श्री आ. गणमंजपा ०५३ फफफफफफफफफफफफ **** य ॐॐॐॐॐॐॐॐ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PIO-955555555555555 (१०) पण्हावागरणं बीआ सुयक्खंधो . अ. संवरदाराई [२२] 155555555555#Frexo 5555555Femory 乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听圳乐乐明听听听听听听听得 सद्दहते सासणं भगवतो अणियाणे अगारवे अलुद्धे अमूढमणवयणकायगुत्ते । २८ । जो सो वीरवरवयणविरतिपवित्थरबहुविहप्पकारो सम्मत्तविसुद्धमूलो धितिकंदो विणयवेतितो निग्गततिलोक्कविपुलजसनिविड(प्र० चित)पीणपवरसुजातखंधो पंचमहव्वयविसालसालो भावणतयंतज्झाणसुभजोगनाणपल्लववरंकुरधरो बहुगुणकुसुमसमिद्धो सीलसुगंधो अणण्हवफलो पुणो (प्र० पुणोवि) य मोक्खवरबीजसारो मंदरगिरिसिहरचूलिका इव इमस्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स सिहरभूओ संवरवरपादपो चरिमं संवरदारं, जत्थ न कप्पइ गामागरनगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमगयं च किंचि अप्पं व बहुं व अणुं व थूलं व तसथावरकायदव्वजायं मणसावि परिघेत्तुंण हिरन्नसुवन्नखेत्तवत्थुन दासीदासभयकपेसहयगयगवेलगकंबलजाणजुग्गसयणासणाइण छत्तकं न कुंडितान उवाणहान पेहुणवीयणतालियंटका ण यावि अयतउयतंबसीसक- कं सरयतजातरूवमणिमुत्ताधारपुडकसंखदंतमणिसिंगसेल(लेस पा०)कायवरचेलचम्मपत्ताइं महरिहाइं परस्स अज्झोववायलोभजण(प्र० कर)णाई परियड्ढे उं गुणवओ न यावि पुप्फफलकं दमूलादियाई सणसत्तरसाइं सव्वधन्नाइं तीहिवि जोगेहिं परिघेत्तुं ओसहभेसज्जभोयणट्ठयाए संजएणं, किं कारणं ?, अपरिमितणाणदंसणधरेहिं सीलगुणवियणतवसंजमनाकेहिं तित्थयरेहिं सव्वजगज्जीववच्छलेहिं तिलोयमहिएहिं जिणवरिंदेहिं एस जोणी जंगमाणं दिट्ठा न कप्पइ जोणिसमुच्छे दोत्ति तेण वज्जति समणसीहा, जंपिय ओदणकुम्मासगंजतप्पण- (प्र० लगण)मंथुभुज्जियपललसूपसक्कुलिवेढिमव(प्र० वे)सरकचुन्नकोसगपिंडसिहरिणिवट्टमोयगखीरदहिसप्पिनवनीततेल्लगुलखंडमच्छंडियमधुमज्जगंसखज्जकवंजणाविधिमादिकं पणीयं उवस्सए परघरे व रन्ने न कप्पती तंपि सन्निहिं काउं सुविहियाणं, जंपिय उद्दिठ्ठठवियरचियगपज्जवजातं पकिण्णपाउकरणपामिच्वं मीसकजायं कीयकडपाहुडं च दाणट्ठपुन्नपगडं समणवणीमगट्ठयाए व कयं पच्छाकम्मं पुरेकम्मं निच्चकम्मं मक्खियं अतिरित्तं मोहरं चेव सयग्गहमाहडं मट्टिओवलितं अच्छेज्जं चेव अणीसटुं जं तं तिहिसु जन्नेसु ऊसवेसु य अंतो व बहिं व होज्ज समणट्ठयाए ठवियं हिंसासावज्जसंपउत्तं न कप्पती तंपिय परिघेत्तुं, अह केरिसयं पुणाइ कप्पति ?, जं तं एक्कारसपिंडवायसुद्धं किणणहणणपयणकयकारियाणुमोयणनवकोडीहिं सुपरिसुद्धं दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्कं उग्गमउप्पायणेसणाए सुद्धं ववगयचुयचवियचत्तदेहं फासुयं ववगयसंजोगमणिंगालं विगयधूम छट्ठाणनिमित्तं छक्कायपरिरक्खणट्ठा हणि २ फासुकेण भिक्खेण वट्टियव्वं, जंपिय समणस्स सुविहियस्स उ रोगायंके बहुप्पकारंमि समुप्पने वाताहिकपित्तसिंभअतिरित्तकविय तह सन्निवातजाते व उदयपत्ते उज्जलबलविउलतिउलकक्खडपगाढदुक्खे असुभकडयफरुसे चंडफलविवागे महब्मए जीवियतकरणे सव्वसरीरपरितावणकरे न कप्पती तारिसेवि तह अप्पणो परस्स वा ओसहभेसज्ज भत्तपाणं च तंपि संनिहिकयं, जंपिय समणस्स सुविहियस्स तु पडिग्गहधारिस्स भवति भायणभंडोवहिउवकरणं पादबंधणं पादकेसरिया पादठवणं च पडलाई तिन्नेव रयत्ताणं च गोच्छओ तिन्नेव य पच्छाका रयोहरणचोलपट्टकमुहणंतकमादीयं एयंपिय संजमस्स उववूहणट्ठयाए बायायवदसमगसीयपरिक्खणट्ठयाए उवगरणं रागदोसरहियं परिहरियव्वं संजएणं णिच्चं पडिलेहणपप्फोडणपमज्जणाए अहो य राओ य अप्पमत्तेण होइ सततं निक्खिवियव्वं च गिण्हियव्वं च भायणभंडोवहिउवकरणं, एवं से संजते विमुत्ते निस्संगे निप्परिग्गहरुई निम्ममे निन्नेहबंधणे सव्वपावविरते वरसीचंदणसमाणकप्पे समतिमणिमुत्तालेटकंचणे मे य माणावमाणणाए समियरते समितरागदोसे समिए समितीसु सम्मद्दिट्टी समे यजे सव्वपाणभूतेसु ससे हुसमणे सुयधारते उज्जुते संजते स साहू सरणं सव्वभूयाणं सव्वजगवच्छले सच्चभासके य संसारंतट्ठिते य संसारसमुच्छिन्ने सततं मरणाणुपारते पारगे य सव्वेसिं संसयाणं पवयणमायाहिं अट्ठहिं अट्ठकम्मगंठीविमोयके अट्ठमयमहणे ससमयकुसले य भवति सुहदुक्खनिव्विसेसे अब्भितरबाहिरंमि सया तवोवहाणंमि य सुट्ठज्जुते खंते दंते य हिय(धिति पा०)निरते ईरियासमिते भासासमिते एसणासमिते आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिते उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणियासमिते मणगुत्ते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी चाई लज्जू धन्ने तवस्सी खंतिमगे जितिदिए सोधिए अणियाणे अबहिल्लेस्से अममे अकिंचणे छिन्नगंथे (सोए पा०) निरुवलेवे सुविमलवरकंसभायणंव मुक्कतोए संखेविव निरंजणे विगयरागदोसमोहे कुम्मोइव इंदिएसु गुत्ते जच्चकंचणगंव जायसवे पोक्खरपत्तंव निरुवलेवे चंदो इव सोमत्ताए (भावयाए पा०) सुरोव्व दित्ततेए अचले जह मंदरे ॥ गिरिवरे अक्खोभे सागरोव्व थिमिए पुढवीव सव्वफाससहे तवसा च्चिय(प्र० इव)भासरासिछन्निव्व जाततेए जलिययासणोविव तेयसा जलंते गोसीसचंदणंपिवही 5 955555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७५४ 555555555555555555555OK 乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听FO Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०)बीओ सुक्यो -अ. मंबरवारा [२३] ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ सीले सुमचे व हरएविक्समियतावे उग्घोसियसुनिम्मलंव आयंसमंडलतलंव पागडभावेण सुद्धभावे सोंडीरे कुंजरोव्व वसभेव्व जायथामे सीहेवा जहा माहि झेति दुप्पधरिसे सारयसलिलंव सुद्धहिययेभारंडे चेव अप्पमत्ते खग्गिविसाणंव एगजाते खाणुं चेव उड्ढकाए सुन्नगारेब्व अप्पडिकम्मे सुन्नागारावणस्संतो निवायसरणप्पदीपज्झाणमिव निप्पकंपे जहा खुरो चेव एगधारे जहा अही चेव एगदिट्ठी आगासं चेव निरालंबे विहगेविव सव्वओ विप्पमुक्के कयपरनिलए जहा चेव उरए अप्पडिबद्धे अनिलोव्व जीवोज्ञ अप्पडिहयगती गामे एकरायं नगरे य पंचरायं ० दूइज्जंते य जितिंदिए जितपरीसहे निब्भओ विऊ (सुद्धो पा० ) सच्चित्ताचित्तमीसकेहिं दव्वेहिं विरायं गते संचयातो विरए मुत्ते लहुके निरवकंखे जीवियमरणासभयविप्पमुक्के निस्संधिं निव्वणं चरित्तं धीरे कारण फासयंते सततं अज्झप्पज्झाणजुत्ते निहुए एगे चरेज्न धम्मं, इमं च परिग्गहवेरमणपरिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभाविकं आगमेसिभद्दं सुद्ध नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विओसमणं, तस्स इमा पंच भावणाओ चरिमस्स वयस्स होति परिग्गहवेरमणरक्खणट्टयाए- पढमं सोइदिएण सोच्चा सद्दा मणुन्नभद्दगाइ, किं ते ?, वरमुरयमुइंगपणवददुरकच्छभिवीणाविपंचीवल्लयिवद्धीसक सुघोसनंदिसुसरपरिवादिणि वंसतूणकपव्वकतंतीतलतालतुडियनिग्घोसगीयवाइयाइं नडनट्टकजल्लमल्लमुट्ठिकवेलंबक कहकपवकलासगआइक्खकलंखमंखतूण- इल्लतुं बवीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सरातिं कंचीमेहलाकलावयत्तरकपहेरकपायजालगघंटियखिखिणिरयणोरूजालियछुद्दियनेउ-रचलणमालियकणगनियलजालभूसणसद्दाणि लीलाचंकम्ममाणाणुदीरियाई तरूणीजणहसियभत्रणियकलरिभितमंजुलाई गुणवयणाणि व बहूणि महुरजणभासियाइं अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु मणन्नभद्दएसु णं तेसु समणेणं सज्जियव्वं न रज्जियव्वं न गिज्झियव्वं न मुज्झियव्वं न विनिग्घायं आवज्जियव्वं न लुभियव्वं न तुसियव्वं न हसियव्वं न स च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि सोइंदिएण सोच्चा सद्दाई अमणुन्नपावकाई, किं ते ?, अक्कोसफ रूसखिसणअवमाणणतज्जणनिब्भं छणदित्तवयणता-सणउक्कूजियरून्नरडियकंदियनिग्घुट्ठरसियकलुणविलवियाई अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु अमणुण्णपावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं न हीलियव्वं न निंदियव्वं न खिंसियव्वं न छिंदियव्वं न भिंदियव्वं नवहेयव्वं न दुगुंछावत्तियाए लब्भा उप्पाएउं, एवं सोतिंदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा मणुन्नामणुन्नसुब्भिदुब्भिरागदोसप्पणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवुडे पणिहितिदिए चरेज्जं धम्मं, बितियं चक्खिदिएणं पासिय रुवाणि मणुन्नाई भद्दकाई सचित्ताचित्तमीसकाई कट्ठे पोत्थे य चित्तकम्मे लेप्पकम्मे सेले य दंतकम्मे य पंचहिं वण्णेहिं अणेगसंठाणसंथियाई गंठिमवेढिमपूरिमसंघातिमाणि य मल्लाई बहुविहाणि य अहियं नयणमणसुहकराई वणसंडे पव्वते य गामागरनगराणि य खुद्दियपुक्खरिणिवावीदीहियगुंजालियसररपंतियसागरबिलपंतियखादियनदीसरतलागवप्पिणीफुल्लुप्पलपउमसंडपरिमंडियाभिरामे अणेगसउणगणमिहुणविचरिए वरमंडवविविहभवणतोरणचेतियदेवकुलसभप्पवावहसुकयसयणासणसीयरहसयडजाणजुग्गसंदणनरनारीगणे य सोमपडिरूवदरिसणिज्जे अलंकितविभूसिते पुव्वक यतवप्पभावसो हग्गसंपउत्ते नडनट्टगजल्लमल्लमुट्ठियवेलंगबगकहगपगलासगआइक्खगलंखमंखतूणइल्लतुंबवीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि सुकरणाणि अन्नेसु य एवमादिएसु रूवेसु मन्नभद्दसु न तेसु समणेणं सज्जियव्वं न रज्जियव्वं जाव न सई च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि चक्खिदिएण पासिय रूवाइं अमणुन्नपावकाई, किं ते ?, गंडिकोढिककुणिउदरिकच्छुल्लपइल्लकुज्जपंगुलवामणअंधिल्लगएगचक्खुविणिहय ( पीढ) सप्पिसल्लगवाहिरोपीलियं विगयाणि य मयककलेवराणि सकिमिणकुहियं च दव्वरासिं अन्नेसु य एवमादिएसु अमणुन्नपावतेसु न तेसु समणेणं रूसियव्वं जाव न दुगंछावत्तियावि लब्भा उप्पातेउं एवं चक्खिदियभावणाभावितो भवति अंतरप्प जाव चरेज्ज धम्मं, ततियं घाणिदिएणं अग्घाइय गंधातिं मणुन्नभद्दगाइ, किं ते ?, जलयथलयसरसपुप्फफलपाणभोयणकुट्ठतगरपत्तचोददमणकमख्य एलारसपिक्कमंसिगोसीससरसचंदणकप्पूरलवंग अगरकुंकुमकक्कोलउसीरसेयचंदणसुगन्धसारंगजुत्तिवरधूवववासे उउयपिंडिमणिहारिमगंधिएस अन्नेसु य एवमादिसुगंधेसु मणुन्नभद्दएस न तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव न सतिं च महं च तत्थ कुज्जा, पुणरवि घाणिदिएण अग्घातिय गंधाणि अमणुन्नपावकाई, किं ते ?, श्री आगमगुणमंजूषा ७५५ TRO LA LA LA JIA US $$$$$$乐乐五 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1595555555555555 (10) पहाबागरणं बीआ सुयक्खंधो. अ. 5 संवरदाराई [4] 5555555555555520 P अहिमडअस्समडहत्थिमडगोमडविगसुणगसियालमणुयमज्जारसीहदीवियमयकुहियविणट्ठकिविणबहुदुरभिंगंधेसु अन्नेसु य एवमादिएसु गंधेसु अमणुन्नपावएसु न फ तेसु समणेण रूसियव्वं जाव पणिहियपंचिदिएचरेज्ज धम्म, चउत्थं जिभिदिएण साइय रसाणि उ मणुन्नभद्दकाई, किं ते ?, उग्गाहिमविविहपाणभोयणगुलक यखंड क यतेल्लघयक यमक्खे सु बहुविहेसु लवणरससंजुत्तेसु महुमं सबहुप्पगारमज्जियनिट्ठाणगदालियंबसेहबुदुद्धदहिसरयवज्जवरवारूणीसीहुकाविसायणसायट्ठारसबहुप्पगारेसु भोयणेसु य मणुन्नवन्नगंधरसफासबहुदव्वसंभितेसु अन्नेसु य एवमादिएसु रसेसु मणुन्नभद्दएसु न तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव न सइं च मतिं च तत्थ कुज्जा, पुणरवि जिब्भिदिएण सायिय रसातिं अमणुन्नपावगाई, किं ते ?, अरसविरससीयलुक्खणिज्जप्पपाणभोयणाई दोसीणवावन्नकुहियपूइयअमणुन्नविणट्ठपसूयबहुदुब्भिगंधियाइं तित्तकडुयकसायअंबिलरसलिंडनीरसाइं अन्नेसु य एवमातिएसु रसेसु अमणुन्नपावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं जाव चरेज्न धम्म, पंचमगं फासिदिएण फासिय फासाइं मणुन्नभद्दकाइं, किं ते ?, दगमंडवहारसेयचंदणसीयलविमलजलविविहकुसुमसत्थरओसीरमुत्तियमुणालदोसिणापेहुणउक्खेवगतालियंटवीयणगजणियसुहसीयले य पवणे गिम्हकाले सुहफासाणि य बहूणि सयणाणि य पाउरणगुणे य सिसिरकाले अंगारपतावणा य आयवनिद्धउसीयउसिणलहुया य जे उदुसुहफासा अंगसुहनिव्वइकरा ते अन्नेसु य एवमादितेसु गिज्झियव्वं न फासेसु मणुन्नमद्दएसुन तेसु समणेण सज्जियव्वं न रज्जियव्वं न मुज्झियव्वं न मुच्छियव्वं न विणिग्यायं आवज्जियव्वं न लुभियव्वं न अज्झोववज्जियव्वं न तूतियव्वं न हसियव्वं न सतिं च मतिं च तत्थ कुज्जा, पुणरवि फासिदिएण फासिय फासातिं अमणुन्नपावकाइं. किं ते ?. अणेगवधबंधतालणतज्जणअतिभारारोवणए अंगभंजणसूतीनखप्पवेसगायपच्छायणलक्खारसखारतेल्लकलकलंततउअसीसककाललोहसिंचणहडिबंधरज्जुनिगलसंकलहत्थंडुयकुंभिपाकदहणसीहपुच्छण- उब्बंधणसूलभेयगयचलणमलणकरचरणकन्ननासोट्ठसीसछे यणजिब्भंछणवसणनयणहिययदंतभंजणजोत्तलयक सप्पहारपादपण्हिजाणुपत्थरनिवायपीलणकविच्छु अगाणि विच्छु यडक्कवायातवदंसमसक निवाते दुट्ठणिसेज्जणिसी हियदुब्भिकक्खडगुरूसीयउसिणलुक्खेसुबहुविहेसु अन्नेसुय एवमाइएसु फासेसु अमणुन्नपावकेसुन तेसु समणेण रूसियव्वं न हीलियव्व न निदियव्व न गरहियव्वं मन खिसियव्वं न छिदियव्वं न भिदियव्वं न वहेयव्वं न दुगुंछावत्तियं च लब्भा उप्पाएउं, एवं फासिंदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा अमणुन्नामणुन्नसुब्भिअसुब्भिरागदोसपणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवुडे पणिहितिदिए चरिज्ज धम्मं / एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहिमणवयकायपरिरक्खिएहिं निच्चं आमरणंतं च एस जोगो नेयव्वो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणमणुन्नातो. एवं पंचमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं आणाए आराहियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्थं / *** पंचमं संवरदारं समत्तंतिबेमि // द्वारं 5 (10) // एयातिं वयाई पंचवि सुव्वयमहव्वयाइं हे उसयविचित्तपुक्खलाई कहियाइं अरिहंतसासणे पंच समाणेण संवरा वित्थरेण उ पणवीसतिसमियसहियसंवुडे सया जयणघडणसुविसुद्धदसणे एए अणुचरिय संजते चरमसरीरधरे भविस्सतीति / 29 / पण्हावागरणे णं एगो सुयक्खंधो दस अज्झयणा एक्कसरगा दससुचेव दिवसेसु म उद्दिसिज्जंति एगंतरेसु आयंबिलेसु निरूद्धेसु आउत्तभत्तपाणएणं अंगं जहा आयारस्स।३०|| KOK95555555555555555555555555555555555555555555555550: OS GO乐乐乐与乐乐乐乐乐所乐乐乐听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2GB ---For-PawatestosoneLLIA-Only