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श्री समवायांग सूत्र
॥ श्री आगम-गुण- मञ्जूषा ॥ ।। श्री भागम-गुण-मंभूषा ।।
II Sri Agama Guna Manjusa II (सचित्र)
प्रेरक-संपादक
अचलगच्छाधिपति प.पू. आ. भ. स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा.
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HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE
| ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय |
११ अंगसूत्र
के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है
। इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग,
श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको
शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के
छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है।
है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८०
श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का
अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है।
करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला
यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है।
में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया
इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी
मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक
११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण
सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है।
धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२
१२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान
१) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते
का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के
७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है।
श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड
अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको
से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory
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२) त्रास
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KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के
दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि
श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह
के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन
श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है।
और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र :
श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००,
भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग
६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप
है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है।
श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का
समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे
इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है।
ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है।
८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका
में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे
अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है।
१०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम
आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है।
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१०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए
जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है।
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N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा
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१०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है।
३)
उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं।
श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं।
छह छेद सूत्र
श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं :
(१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण
(५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण
(१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र
(५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल
आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर
जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है।
दो चूलिकाए
१)
श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है।
चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है।
श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय
यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है।
॥ इति शम्॥
श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं।
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Introduction 45 Agamas, a short sketch
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It is of the size of around 800 Ślokas.
(8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas.
I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas.
(2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas.
(3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas.
(5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas.
(6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas.
SEVEN A
(7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of
10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct.
(10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas.
(11)
II Twelve Upangas
(1)
Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas.
(2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas.
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(3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha.
deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved).
Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000
(2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas.
(4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and
(4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons,
householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas.
(5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas.
religious life. Nirayávali-pacaka :
(6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death.
the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age.
religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death.
Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others.
monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations.
topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya.
on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others.
Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra
Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās.
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(1)
(2)
IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra.
These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows.
The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master.
VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas.
Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion.
*
It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements.
It is of the size of 2000 ślokas.
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V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the
monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four
Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord
Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of
monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour,
etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc.
Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana.
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© સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ
અન્યનામ :- સમાય.
શ્રુતસ્કંધ
અધ્યયન
ઉદ્દેશક
પ
ઉપલબ્ધ પાઠ
ગદ્યસૂત્ર
પદ્યસૂત્ર
આગમ - ૪
દ્રવ્યાનુયોગ પ્રધાન સમવાયાંગ સૂત્ર – ૪
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શ્લોક પ્રમાણ
૧) સમવાયમાં આત્મા – અનાત્મા, દંડ- અદંડ, ક્રિયા- અક્રિયા, લોક- અલોક, ધર્મઅધર્મ, પુણ્ય- પાપ, બંધ-મોક્ષ, આશ્રવ સંવર, વેઠના - નિર્જરા અને અંતે કેટલાક ભવ્ય જીવો એક ભવ પછી મુક્તિ પામે છે તેનું વર્ણન છે.
૨) સમવાયમાં બે દંડ, બે રાશિ, બે બંધન વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે બે ભવમાંથી મુક્તિની
વાત કરી છે.
૩) સમવાયમાં ત્રણ દંડ, ત્રણ ગુપ્તિ, ત્રણ શલ્ય, ત્રણ ગારવ,ત્રણ વિરાધના વગેરેનું વર્ણન કરી ત્રણ ભવથી મુક્તિનું વર્ણન છે.
૪) સમવાયમાં ચાર કષાય તેમજ ધ્યાન, ક્રિયા, સંજ્ઞા, બંધ, યોજનનું પરિમાણ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે ચાર ભવથી મુક્તિની વાત કરી છે.
૫) સમવાયમાં પાંચ ક્રિયા, મહાવ્રત, કામગુણ, આશ્રવદ્વાર, સંવરદ્વાર, નિર્જરાસ્થાન, સમિતિ, અસ્તિકાય વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે પાંચ ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૬) સમવાયમાંછ લેશ્યા, છ જીવનિકાય, બાહ્ય તપ, આત્યંતર તપ, છાદ્મસ્થિક સમુદ્દાત અને અર્થાવગ્રહનું વર્ણન અને પછી બીજા છ – છ પ્રકારનું વર્ણન કરી અંતે છ ભવની મુક્તિવાળાની વાત જણાવી છે.
૭) સમવાયમાં ભયસ્થાન, સમુદ્ધાત, મહાવીર ભગવાનની ઊંચાઈ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે સાત ભવથી મુક્તિની વાત કરી છે.
૮) સમવાયમાં મઠસ્થાન, આઠ પ્રવચનમાતા વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન કરી આઠ ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
શર્મા
૯) સમવાયમાં બ્રહ્મચર્ય ગુપ્તિ, બ્રહ્મચર્ય અગુપ્તિ, ભગવાન પાર્શ્વનાથની ઊંચાઈ વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન કરી અંતે નવ ભવથી મુક્તિની વાત કરી છે.
૧૦) સમવાયમાં શ્રમણધર્મ, ચિત્તસમાધિસ્થાન વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન કરી દસ ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૧૧) સમવાયમાં ઉપાસક પરિમા, ભગવાન મહાવીરના અગિયાર ગણધરો અને અંતે અગિયાર ભવથી મુક્તિની વાત છે.
૧૨) સમવાયમાં ભિક્ષુપ્રતિમા, વંદનના આવર્ત, જઘન્ય દિવસ-રાત્રિના અહોમુહૂર્ત અને અંતે બાર ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૧૩) સમવાયમાં ક્રિયાસ્થાન, સૂર્યમંડલનું પરિમાણ અને અંતે તેર ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૧૪) સમવાયમાં ભૂતગ્રામ, પૂર્વગુણસ્થાન, ચક્રવર્તીના રત્ન, ભગવાન મહાવીરની ઉત્કૃષ્ટ સંપદા અને અંતે ચૌદ ભવથી મુક્તિની વાત કરી છે.
૧૫) સમવાયમાં પરમાધાર્મિક દેવ, ભગવાન નેમિનાથની ઊંચાઈ, વિદ્યાપ્રવાદપૂર્વનું વસ્તુ, સંજ્ઞી મનુષ્યમાં યોગ અને અંતે પંદર ભવથી મુક્તિની વાત છે. ૧૬) સમવાયમાં સૂત્રકૃતાંગના સોળ અધ્યયનની ગાથાઓ, કષાયના ભેદ, મેરુ પર્વતના
નામ અને અંતે સોળ ભવથી મોક્ષે જનારની વાત છે.
૧૭) સમવાયમાં સત્તર પ્રકારના અસંયમ-સંયમ અને અંતે સત્તર ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૧૮) સમવાયમાં બ્રહ્મચર્ય, ભગવાન નેમિનાથની ઉત્કૃષ્ટ સંપદા, બ્રાહ્મી લિપિના અઢાર પ્રકાર અને અંતે અઢાર ભવથી મુક્તિની વાત કરી છે.
૧૯) સમવાયમાં જ્ઞાતા ધર્મકથા, પ્રથમ શ્રુતસ્કંધના અધ્યયન અને અંતે ઓગણીસમા ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૨૦) સમવાયમાં અસમાધિસ્થાન, ભગવાન મુનિસુવ્રત સ્વામીની ઊંચાઈ અને અંતે વીસ ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૨૧) સમવાયમાં સબલ દોષ અને અંતે એકવીસમા ભવે મુક્તિ થવાની વાત છે. ૨૨) સમવાયમાં પરી, દષ્ટિવાદની વિગતો, પુદ્ગલના પ્રકાર અને અંતે બાવીસ ભવથી મુક્તિની વાત કરી છે.
૨૩) સમવાયમાં સૂત્રકૃતાંગના બે શ્રુતસ્કંધોના અધ્યયન અને અંતે તેવીસ ભવથી મુક્તિ
જવાની વાત જણાવી છે.
૨૪) સમવાયમાં ચોવીસ તીર્થંકર તેમજ ગંગા, સિંધુ, રક્તા, રક્તવતી વગેરે નદીઓના પ્રવાહ, વિસ્તાર અને અંતે ચોવીસ ભવે સિદ્ધ થનારની વાત છે.
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श्री आगमगुणमंजूषा ९
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સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ ૨૫) સમવાયમાં પાંચ મહાવ્રતની ભાવના, ભગવાન મલ્લિનાથની ઊંચાઈ અને અંતે પચીસમા ભવથી મુક્ત થનારની વાત જણાવી છે.
૨૬)સમવાયમાં દશ શ્રુતસ્કંધ, બૃહત્કલ્પ અને વ્યવહારના ઉદ્દેશકોની સંપદા અને અંતે છવીસ ભવથી મુક્તિએ જનારની વાત છે.
૨૭) સમવાયમાં અણગાર ગુણો વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે સત્તાવીસ ભવથી મુક્તિની વાત જણાવી છે.
૨૮) સમવાયમાં આચાર પ્રકલ્પ, મૌનની પ્રકૃતિઓ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે અઠાવીસ ભવે મુક્તિએ જનારની વાત કરી છે.
૨૯) સમવાયમાં પાપશ્રુત, જુદા-જુદા માસના દિવસ-રાત, ચંદ્ર, દિવસના મુહૂર્ત વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે ઓગણત્રીસ ભવથી મુક્ત થનારની વાત છે. ૩૦) સમવાયમાં મોહનીયના સ્થાન, ત્રીસ મુહૂર્તોનાં નામ વગેરે વર્ણન કરી ત્રીસ ભવથી મુક્ત થનારની વાત કરી છે.
૩૧) સમવાયમાં સિદ્ધોના ગુણ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે એકત્રીસ ભવથી મુક્ત થનારની વાત જણાવી છે.
૩૨) સમવાયમાં યોગસંગ્રહ, દેવેન્દ્ર વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે બત્રીસ ભવથી મુક્ત થનારની
વાત કરી છે.
૩૩)સમવાયમાં અશાતના વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે સર્વાર્થસિદ્ધિવિમાનના દેવોના શ્વાસોચ્છ્વાસ, કાળ, આહાર, ઈચ્છા અંતે તેત્રીસ ભવથી મુક્તિ થનારની વાત જણાવી છે. ૩૪)સમવાયમાં તીર્થંકરના અતિશયો, ચક્રવર્તીના વિજયક્ષેત્રો વગેરેનું વર્ણન છે. ૩૫) સમવાયમાં સત્યવચનાતિ સય, ભગવાન કુંથુનાથ અને અરનાથની ઊંચાઈ વગેરેનું
વર્ણન છે.
૪૩) સમવાયમાં કર્મવિપાકના અધ્યયન વગેરે વર્ણિત છે. ૪૪) સમવાયમાં ઋષિ ભાષિત્તના અધ્યયન વગેરેનું વર્ણન છે. ૪૫) સમવાયમાં ભગવાન અરનાથની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણન છે. ૪૫) સમવાયમાં દષ્ટિવાદના માતૃકાપદ, બ્રાહ્મીલિપિના માતૃકાક્ષર વગેરેનું વર્ણન છે. ૪૭) સમવાયમાં સ્થવિર અગ્નિભૂતિના સહવાસ વગેરે વર્ણિત છે. ૪૮) સમવાયમાં ચક્રવર્તીના પ્રમુખ નગરો, ભગવાન ધર્મનાથના ગણધર વગેરેનું વર્ણન છે. ૪૯) સમવાયમાં ત્રિ-ઈન્દ્રિયોની સ્થિતિ વગેરે વર્ણિત છે. ૫૦)સમવાયમાં ભગવાન મુનિ સુવ્રતસ્વામીની શ્રમણી સંપદા વગેરેનું વર્ણન છે. ૫૧) સમવાયમાં આચારાંગ પ્રથમ શ્રુતસ્કંધ, અધ્યયનોના ઉદ્દેશક વગેરેનું વર્ણન છે. ૫૨) સમવાયમાં મોહનીય કર્મના નામ વગેરે વર્ણિત છે. ૫૩) સમવાયમાં દેવ, કુરુક્ષેત્રના જીવાનું આયામ તથા પાતાળ ક્લેશોની વાતો છે. ૫૪) સમવાયમાં ભરતક્ષેત્રમાં ઉત્સર્પિણી - અવસર્પિણીમાં થયેલા ઉત્તમ પુરુષો, અનંતનાથના ગણધર વગેરે વર્ણિત છે.
૫૫) સમવાયમાં ભગવાન મલ્લિનાથનું આયુષ્ય ભગવાન મહાવીરનું અંતિમ પ્રવચન વગેરે વર્ણિત છે.
૫૬) સમવાયમાં ભગવાન વિમલનાથના ગણ અને ગણધરનું વર્ણન છે. ૫૭) સમવાયમાં આચારાંગ (ચૂલિકા છોડીને) સૂત્રકૃતાંગ અને સ્થાનાંગના અધ્યયન વગેરેનું વર્ણન છે.
૫૮) સમવાયમાં પહેલા, બીજા અને પાંચમાં નરકના વાસનું વર્ણન છે. ૫૯) સમવાયમાં ચાંદ્ર સંવત્સરના દિવસ-રાત, ભગવાન સંભવનાથનો ગૃહવાસ વગેરે વર્ણિત છે.
૩૬) સમવાયમાં ઉત્તરાધ્યયનના અધ્યયન, મહાવીર ભગવાનની સંપદા વગેરે વર્ણન છે. ૬૦) સમવાયમાં એક મંડળમાં સૂર્યને રહેવાનો સમય, ભગવાન વિમલનાથની ઊંચાઈ
વગેરેનું વર્ણન છે.
૩૭) સમવાયમાં ભગવાન કુંથુનાથ અને અરનાથ ના ગણધર વગેરેનું વર્ણન છે. ૩૮) સમવાયમાં ભગવાન પાર્શ્વનાથની ઉત્કૃષ્ટ શ્રમણી સંપદા વગેરે વર્ણન છે. ૩૯) સમવાયમાં નેમિનાથના અવધિજ્ઞાની મુનિ અને સમયક્ષેત્રના ફુલ- પર્વત વગેરેનું
૬૧) સમવાયમાં યુગ, ઋતુ, માસ વગેરેનું વર્ણન છે.
વર્ણન છે.
૬૨) સમવાયમાં ભગવાન વાસુપૂજ્યના ગણ અને ગણધર, પાંચવર્ષીય યુગની પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા, શુક્લપક્ષ અને કૃષ્ણપક્ષ, ભાગ- હાનિ વગેરેનું વર્ણન છે. ૬૩)સમવાયમાં ભગવાન ઋષભદેવનો ગૃહવાસકાળ વગેરે વર્ણિત છે.
૪૦) સમવાયમાં ભગવાન અરિષ્ટનેમિની શ્રમણી સંપદા, ભગવાન શાંતિનાથની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણિત છે.
૬૪) સમવાયમાં અસુરકુમારોના ભુવન, ચક્રવર્તીના મુક્તાહારની સેરો વગેરેનું વર્ણન છે, ૬૫) સમવાયમાં જંબુદ્રીપના સૂર્યમંડળ વગેરે વર્ણિત છે.
૬૬) સમવાયમાં દક્ષિણઅર્ધ મનુષ્ય ક્ષેત્રના સૂર્ય- ચંદ્ર વગેરેનું વર્ણન છે.
૪૧) સમવાયમાં ભગવાન નેમિનાથની શ્રમણી સંપઠા વગેરેનું વર્ણન છે. ૪૨) સમવાયમાં ભગવાન મહાવીર સ્વામીનો શ્રમણ પર્યાય, નામ-કર્મની ઉત્તરપ્રક્રિયાઓ વગેરે વર્ણિત છે.
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SO明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听乐坂GO
%%%%%%%%%%% %% %%%% A1rcted au d %%%%%% %% %% %%%% % છે. ૬૭) સમવાયમાં પંચવર્ષીય યુગના નક્ષત્રવાસ વગેરે વર્ણિત છે.
૯૦) સમવાયમાં ભગવાન શીતલનાથની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણિત છે. ૬૮) સમવાયમાં ભગવાન વિમલનાથની શ્રમણી સંપદા વગેરેનું વર્ણન છે.
૯૧) સમવાયમાં વૈયાવૃત્ત પ્રતિમા, કાલોદધિ સમુદ્રની પરિધિ વગેરેનું વર્ણન છે. દ૯) સમવાયમાં મોહનીય સિવાયની સાત કર્મોની ઉત્તર પ્રવૃતિઓવર્ણિત છે.
૯૨) સમવાયમાં સર્વપ્રતિમા, સ્થવિર ઈન્દ્રભૂતિની આયુ વગેરેનું વર્ણન છે, ૭૦) સમવાયમાં ભગવાન મહાવીરના વર્ષાવાસના દિવસ-રાત, મોહનીય કર્મની ઉત્કૃષ્ટ ૯૩) સમવાયમાં ભગવાન ચંદ્રપ્રભુના ગણ અને ગણધર વગેરેનું વર્ણન છે. સ્થિતિ વગેરેનું વર્ણન છે.
૯૪) સમવાયમાં ભગવાન અજિતનાથના અવધિજ્ઞાની મુનિઓ, નિષધ પર્વતની જીવાનું ૭૧) સમવાયમાં વીર્યપ્રવાહના પ્રાભૃત, ભગવાન અજિતનાથ અને સગર ચક્રવર્તીનો આયામ વગેરે વર્ણિત છે. ગૃહસ્યકાળ વગેરે વર્ણિત છે.
૯૫) સમવાયમાં ભગવાન સુપાર્શ્વનાથના ગણ અને ગણધર સ્થવિર મૌર્યપુત્રની સર્વ ૭૨) સમવાયમાં સ્વર્ણકુમારના ભવન, ભગવાન મહાવીરનું આયુ વગેરે વર્ણિત છે. આયુ વગેરેનું વર્ણન છે. ૭૩) સમવાયમાં હરિવર્ષની જીવા વગેરેનું વર્ણન છે.
૯) સમવાયમાં ચક્રવર્તીનાગામ, વાયુકુમારના ભવન, દંડ ધનુષનું અંગુલ પ્રમાણ વગેરે ૭૪) સમવાયમાં સ્થવિર અગ્નિભૂતિનું આયુ વગેરે વર્ણિત છે.
વર્ણિત છે. ૭૫) સમવાયમાં ભગવાન સુવિધિનાથના સામાન્ય કેવલી, ભગવાન શીતલનાથ અને ૯૭) સમવાયમાં આઠ કર્મોની ઉત્તર પ્રવૃતિઓ વગેરેનું વર્ણન છે. ભગવાન શાંતિનાથના ગૃહવાસકાળ વગેરેનું વર્ણન છે.
૯૮) સમવાયમાં નંદનવનના ઉપરના ભાગથી પાંડુક્વનના અધોભાગનું અંતર વર્ણિત છે. ૭૬) સમવાયમાં વિદ્યુતકુમાર, દ્વીપકુમાર, દિશા, ઉદધિ, સ્વનિત, અગ્નિ વગેરે કુમારોના ૯૯) સમવાયમાં મેરુપર્વતની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણન છે. ભવનોનું વર્ણન છે.
૧૦૦) સમવાયમાં ભગવાન સુવિધિનાથની ઊંચાઈ, ભગવાન પાર્શ્વનાથનું આયુ વગેરે ૭૭) સમવાયમાં ભરત ચક્રવર્તીની કુમાર અવસ્થા વગેરે વર્ણિત છે.
વર્ણિત છે. ૭૮) સમવાયમાં સ્થવિર અકંપિતના આયુ વગેરેનું વર્ણન છે.
દોઢસોમાં સમવાયમાં ભગવાન ચંદ્રપ્રભુની ઊંચાઈ, આરજ, અમ્રુતકલ્પના ૭૯) સમવાયમાં જંબુદ્વીપમા પ્રત્યેક દ્વારનું અંતર વગેરેનું વર્ણન છે.
વિમાન વગેરેનું વર્ણન છે. ૮૦) સમવાયમાં ભગવાન શ્રેયાંસનાથની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણિત છે.
બસોમાં સમવાયમાં સુપાર્શ્વનાથની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણિત છે. ૮૧) સમવાયમાં નવ નવમીકા ભિક્ષુપ્રતિમાના દિવસ વગેરેનું વર્ણન છે.
અઢીસોમા સમવાયમાં ભગવાન પદ્મપ્રભુની ઊંચાઈ, અસુરકુમારોના પ્રાસાદોની ૮૨) સમવાયમાં જંબૂદીપના સૂર્યના મંડળ વગેરે વર્ણિત છે.
ઊંચાઈ વગેરે વર્ણિત છે. ૮૩) સમવાયમાં ભગવાન મહાવીરના ગર્ભહરણદિન વગેરેનું વર્ણન છે.
ત્રણસોમાં સમવાયમાં ભગવાન સુમતિનાથની ઊંચાઈ, ભગવાન મહાવીર ૮૪) સમવાયમાં ભગવાન ઋષભદેવ, ભગવાન શ્રેયાંસનાથ, ભરત, બાહુબલી, બ્રાહ્મી સ્વામીના ચૌદ પૂર્વીય મુનિ વગેરેનું વર્ણન છે. સુંદરીના સર્વ આયુનું વર્ણન અને અંતે સર્વ વિમાનોનું વર્ણન છે.
સાડી ત્રણસોમા સમવાયમાં ભગવાન પાર્શ્વનાથના ચૌદ પૂર્વધારી મુનિ, ભગવાન ૮૫) સમવાયમાં ચૂલિકા સહિત આચારાંગના ઉદ્દેશક વગેરે વર્ણિત છે.
અભિનંદનની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણન છે. ૮૬) સમવાયમાં ભગવાન સુવિધિનાથના ગણ-ગણધર, ભગવાન સુપાર્શ્વનાથના વાદી ચારસોમા સમવાયમાં ભગવાન સંભવનાથની ઊંચાઈ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે મુનિ વગેરેનું વર્ણન છે.
ભગવાન મહાવીરના ઉત્કૃષ્ટવાદી મુનિનું વર્ણન છે. ૮૭) સમવાયમાં મેરુપર્વતના પૂર્વભાગનો અંત અને ગોખંભ આવાસ પર્વતના પશ્ચિમ સાડી ચારસો માસમવાયમાં ભગવાન અજિતનાથની અને સગરચક્રવર્તીની ઊંચાઈ ભાગનો અંત- આ બે વચ્ચેનું અંતર વગેરે વર્ણિત છે.
વગેરેનું વર્ણન છે. - ૮૮) સમવાયમાં એક ચંદ્ર-સૂર્યના ગ્રહ, દષ્ટિવાદના સૂત્ર વગેરેનું વર્ણન છે,
પાંચસોમાં સમવાયમાં ભગવાન ઋષભદેવની, ભરત ચક્રવર્તીની તથા વિવિધ ૮૯) સમવાયમાં ભગવાન ઋષભદેવ અને ભગવાન મહાવીરના નિર્વાણકાળ વગેરે પર્વતોની ઊંચાઈ વગેરેનું વર્ણન છે.
વર્ણિત છે. CÉ ¥ÉÉÉ શ્રી મારામગુણમંજૂષા : ?? FFFF
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છસોમાસમવાયમાં ભગવાન પાર્શ્વનાથના આદિમુનિ, ભગવાન વાસુપૂજ્યની સાથે થયેલા દીક્ષિત મુનિઓ વગેરેનું વર્ણન છે.
સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ
વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન કરી, ચોવીસ તીર્થંકરો, બાર ચક્રવર્તીઓ, નવ બલદેવો, નવ વાસુદેવો, નવ પ્રતિવાસુદેવો વગેરેના માતાપિતા વગેરેની ગતિ- આગતિ, પૂર્વભવના ધર્માચાર્યો અને સાતસોમા સમવાયમાં ભગવાન મહાવીરના કેવલજ્ઞાની શિષ્યો અને ભગવાન અંતે નવ વાસુદેવોની નિદાન ભૂમિઓ અને નિદાનના કારણો જણાવી ઉપસંહારમાં અરિષ્ટનેમિનો કેવલી– પર્યાય વગેરે વર્ણિત છે.
સમવાયાંગમાં વર્ણિત વિષયો સંક્ષિપ્તમાં જણાવ્યા છે. આ રીતે સમવાયાંગ પૂર્ણ થાય છે.
આઠસોમા સમવાયમાં ભગવાન અરિષ્ટનેમિના ઉત્કૃષ્ટવાદી મુનિઓ તથા વિવિધ વિમાનોની ઊંચાઈનું વર્ણન છે.
નવસોમા સમવાયમાં વિવિધ વિમાનોની ઊંચાઈ વગેરે વર્ણન છે.
હજારમા સમવાયમાં સર્વ ત્રૈવેયક વિમાનોની ઊંચાઈ વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે પદ્મદ્રહ, પુંડરીક દ્રહના આયામની વાત કરી છે.
અગિયારસોમા સમવાયમાં ભગવાન પાર્શ્વનાથના વૈક્રિય લબ્ધિવાળા શિષ્યોનું વર્ણન છે.
બે હજારમા સમવાયમાં મહાપદ્મદ્રહ, મહાપુંડરીકદ્રહના આયામોનું વર્ણન છે. ત્રણ હજારમા સમવાયમાં રત્નપ્રભાના વજ્રકાંડના ચરમાન્તથી લોહિતાક્ષ કાંડના ચરમાન્ત સુધીના અંતરનું વર્ણન છે.
ચાર હજારમા સમવાયમાં તિગિચ્છદ્રહના અને કેશરીદ્રહના આયામોનું વર્ણન છે. પાંચ હજારમા સમવાયમાં ધરણીતલમાં મેરુના મધ્યભાગથી અંતિમ ભાગ સુધીનું અંતર વર્ણિત છે.
છ હજારમા સમવાયમાં સહસ્રસાર – કલ્પના વિમાનોનું વર્ણન છે.
સાત હજારમા સમવાયમાં ઉપરના તલથી પુલકાંડના નીચેના સ્થળના અંતરનું વર્ણન છે.
આઠ હજારમા સમવાયમાં હરિવર્ષ અને રમ્યક વર્ષના વિસ્તારનું વર્ણન છે. નવ હજારમા સમવાયમાં દક્ષિણ અર્ધ ભરતની જીવાનું આયામ વર્ણિત છે. દસ હજારમા સમવાયમાં મેરુપર્વતના વિધ્વંભનું વર્ણન છે.
એક લાખ થી આઠ લાખના સમવાયમાં જંબૂદ્રીપના આયામ અને વિખુંભથી માંડીને અંતે મહેન્દ્રકલ્પના વિમાનોનું વર્ણન છે.
કોટિ સમવાયમાં ભગવાન અજિતનાથના અવધિજ્ઞાની, પુરુષસિંહ વાસુદેવનું આયુ વગેરેનું વર્ણન છે.
કોટાકોટિ સમવાયમાં ભગવાન મહાવીરના પોટિલ ભવના શ્રમણ- પર્યાય, ભગવાન ઋષભદેવથી ભગવાન મહાવીરનું અંતર તથા તેર સૂત્રોમાં દ્વાદશ અંગોનો પરિચય, બે રાશિ, ચોવીસ ઠંડકમાં પર્યાપ્ત- અપર્યાપ્ત સર્વ નરકાવાસ, સર્વ ભવનાવાસ, સર્વ વિમાનાવાસ
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श्री आगमगुणमंजूषा १२
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(४) समवायंगसुतं १-२ द्वाणं [3]
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फ्र सिरि उसाहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी- जिराउला सव्वोदय पास णाहाणं णमो । णमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरिगोयम- सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु देवाणं णमो । णमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स || || 555 पंचमगणहरभयवंसिरिसुहम्मसामिविरइयं चउत्थमंगं समवायंगसुत्तं ॥ ॐ नमो वीतरागाय ॥ ' १ (१) सुयं मे आउस! तेणं भगवता एवम (२) इह खलु समणेण भगवता महावीरेणं आदिकरेणं तित्थकरेणं सयंसंबुद्धेणं पुरिसोत्तमेण पुरिससीहेणं पुरिसवरपुंडरीएणं पुरिसवरगंधहत्थिणालोगोत्तमेणंलोगनाहेणं लोगहितेणं लोगपईवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदपणं चक्खुदएणं मग्गदएणं सरणदएणं जीवदएणं बोहिदयणं धम्मदएणं धम्मदेसएणं धम्मणायगेणं धम्मसारहिणा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा अप्पडिहतवरणाणदंसणधरेणं विअट्टच्छउमेणं जिणेणं जाणएणं तिन्नेणं तारएणं बुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं मोयगेणं सव्वण्णुणा सव्वदरिसिणा सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तयं सिद्धिगतिणामधेयं ठाणं संपाविउकामेणं इमे दुवालसंगे गणिपिडगे पण्णत्ते, तंजहा आयारे १, सूयगडे २, ठाणे ३, समवाए ४, विवाहपण्णत्ती ५, णायाधम्मकहाओ ६, उवासगदसातो ७, अंतगडदसातो ८, अणुत्तरोववातियदसातो ९, पण्हावागरणाई १०, विवागसुते ११, दिट्टिवाए १२ । तत्थ णं जे से चउत्थे अंगे समवाए त्ति आहिते तस्स णं अयमट्ठे, तंजहा (३) एके आता, एके अणाया। एगे दंडे, एगे अदंडे । एगा किरिया, एगा अकिरिया । एगे लोए, एगे अलोए। एगे धम्मे, एगे अधम्मे । एगे पुण्णे, एगे पावे। एगे बंधे, एगे मोक्खे। एगे आसवे, एगे संवरे । एगा वेयणा, एगा णिज्जरा । (४) जंबुदीव्वे दीवे एवं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । अपइट्ठाणे णरते एवं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । पालए जाणविमाणे एवं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । (५) अद्दाणक्खत्ते एतारे पण्णत्ते | चित्ताणक्खत्ते एगतारे पण्णत्ते । सातिणक्खत्ते एगतारे पण्णत्ते । (६) इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं णेरइयाणं एगं पलितोवमं ठिती पण्णत्ता । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयाणं उक्कोसेणं एगं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । दोच्चाए णं पुढवीए णेरतियाणं जहणणेणं एवं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं एगं पलितोवमं ठिती पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं उक्कोसेणं एवं साहियं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमारिंदवज्जियाणं भोज्जाणं देवाणं अत्थेगतियाणं एगं पलितोवमं ठिती पण्णत्ता । असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अत्थेगतियाणं एगं पलितोवमं ठिती पण्णत्ता । असंखेज्जवासाउयगब्भवक्कं तियसन्निमणुयाणं अत्थेगतियाणं एगं पलितो, वमं ठिती पण्णत्ता । वाणमंतराणं देवाणं उक्कोसेणं एगं पलितोवमं ठिती पण्णत्ता । जोइसियाणं देवाणं उक्कोसेणं एवं पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मे कप्पे देवाणं जहण्णेणं एगं पलितोवमं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मे कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं एवं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । ईसाणे कप्पे देवाणं जहण्णेणं सातिरेगं [ ए ] पलितोवमं ठिती पण्णत्ता । ईसाणे कप्पे देवाणं अत्थेगतियाणं एगं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । (७) जे देवा सागरं सुसागरं सागरकंतं भवं मणुं माणुसुत्तरं लोगहियं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एवं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा एगस्स अद्धमासस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा णीससंति वा । तेसि णं देवाणं एगस्स वाससहस्सस्स आहारट्ठे समुपज्जति । (८) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे एगेणं भवग्गहणेणं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिणिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणं अंत करिस्संति । [२] ★★★ (१) दो दंडा पण्णत्ता, तंजहा अट्ठादंडे चेव अणट्ठादंडे चेव । दुवे रासी पण्णत्ता, तंजहा जीवरासी चेव अजीवरासी चेव । दुवि बंधणे पण्णत्ते, तंजहा रागबंधणे चेव दोसबंधणे चेव । (२) पुव्वाफग्गुणीणक्खत्ते दुतारे पण्णत्ते। उत्तराफग्गुणीणक्खत्ते दुतारे पण्णत्ते । पुव्वाभद्दवताणक्खत्ते दुतारे पण्णत्ते । उत्तराभद्दवताणक्खत्ते दुतारे पण्णत्ते । (३) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं णेरतियाणं दो पलितोवमाई ठिती पण्णत्ता। दोच्चाए पुढवीए अत्थेगतियाण णेरतियाणं दो सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं दो पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । असुरिंदवज्जियाणं भोज्जाणं देवाणं उक्कोसेणं देसूणातिं दो पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । असंखेज्नावासाउयसउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं अत्थेगतियाणं दो पलितोवमातिं ठिती
સૌજન્ય : પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી ચારુલતાશ્રીજી મ.સા. ની પ્રેરણાથી મુલુન્ડ અચલગચ્છ જૈન સંઘના ભાઈબહેનો તરફથી
श्री आगमगुणमंजूषा १७८
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(8) समवायंगसुत्तं ३-४-५ द्वाणं [२]
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पण्णत्ता । असंखेज्जावासाउयसण्णिमणुस्साणं अत्थेगतियाणं दो पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मे कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं दो पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । ईसाणे कप्पे देवाणं अत्थेगतियाणं दो पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता। ईसाणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साहियातिं दो सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहण्णेणं दो सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । माहिदे कप्पे देवाणं जहण्णेणं साहियातिं दो सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता। (४) जे देवा सुभं सुभकंतं सुभवणं सुभगंधं सुभलेसं सुभफासं सोहम्मवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा दोण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिंणं देवाणं दोहिं वाससहस्सेहिं आहारद्वे समुप्पज्जति। (५) अत्थेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे दोहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति। [३] **(१) तओ दंडा पण्णत्ता, तंजहा मणदंडे वयदंडे कायदंडे । तओ गुत्तीओ पण्णत्ताओ , तंजहा मणगुत्ती क्यगुत्ती कायगुत्ती। तओ सल्ला पण्णत्ता, तंजहा मायासल्ले णं नियाणसल्ले णं मिच्छादसणसल्ले णं । तओ गारवा पण्णत्ता, तंजहा इड्डीगारवे रसगारवे सायागारवे । तओ विराहणाओ पण्णत्ताओ, तंजहा नाणविराहणा दंसणविराहणा चरित्तविराहणा। (२) मिगसिरणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते । पुस्सणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते । जेट्ठाणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते। अभीइणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते । सवणणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते । अस्सिणिणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते। भरणिणक्खत्ते तितारे पण्णत्ते। (३) इमीसे णं रतणप्पभाए
पुढवीए अत्थेगतियाणं णेरतियाणं तिण्णि पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । दोच्चाए णं पुढवीए णेरतियाणं उक्कोस्सेणं तिण्णि सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता। तच्चाए णं * पुढवीए णेरतियाणं जहण्णेणं तिण्णि सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । असुरकु माराणं देवाणं अत्थेगतियाणं तिण्णि पलितोवमाइं ठिती पण्णत्ता।
असंखेनवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं तिण्णि पलितोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असंखेजवासाउयसण्णिगब्भवक्वंतियमणुस्साणं उक्कोसेणं तिण्णि पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं तिणि पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता। सणंकुमार-माहिंदेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं तिण्णि सागरोवमातिं ठिति पण्णत्ता। (४) जे देवा आभंकर पभंकरं आभंकरपभंकरं चंदं चंदावत्तं चंदप्पभं चंदकंतं चंदवण्णं चंदलेसं चंदज्झयं चंदरूवं चंदसिंगं चंदसिटुं चंदकूडं चंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिंणं देवाणं उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमातिं ठिति पण्णत्ता । ते णं देवा तिण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिंणं देवाणं उक्कोसेणं तिहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जति। ५) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे तिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति । [४]★★★ (१) चत्तारि कसाया पण्णत्ता, तंजहा कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए। चत्तारि झाणा पण्णत्ता, तंजहा अट्टे झाणे, रुद्दे झाणे, धम्मे झाणे सुक्के झाणे । चत्तारि विगहातो पण्णत्तातो, तंजहा इत्थिकहा भत्तकहा रायकहा देसकहा । चत्तारि सण्णा पण्णत्ता, तंजहा आहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा । चउविहे बंधे पण्णत्ते, तंजहा पगडिबंधे ठितिबंधे अणुभावबंधे पदेसबंधे। चउगाउए जोयणे पण्णत्ते। (२) अणुराहाणक्खत्ते चउतारे पण्णत्ते ।पुव्वासाढणक्खत्ते चउतारे पण्णत्ते ।उत्तरासाढनक्खत्ते चउतारे पण्णत्ते। (३) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं चत्तारि पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं चत्तारि सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं चत्तारि पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलितोवमाई ठिती पण्णत्ता । सणंकुमार-माहिदसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता। ४. जे देवा किट्टि सुकिट्टि किट्ठियावत्तं किट्ठिप्पभं किट्ठिजुत्तं किट्ठिवण्णं
किट्ठिलेसं किट्ठिज्झयं किट्ठिसिंगं किट्ठिसिटुं किट्ठिकूडं किट्ठत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । तेणं म देवा चउण्ह अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं चउहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । ५. अत्थेगतिया ॥ ५ भवसिद्धिया जीवा जे चउहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [५] *** (१) पंच किरियातो पण्णत्तातो, तंजहा काइया
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(४) समवायंगसुत्तं ५ ६ ७ द्वाणं [३]
अहिगरणिया पाओसिया पारितावणिया पाणातिवातकिरिया । पंच महव्वया पण्णत्ता, तंजहा सव्वातो पाणातिवातातो वेरमणं, सव्वातो मुसावायातो वेरमणं, सव्वातो जाव परिग्गहाओ वेरमणं । पंच कामगुणा पण्णत्ता, तंजहा सद्दा रूवा रसा गंधा फासा। पंच आसवदारा पण्णत्ता, तंजहा मिच्छतं अविरति पमाए कसा जोगा । पंच संवरदारा पण्णत्ता, तंजहा सम्मत्तं विरति अप्पमादो अकसायया अजोगया । पंच निज्जरद्वाणा पण्णत्ता, तंजहा पाणातिवातातो वेरमणं मुसावायातो वेरमणं अदिण्णादाणातो वेरमणं मेहुणातो वेरमणं परिग्गहातो वेरमणं । पंच समितीतो पण्णत्ताओ, तंजहा इरियासमिती भासासमिती एसणासमिती आयाणभंडनिक्खेवणासमिती ऊच्चार पासवण खेल-सिंघाण- जल्लपारिट्ठावणियासमिती । पंच अत्थिकाया पण्णत्ता, तंजहा धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए । (२) रोहिणीनक्खत्ते पंचतारे पण्णत्ते । पुणव्वसू नक्खत्ते पंचतारे पण्णत्ते । हत्थे नक्खत्ते पंचतारे पण्णत्ते । विसाहानक्खत्ते पंचतारे पण्णत्ते । धणिट्ठानक्खत्ते पंचतारे पण्णत्ते । (३) इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं पंच पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं पंच सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं पंच पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं पंच पलितोवमातिं ठिती पण्णत्ता। सणकुमार माहिदेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं पंच सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । (४) जे देवा वायं सुवायं वातवत्तं वातप्पभं वातकंतं वातवण्णं वातलेसं वातज्झयं वातसिंगं वातसिद्धं वातकूडं वाउत्तरवडेंसगं सूरं सुसूरं सूरावत्तं सूरप्पभं सूरकंतं सूरवणं सूरलेसं सूरज्झयं सूरसिंगं सूरसिहं सूरकूडं सूरुतरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं पंच सागरोवमातिं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा पंचण्हं असा आमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं पंचहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (५) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे पंचहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति । [६] ★★★ (१) छल्लेसातो पण्णत्तातो, तंजहा कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा | छज्जीवनिकाया पण्णत्ता, तंजहा पुढवीकाए आउकाए तेउकाए वाउकाए वणस्सतिकाए तसकाए । छव्विहे बाहिरे तवोकम्मे पण्णत्ते, तंजहा असणे ओमोदरिया वित्तीसंखेवो रसपरिच्चातो कायकिलेसे संलीणया । छव्विहे अब्भंतरए तवोकम्मे पण्णत्ते, तंजहा पायच्छित्तं विणओ वेयावच्वं सज्झाओ झाणं उस्सग्गो । छ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता, तंजहा वेयणासमुग्घाते कसायसमुग्घाते मारणंतियसमुग्घाते वेउव्वियसमुग्घाते तेयससमुग्घाते आहारसमुग्घाते । छव्विहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते, तंजहा सोतेंदियअत्थोग्गहे चक्खुइदियअत्थोग्गहे घाणिदियअत्थोग्गहे जिब्भिदियअत्थोग्गहे फासिंदियअत्थोग्गहे नोइंदियअत्थोग्गहे । (२) कत्तियानक्खत्ते छतारे पण्णत्ते । असिलेसानक्खत्ते छतारे पण्णत्ते । (३) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरतियाणं छ पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरतियाणं छ सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं छ पलितोवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं छ पलितोवमाइं ठिती पण्णत्ता । सणकुमार-माहिदेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं छ सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । (४) जे देवा सयंभुं सयंभुरमणं घोसं सुघोसं महाघोसं किट्ठिघोसं वीरं सुवीरं वीरगतं वीरसेयणियं वीरावतं वीरप्पभं वीरकंतं वीरवण्णं वीरलेसं वीरज्झयं वीरसिंगं वीरसिहं वीरकूडं वीरुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं छ सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा छण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं छहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (५) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे छहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति । [७] ★ ★ ★ (१) सत्त भट्टाणा पण्णत्ता, तंजहा इहलोगभए परलोगभए आदाणभए अकमहाभए आजीवभए मरणभए असिलोगभए । सत्त समुग्धाता पण्णत्ता, तंजहा वेयणासमुग्घाते कसायसमुग्घाते मारणंतियसमुग्घाते वेउव्वियसमुग्घाते तेयससमुग्घाते आहारसमुग्घाते केवलिसमुग्धाते । समणे भगवं महावीरे सत्त रयणीतो उड्डुंउच्चतेणं होत्था । सत्त वासहरपव्वया पण्णत्ता, तंजहा चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे । सत्त वासा पण्णत्ता, तंजा भरहे हेमवते हरिवासे महाविदेहे रम्मए हेरण्णवते एरावते। खीणमोहे णं भगवं मोहणिज्जवज्जातो सत्त कम्मपगतीओ वेदेति । (२) महानक्खत्ते सत्ततारे पण्णत्ते । पाठान्तरेण अभियाईया सत्त नक्खत्ता कत्तियादीया सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता । महादीया सत्त नक्खत्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता । अणुराहाइया MOTOR श्री आगमगुणमंजूषा - १८०
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२०१५
(४) समवायंगसुतं ७ ८-९ द्वाणं (४) ******* सत्त नक्खत्ता अवरदारिया पण्णत्ता । धणिट्ठाइया सत्त नक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं सत्त पलिओ माई ठिती पण्णत्ता । तच्चाए णं पुढवीए नेरइयाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । चउत्थीए णं पुढवीए नेरइयाणं जहण्णेणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं सत्त पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । सणकुमारे कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । माहिदे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं सातिरेगाई सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । बंभलोए कप्पे देवाणं जहण्णेणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा समं समप्पभं महापभं पभासं भासरं विमलं कंचणकूडं सणकुमारवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा सत्तण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिं णं देवाणं सत्तहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे सत्तहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति। [८] (१) अट्ठ मयट्ठाणा पण्णत्ता, तंजहा जातिमए कुलमए बलमए रूवमए तवमए सुतमए लाभमए इस्सरियमए । अट्ठ पवयणमाताओ पण्णत्ताओ, तंजा इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाणभंडनिक्खेवणासमिई उच्चार पासवण खेल सिंघाण जल्लपरिट्ठावणियासमिई मणगुत्ती वतिगुत्ती कायगुत्ती । वाणमंतराणं देवाणं चेतियरूक्खा अट्ठ जोयणाई उड्डउच्चत्तेणं पण्णत्ता । जंबू णं सुदंसणा अट्ठ जोयणाई उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । कूडसामली णं गरुलावासे अट्ठ जोयणाई उड्डउच्चत्तेणं पण्णत्ते । जंबुद्दीविया णं जगती अट्ठ जोयणाई उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । अट्ठसमइए केवलिसमुग्घाते पण्णत्ते, तंजहा पढमे समए दंडकरेति, बीए समए कवाडं करेति, ततिए समए मंथं करेति, चउत्थे समए मंथंतराई पूरेति, पंचमे समए मंथंतराई पडिसाहरति; छठ्ठे समए मंथं पडिसाहरति, सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरति, अठ्ठमे समए दंडं पडिसाहरति, ततो पच्छा सरीरत्थे भवति । पासस्स णं अरहतो पुरिसादाणीयस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणहरा होत्था, तंजहा सुभे य सुभघोसे य वसि भयारि य । सोमे सिरिधरे चेव, वीरभद्दे जसे इय ॥ १ ॥ (२) अट्ठ नक्खत्ता चंदेणं सद्धिं पमद्दं जोगं जोएंति, तंजहा कत्तिया १, रोहिणी २, पुणव्वसू ३, महा ४, चित्ता ५, विसाहा ६, अणुराहा ७, जेट्ठा ८ । (३) इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं अट्ठ पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । चउत्थीए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं अड्ड सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं अट्ठ पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं अट्ठ पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । बंभलोए कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं अट्ठ सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । (४) जे देवा अच्चि अच्चिमालिं वइरोयणं पभंकरं चंदाभं सुराभं सुपतिट्ठाभं अग्गिच्चाभं रिट्ठाभं अरुणाभं अरुणुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं अट्ठ सागरोवमाई ठिती पणत्ता । ते णं देवा अट्ठण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं अट्ठहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (५) संतेगतिया भवसिद्धिया जाव अट्ठहिं अंतं करेस्संति । [९] ★★★ (१) नव बंभचेरगुत्तीओ पण्णत्तातो, तंजहा नो इत्थीपसुपंडगसंसत्ताणि सेज्जासणाणि सेवित्ता भवति १, नो इत्थीणं कहं कहित्ता भवइ २, नो इत्थीणं ठाणाई सेवित्ता भवति ३, नो इत्थीणं इंदियाइं मणोहराई मणोरमाइं आलोएत्ता निज्झाएत्ता [भवति] ४, नो पणीयरसभोई ५, नो पाण- भोयणस्स अइमायं आहारइत्ता ६, नो इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलिआई सुमरइत्ता भवइ ७, नो सद्दाव
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वाणुवाती नो गंधाणुवाती नो रसाणुवाती नो फासाणुवाती नो सिलोगाणुवाती ८, नो सायासोक्खपडिबद्धे यावि भवति ९ । नव बंभचेरअगुत्तीओ पण्णत्ताओं, तंजा इत्थीपसुपंडगसंसत्ताणं सेज्जासणाणं सेवणया जाव सायासोक्खपडिबद्धे यावि भवति । नव बंभचेरा पण्णत्ता, तंजहा -“सत्थपरिण्णा लोगविजओ सीओसणिज्जं सम्मत्तं । आवंती धुतं विमोहायणं उवहाणसुतं महपरिण्णा" ||२|| पासे णं अरहा पुरिसादाणीए नव रयणीओ उड्डउच्चत्तेणं होत्था । (२) अभीजिणक्खत्ते साइरेगे णव मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएति । अभीजियाइया णं णव णक्खत्ता चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति, तंजहा अभीजि, सवणो, जाव भरणी । इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो नव जोयणसते उड्ढं अबाहाते उवरिल्ले तारारूवे चारं चरति । जंबुद्दीवे णं दीवे णवजोयणिया मच्छा पविसिंसु वा (३) । TELELE श्री आगमगुणमंजूषा - १८१
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हा समवायंगसुत्तं ९-१०-११ द्वाणं [५]
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विजयस्सणं दारस्सएगमेगाए बाहाए णवणव भोमा पण्णत्ता। वाणमंतराणं देवाणं सभाओ सुधम्माओणव जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं पण्णत्ताओ। दसणावरणिज्जस्स णं कम्मस्स णव उत्तरपगडीओ पण्णत्ताओ, तंजहा णिहा पयला णिहाणिद्दा पयलापयला थीणगिद्धी चक्खुदंसणावरणे अचक्खुदंसणावरणे ओहिदंसणावरणे केवलदसणावरणे। (३) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं नव पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। चउत्थीए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं नव ॥ सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं नव पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसुकप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं नव पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। बंभलोए कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं नव सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (४) जे देवा पम्हं सुपम्हे पम्हावत्तं पम्हप्पभं पम्हकंतं पम्हवण्णं पम्हलेसं जाव पम्हुत्तरवडेंसंगं सुज्जं सुसुजं सुज्जावत्तं सुज्जप्पभं सुज्जकंतं जाव सुज्जुत्तरवडेंसगं रुतिल्लं रुतिल्लावत्तं रुतिल्लप्पभं जाव रुतिल्लुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिंणं देवाणं [उक्कोसेणं] ? नव सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा नवण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं नवहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति। (५) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे नवहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेस्संति
॥[१०] *** (१) दसविहे समणधम्मे पण्णत्ते, तंजहा खंती १, मुत्ती २, अज्जवे ३, मद्दवे ४, लाघवे ५, सच्चे ६, संजमे ७, तवे ८, चियाते ९,बंभचेरवासे १० म दस चित्तसमाहिट्ठाणा पण्णत्ता, तंजहा धम्मचिंता वा से असमुप्पण्णपुव्वा समुप्पज्जेज्जा सव्वं धम्मं जाणित्तए १, सुमिणदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेज्जा
अहातच्चं सुमिणं पासित्तए २, सण्णिनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेजा पुन्वभवे सुमरित्तए ३, देवदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेज्जा दिव्वं देविडिं ॐ दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभावं पासित्तए ४, ओहिनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्नेज्जा ओहिणा लोगं जाणित्तए ५, ओहिदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे
समुप्पज्जेज्जा ओहिणा लोगं पासित्तए ६, मणपज्जवनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेज्जा मणोगए भावे जाणित्तए.७, केवलनाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेज्जा केवलं लोगं जाणित्तए ८, केवलदसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेज्जा केवलं लोयं पासित्तए ९, केवलिमरणं वा मरेज्जा सव्वदुक्खप्पहाणाए १० | मंदरे णं पव्वते मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं पण्णत्ते। अरहा णं अरिठ्ठनेमी दस धणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्था । कण्हे णं वासुदेवे दस धणूइं उडुंउच्चत्तेणं होत्था । रामे णं बलदेवे दस धणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्था। (२) दस नक्खत्ता नाणविद्धिकरा पण्णत्ता, तंजहा मिगसिर अद्दा पूसो, तिण्णि य पुव्वाई मूलमस्सेसा । हत्थो चिता य तहा, दस विद्धिकराइं नाणस्स ॥३|| अकम्मभूमियाणं मणुयाणं दसविहा रुक्खा उवभोगत्ताते उवत्थिया पण्णत्ता, तंजहा मत्तंगया य भिंगा, तुडियंगा दीव जोइ चित्तंगा। चित्तरसा मणियंगा, गेहागारा अनियणा य॥४॥ (३) इमीसे [णं] रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाण नेरइयाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता । इमीसे णं रयणपभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं दस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । चउत्थीए पुढवीए दस निरयावाससतसहस्सा पण्णत्ता। चउत्थीए पुढवीए [नेरइयाणं] उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । पंचमाए पुढवीए [नेरइयाणं ] जहण्णेणं दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइंठिती पण्णत्ता। असुरिंदवज्जाणं भोमेज्जाणं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं दस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । बादरवणप्फतिकाइयाणं उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता । वाणमंतराणं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं दस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । बंभलोए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता लतए
कप्पे देवाणं जहण्णेणं दस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (४) जे देवा घोसं सुघोसं महाघोसं नंदिघोसं सुस्सरं मणोरमं रम्मरम्मगं रमणिज्जं मंगलावतिं बंभलोगवडेंसगं के विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तेणं देवा दसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससति + वा। तेसिणं देवाणं दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पजति। (५) अत्थेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे दसहिं भवग्गहणेहिं जाव करेस्संति ॥ [११] *** ५ (१). एक्कारस उवासगपडिमातो पण्णत्तातो, तंजहा दंसणसावए १, कतव्वयकम्मे २, सामातियकडे ३, पोसहोववासणिरते ४, दिया बंभयारी, रत्तिं परिमाणकडे Mero55555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १८२ ॥5555555555555555555555555OK
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(४) समवायंगसुत्तं ११-१२-१३ द्वाणं [६] ५, दिआ वि राओ वि बंभयारी, असिणाती, विअडभोती, मोलिकडे ६, सचित्तपरिण्णाते ७, आरंभपरिण्णाते ८, पेसपरिण्णाते ९, उद्दिट्ठभत्तपरिणाते १०, समणभूते यावि भवति समणाउसो ११ । (२) लोगंताओ णं एक्कारसहिं एक्कारेहिं जोयणसतेहिं अबाहाए जोतिसंते पण्णत्ते । जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स एक्कारसहिं एक्कवीसेहिं जोयणसतेहिं [अबाहाए] जोतिसे चारं चरति । समणस्स णं भगवतो महावीरस्स एक्कारस गणहरा होत्था तंजहा इंदभूती अग्गिभूती वायुभूती वियत्ते सुहम्मे मंडिते मोरियपुत्ते अकंपिते अयलभाया मेतज्जे पभासे । मूलनक्खत्ते एक्कारसतारे पण्णत्ते । हेट्ठिमगेवेज्जगाणं देवाणं एक्कारसुत्तरं गेवेज्जविमाणसतं भवति त्ति मक्खायं । मंदरे णं पव्वते धरणितलाओ सिहरतले एक्कारसभागपरिहीणे उच्चत्तेणं पण्णत्ते। (३) . इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एक्कारस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। पंचमाए पुढवीए [अत्थेगतियाणं नेरझ्याणं] एक्कारस सागरोवमाइं ठिती पपणत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं एक्कारस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु [अत्थेगतियाणं देवाणं] एक्कारस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। ४ . लंतए कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं एक्कारस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। जे देवा बंभं सुबंभं बंभावत्तं बंभप्पभं बंभकंतं बंभवण्णं बंभलेसं बंभज्झयं बंभसिंगं बंभसिळू बंभकूडं बंभुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं [उक्कोसेणं ?] एक्कारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा एकारसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एक्कारसण्हं वाससहस्साणं आहारटे समुप्पज्नति। ५. संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे एक्कारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [१२] ** (१) . बारस भिक्खुपडिमातो पण्णत्तातो, तंजहा मासिया [भिक्खुपडिमा], दोमासिया [भिक्खुपडिमा] , तेमासिया [भिक्खुपडिमा], चाउम्मासिया [भिक्खुपडिमा] , पंचमासिया [भिक्खुपडिमा] , छम्मासिया [भिक्खुपडिमा] , सत्तमासिया
[भिक्खुपडिमा] , पढमा सत्तरातिदिया भिक्खुपडिमा, दोच्चा सत्तरातिदिया भिक्खुपडिमा, तच्चा सत्तरातिदिया भिक्खुपडिमा, अहोरातिया भिक्खुपडिमा, एक्करातिया की भिक्खुपडिमा । दुवालसविहे संभोगे पण्णत्ते, तंजहा - "उवहि सुय भत्तपाणे अजंलीपग्गहे ति य । दायणे य निकाए य, अब्भुट्ठाणे ति यावरे" ॥५॥ "कितिकम्मस्स
य करणे, वेयावच्चकरणे ति य । समोसरण सन्निसेज्ना य, कहाते य पबंधणे" ||६|| "दुवालसावत्ते कितिकम्मे पण्णत्ते, तंजहा दुओणयं जहाजायं, कितिकम्म बारसावयं । चउसिरं तिगुत्तं, दुपवेसं एगनिक्खमणं' ||७|| विजया णं रायधाणी दुवालस जोयणसहस्साई आयमविक्खंभेणं पण्णत्ता । रामे णं बलदेवे दुवालस वाससताई सव्वाउयं पालइत्ता देवत्ति गए। मंदरस्स णं पव्वतस्स चूलिया मूले दुवालस जोयणाइं विक्खंभेणं पण्णत्ता । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स वेतिया मूले दुवालस जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता। सव्वजहणिया राती दुवालसमुहुत्तिया पण्णत्ता। एवं दिवसो विणायव्वो। सव्वट्ठसिद्धस्स णं महाविमाणस्स उवरिल्लातो थूभियग्गातो दुवालस जोयणाई उड्डे उप्पतित्ताईसिंपन्भारा नाम पुढवी पण्णत्ता। ईसिंपन्भाराएणं पुढवीए दुवालसनामधेज्जा पण्णत्ता, तंजहा ईसित्ति वाईसिपब्भार त्ति वा तणू ति वा तणुयतरि त्ति वा सिद्धी ति वा सिद्धालए ति वा मुत्ती ति वा मुत्तालए ति वा बंभे ति वा बंभवडेंसग ति वा लोकपडिपूरणे त्ति वा लोगग्गचूलिया ति वा। (२). इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतिआणं नेरइआणं बारस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। पंचमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं बारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं बारस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं बारस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। लंतए कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं बारस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (३).जे देवा महिंद महिंदज्झयं कंबुं कंबुग्गीवं पुंखं सुपुंखं महापुंखं पुंडं सुपुंडं महापुंडं नरिंदं नरिंदोकंतं नरिंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिंणं देवाणं उक्कोसेणं बारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा बारसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं बारसहिं वाससहस्सेहिं आहारढे समुष्पज्जति। (४). अत्थेगतिया भवसिद्धिआ जीवा जे बारसहिं भग्गहणेहि सिज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति । [१३] (१). तेरस किरियट्ठाणा पण्णत्ता, तंजहा अट्ठादंडे, अणट्ठादंडे, हिंसादंडे, अकम्हादंडे,
दिट्ठिविपरियासियादंडे, मुसावायवत्तिए, अदिन्नादाणवत्तिए, अब्भ(ज्झ?)थिए, माणवत्तिए, मित्तदोसवत्तिए, मायावत्तिए, लोभवत्तिए, इरिआवहिए णामं तेरसमे aorature 14545454555555/ श्री आगमगुणमंजूषा - १८३155555555555555555555555
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KOR95555 (४) समवायंगसुत्तं १३-१४ द्वाणं-११र्ण
5555555552 । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसुतेरस विमाणपत्थडा पण्णत्ता । सोहम्मवडेंसगेणं विमाणे णं अद्धतेरस जोयणसतसहस्साइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । एवं ईसाणवडेंसगे ज वि । जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं अद्धतेरस जातिकुलकोडीजोणिपमुहसतसहस्सा पण्णत्ता । पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस वत्थू पण्णत्ता । गब्भवक्कंति
अपंचेदिअतिरिक्खजोणिआणं तेरसविहे पओगे पण्णत्ते, तंजहा सच्चमणपओगे मोसमणपओगे सच्चामोसमणपओगे असच्चामोसमणपओगे सच्चवतिपओगे मोसवतिपओगे सच्चामोसवतिपओगे असच्चामोसवतीपओगे ओरालियसरीरकायपओगे ओरालियमीससरीरकायपओगे वेउब्वियअसरीरकायपओगे वेउव्वियमीससरीरकायपओगे कम्मसरीरकायपओगे । सूरमंडले जोयणेणं तेरसहि एक्कसट्ठिभागेहिं जोयणस्स ऊणे पण्णत्ते। (२) . इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं तेरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । पंचमाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं तेरस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं तेरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं तेरस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । लंतए कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं तेरस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । (३). जे देवा वज्जं सुवजं वज्जावत्तं वज्जप्पभं वज्जकंतं वज्जवण्णं वज्जलेसं वज्जज्झयं वज्जसिंगं वज्जसिटुं वज्जकूडं वज्जुत्तरवडेंसगं वइरं वइरावत्तं जाव वइरुत्तरवडेंसगं लोगं लोगावत्तं लोगप्पभं जाव लोगुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेरस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। ते णं देवा तेरसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिणं देवाणं तेरसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति। (४). अत्थेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे तेरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । १४ ★★★ (१) . चोदस भूयग्गामा पण्णत्ता, तंजहा सुहुमा अपज्जत्तया, सुहुमा पज्जत्तया, बादरा अपज्जत्तया, बादरापज्जत्तया, बेइंदिया अपज्जत्तया, बेइंदिया पज्जत्तया, तेइंदिया अपज्जत्तया, तेइंदिया पज्जत्तया, चउरिदिया अपज्जत्तया, चउरिदिया पज्जत्तया, पंचिदिया असन्निअपज्जत्तया, पंचिदिया असन्निपज्जत्तया, पंचिदिया सन्निअपज्जत्तया, पंचिदिया सन्निपज्जत्तया । चोइस पुव्वा पण्णत्ता, तंजहा - "उप्पायपुव्वमग्गेणियं च ततियं च वीरियं पुव्वं । अत्थीणत्थिपवायं तत्तो नाणप्पवायं च ||८|| "सच्चप्पवायपुव्वं तत्तो आयप्पवायपुव्वं च । कम्मप्पवायपुव्वं पच्चक्खाणं भवे नवमं ॥९॥ "विज्जाअणुप्पवायं अवंझ पाणाउ बारसं पुव्वं । तत्तो किरियविसालं पुव्वं तह बिंदुसारं च"
॥१०॥ अग्गेणीयस्सणं पुव्वस्स चोद्दस वत्थूपण्णत्ता। समणस्सणं भगवतो महावीरस्स चोद्दस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपदा होत्था । कम्मविसोहिमग्गणं म पडुच्च चोद्दस जीवट्ठाणा पण्णत्ता, तंजहा मिच्छदिट्ठी, सासायणसम्मदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठि, अविरतसम्मद्दिट्ठी, विरताविरतसम्मदिट्ठी, पमत्तसंजते, अप्पमत्तसंजते,
नियट्टि, अनियट्टिबायरे, सुहुमसंपराए उवसामए वा खमए वा, उवसंतमोहे, खीणमोहे, सजोगी केवली, अजोगी केवली । भरहेरवयाओणं जीवाओ चोद्दस चोद्दस जोयणसहस्साइं चत्तारि य एक्कुत्तरे जोयणसते छच्च एकूणवीसइभागे जोयणस्स आयामेणं पण्णत्ते । एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चोद्दस रयणा पण्णत्ता, तंजहा इत्थीरयणे सेणावतिरयणे गाहावतिरयणे पुरोहितरयणे वड्डइरयणे आसरयणे हत्थिरयणे असिरयणे दंडरयणे चक्करयणे छत्तरयणे चम्मरयणे मणिरयणे कागणिरयणे । जंबुद्दीवे णं दीवे चोद्दस महानदीओ पुव्वावरेणं लवणं समुदं समप्पति, तंजहा गंगा सिंधू रोहिया रोहियंसा हरी हरिकंता सीता सीतोदा णरकता णारिकता सुवण्णकूला रुप्पकूला रत्ता रत्तवती। (२) . इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं चोद्दस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । पंचमाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं चोद्दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं चोद्दस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसुई कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं चोद्दस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। लंतए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं चोइस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । महासुक्के कप्पे देवाणं जहण्णेणं चोद्दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा सिरिकंतं सिरिमहि सिरिसोमणसं लंतयं काविट्ठ महिंदं महिंदोकंतं महिंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा
तेसिंणं देवाणं उक्कोसेणं चोद्दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तेणं देवा चोद्दसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिणं देवाणं भ चोद्दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति। (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे चोद्दसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति। 2 [१५] ★★★ (१).पण्णरस परमाहम्मिया पण्णत्ता, तंजहा अंबे अंबरिसी चेव, सामे सबले त्ति यावरे। रुद्दोवरुद्द काले य, महाकाले त्ति यावरे॥११।। असिपत्ते Mero
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श्री आगमगुणमंजूषा - १८४ $$$$$$$$$$$$$$$ OK
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(४) समवायंगसुत्त १५-१६-१७ द्वाणं
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धणु कुम्भे वालुए वेयरणी ति य । खरस्सरे महाघोसे एते पण्णरसाहिया ।। ।।१२।। णमी णं अरहा पण्णरस धणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्था । धुवराहू णं बहुलपक्खस्स पाडिवयं पन्नरसतिभागं पन्नरसतिभागेणं चंदस्सलेसं आवरेत्ताणं चिट्ठति, तंजहा पढमाएपढमं भागंजाव पन्नरसेसुपन्नरसमं भागं। तं चेव सुक्कपक्खस्स उवदंसेमाणे उवदंसेमाणे चिट्ठति, तंजहा पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं। २ . छण्णक्खत्ता पन्नरसमुहुत्तसंजुत्ता पण्णत्ता, तंजहा सतभिसय भरणि अद्दा, असिलेसा साइ तह य जेट्ठा य । एते छण्णक्खत्ता, पण्णरसमुहुत्तसंजुत्ता ॥१३|| चेत्तासोएसु मासेसु पन्नरसमुहुत्तो दिवसो भवति, सइ पण्णरसमुहुत्ता राती भवति । अणुप्पवायस्स णं पुव्वस्स पन्नरस वत्थू पण्णत्ता । मणूसाणं पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते, तंजहा सच्चमणपओगे, एवं मोसमणपओगे, सच्चामोसमणपओगे, असच्चामोसमणपओगे, एवं सच्चवतीपओगे, मोसवतीपओगे, सच्चामोसवतीपओगे, असच्चामोसवतीपओगे, ओरालियसरीरकायपओगे, ओरालियमीससरीरकायपओगे, वेउब्वियसरीरकायपओगे, वेउब्वियमीससरीरकायपओगे, आहारयसरीरकायप्पओगे, आहारयमीससरीरकायप्पओगे है कम्मयसरीरकायपओगे। (३). इमीसे णं रयणपभाए पुढवीए [अत्थेगतियाणं नेरइआणं] पण्णरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। पंचमाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं पण्णरस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं पण्णरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं पण्णरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । महासुक्के कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं पण्णरस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (४).जे देवा णंदं सुणंदं णंदावत्तं णंदप्पभं णंदकंतं णंदवण्णं णंदलेसं जाव णंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा पण्णरसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिणं देवाणं पण्णरसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जति। (५). अत्थेगतिया भवसिद्धया जीवा जे पन्नरसहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति जाव अंतं करिस्संति। [१६] ★★★ (१). सोलस य गाहासोलसगा पण्णत्ता, तंजहा समए १, वेयालिए २, उवसग्गपरिण्णा ३, इत्थिपरिण्णा ४, निरयविभत्ती ५, महावीरथुई ६, कुसीलपरिभासिए७, वीरिए ८, धम्मे ९, समाही १०, मग्गे ११, समोसरणे १२, अहातहिए १३, गंथे १४, जमतीते १५, गाहा १६ । सोलस कसाया पण्णत्ता, तंजहा अणंताणुबंधी कोहे, एवं माणे, माया, लोभे। अपच्चक्खाणकसाए कोहे, एवं माणे माया, लोभे । पच्चक्खाणावरणे कोहे, एवं माणे, माया, लोभे । संजलणे कोहे, एवं माणे, माया, लोभे । मंदरस्स णं पव्वतस्स सोलस नामधेजा पण्णत्ता, तंजहा मंदर १ मेरु २ मणोरम ३ सुदंसण ४ सयंपभे ५ य गिरिराया ६ । रयणुच्चय ७ पियदसण ८ मज्झे लोगस्स ९ नाभी १० य ।।१४।। अत्थे य ११ सूरियावत्ते १२ सूरियावरणे १३ ति य । उत्तरे य १४ दिसाई य १५ वडेंसे १६ इ य सोलसे॥१५॥ (२). पासस्स णं अरहतो पुरिसादाणीयस्स सोलस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपदा होत्था । आयप्पवायस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू पण्णत्ता । चमर-बलीणं ओवारियालेणे सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । लवणे णं समुद्दे सोलस जोयणसहस्साइं उस्सेहपरिवुड्डीए पण्णत्ते । इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं सोलस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। पंचमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं सोलस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं सोलस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु
अत्थेगतियाणं देवाणं सोलस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । महासुक्के कप्पे अत्थेगतियाणं देवाणं सोलस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (३) . जे देवा आवत्तं # वियावत्तं नंदियावत्तं महाणंदियावत्तं अंकुसं अंकुसपलंबं भदं सुभदं महाभद्दे सव्वओभई भद्दुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं सोलस
सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा सोलसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं सोलसहिं वाससहस्सेहि आहारट्ठे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे सोलसहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति। [१७] *** (१) सत्तरसविहे असंजमे पण्णत्ते, तंजहा पुढविकाइयअसंजमे आउकाइयअसंजमे तेउकाइयअसंजमे वाउकाइयअसंजमे वणस्सइकाइयअसंजमे बेइंदियअसंजमे तेइंदियअसंजमे चउरिदियअसंजमे पंचिदियअसंजमे अजीवकायअसंजमे पेहाअसंजमे उपहाअसंजमे अवहट्टुअसंजमे अपमज्जणाअसंजमे मणअसंजमे वतिअसंजमे कायअसंजमे।
555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १८५155555555555555555555555
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समवायंगसुत्तं १७ -१८ द्वाणं [९]
历55555520 सत्तरसविहे संजमे पण्णत्ते, तंजहा पुढवीकायसंजमे एवं जाव कायसंजमे । माणुसुत्तरे णं पव्वते सत्तरस एक्कवीसे जोयणसते उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ते । सव्वेसि पिणं वेलंधर-अणुवेलंधरणागराईणं आवासपव्वया सत्तरस एक्कवीसाइं जोयणसयाइं उर्दूउच्चत्तेणं पण्णत्ता । लवणे णं समुद्दे सत्तरस जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पण्णत्ते । इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो सातिरेगाइं सत्तरस जोयणसहस्साइं उडे उप्पतित्ता ततो पच्छा चारणाणं तिरियं गती पवत्तती। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो तिगिछिकूडे उप्पातपव्वते सत्तरस एकवीसाइं जोयणसयाई उड्डंउच्चत्तेणं पण्णत्ते । बलिस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो रुयगिदे उप्पातपव्वते सत्तरस जोयणसयाइं सातिरेगाइं उड्उच्चत्तेणं पण्णत्ते। सतरसविहे मरणे पण्णत्ते, तंजहा आवीइमरणे ओहिमरणे आयंतियमरणे वलातमरणे वसट्टमरणे अंतोसल्लमरणे तब्भयमरणे बालमरणे पंडितमरणे बालपंडितमरणे छउमत्थमरणे केवलिमरणे वेहासमरणे गद्धपट्ठमरणे भत्तपच्चक्खाणमरणे इंगिणिमरणे पाओवगमणमरणे। सुहमसंपराए णं भगवं सुहमसंपरायभावे वट्टमाणे सत्तरस कम्मपगडीओ णिबंधति, तंजहा आभिणिबोहियणाणावरणे, एवं सुतोहि-मण-केवल [णाणावरणे] | चक्खुदंसणावरणं, एवं अचक्खु-ओही-केवलदंसणावरणं । सायावेयणिज्ज, जसोकित्तिनाम, उच्चागोतं । दाणंतराइयं, एवं लाभ-भोग-उवभोगवीरियअंतराइयं। (२) इमीसेणं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं सत्तरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। पंचमाए पुढवीए नेरझ्याणं उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । छट्ठीए पुढवीए नेरइयाणं जहण्णेणं सत्तरस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं सत्तरस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं सत्तरस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । महासुक्के कप्पे देवाणं उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । सहस्सारे कप्पे देवाणं जहण्णेणं सत्तरस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा सामाणं सुसामाणं महासामाणं पउमं महापउमं कुमुदं महाकुमुदं नलिणं महाणलिणं पोंडरियं महापोंडरियं सुक्कं महासुक्कं सीहं सीहोकंतं सीहवियं भावियं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा सत्तरसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं सत्तरसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति। ४ संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे सत्तरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [१८] ★★★(१) अट्ठारसविहे बंभे पण्णत्ते, तंजहा ओरालिए कामभोगे णेव सयं मणेणं सेवइ, नो वि अण्णं मणेणं सेवावेइ, मणेणं सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणइ, ओरालिए कामभोगे णेव सयं वायाए सेवति, नो वि अण्णं वायाए सेवावेइ, वायाए सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणइ, ओरालिए कामभोगे णेव सयं कायेणं सेवइ, णो वि अण्णं कारणं सेवावेइ, कारणं सेवंतं पि अण्णं न समणुजाणति, दिव्वे कामभोगे णेव सयं मणेणं सेवति, तह चेव णव आलावगा। अरहतो णं अरिट्टनेमिस्स अट्ठारस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपदा होत्था । समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं सखुड्डयवियत्ताणं अट्ठारस ठाणा पण्णत्ता, तंजहा वयछक्क ६ कायछक्कं १२, अकप्पो १३ गिहिभायणं १४ । पलियंक १५ निसिज्जा य, १६ सिणाणं १७ सोभवज्जणं १८ ॥१६|| आयारस्स णं भगवतो सचूलियागस्स अट्ठारस पयसहस्साई पयग्गेणं पण्णताई । बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेखविहाणे पण्णत्ते, तंजहा बंभी जवणालिया दासऊरिया खरोट्ठिया पुक्खरसाविया पहाराइया उच्चत्तरिया अक्खरपुट्ठिया भोगवयता वेयणतिया णिण्हइया अंकलिवि गणियलिवि गंधव्वलिवि आदंसलिवि माहेसरलिवि दमिडलिवि पोलिदिलिवि] । अत्थिणत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू पण्णत्ता । धूमप्पभा णं पुढवी अट्ठारसुत्तरं जोयणसयसहस्सं बाहल्लेणं पण्णत्ता । पोसासाढेसु णं मासेसु सइ उक्कोसेणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, सइ उक्कोसेणं अट्ठारस मुहुत्ता राती [भवइ] । (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं अट्ठारस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। छट्ठीए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं अट्ठारस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं अट्ठारस पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं अट्ठारस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। सहस्सारे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । आणए
कप्पे देवाणं जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा कालं सुकालं महाकालं अंजणं रिट्ठ सालं समाणं दुमं महादुमं विसालं सुसालं पउमं do 5
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(४) समवायंगसुत्त १८-१९-२०-२१ द्वाण
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पउमगुम्मं कुमुदं कुमुदगुम्म नलिणं नलिणगुम्मं पुंडरीयं पुंडरीयगुम्मं सहस्सारवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिंणं देवाणं [उक्कोसेणं] अट्ठारस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा अट्ठारसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं अट्ठारसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति। (४) संतेगतिया [भवसिद्धिया जीवा जे अट्ठारसहिं भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति] जाव अंतं करेस्संति । [१९] ★★★ (१) . एकूणवीसं णायज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा - "उक्खित्तणाए १ संघाडे २, अंडे ३ कुम्मे य ४ सेलये ५ । तुंबे य ६ रोहिणी ७ मल्ली ८, मागंदी ९ चंदिमा ति य १०" ||१७|| "दावद्दवे ११ उदगणाते १२ मंडुक्के १३ तेतली १४ इय। नंदिफले १५ अवरकंका १६ आइण्णे १७ सुसमा ति य १८"||१८|| अवरे य पुंडरीए णाए एगूणवीसइमे १९ । जंबूद्दीवे णं दीवे सूरिया उक्कोसेणं एगूणवीसं जोयणसताइं उड्डमहो तवंति । सुके णं महग्गहे अवरेणं उदिए समाणे एगूणवीसं णक्खत्ताइं समं चारं चरित्ता अवरेणं अत्थमणं उवागच्छति । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स कलाओ एगूणवीसं छेयणाओ पण्णत्ताओ। एगूणवीसं तित्थयरा अगारमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वइया। (२). इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एगूणवीसंपलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। छट्ठीए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं एगूणवीसंपलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसुअत्थेगतियाणं देवाणं एगूणवीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । आणयकप्पे देवाणं उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । पाणए कप्पे देवाणं जहण्णेणं एगूणवीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (३). जे देवा आणतं पाणतं णतं विणतं घणं सुसिरं इंदं इंदोकंतं इंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तेणं देवा एगूणवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एगूणवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जति। (४) अत्थेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे एगूणवीसाए भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति। [२०] ★★★ (१). वीसं असमाहिट्ठाणा पण्णत्ता, तंजहा दवदवचारि यावि भवति १, अपमज्जितचारि यावि भवति २, दुप्पमज्जितचारि यावि भवति ३, अतिरित्तसेज्जासणिए ४, रातिणियपरिभासी ५, थेरोवधातिए ६, भूओवघातिए७, संजलणे ८, कोधणे ९, पिट्ठिमंसिए १०, अभिक्खणं अभिक्खणं ओधारइत्ता भवति ११, णवाणं अधिकरणाणं अणुप्पण्णाणं उप्पाएत्ता भवति १२, पोराणाणं अधिकरणाणं खामितविओसवियाणं पुणो उदीरेता भवति १३, ससरक्खपाणिपाए १४, अकालसज्झायकारए यावि भवति १५, कलहकरे १६, सद्दकरे १७, झंझकरे १८, सूरप्पमाणभोई १९, एसणाऽसमिते यावि भवति २० । मुणिसुव्वते णं
अरहा वीसं धणूइं उर्दूउच्चत्तेणं होत्था। सव्वे विणं घणोदही वीसंजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ता। पाणयस्सणं देविंदस्स देवरण्णो वीसं सामाणियसाहस्सीओ 5 पण्णत्ताओ। णपुंसयवेयणिज्जस्सणं कम्मस्स वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ बंधओ बंधद्विती पण्णत्ता । पच्चक्खाणस्सणं पुव्वस्स वीसं वत्थू पण्णत्ता। उसप्पिणि
ओसप्पिणिमंडले वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ काले पण्णत्ते। (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं वीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। छट्ठीए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं वीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं वीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं वीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । पाणते कप्पे देवाणं उक्कोसेणं वीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । आरणे कप्पे देवाणं जहण्णेणं वीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा सातं विसातं सुविसायं सिद्धत्थं उप्पलं रुतिलं तिगिच्छं दिसासोवत्थियं वद्धमाणयं पलंबं पुप्फ सुपुष्पं पुप्फावत्तं पुप्फपभं पुप्फकंतं पुप्फवण्णं पुष्फलेसं पुप्फज्झयं पुप्फसिंगं पुप्फसिटुं पुप्फकूडं पुप्फत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं वीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। ते णं देवा वीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिंणं देवाणं वीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जति।
(४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे वीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति [जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेस्संति] [२१] ★★★ (१). एक्कवीसं सबला पण्णत्ता, 5 तंजहा हत्थकम्मं करेमाणे सबले १, मेहुणं पडिसेवमाणे सबले २, रातीभोयणं भुजमाणे [सबले] ३, आहाकम्मं भुंजमाणे [सबले] ४, सागारियं पिंडं भुंजमाणे र सबले ५, उद्देसियं कीतमाहट्ट जाव अभिक्खणं अभिक्खणं सीतोदयवियडवग्धारियपाणिणा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता भुंजमाणे सबले MOc555555555555 5 5 श्री आगमगुणमजूषा - १८७55555555555555555555555555552
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(४) समवायंगसुतं २१-२२-२३ द्वाणं
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।णियट्टिबादरस्सणं खवितसत्तयस्स मोहणिज्जस्स एक्कवीसं कम्मंसा संतकम्मं पण्णत्ता, तंजहा अपच्चक्खाणकसाए कोहे, एवं माणे माया लोभे । पच्चक्खाणकसाए कोहे, एवं माणे माया लोभे । संजलणे कोधे, एवं माणे माया लोभे । इत्थिवेदे, पुमवेदे, णपुंसयवेदे, हासे अरति, रति, भय, सोके, दुगुंछा । एक्कमेक्काए णं ओसप्पिणीए पंचम-छट्ठीतो समातो एक्कवीसं एक्कवीसं वाससहस्साई कालेणं पण्णत्तातो, तंजहा दूसमा, दूसमदूसमा य । एगमेगाए णं उस्सप्पिणीए पढम-बितियातो समातो एक्कवीसं एक्कवीसं वाससहस्साइं कालेणं पण्णत्तातो, तंजहा दुसमदूसमा, दूसमा य । (२) . इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरझ्याणं एक्कवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। छट्ठीए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एक्कवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं एक्कवीसंपलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं एक्कवीसंपलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। आरणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं एक्कवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । अच्चुते कप्पे देवाणं जहण्णणं एक्कवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (३).जे देवा सिरिवच्छं सिरिदामगंडं मल्लं किटिं चावोण्णतं आरणवडेंसंगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं एक्कवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तेणं देवा एक्कवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिणं देवाणं एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जति। (४) . संतेगतिया भवसिद्धिया [जीवा जे एक्कवीसाए भवग्गहण्णेहिं सिझस्संति] जाव सव्वदुक्खाणमंतं] करेस्संति॥[२२] *** (१) बावीसं परीसहा पण्णत्ता, तंजहा दिगिंछापरीसहे १, पिवासापरीसहे २, सीतपरीसहे ३, उसिणपरीसहे ४, दंसमसगफासपरीसहे ५, अचेलपरीसहे ६, अरतिपरीसहे ७, इत्थिपरीसहे ८, चरियापरीसहे ९, णिसीहियापरीसहे १०, सेज्जापरीसहे ११, अक्कोसपरीसहे १२, वधपरीसहे १३, जायणपरीसहे १४, अलाभपरीसहे १५, रोगपरीसहे १६, तणपरीसहे १७, जल्लपरीसहे १८, सक्कारपुरक्कारपरीसहे १९, अण्णाणपरीसहे २० दंसणपरीसहे २१, पण्णापरीसहे २२ । दिट्ठिवायस्स णं बावीसं सुत्ताइं छिन्नछेयणयियाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए, बावीसं सुत्ताई अच्छिन्नछेयणयियाई आजीवियसुत्तपरिवाडीए, बावीसं सुत्ताइं तिकणइयाई तेरासियसुत्तपरिवाडीए, बावीसं सुत्ताई चउक्कणइयाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए । बावीसतिविधे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तंजहा कालयवण्णपरिणामे, नीलवण्णपरिणामे, लोहियवण्णपरिणामे, हालिद्दवण्णपरिणामे, सुक्किलवण्णपरिणामे । सुब्भिगंधपरिणामे, एवं दुब्भिगंधे वि। तित्तरसपरिणामे, एवं पंच वि रसा | कक्खडफासपरिणामे मउयफासपरिणामे, गुरुफासपरिणामे, लहुफासपरिणामे, सीतफासपरिणामे, उसिणफासपरिणामे, णिद्धफासपरिणामे, लुक्खफासपरिणामे, गरुयलहुयपरिणामे, अगरुयलहुयपरिणामे। (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं बावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। छट्ठीए पुढवीए णेरइयाणं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। अहेसत्तमाए णं पुढवीए नेरइयाणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं बावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अच्चुत्ते कप्पे देवाणं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जाणं देवाणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा महितं विस्सुत्तं विमलं पभासं वणमालं अच्चुत्तवडेंसगं विमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसिंणं देवाणं [उक्कोसेणं ?] बावीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तेणं देवा बावीसं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं बावीसाए वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जति। (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे बावीसाए भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति॥२३]★★★(१).तेवीसंसूयगडज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा समए १, वेतालिएर, उवसग्गपरिण्णा ३, थीपरिण्णा ४, नरयविभत्ती ५, महावीरथुई ६, कुसीलपरिभासिते ७, वीरिए ८, धम्मे ९, समाही १०, मग्गे ११, समोसरणे १२, आहत्तहिए १३, गंथे १४, जमतीते १५, गाथा १६, पुंडरीए १७, किरियट्ठाणे १८, आहारपरिण्णा १९, पच्चक्खाणकिरिया २०, अणगारसुतं २१, अद्दइज्जं २२, णालंदतिज्जं २३ । (२). जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए तेवीसाए जिणाणं सूरग्गमणमुहुत्तंसि केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे । जंबुद्दीवेणं दीवे इमीसे ओसप्पिणीए तेवीसं तित्थकरा पुव्वभवे एक्कारसंगिणो होत्था, तंजहा अजित संभव अभिणंदण जाव पासो वद्धमाणो य । उसभे णं अरहा कोसलिए
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श्री आगमगुणमंजूषा-१८८5555555555555555$$$OOK
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AGRO555555 (४) समवायंगसुत्तं २३-२४-२५ द्वाणं [१२]
__ FFFERENOR चोद्दसपुव्वी होत्था। जंबुद्दीवेणं दीवे इमीसे ओसप्पिणीए तेवीसं तित्थकरा पुव्वभवे मंडलियरायाणो होत्था, तंजहा अजित संभव जाव वद्धमाणो य। उसभेणं अरहा
कोसलिए चक्कवट्टी होत्था। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अहेसत्तमाए णं पुढवीए अत्थेगतियाणं ॐ नेरइयाणं तेवीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं तेवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं ॥
देवाणं तेवीसंपलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । हेट्ठिममज्झिमगेवेज्झाणं देवाणं जहण्णेणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। (३).जे देवा हेट्टिमहेट्ठिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ते णं देवा तेवीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा | तेसिणं देवाणं तेवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जति। (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे तेवीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति ॥ [२४]★★★ (१) चउवीसं देवाहिदेवा पण्णत्ता, तंजहा उसभ अजित जाव वद्धमाणे । चुल्लहिमवंत-सिहरीणं वासहरपव्वयाणं जीवाओ' चउवीसं चउवीसं जोयणसहास्साई णव बत्तीसे जोयणसते एगं च अट्ठतीसभागं जोयणस्स किंचिविसेसाहिताओ आयामेणं पण्णत्ताओ। चउवीसंदेवठ्ठाणा सइंदया पण्णत्ता । सेसा अहमिंदा अणिंदा अपुरोहिता। उत्तरायणगते णं सूरिए चउवीसंगुलिए पोरिसीछायं णिव्वत्तइत्ता णं णियट्टति । गंगा-सिंधूओ णं महाणदीओ पवहे सातिरेगे चउवीसं कोसे वित्थारेणं पण्णत्ताओ । रत्त-रत्तवतीओ णं महाणदीओ पवहे सातिरेगे चउवीसं कोसे वित्थारेणं पण्णत्तातो। (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं णेरइयाणं चउवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं चउवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं चउवीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्यंगतियाणं देवाणं चउवीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जाणं देवाणं जहण्णेणं चउवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। ३ . जे देवा हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता।ते णं देवा चउवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिणं देवाणं चउवीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे समुप्पज्जति। ४ संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे चउवीसाए भवग्गहणेहि सिज्झिस्संति [जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति] || [२५] ★★★ (१) पुरिमपच्छिमताणं तित्थगराणं पंचजामस्स पणुवीसं भावणाओ पण्णत्ताओ, तंजहा इरियासमिति, मणगुत्ती, वइगुत्ती, आलोयभायणभोयणं, आदाणभंडनिक्खेवणासमिति ५, अणुवीतिभासणया, कोहविवेगे, लोभविवेगे, भयविवेगे, हासविवेगे १०, उग्गहअणुण्णवणता, उग्गहसीमजाणणता, सयमेव उग्गहअणुगेण्हणता, साहम्मियउग्गहं अणुण्णविय परिभुंजणता, साहारणभत्तपाणं अणुण्णविय परिभुंजणता १५, इत्थी-पसु-पंडगसंसत्तसयणासणवज्जणता, इत्थीकहविवज्जणया, इत्थीए इंदियाणमालोयणवज्जणता, पुव्वरत-पुव्वकीलियाणं अणणुसरणता, पणीताहारविवज्जणता २०, सोइंदियरागोवरती, एवं पंच वि इंदिया २५ । मल्ली णं अरहा पणुवीसं धणूति उहुंउच्चत्तेणं होत्था । सव्वे वि णं दीहवेयड्डपव्वया पणुवीसं पणुवीसं जोयणाणि उडुंउच्चत्तेणं, पणुवीसं पणुवीसं गाउयाणि उव्वेधेणं पण्णत्ता । दोच्चाए णं पुढवीए पणुवीसं णिरयावाससयवसहस्सा पण्णत्ता। आयरस्स णं भगवतो सचूलियायस्स पणुवीसं अज्झीणा पण्णत्ता। मिच्छादिट्ठिविगलिदिए णं अपज्जत्तए संकिलिट्ठपरिणामे णामस्स कम्मस्स पणुवीसं उत्तरपगडीओ णिबंधति, तंजहा तिरियगतिणाम, वियलिदियजातिणाम,
ओरालियसरीरणाम, तेयगसरीरणाम, कम्मगसरीरणाम, हुंडसंठाणणाम, ओरालियसरीरंगोवंगणाम, सेवट्ठसंघयणणामं, वण्णनामं, गंधणामं, रसणामं, फासणाम, तिरियाणुपुग्विणामं, अगरूलहुनाम, उवघातणाम, तसणाम, बादरणामं, अपज्जत्तयणामं, पत्तेयसरीरणामं, अथिरणामं, असुभणामं, दुभगणामं, अणादेज्जणामं, अजसोकित्तीणामं, निम्माणणाणं २५ । गंगा-सिंधूओ णं महाणदीओ पणुवीसं गाउयाणि पुहत्तेणं दुहतो घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठितेणं पवातेणं पवडंति । रत्ता-रत्तवतीओ णं महाणदीओ पणुवीसं गाउयाणि पुहत्तेणं जाव पवातेणं पवडंति । लोगबिंदुसारस्स णं पुव्वस्स पणुवीसं वत्थू पण्णत्ता। (२) इमीसे णं
रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं पणुवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं पणुवीसं सागरोवमाई ठिती xoxof959555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १८९555555555555555555555FOR
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(४) समवायंगसुतं २५-२६-२७-२८ द्वाणं [१३]
पण्णत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं पणुवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं पणुवीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जाणं देवाणं जहणणेणं पणुवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा हेट्टिमउवरिमगेवेज्जगविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि देवाणं [उक्कोसेणं ?] पणुवीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा पणुवीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं पणुवीसाए वाससस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । ४ संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे पणुवीसाए [भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति ।] [२६. ] ★★★ (१) छव्वीसं दस- कप्प-ववहाराणं उद्देसणकाला पण्णत्ता, तंजहा दस दसाणं, छ कप्पस्स, दस ववहारस्स । अभवसिद्धियाणं जीवाणं मोहणिज्जस्स कम्मस्स छव्वीसं कम्मंसा संतकम्मा पण्णत्ता, तंजहा मिच्छत्तमोहणिज्जं, सोलस कसाया, इत्थीवेदे पुरिसवेदे, नपुंसकवेदे, हासं, अरति, रति, भयं, सोगो, दुगुंछा। (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं छव्वीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं छव्वीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं छव्वीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं छव्वीसं पलिओ माइंठिती पण्णत्ता । मज्झिममज्झिमगेवेज्जयाणं देवाणं जहण्णेणं छव्वीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं छव्वीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा छव्वीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं छव्वीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे छव्वीसाए भवग्गहणेहिं [सिज्झिस्संति] जाव अंतं करेस्संति । [२७] ★★★ (१) सत्तावीसं अणगारगुणा पण्णत्ता, तंजहा पाणातिवातवेरमणे, एवं पंच वि। सोतिदियनिग्गहे जाव फासिदियनिग्गहे । कोधविवेगे जावलोभविवेगे । भावसच्चे, करणसच्चे, जोगसच्चे, खमा, विरागता, मणसमाहरणता, वतिसमाहरणता, कायसमाहरणता, णाणसंपण्णया, दंसणसंपण्णया, चरित्तसंपण्णया, वेयणअधियासणता, मारणंतियअहियासणया । जंबुद्दीवे दीवे अभिइवज्जेहिं सत्तावीसाए णक्खत्तेहिं संववहारे वट्टति । एगमेगे णं णक्खत्तमासे सत्तावीसं रातिंदियाइं रातिंदियग्गेणं पण्णत्ते । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणपुढवी सत्तावीसं जोयणसताइं बाहल्लेणं पण्णत्ता । वेयगसम्मत्तबंधोवरयस्स णं मोहणिज्जस्स कम्मस्स सत्तावीसं उत्तरपगडीओ सतकम्मंसा पण्णत्ता । सावणसुद्धसत्तमीए णं सूरिए सत्तावीसंगुलियं पोरिसिच्छायं णिव्वत्तइत्ता णं दिवसखेत्तं निवड्डेमाणे रयणिखेत्तं अभिणिवडेमाणे चारं चरति । (३) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता | असत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं सत्तावीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं सत्तावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । मज्झिमउवरिमगेवेज्जयाणं देवाणं जहण्णेणं सत्तावीसं सागरोवमा पण्णत्ता। (३) जे देवा मज्झिममज्झिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा सत्तावीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं सत्तावीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे सत्तावीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव अंतं करेस्संति । [२८]★★★ (१) अट्ठावीसतिविहे आयारपकप्पे पण्णत्ते, तंजहा मासिया आरोवणा, सपंचरायमासिया आरोवणा, सदसरातमासिया आरोवणा, सपण्णरसरातमासिया आरोवणा, सवीसतिरायमासिया आरोवणा, सपंचवीसरातमासिया आरोवणा, एवं चेव दोमासिया आरोवणा, सपंचरातदोमासिया आरोवणा, एवं तेमासिया आरोवणा, चउमासिया आरोवणा, उग्घातिया आरोवणा, अणुग्धातिया आरोवणा, कसिणा आरोवणा, अकसिणा आरोवणा । इत्ताव ताव आयारपकप्पे, इत्तावताव आयरियव्वे । भवसिद्धियाणं जीवाणं अत्थेगतियाणं मोहणिज्जस्स कम्मस्स अट्ठावीस कम्मंसा संतकम्मं पण्णत्ता, तंजहा सम्मत्तवेयणिज्जं, मिच्छत्तवेयणिज्जं सम्ममिच्छत्तवेयणिज्जं, सोलस कसाया, णव णोकसाया । आभिणिबोहियणाणे अट्ठावीसतिविहे पण्णत्ते, तंजहा सोतिंदियत्थोग्गहे, चक्खिदियत्थोग्गहे, घाणिदियत्थोग्गहे, जिब्भिंदियत्थोग्गहे, फासिंदियत्थोग्गहे, णोइंदियत्थोग्गहे,
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(४) समवायंगसुतं २८ २९ ३० द्वाणं [१४]
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सोतिदियवंजणोग्गहे, घाणिदियवंजणोग्गहे, जिब्भिंदियवंजणोग्गहे, फासिंदियवंजणोग्गहे, सोतिंदियईहा जाव फासिंदियईहा, गोइंदियईहा, सोतिंदियावाते णोइंदियअवाते, सोइंदियधारणा जाव णोइंदियधारणा । ईसाणे णं कप्पे अट्ठावीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । जीवे णं देवगतिं निबंधमाणे नामस्स कम्म अट्ठावीसं उत्तरपगडीओ णिबंधति, तंजहा देवगतिनामं, पंचेदियजातिनामं, वेउव्वियसरीरनामं, तेययसरीरनामं, कम्मयसरीरनामं, समचउरंससंठाणणामं, वे उव्वियसरीरंगोवंगणामं, वण्णणामं, गंधणामं, रसणामं, फासणामं, देवाणुपुव्वीणामं, अगरुयलहुअनामं, उवघायनामं, पराघायनामं, ऊसासनामं, पसत्थविहायगंइणामं, तसनामं, बायरणामं, पज्जत्तनामं, पत्तेयसरीरनामं, थिराधिराणं दोन्हं अण्णयरं एगनामं णिबंधति, सुभासुभाणं दोण्हमण्णयरं एगनामं निबंधई, सुभगणामं, सुस्सरणामं, आएज्ज- अणाज्जनामाणं दोण्हमण्णयरं एगनामं निबंधइ, जसकित्तिनामं, निम्माणनामं । एवं चेव नेरइए वि, णाणतं अपसत्थविहायगइणामं, हुंडसंठाणनामं, अथिरणामं, दुब्भगणामं, असुभनामं, दुस्सरनामं, अणादेज्जणामं, अजसोकित्तीणामं, निम्माणनामं । (२) इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं अट्ठावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवाणं अत्थेगतियाणं अट्ठावीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जयाणं देवाणं जहणणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा मज्झिमउवरिमगेवेज्जएसु विमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं अट्ठावीसं सागरोवमा ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा अट्ठावीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं अट्ठावीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति। (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे अट्ठावीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [२९]
(१)
. एगूणतीसतिविहे पावसुतपसंगे पण्णत्ते, तंजहा भोमे, उप्पाए, सुमिणे, अंतलिक्खे, अंगे, सरे, वंजणे, लक्खणे । भोमे तिविहे पण्णत्ते, तंजहा सुत्तं, वित्ती, वत्तिए । एवं एक्केक्कं तिविहं । विकहाणुयोगे, विज्जाणुजोगे, मंताणुजोगे, जोगाणुजोगे, अण्णतित्थियपवत्ताणुजोगे । आसाढे णं मासे एगूणतीसं रातििदियाई रातिदियग्गेणं पण्णत्ते | भद्दवते णं मासे [एगूणतीसं रातिदियाइं रातिदियग्गेणं पण्णत्ते ] । कत्तिए णं [ मासे एगूणतीसं रातिदियाइं रातिदियग्गेणं पण्णत्ते] । पोसे णं मासे [एगूणतीसं रातिदियाई रातिदियग्गेणं पण्णत्ते ] । फग्गुणे णं [मासे एगूणतीसं रातिदियाइं रातिदियग्गेणं पण्णत्ते ] | वइसाहे णं मासे [एगूणतीसं रातिंदियाई रातिदिग्गेणं पण्णत्ते ] । चंददिणे णं एकूणतीसं मुहुत्ते सातिरेगे मुहुत्तग्गेणं पण्णत्ते । जीवे णं पसत्थज्झवसाणजुत्ते भविए सम्मद्दिट्ठी तित्थकरनामसहिताओ णामस्स णियमा एगूणतीसं उत्तरपगडीओ निबंधित्ता वेमाणिएसु देवेसु देवत्ताए उववज्जति । (२) इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एगूणतीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एगूणतीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं एगूणतीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं एगूणतीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । उवरिममज्झिमगेवेज्जयाणं देवाणं जहणणं एगूणतीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एगूणतीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा एगूणतीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसिं णं देवाणं एगूणतीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे एगूणतीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति [जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति] |[३०] ★★★ (१) तीसं मोहणिज्जठाणा पण्णत्ता, तंजा - जे यावि तसे पाणे वारिमज्झे विगाहिया । उदएणक्कम्म मारेति महामोहं पकुव्वति ॥ १९॥ सीसावेढेण जे केई आवेढेति अभिक्खणं । तिव्वासुभसमायारे महामोहं पकुव्वति ||२०|| पाणिणा संपिहित्ताणं सोयमावरिय पाणिणं । अंतो नदंतं मारेइ महामोहं पकुव्वइ ||२१|| जायतेयं समारब्भ बहुं ओरुंभिया जणं । अंतोधूमेण मारेइ महामोहं पकुव्वइ ||२२|| सीसम्मि जे पहणइ उत्तमंगम्मि चेयसा । विभज्न मत्थयं फाले महामोहं पकुव्वति ||२३|| पुणो पुणो पणिहीए हणित्ता उवहसे जणं । फलेणं अदुव दंडेणं महामोहं पकुव्वइ ||२४|| गूढायारी निगूहेज्जा मायं मायाए छायए । असच्चवाई णिण्हाई महामोहं पकुव्व ॥ २५॥ धंसेइ जो अभूणं Aero श्री आगमगुणमंजूषा - १९१
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(४) समवायंगसुतं ३०-३१ द्वाणं
[१५]
अकम्मं अत्तकम्मुणा । अदुवा तुममकासि त्ति महामोहं पकुव्वइ ||२६|| जाणमाणो परिसओ सच्चामोसाणि भासति । अक्खीणझंझे पुरिसे महामोहं पकुव्वति ||२७|| अणायगस्स नयवं दारे तस्सेव धंसिया । विउलं विक्खोभइत्ताणं किच्चा णं पडिबाहिरं ||२८|| उवगसंतं पि झंपित्ता पडिलोमाहिं वग्गूहिं । भोगभोगे वियारेति महामोहं पकुव्वति ||२९|| अकुमारभूए जे केइ कुमारभूए त्ति हं वए। इत्थीहिं गिद्धे वसए महामोहं पकुव्वति ॥३०॥ अबंभयारी जे केइ बंभयारि त्ति हं वए। गद्दभे व्व गवं मज्झे विस्सरं नदई नदं ॥३१ अप्पणो अहिए बाले मायामोसं बहुं भसे । इत्थीविसयगेहीए महामोहं पकुव्वइ ||३२|| जं निस्सिए उव्वहती जससा अहिगमेण वा । तस्स लुब्भइ वित्तम्मि महामोहं पकुव्वइ ||३३|| इस्सरेण अदुवा गामेणं अणिस्सरे इस्सरीकए। तस्स संपग्गहीयस्स सिरी अतुलमागया ||३४|| ईसादोसेण आइट्ठे कलुसाविलचेयसे । जे अंतरायं चेएइ महामोहं पकुव्वति ||३५|| सप्पी जहा अंडउडं भत्तारं जो विहिंसइ । सेणावई पसत्थारं महामोहं पकुव्वइ ||३६|| जे नायगं व रट्ठस्स नेयारं निगमस्स वा । सेट्ठि बहुरखं हंता महामोहं पकुव्वति ||३७|| बहुजणस्स णेयारं दीवं ताणं च पाणिणं । एयारिसं नरं हंता महामोहं पकुव्वति ॥३८॥ उवट्ठियं पडिविरयं संजयं सुतवस्सियं । वोकम्म धम्मओ भंसे महामोहं पकुव्वति ||३९|| तहेवाणंतणाणीणं जिणाणं वरदंसिणं । तेसिं अवण्णिमं बाले महामोहं पकुव्वति ||४०|| नेयाउयस्स मग्गस्स दुट्ठे अवयरई बहुं । तं तिप्पयंतो भावेति महामोहं पकुव्वति ॥४१॥ आयरियउवज्झाएहिं सुयं विणयं च गाहिए ते चेव खिंसती बाले महामोहं पकुव्वति ॥४२॥ आयरियउवज्झायाणं सम्मं नो पडितप्पइ । अप्पडिपूयए थद्धे महामोहं पकुव्वति ||४३|| अबहुस्सुए य जे केइ सुएण पविकत्थई । सज्झायवायं वयति महामोहं पकुव्वति ॥४४॥ अतवस्सिए य जे केइ तवेण पविकत्थइ । सव्वलोयपरे तेणे महामोहं पकुव्वति ||४५|| साहारणट्ठा जे केइ गिलाणम्मि उवट्ठिए । पभू ण कुणई किच्चं मज्झं पि से न कुव्वति ||४६|| सढे नियडिपण्णाणे कलुसाउलचेयसे ।। अप्पणो य अबोहीए महामोहं पकुव्वति ॥ ४७|| जे कहाहिगरणाई संपउंजे पुणो पुणो । सव्वतित्थाण भेयाय महामोहं पकुव्वति ॥४८॥ जे य आहम्मिए जोए संपउंजे पुणो पुणो । साहाहेउं सहीहेउं महामोहं पकुव्वति ||४९|| जे य माणुस भए अदुवा पारलोइए । तेऽतिप्पयंतो आसयति महामोहं पकुव्वति ॥ ५०॥ इड्डी जुती जसो वण्णो देवाणं बलवीरियं । तेसिं अवण्णिमं बाले महामोह पकुब्वति ||५१|| अपस्समाणो पस्सामि देवे जक्खे य गुज्झगे । अण्णाणी जिणपूयट्ठी महामोहं पकुव्वति ||१२|| थेरे णं मंडियपुत्ते तीसं वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । एगमेगे णं अहोरत्ते तीसं मुहुत्ता मुहुत्तग्गेणं पण्णत्ते । एतेसि णं तीसाए मुहुत्ताणं तीसं नामधेज्ना पण्णत्ता, तंज, सेते, मित्ते, वाऊ, सुपीए ५, अभियंदे, माहिदे, बलवं, बंभे, सच्चे १०, आणंदे, विजए, वीससेणे, पायावच्चे, उवसमे १५, ईसाणे, तट्ठे, भावियप्पा, वेसमणे, वरुणे २०, सतरिसभे, गंधव्वे, अग्गिवेसायणे, आतवं, आवत्तं २५, तट्ठवं, भूमहं, रिसभे, सव्वट्ठसिद्धे, रक्खसे ३० । अरे णं अरहा तीसं धणूई उडुंउच्चत्तेणं होत्था । सहस्सारस्स णं देविंदस्स देवरण्णो तीसं सामाणियसाहस्सीतो पण्णत्ताओ। पासे णं अरहा तीसं वासाई अगारमज्झावसित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते । समणे भगवं महावीरे तीसं वासाई अगार जाव पव्वतिते । रयणप्पभाए णं पुढवीए तीसं निरयावाससतसहस्सा पण्णत्ता । (२) इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं तीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं तीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । [ सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं तीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता ?] उवरिम [ उवरिम] गेवेज्जयाणं देवाणं जहण्णेणं तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा उवरिममज्झिमगेवेज्जएसु विमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं तीसं `सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा तीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा जाव तीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे [समुप्पज्जति] । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे तीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [३१] ★★★ (१) एक्कतीसं सिद्धाइगुणा पण्णत्ता, तंजा खीणे आभिणिबोहियणाणावरणे, सुयणाणावरणे, ओहिणाणावरणे, मणपज्जवणाणावरणे, खीणे केवलणाणावरणे। खीणे चक्खुदंसणावरणे, एवं अचक्खुदंसणावरणे, ओहिदंसणावरणे केवलदंसणावरणे, निद्दा, णिद्दाणिद्दा, पयला, पयलापयला, खीणे थिणगिद्धी । खीणे सातावेयणिज्जे, खीणे असायावेयणिज्जे । खीणे दंसणमोहे, खीणे चरित्तमोहणिज्जे । खीणे नेरइयाउए, तिरियाउए, माणुसाउए, देवाउए । खीणे उच्चागोए, खीणे निच्चागोए एवं सुभा
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વર્ણ
રસ.
કોયલ
લેશ્યા કૃષ્ણ નીલ કપોત
૨.
મોર કબૂતર પોપટ સૂર્યમુખી
* સમવાયાંગસૂત્ર: ગંધ મરેલી ગાય લીંબડો કૂતરો
મરચું સાપ
કાચી કેરી ચંદન
પાકી કેરી ગુલાબજળ દ્રાક્ષાસવા ચમેલીનું અત્તર ખીર
સ્પર્શ કરવત. ગાયની જીભ શાક-વનસ્પતિ મૂલ-વનસ્પતિ માખણ.
પદ્મ.
શુક્લ
ડું ફૂલ
वर्ण
&
«
२.
कुत्ता
लेश्या कृष्ण नील कापोत तेजो पद्म शुक्ल
* સમવાયાંગ સૂત્ર: गंध
रस मृत गाय नीम
मिर्च
कच्चा आम चंदन
पक्का आम गुलाबजल द्राक्षासव चमेली इत्र पायस-खीर
साप
कोकिल मोर कबूतर तोता सूर्यमुखी कुन्दफूल
स्पर्श करवत गाय-जीभ सब्जी-तरकारी कन्दमूल मक्खन फूल
જે
૪
५.
કે
No.
leśyā black blue pigeonic bright lotus white
colour cuckoo peacock pigeon parrot sunflower jasmine
*Samavāyānga-sūtra: odour taste dead cow Neem-leaf dog
chilli serpent raw mango sandal ripe mango rose-water wine cameli-scent milk rice
touch SOW cow-tongue vegetables root-vegetables butter flower
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(४) समवायंगसुतं ३१-३२-३३ द्वाणं [१६]
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अभणा। खीणे दाणंतराए, एवं लाभ- भोग-उवभोग-वीरियंतराए ३१ । मंदरे णं पव्वते धरणितले एक्कतीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसते किंचिदेसू परिक्खेवेणं पण्णत्ते । जया सूरिए सव्वबाहिरयं मंडलं उवसंकमित्ता णं चारं चरति तया णं इहगयस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहि य एक्कतीसे हिं जोयणसतेहिं सीसाए सट्टिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति । अभिवड्डिए णं मासे एक्कतीसं सातिरेगाणि रातिदियाणि रातिदियग्गेणं पण्णत्ते । आइच्चे णं मासे एक्कतीसं रातिंदियाणि किंचिविसेसूणाणि रातिंदियग्गेणं पण्णत्ते । (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाण एक्कतीसं पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । असत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं एक्कतीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं एक्कतीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता | सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं एक्कतीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। विजय - वेजयंत- जयंत अपराजिताणं देवाणं जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमा ठिती पण्णत्ता । (३) जे देवा उवरिमउवरिमगेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा एकतीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं एक्कतीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे एक्कतीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [३२] ★★★ (१) बत्तीसं जोगसंगहा पण्णत्ता, तंजहा - आलोयणा १ निरवलावे २, आवतीसु दढधम्मया ३ । अणिस्सितोवहाणे य ४, सिक्खा ५ निप्पडिकम्भया ६ || ५३ || अण्णातता ७ अलोभे य ८, तितिक्खा ९
१० सुई ११ | सम्मद्दिट्ठी १२ समाही य १३, आयारे १४ विणओवए १५ || ५४ ॥ धितीमती य १६ संवेगे १७, पणिही १८ सुविहि १९ संवरे २० । अत्तदोसोवसंहारे २१, सव्वकामविरत्तया २२ ॥५५॥ पच्चक्खाणे २४-२४ विओसग्गे २५, अप्पमादे २६ लवालवे २७ । झाणसंवरजोगे य २८, उदए मारणंतिए २९ || ५६ || संगाणं च परिण्णा य ३०, पायच्छित्तकरणे ति य ३१ । आराहणा य मरणंते ३२, बत्तीसं जोगसंगहा ||५७|| बत्तीसं देविंदा पण्णत्ता, तंजहा चमरे, बलि, धरणे, भूयाणंदे, जाव घोसे, महाघोसे, चंदे, सूरे, सक्के, ईसाणे, सणकुमारे जाव पाणते, अच्चुते । कुंथुस्स णं अरहओ बत्तीसं जिणा बत्तीसं जिणसया होत्था ।
हम्पेत् विमाणावाससतसहस्सा पण्णत्ता । रेवतिणक्खत्ते बत्तीसतितारे पण्णत्ते । बत्तीसतिविहे णट्टे पण्णत्ते । (२) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्येगतियाणं नेरइयाणं बत्तीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । अहेसत्तमाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं बत्तीस पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं बत्तीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा विजयवेजयंत- जयंत अपराजितविमाणेसु देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं अत्थेगतियाणं बत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा बत्तीसाए अदमासेहिं आणमंति वा पाणमंत वा ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं बत्तीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे बत्तीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति । [३३] ★★★ (१) तेत्तीसं आसायणातो पण्णत्तातो, तंजहा सेहे रातिणियस्स आसन्नं गंता भवति, [आसायणा सेहस्स] १, सेहे राइणियस्स पुरतो गंता भवति, [आसायणा सेहस्स २], सेहे राइणियस्स [स?] पक्खं गंता भवति, आसायणा सेहस्स३, सेहे रातिणियस्स आसन्नं ठिच्चा भवति, आसायणा सेहस्स ४, जाव रातिणियस्स आलवमाणस्स तत्थगते चिय पडिसुणेति, [आसायणा सेहस्स] ३३, इति खलु एतातो तेत्तीसं आसायणातो। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो चमरचंचाए रायहाणीए एक्मेक्के बारे तेत्तीस तेत्तीसं भोमा पण्णत्ता । महाविदेहे णं वासे तेत्तीसं जोयणसहस्साई सातिरेगाइं विक्खंभेणं पण्णत्ताइं । जया णं सूरिए बाहिराणंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता णं चारं चरति तया णं इहंगतस्स पुरिसस्स तेत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं किंचिविसेसूणेहिं चक्खुफासं हव्वमागच्छति । ( २ ) इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगतियाणं नेरइयाणं तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णता । अहेसत्तमाए पुढवीए काल-महाकाल-रोरूय-महारोरुएसु नेरइयाणं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । अप्पतिट्ठाणे नरए नेरइयाणं अजहण्णमणुक्लोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगतियाणं तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगतियाणं देवाणं श्री आगमगुणमंजूषा - १९३ ॐ ॐ ॐ
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(४) समवायगसुत्त ३४-३५-३६ हाण (१७)
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तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितेसु विमाणेसु उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। (३) जे देवा सव्वट्ठसिद्धं महाविमाणं देवत्ताते उववण्णा तेसि णं देवाणं अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । ते णं देवा तेत्तीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ॥ ऊससंति वा नीससंति वा । तेसि णं देवाणं तेत्तीसाए वाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पज्जति । (४) संतेगतिया भवसिद्धिया जीवा जे तेत्तीसाए भवग्गहणेहिं
सिज्झिस्संति [जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्संति] [[३४.]XXXचोत्तीसं बुद्धातिसेसा पण्णत्ता, तंजहा अवट्ठिते केसु-मंसु-रोम-णहे १, निरामया निरुवलेवा 卐 गायलट्ठी २, गोखीरपंड्डुरे मंससोणिते ३, परमुप्पलगंधिए उस्सासनिस्सासे ४, पच्छन्ने आहारनीहारे अदिस्से मंसचक्खुणा ५, आगासगयं चक्कं ६, आगासगं
छत्तं ७, आगासियाओ सेयवरचामरातो ८, आगासफालियामयं सपायपीढं सीहासणं ९, आगासगतो कुडभीसहस्सपरिमंडियाभिरामो इंदज्झओ पुरतो गच्छति १०, जत्थ जत्थ वि य णं अरहंता भगवंतो चिट्ठति वा निसीयंति वा तत्थ तत्थ वि य णं तक्खणादेव संछन्नपत्तपुप्फपल्लवसमाउलो सच्छत्तो सज्झओ सघंटो सपडातो असोगवरपायवो अभिसंजायति ११, ईसि पिट्ठओ मउडट्ठाणम्मि तेयमंडलं अभिसंजायति, अंधकारे वि य णं दस दिसातो पभासेति १२, बहुसमरमणिज्ने भूमिभागे १३, अहोसिरा कंटया भवंति १४, उडु अविवरीया सुहफासा भवंति १५, सीतलेणं सुहफासेणं सुरभिणा मारुएणं जोयणपरिमंडलं सव्वओ समंता संपमज्जिज्जइत्ति १६, जुत्तफुसिएणय मेहेण नियरयरेणुयं कज्जति १७, जलथलयभासुरपभूतेणं विंटठ्ठाइणा दसद्धवण्णेणं कुसुमेणंजाणुस्सेहप्पमाणमेत्ते पुप्फोक्यारे कज्जति १८, अमणुण्णाणं सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाणं अवकरिसो भवति १९, मणुण्णाणं सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाणं पाउब्भावो भवति २०, पच्चाहरतो विय णं हिययगमणीओ जोयणनीहारीसरो २१, भगवं च णं अद्धमागधाए भासाए धम्ममातिक्खति २२, सा वि य णं अद्धमागधा भासा भासिज्जमाणी तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं दुप्पय-चउप्पयमिय-पसु-पक्खि-सिरीसिवाणं अप्पप्पणो हितसिवसुहदा भासत्ताए परिणमति २३, पुव्वबद्धवेरा वियणं देवासुर-नाग-सुवण्णजक्ख-रक्खस-किंनर-किंपुरिस-गरुल-गंधव्व-महोरगा अरहतो पायमूले पसंतचित्तमाणसा धम्मं निसामेति २४, अण्णतित्थियपावयणी वि य णं आगया वंदंति २५, आगया समाणा अरहओ पायमूले निप्पडिवयणाभवंति २६, जतो जतो वि य णं अरहता भगवंतो विहरंति ततो ततो वि य णं जोयणपणुवीसाएणं ईती न भवति २७, मारी न भवति २८, सचक्कं न भवति २९, परचक्कं न भवति ३०, अतिवुट्ठी न भवति ३१, अणावुट्ठी न भवति ३२, दुब्भिक्खं न भवति ३३, पुव्वप्पण्णा वि य णं उप्पातिया वाही खिप्पामेव उवसमंति ३४ । जंबुद्दीवे णं दीवे चउत्तीसं चक्कवट्टिविजया पण्णत्ता, तंजहा बत्तीसं महाविदेहे भरहे, एरवए। जंबुद्दीवेणं दीवे चोत्तीसं दीहवेयड्ढा पण्णत्ता। जंबुद्दीवे णं दीवे उक्कोसपदे चोत्तीसं तित्थकरा समुप्पज्जति । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो चोत्तीसं भवणावाससतसहस्सा पण्णत्ता। पढम-पंचम-छट्ठी-सत्तमासु चउसु पुढवीसु चोत्तीसं निरयावाससतसहस्सा पण्णत्ता । [३५]. *** पणतीसं सच्चवयणाइसेसा पण्णत्ता । कुंथू णं अरहा पणतीसं धणूइं उईउच्चत्तेणं होत्था । दत्ते णं वासुदेवे पणतीसं धणूई उईउच्चत्तेणं होत्था । नंदणे णं बलदेवे पणतीसं धणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्था। सोहम्मे कप्पे सभाए सोहम्माए माणवए चेतियक्खंभे हेट्ठा उवरिं च अद्धतेरस अद्धतेरस जोयणाणि वज्जेत्ता मज्झे पणतीसाए जोयणेसु वतिरामएसु गोलवट्टसमुग्गतेसु जिणसकहातो पण्णत्तातो । बितिय-चउत्थीसु दोसु पुढवीसु पणतीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। [३६]. *** छत्तीसं उत्तरज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा विणयसुयं १, परीसहा २, चाउरंगिनं ३, असंखयं ४, अकाममरणिज्ज ५, पुरिसविज्जा ६, उरब्भिज्ज ७, काविलिज्ज ८, नमिपव्वज्जा ९, दुमपत्तयं १०, बहुसुतपुज्जा ११, हरितेसिज्ज १२, चित्तसंभूयं १३, उसुकारिनं १४, सभिक्खुगं १५, समाहिट्ठाणाइं १६, पावसमणिज्जं १७, संजइज्ज १८, मियचारिता १९, अणाहपव्वज्जा २०, समुद्दपालिज्ज २१, रहनेमिज्जं २२, गोतमकेसिज्ज २३, समितीओ २४, जण्णतिज्जं २५, सामायारी २६, खलुंकिज्ज २७, मोक्खमग्गगती २८, अप्पमातो २९, तवोमग्गो ३०, चरणविही ३१, पमायट्ठाणाई ३२, कम्मपगडि ३३, लेसज्झयणं ३४, अणगारमग्गे ३५, जीवाजीवविभत्ती य ३६ । चमरस्स णं असुरिंदस्सम
असुररण्णो सभा सुधम्मा छत्तीसं जोयणाई उहुंउच्चत्तेणं होत्था । समणस्स णं भगवतो महावीरस्स छत्तीसं अज्जाणं साहस्सीतो होत्था। चेतासोएसुणं मासेसु सति re: 5
5 555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १९४555555555555555555555OOK
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(४) समवायंगसुतं ३६-३७-३८-३९-४०-४१-४२-४३-४४-ाई [१८]
छत्तीसंगुलियं सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तति । [३७] ★★★. कुंथुस्स णं अरहओ सत्तत्तीसं गणा सत्तत्तीसं गणहरा होत्था। हेमवय हेरण्णवतियातो णं जीवातो सत्तत्तीसं सत्तत्तीसं जोयणसहस्साइं छच्च चोवत्तरे जोयणसते सोलस य एकूणवीसइभाए जोयणस्स किंचिविसेसूणातो आयामेणं पण्णत्तातो । सव्वासु णं विजयवेजयंत- जयंत अपराजितासु रायधाणीसु पागारा सत्तत्तीसं सत्तत्तीसं जोयणाई उउच्चतेणं पण्णत्ता । खुड्डियाए णं विमाणप्पविभत्तीए पढमे वग्गे सत्तत्तीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता | कत्तियबहुलसत्तमीए णं सूरिए सत्ततीसंगुलियं पोरिसिच्छायं निव्वत्तइत्ता णं चारं चरति । [३८] ★ ★ ★ पासस्स णं अरहतो पुरिसादाणीयस्स अट्ठत्तीसं अज्जिआसाहस्सीतो उक्कोसिया अज्जियासंपया होत्था। हेमवतेरण्णवतियाणं जीवाणं धणूवट्ठा अट्टत्तीसं अट्ठत्तीसं जोयणसहस्साई सत्त य चत्ताले जोयणसते दस एगूणवीसतिभागे जोयणस्स किंचिविसेसूणा परिक्खेवेणं पण्णत्ता । अत्थस्स णं पव्वयरण्णो बितिए कंडे अट्ठत्तीसं जोयणसहस्साइं उच्चत्तेणं पण्णत्ते । खुड्डियाए णं विमाणपविभत्तीए बितिए वग्गे अठ्ठत्तीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता । [३९] ★ ★ ★ नमिस्स णं अरहतो एगूणचत्तालीसं आहोहियसया होत्था । समयखेत्ते णं एकूणचत्तालीसं कुलपव्वया पण्णत्ता, तंजहा तीसं वासहरा, पंचमंदरा, चत्तारि उसुकारा। दोच्च चउत्थ- पंचम छट्ठ-सत्तमासु णं पंचसु पुढवीसु एकूणचत्तालीसं निरयावाससतसहस्सा पण्णत्ता । नाणावरणिज्जस्स मोहणिजस्स गोत्तस्स आउस्स वि एतासि णं चउण्हं कम्मपगडीणं एकूणचत्तालीसं उत्तरपगडीतो पण्णत्ताओ। [४०]★★★ अरहतो णं अरिट्ठनेमिस्स चत्तालीसं अज्नियासाहस्सीतो होत्था । मंदरचूलिया णं चत्तालीसं जोयणाई उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । संती अरहा चत्तालीस घणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्या । भूयाणंदस्स णं णागिंदस्स ? नागरण्णो चत्तालीसं भवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । खुड्डियाए णं विमाणपविभत्तीए ततिए वग्गे चत्तालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता । फग्गुणपुण्णिमासिणीए णं सूरिए चत्तालीसंगुलियं पोरिसिच्छायं निव्वट्टइत्ता णं चारं चरति । एवं कत्तियाए वि पुणिमाए । महासु कप्पे चत्तालीसं विमाणावाससहस्सा पण्णत्ता । [४१] ★ ★ ★ नमिस्स णं अरहतो एक्कचत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ होत्था । चउसु पुढवीसु एक्कचत्तालीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, तंजहा रयणप्पभाए पंकप्पभाए तमाए तमतमाए । महल्लियाए णं विमाणपविभत्तीए पढमे बग्गे एक्कचत्तालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता । [४२] ★★★ समणे भगवं महावीरे बायलीसं वासाई साहियाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता सिद्धे जाव प्पहीणे। जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स पुरत्थिमिलाओ चरिमंताओ गोथुभस्स णं आवासपव्वतस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं बातालीसं जोयणसहस्साइं अबाहाते अंतरे पण्णत्ते । एवं चउद्दिसिं पि दओभासे संखे दयसीमे य । कालोए णं समुद्दे बायालीसं चंदा जोतिंसु वा जोइंति वा जोतिस्संति वा । बायालीसं सूरिया पभासिंसु वा पभासिंति वा पभासिस्संति वा । संमुच्छिमभुयपरिसप्पाणं उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता । नामे णं कम्मे बायालीसविहे पण्णत्ते, तंजहा गतिणामे जातिणामे सरीरणा सरीरंगोवंगणामे सरीरबंधणणामे सरीरसंघायणणामे संघयणणामे संठाणणामे वण्णणामे गंधणामे रसनामे फासणामे अगरुलहुयणामे उवघायणामे पराघाता आणुपुव्वीणामे उस्सासणामे आतवणामे उज्जोयणामे विहगगतिणामे तसणामे थावरणामे सुहुमणामे बादरणामे पज्जत्तणामे अपज्जत्तणामे साधारणसरीरणा पत्तेयसरीरणामे थिरणामे अथिरणामे सुभणामे असुभणामे सुभगणामे दुब्भगणामे सुसरणामे दुस्सरणामे आदेज्जणामे अणादेज्नणामे जसोकित्तिणामे अजसोकित्तिणामे निम्माणणामे तित्थकरणामे । लवणे णं समुद्दे बायालीसं नागसाहस्सीओ अब्भिंतरियं वेलं धारेति । महालियाए णं विमाणपविभतीए बितिए वग्गे बायालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता । एगमेगाए णं ओसप्पिणीए पंचम छट्ठीतो समातो बायालीसं वाससहस्साइं कालेणं पण्णत्तातो । एगमेगाए णं उस्सप्पिणीए पढम-बितियातो समातो बायालीसं वाससहस्साई कालेणं पण्णत्तातो । [४३] ★★★ तेतालीसं कम्मविवागज्झयणा पण्णत्ता । पढम चउत्थ- पंचमासु तीसु पुढवीसु तेतालीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स पुरत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ गोथुभस्स णं आवासपव्वतस्स पुरत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं तेयालीसं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं चउद्दिसिं पि दओभासे संखे दयसीमे । महालियाए णं विमाणपविभत्तीए ततिए वग्गे तेतालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता । [४४] ★★★ चोत्तालीसं अज्झयणा इसिभासिया दियलोगचुताभासिया पण्णत्ता । विमलस्स णं अरहतो चोतालीसं पुरिसजुगाई अणुपट्ठिसिद्धाई जाव प्पहीणाई
श्री आगमगुणमंजूषा ११५
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| धरणस्स णं नागिंदस्स नागरण्णो चोत्तालीसंभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । महालियाए णं विमाणपविभत्तीए चउत्थे वग्गे चोत्तालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता [४५] समयखेत्ते णं पणतालीसं जोयणसतसहस्साइं आयामविक्खंभेणं पण्णते । सीमंतए णं नरए पणतालीसं जोयणसतसहस्साई आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । एवं उडुविमाणे पण्णत्ते । ईसिपब्भारा णं पुढवी पण्णत्ता एवं चेव । धम्मे णं अरहा पणतालीसं धणूई उहृउच्चत्तेणं होत्था । मंदरस्स णं पव्वतस्स चउद्दिसिं पि पणतालीसं पणतालीसं जोयणसहस्साई अबाधाते अंतरे पण्णत्ते । सव्वे विणं दिवड्डखेत्तिया नक्खत्ता पणतालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोगं जोएंसु वा जोएंति वा जोइस्संति वा - "तिन्नेव उत्तराई, पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । एते छन्नक्खत्ता, पणतालमुहत्तसंजोगा" ॥५८|| महालियाए णं विमाणपविभत्तीए पंचमे वग्गे पणतालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता। [४६] *** दिट्ठिवायस्स णं छायालीसं माउयापया पण्णत्ता । बंभीए णं लिवीए छायालीसं माउयक्खरा पण्णत्ता। पभंजणस्सणं वातकुमारिंदस्स छायालीसंभवणावाससतसहस्सा पण्णत्ता। [४७] जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता णं चारं चरति तयाणं इहगतस्स मणूसस्स सत्तचत्तालीसं जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसतेहिं एक्कवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति। थेरेणं अग्गिभूती सत्तचत्तालीसं वासाई अगारमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगारातो अणगारियं पव्वइते । [४८]एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स अडयालीसं पट्टणसहस्सा पण्णत्ता। धम्मस्सणं अरहतो अडयालीसंगणा अडयालीसंगणहरा होत्था। सूरमंडलेणं अडयालीसं एकसट्ठिभागे जोयणस्स विक्खंभेणं पण्णत्ते। [४९] सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एकूणपण्णाए रातिदिएहिं छण्णउएण भिक्खासतेणं अहासुत्तं आराहिया भवइ । देवकुरु-उत्तरकुरासुणं मणुया एकूणपण्णाए रातिदिएहिं संपत्तजोव्वणा भवंति । तेइंदियाणं उक्कोसेणं एकूणपण्णं रातिदिया ठिती पण्णत्ता। [५०]★★★ मुणिसुव्वयस्स णं अरहतो पंचासं अज्जियासाहस्सीतो होत्था । अणंतीणं अरहा पण्णासं धणूइं उडुंउच्चत्तेणं होत्था । पुरिसोत्तमे णं वासुदेवे पण्णासं धणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्था । सव्वे विणं दीहवेयड्डा मूले पण्णासं २ जोयणाणि विक्खंभेणं पण्णत्ता । लंतए कप्पे पण्णासं विमाणावाससहस्सा पण्णत्ता । सव्वातो णं तिमिसगुहा-खंडगप्पवातगुहातो पण्णासं २ जोयणाई आयामेणं पण्णत्तातो। सव्वे वि णं कंचणगपव्वया सिहरतले पण्णासं २ जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता। [५१] नवण्हं बंभचेराणं एकावण्णं उद्देसणकाला पण्णत्ता । चमरस्सणं असुरिंदस्स असुररन्नो सभा सुधम्मा एकावण्णखंभसतसन्निविठ्ठा पण्णत्ता । एवं चेव बलिस्स वि। सुप्पभे णं बलदेवे एकावण्णं वाससतसहस्साइं परमाउ पालइता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । दसणावरण-नामाणं दोण्हं कम्माणं एकावण्णं उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो। [५२]★★★ मोहणिज्जस्स णं कम्मस्स बावण्णं नामधेज्जा पण्णत्ता, तंजहा कोहे कोवे रोसे दोसे अखमा संजलणे कलहे चंडिक्के भंडणे विवाए १०, माणे मदे दप्पे थंभे अत्तुक्कोसे गव्वे परपरिवाए उक्कोसे अवकोसे उण्णते उण्णामे २१, माया उवही नियडी वलए गहणे णूमे कक्के कुरुते दंभे कूडे झिम्मे किब्बिसिए आवरणया गृहणया वंचणया पलिकुंचणया सातिजोगे ३८, लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही तण्हा भिज्जा अभिज्जा कामासा भोगासा जीवितासा मरणासा नंदी रागे ५२ । गोथुभस्स णं आवासपव्वतस्स पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो वलयामुहस्स महापायालस्स पच्चत्थिमिले चरिमंते एस णं बावण्णं जोयणसहस्साई अबाहाते अंतरे पण्णत्ते । दओभासस्स णं [आवासपव्वतस्स दाहिणिल्लातो चरिमंतातो] केउगस्स [महापायालस्स उत्तरिल्ले चरिमंते एस णं बावण्णं जोयणसहस्साइं अबाहाते अतंरे पण्णत्ते] । संखस्स [णं आवासपव्वतस्स पच्चत्थिमिल्लातो चरिमंतातो] जुयकस्स [महापायालस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते एस णं बावण्णं जोयणसहस्साई अबाहाते अतरे पण्णत्ते] । दगसीमस्स णं आवासपव्वतस्स उत्तरिल्लातो चरिमंतातो ईसरस्स महापायालस्स दाहिणिल्ले चरिमंते एस णं बावण्णं जोयणसहस्साइं अबाहाते अंतरे पण्णत्ते। नाणावरणिज्जस्स नामस्स अंतरातियस्स एतेसिणं तिण्हं कम्मपगडीणं बावण्णं उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो। सोहम्म-सणंकुमार-माहिदैसु तिसु कप्पेसु बावण्णं विमाणवाससतसहस्सा पण्णत्ता। [५३] ★★★ देवकुरु-उत्तरकुरियातो णं जीवातो तेवण्णं २, जोयणसहस्साइं साइरेगाइं आयामेणं पण्णत्तातो । महाहिमवंत-रुप्पीणं वासहरपव्वयाणं जीवातो तेवण्णं २, जोयणसहस्साइं नव य एक्कतीसे जोयणसते छच्च एकूणवीसतिभाए जोयणस्स आयामेणं
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KO:05555555555555555555/ श्री आगमगुणमजूषा-१९६5555555555555555555FOROR
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(छ) समवायंगसुत्तं ५३-६४ हाणई [२०]
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पण्णत्तातो । समणस्स णं भगवतो महावीरस्स तेवण्णं अणगारा संवच्छरपरियाया पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महाविमाणेसु देवत्ताते उववन्ना । संमुच्छिमउरगपरिसप्पाणं उक्कोसेणं तेवण्णं वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता। [५४] ★★★ भरहेरवएसुणं वासेसु एगमेगाए उस्सप्पिणीए एगमेगाए ओसप्पिणीए चउप्पण्णं २ उत्तमपुरिसा उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जति वा उप्पज्जिस्संति वा, तंजहा चउवीसं तित्थकरा, बारस चक्कवट्टी, णव बलदेवा, णव वासुदेवा । अरहा णं अरिट्ठनेमी चउप्पण्णं रातिदियाई छउमत्थपरियागं पाउणित्ता जिणे जाए केवली सव्वण्णू सव्वभावदरिसी। समणे भगवं महावीरे एगदिवसेणं एगनिसेज्जाते चउप्पण्णं वागरणाइं वागरित्था । अणंतइस्सणं अरहतो चउप्पण्णं गणा चउप्पण्णं गणहरा होत्था। [५५]* * मल्ली णं अरहा पणपन्नं वाससहस्साई परमाउं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । मंदरस्स णं पव्वतस्स पच्चत्थिमिल्लातो चरिमंतातो विजयबारस्स पच्चस्थिमिल्ले चरिमंते एस णं पणपण्णं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं चउद्दिसिं पि वेजयंतं जयंत अपराजियं ति । समणे भगवं महावीरे अंतिमरातियंसि पणपण्णं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपण्णं अज्झयणाणि पावफलविवागाणि वागरेत्ता सिद्ध बुद्धे जाव प्पहीणे । पढम-बितियासु दोसु पुढवीसु पणपण्णं निरयावाससतसहस्सा पण्णत्ता । दसणावरणिज्जणामाऽऽउयाणं तिण्हं कम्मपगडीणं पणपण्णं उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो। [५६] *** जंबुद्दीवे णं दीवे छप्पण्णं नक्खत्ता चंदेण सद्धिं जोगं जोएंसु वा ३ । विमलस्स णं अरहतो छप्पण्णं गणा छप्पण्णं गणहरा होत्था।[५७] *** तिण्हं गणिपिडगाणं आयारचूलियवज्जाणं सत्तावण्णं अज्झीणा पण्णत्ता, तंजहा आयारे सूतगडे ठाणे । गोथुभस्स णं आवासपव्वतस्स पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो वलयामुहस्स महापातालस्स बहुमज्झदेसभाए एस णं सत्तावण्णं जोयणसहस्साई
अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं दओभासस्स केउकस्स य, संखस्स जुयकस्स य, दयसीमस्स ईसरस्स य । मल्लिस्स णं अरहतो सत्तावण्णं मणपज्जवनाणिसता * होत्था । महाहिमवंत-रुप्पीणं वासधरपव्वयाणं जीवाणं धणुपट्ठा सत्तावण्णं २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य तेणउते जोयणसते दस य एकूणवीसतिभाए जोयणस्स
परिक्खेवेणं पण्णत्ता। [५८] *** पढम-दोच्च-पंचमासु तीसु पुढवीसु अट्ठावण्णं निरयावाससतसहस्सा पण्णत्ता । नाणावरणिज्जस्स वेयणिय [स्स] आउय [स्स] नाम [स्स] अंतराइयस्स य एतेसि णं पंचण्हं कम्मपगडीणं अट्ठावण्णं उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो । गोथुभस्स णं आवासपव्वतस्स पच्चत्थिमिल्लातो चरिमंतातो वलयामुहस्स महापायालस्स बहुमज्झदेसभाए एस णं अट्ठावण्णं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं चउद्दिसिं पि नेतव्वं । [५९] *** चंदस्स णं संवच्छरस्स एगमेगे उदू एगूणसढि रातिदियाणि रातिदियग्गेणं पण्णत्ते । संभवे णं अरहा एकूणसद्धिं पुव्वसतसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे जाव पव्वतिते । मल्लिस्स णं अरहतो एगूणसढिं ओहिण्णाणिसता होत्था। [६०]एगमेगे णं मंडले सूरिए सट्ठीए सठ्ठीए मुहुत्तेहिं संघाएइ । लवणस्सणं समुद्दस्स सट्ठि नागसाहस्सीओ अग्योदयं धारेति । विमलेणं अरहा सटुिंधणूई उहुंउच्चत्तेणं होत्था। बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स सर्टि सामाणियसाहस्सीतो पण्णत्तातो। बंभस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सहि सामाणियसाहस्सीतो पण्णत्तातो । सोहम्मीसाणेसु दोसु कप्पेसु सढि विमाणावाससतसहस्सा पण्णत्ता । [६१] ★★★ पंचसंवच्छरियस्सणं जुगस्स रिदुमासेणं मिज्जमाणस्स एगसद्धिं उदुमासा पण्णत्ता। मंदरस्सणं पव्वतस्स पढमे कंडे एगसढि जोयणसहस्साई उटुंउच्चत्तेणं पण्णत्ते । चंदमंडले णं एगसट्ठिविभागभतिए समंसे पण्णत्ते । एवं सूरस्स वि। [६२] A पंचसंवच्छरिए णं जुगे बावडिं पुण्णिमातो बावढि अमावासातो [पण्णत्तातो] | वासुपुज्जस्स णं अरहतो बावढि गणा बावळिंगणहरा होत्था। सुक्कपक्खस्स णं चंदे बावढि बावढि भागे दिवसे दिवसे परिवड्डति, ते चेव बहुलपक्खे दिवसे दिवसे
परिहायति । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु पढमे पत्थडे पढमावलियाए एगमेगाए दिसाए बावढि बावठ्ठि विमाणा पण्णत्ता । सव्वे वेमाणियाणं बावढि विमाणपत्थडा म पत्थडग्गेणं पण्णत्ता। [६३] * उसभे णं अरहा कोसलिए तेवढिं पुव्वसतसहस्साई महारायवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगारातो अणगारियं पव्वइते
हरिवास-रम्मयवासेसुमणूसा तेवट्ठीए रातिदिएहिं संपत्तजोव्वणा भवंति। निसढे णं पव्वते तेवढि सूरोदया पण्णत्ता । एवं नीलवंते वि। [६४] *** अट्ठट्ठमिया कणं भिक्खुपडिमा चउसठ्ठीए रातिदिएहिं दोहि य अट्ठासीतेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं जावं भवति । चउसटैि असुरकुमारावाससतसहस्सा पण्णत्ता। चमरस्सणं
रणोचउसट्ठि सामाणियसाहस्सीतोपण्णत्तातो। सव्वे विणं दधिमुहपव्वया पल्लासंठाणसंठिता सव्वत्थ समा विक्खंभुस्सेहेणं चउसढेि चइसठिंजोयणसहस्साइंस xerc 3 555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ०१९७55555555555555555#
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पण्णत्ता । सोहम्मीसाणेसु बंभलोए यतीसु कप्पेसु चउसहि विमाणावाससतसहस्सा पण्णत्ता। सव्वस्स विय णं रण्णो चाउरंतचक्कवाट्टस्स चउसठ्ठीलठ्ठीए महग्धे मुत्तामणिमए हारे पण्णत्ते । [६५] *** जंबुद्दीवे णं दीवे पणसर्व्हि सूरमंडला पण्णत्ता । थेरेणं मोरियपुत्ते पणसद्धिं वासाई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगारातो अणगारियं पव्वतिते । सोहम्मवडेंसयस्स णं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए पणसढि पणसढि भोमा पण्णत्ता । [६६] *** दाहिणड्डमणुस्सखेत्ता णं छावढिं चंदा पभासिंसु वा ३, छावढिं सूरिया तवइंसु वा ३ । उत्तरड्डमणुस्सखेत्ता णं छावढेि चंदा पभासिंसु वा ३ । छावढिं सूरिया तवइंसु वा ३ । सेजंसस्स णं' अरहतो छावढेि गणा छवढेि गणहरा होत्था । आभिणिबोहियनाणस्स णं उक्कोसेणं छावढेि सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । [६७] *** पंचसंवच्छरियस्स णं जुगस्स नक्खत्तमासेणं मिज्जमाणस्स सत्तसटुिं नक्खत्तमासा पण्णत्ता । हेमवतेरण्णवतियातो णं बाहातो सत्तसटुिं सत्तसहूिँ जोयणसत्ताई पणपण्णाई तिण्णि य भागा जोयणस्स आयामेणं पण्णत्तातो । मंदरस्स णं पव्वतस्स पुरित्थमिल्लातो चरिमंतातो गोयमदीवस्स णं दीवस्स पुरित्थिमिल्ले चरिमंते एस णं सत्तसट्ठि जोयणसहस्साइं अबाधाते अंतरे पण्णत्ते । सव्वेसिं पिणं नक्खत्ताणं सीमाविक्खंभे णं सत्तसट्ठिभागभइते समंसे पण्णत्ते। [६८]★★★धायइसंडे णं दीवे अट्ठसट्टि चक्कवट्टिविजया अट्ठसढि रायधाणीतो पण्णत्ताओ। उक्कोसपदे अट्ठसढि अरहंता समुप्पज्जिसु वा ३ । एवं चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा । पुक्खरवरदीवड्ढे णं अट्ठसट्ठि विजया एवं चेव जाव वासुदेवा । विमलस्स णं अरहतो अट्ठसद्धिं समणसाहस्सीतो उक्कोसिया समणसंपदा होत्था। [६९] समयखेत्ते णं मंदरवज्जा एकूणसत्तरि वासा वासधरपव्वत्ता पण्णत्ता, तंजहा पणतीसंवासा, तीसंवासहरा, चत्तारि उसुयारा। मंदरस्स पव्वतस्स पच्चस्थिमिल्लातो चरिमंतातो गोतमद्दीवस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एसणं एकूणसत्तरि जोयणसहस्साई अबाधाए अंतरे पण्णत्ते। मोहणिज्जवज्जाणं सत्तण्डं कम्मपगडीणं एकूणसत्तरि उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो । [७०] ★★★ समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसतिराते मासे वीतिकंते सत्तरीए रातिदिएहिं सेसेहिं वासावासं पज्जोसविते । पासे णं अरहा पुरिसादाणीए सत्तरिं वासाइं बहुपडिपुण्णाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । वासुपुज्जे णं अरहा सत्तरि धणूइं उ९उच्चत्तेणं होत्था। मोहणिज्जस्सणं कम्मस्स सत्तरं सागरोवमकोडाकोडीओ अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मणिसेगे पण्णत्ते । माहिंदस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्तरिं सामाणियसाहस्सीतो पण्णत्तातो । [७१] ★★★चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स हेमंताणं एक्कसत्तरीए राइंदिएहिं वीतिकंतेहिं सव्वबाहिरातो मंडलातो सूरिए आउट्टि करेति । वीरियपुव्वस्स णं पुव्वस्स है एक्कसत्तरं पाहुडा पण्णत्ता। अजिते णं अरहा एक्कसत्तरिं पुव्वसतसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते । एवं सगरे वि राया चाउरंतचक्कवट्टी एक्कसत्तरं पुव्व जाव पव्वतिते । [७२] बावत्तरिं सुवण्णकुमारावाससतसहस्सा पण्णत्ता । लवणस्स समुद्दस्स बावत्तरि नागसाहस्सीतो बाहिरियं वेलं धारेति । समणे भगवं महावीरे बावत्तरि वासाई सव्वाउयं पालयित्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे। थेरे णं अयलभाया बावत्तरिं वासाइं सव्वाउयं पालयित्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । अभंतरपुक्खरद्धे णं बावत्तरिं चंदा पभासिंसुवा पभासंति वा पभासिस्संति वा, बावत्तरि सूरिया तवइंसु वा तवइंति वा तवइस्संति वा । एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स बावत्तरिं पुरवरसाहस्सीतो पण्णत्तातो। बावत्तरि कलातो पण्णत्तातो, तंजहा लेहं १, गणितं २, रूवं ३, नर्से ४, गीयं ५, वाइतं ६, सरगयं ७, पुक्खरगयं ८, समतालं ९, जूयं १०, जाणवयं ११, पोरेकव्वं १२, अहावयं १३, दयमट्टियं १४, अण्णविधिं १५, पाणविधिं १६, लेणविहिं १७, सयणविहिं १८, अज्ज १९, पहेलियं २०, मागधियं २१, गाधं २२, सिलोगं २३, गंधजुत्तिं २४, मधुसित्थं २५, आभरणविहिं २६, तरुणीपडिकम्म २७, इत्थीलक्खणं २८, पुरिसलक्खणं २९, हयलक्खणं ३०, गयलक्खणं ३१, गोणलक्खणं ३२, कुक्कुडलक्खणं ३३, मेंढयलक्खणं ३४, चक्कलक्खणं ३५, छत्तलक्खणं ३६, दंडलक्खणं ३७, असिलक्खणं ३८, मणिलक्खणं ३९. काकणिलक्खणं ४०. चम्मलक्खणं ४१, चंदचरियं ४२, सूरचरितं ४३, राहुचरितं ४४, गहचरितं ४५, सोभाकरं ४६, दोभाकरं ४७, विज्जागतं ४८, मंतगयं ४९, रहस्सगयं ५०, सभासं ५१, चारं ५२, पडिचारं ५३, वूहं ५४, पडिवूहं ५५, खंधावारमाणं ५६, नगरमाणं ५७, वत्थुमाणं ५८, खंधावारनिवेसं ५९, नगरनिवेसं ६०, वत्थुनिवेसं ६१, ईसत्थं ६२, छरुपगयं ६३, आससिक्खं ६४, हत्थिसिक्खं ६५, घणुव्वेयं ६६, हिरण्णवायं,
सुवण्णवायं, मणिपागं, धाउपागं ६७, बाहुजुद्धं, दंडजुद्धं, मुट्ठिजुद्धं, अट्ठिजुद्धं, जुद्धं, निजुद्धं, जुद्धातिजुद्धं ६८, सुत्तखेडं, नालियाखेड्डं, वट्टखेड्डं, धम्मखेड्डु ६९, reOFF555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १९८ 55555555555555555555555555OTOR
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(४) समवायंगसुत्तं ७२-८४ द्वाणई रिश
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पतच्छेज, कडगच्छेज, पतगच्छेज्नं ७०, सज्जीवं, निज्जीवं७१, सउणरुतमिति ७२ ॥ संमुच्छिमखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साई फठिती पण्णत्ता । [७३]*** हरिवस्स-रम्मयवस्सियातो णं जीवातो तेवत्तरि २ जोयणसहस्साइं नव य एक्कुत्तरे जोयणसते सत्तरस य एकूणवीसतिभागे
जोयणस्स अद्भभागं च आयामेणं पण्णत्तातो । विजये णं बलदेवे तेवत्तरि वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । [७४] थेरे णं ' अग्गिभूती चोवत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहिणे। निसभातोणं वासहरपव्वतातो तिगिच्छिद्दहातोणं दहातो सीतोता महानदी चोवत्तरि जोयणसताइं सहियाइं उत्तराहुत्ती पवहित्ता वतिरामतियाए जिब्भियाए चउजोयणायामाए पण्णासजोयणविक्खंभाए वइरतले कुंडे महता घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठाणसंठितेणं पवातेणं महया सद्देणं पवडति । एवं सीता वि दक्खिणाहुत्ती भाणियव्वा । चउत्थवज्जासु छसु पुढवीसु चोवत्तरि निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। [७५]
सुविहिस्स णं पुप्फदंतस्स अरहतो पण्णत्तरि जिणा पण्णत्तरि जिणसता होत्था । सीतले णं अरहा पण्णत्तरं पुव्वसहस्साइं अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते। संती णं अरहा पण्णत्तरिं वाससहस्साई अगारवासमज्झावसित्ता जाव पव्वतिते। [७६] छावत्तरि विज्जुकुमारावाससतसहस्सा पण्णत्ता। एवं दीव-दिसा उदहीणं विज्जुकुमारिंद-थणियमग्गीणं । छण्हं पि जुगलयाणं छावत्तरि मो सतसहस्सा ।।५९॥ [७७]***भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी सत्तत्तरिं पुव्वसतसहस्साई कुमारवासमज्झावसित्ता महरायाभिसेयं पत्ते । अंगवंसातो णं सत्तत्तरि रायाणो मुंडे जाव पव्वइया । गद्दतोय-तुसियाणं देवाणं सत्तत्तरिं देवसहस्सा परिवारो पण्णत्ता। एगमेगे णं मुहुत्ते सत्तत्तरि लवे लवग्गेणं पण्णत्ते। [७८]*** सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणे महाराया अट्ठसत्तरीए सुवण्णकुमार-दीवकुमारावाससतसहस्साणं आहेवच्चं पोरेवच्चं भट्टित्तं सामित्तं महारायत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरति । थेरे णं अकंपिते अट्ठत्तरिं वासाइं सव्वाउयं पालयित्ता सिद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे। उत्तरायणनियट्टे णं सूरिए पढमातो मंडलातो एगूणचत्तालीसइमे मंडले अठ्ठत्तरि एगसट्ठिभाए दिवसखेतस्स निवुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुड्ढेत्ताणं चारं चरति, एवं दक्खिणायणनियट्टे वि।[७९]XXX वलयामुहस्सणं पातालस्स हेट्ठिल्लातो चरिमंतातो इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं एकूणासीति जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं केउस्स वि जुययस्स वि ईसरस्स वि । छट्ठीए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभायाओ छट्ठस्स घणोदहिस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं एकूणासीति जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । जंबुदीवस्स णं दीवस्स बारस्स य बारस्स य एस णं एगूणासीइं जोयणसहस्साइं साइरेगाई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते।[८०]**सेजसेणं अरहा असीति धणूई उद्धंउच्चत्तेणं होत्था। तिविट्ठणं वासुदेवे असीति धणूइं उहुंउच्चत्तेणं होत्था । अयले णं बलदेवे असीति धणूइं उखुउच्चत्तेणं होत्था । तिविद् णं वासुदेवे असीतिं वाससतसहस्साई महाराया होत्था। आउबहुले णं कंडे असीति जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ते । ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो असीति सामाणियसाहस्सीतो पण्णत्तातो । जंबुद्दीवे णं दीवे असीउत्तरं जोयणसतं ओगाहेत्ता सूरिए उत्तरकट्ठोवगते पढम उदयं करेती । [८१]★★★ नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा एक्कासीतिए रातिदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं जाव आराहिता [यावि भवति] । कुंथुस्स णं अरहतो एक्कासीति मणपज्जवणाणिसया होत्था। वियाहपण्णत्तीए एक्कासीतिं महाजुम्मसया पण्णत्ता। [८२] जंबुद्दीवे दीवे बासी मंडलसतं जं सूरिए दुक्खुत्तो संकमित्ताणं चारं चरति, तंजहा निक्खममाणे य पविसमाणे य । समणे भगवं महावीरे बासीतीए रातिदिएहिं वीतिकंतेहिं गब्भातो गब्भं साहरिते। महाहिमवंतस्स णं वासहरपव्वयस्स अवरिल्लाओ चरिमंताओ सोगंधियस्स कंडस्स हेट्ठिले चरिमंते एस णे बासीइं जोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं रुप्पिस्स वि। [८३] समणे भगवं महावीरे बासीतीए रातिदिएहिं वीतिकंतेहिं
तेयासीइमे रातिदिए वट्टमाणे गब्भाओ गब्भं साहरिते। सीतलस्स णं अरहतो तेसीति गणा तेसीति गणधरा होत्था । थेरे णं मंडियपुत्ते तेसीति वासाइं सव्वाउयं # पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । उसभे णं अरहा कोसलिए तेसीतिं पुव्वसतसहस्साई अगारवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता णं जाव पव्वइत्ते । भरहे णं राया
चाउरंतचक्कवट्टी तेसीतिं पुव्वसतसहस्साई अगारवासमज्झावसित्ता जिणे जाते केवली सव्वण्णू सव्वभावदरिसी।[८४]XXX चउरासीति निरयावाससतसहस्सा
पण्णत्ता। उसभेणं अरहा कोसलिए चउरासीइं पुव्वसतसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव [प्पहीणे] । एवं भरहे बाहुबलि बंभि सुंदरि। सेजसेणं अरहा meroFFFFF#55555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१९९,4555555555555555555555555 NOTION
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(४) समवायगसुत्तं ८४-९० द्वाणई (२३]
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चउरासीइं वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । तिविठू णं वासुदेवे चउरासीई वाससयसहस्साइं परमाउयं पालयित्ता अप्पतिट्ठाणे नरए नेरइयत्ताते उववन्ने। सक्कस्सणं देविंदस्स देवरण्णो चउरासीति सामाणियसाहस्सीतोपण्णत्तातो। सव्वे विणं बाहिरया मंदरा चउरासीतिं चउरासीतिं जोयणसहस्साई उडुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं अंजणगपव्वया चउरासीतिं चउरासीतिं जोयणसहस्साइं उडुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । हरिवस्स-रम्मयवासियाणं जीवाणं धणुपट्ठा चउरासीति चउरासीति जोयणसहस्साई सोलस जोयणाइं चत्तारि य भागा जोयणस्स परिक्खेवेणं पण्णत्ता । पंकबहुलस्स णं कंडस्स उवरिल्लातो चरिमंतातो हेट्ठिले चरिमंते एस णं चउरासीति जोयणसहस्साइं अबाधाए अंतरे पण्णत्ते । वियाहपण्णत्तीए णं भगवतीए चउरासीतिं पदसहस्सा पदग्गेणं पण्णत्ता। चउरासीतिं नागकुमारावाससतसहस्सा पण्णत्ता। चउरासीतिपइण्णगसहस्सा पण्णत्ता। चउरासीतिं जोणिप्पमुहसतसहस्सा पण्णत्ता । पुव्वाइयाणं सीसपहेलियपज्जवसाणाणं सट्ठाणट्ठाणंतराणं चउरासीतिए गुणकारे पण्णत्ते। उसभस्सणं अरहतो कोसलियस्स चउरासीतिंगणा चउरासीतिंगणधरा होत्था। उसभस्सणं अरहतो कोसलियस्स उसभसेणपामोक्खातो चउरासीतिं समणसाहस्सीओ होत्था । चउरासीतिं विमाणावाससयसहस्सा सत्ताणउतिं च सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खाया ।[८५]★★★ आयारस्सणं भगवतो सचूलियागस्स पंचासीति उद्देसणकाला पण्णत्ता । धायइसंडस्स णं मंदरा पंचासीति जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पण्णत्ता
। रुयए णं मंडलियपव्वए पंचासीतिं जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पण्णत्ते । नंदणवणस्स णं हेट्ठिल्लातो चरिमंतातो सोगंधियस्स कंडस्स हेट्ठिले चरिमंते एस णं # पंचासीति जोयणसयाइं आबाहाते अंतरे पण्णत्ते। [८६]★★★ सुविहिस्स णं पुप्फदंतस्स अरहओ छलसीतिं गणा छलसीतिं गणहरा होत्था । सुपासस्स णं म अरहतो छलसीतिं वाइसया होत्था । दोच्चाए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभागाओ दोच्चस्स घणोदहिस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं छलसीतिं जोयणसहस्साई अबाहाए
अंतरे पण्णत्ते । [८७]★★★ मंदरस्स णं पव्वतस्स पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो गोथुभस्स आवासपव्वयस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं सत्तासीति जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। मंदरस्स [णं पव्वयस्स] दक्खिणिल्लातो चरिमंतातो दओभासस्स आवासपव्वतस्स उत्तरिल्ले चरिमंते एसणं सत्तासीति जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं मंदरस्स पच्चत्थिमिलातो चरिमंतातो संखस्स आवासपव्वतस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते एवं चेव । एवं मंदरस्स [णं पव्वतस्स] उत्तरिल्लातो चरिमंतातो दगसीमस्स आवासपव्वतस्स दाहिणिल्ले चरिमंते एस णं सत्तासीतिं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । छण्हं कम्मपगडीणं आतिमउवरिल्लवज्जाणं सत्तासीतिं उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो। महाहिमवंतकूडस्स णं उवरिल्लातो चरिमंतातो सोगंधियस्स कंडस्स हेट्ठिले चरिमंते एस णं सत्तासीतिं जोयणसयाई अबाहाते अंतरे पण्णत्ते । एवं रुप्पीकूडस्स वि। [८८]★★★ एगमेगस्स णं चंदिमसूरियस्स अट्ठासीतिं अट्ठासीतिं महग्गहा परिवारोपण्णत्तो। दिट्ठिवायस्सणं अट्ठासीतिं सुत्ताइं पण्णत्ताई, तंजहा उज्झुसुयं, परिणतापरिणतं, एवं अट्ठासीतिं सुत्ताणि भाणियव्वाणि जहा णंदीए। मंदरस्सणं पव्वतस्स पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो गोथुभस्स आवासपव्वतस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते एस णं अट्ठासीति जोयणसहस्साई अबाधाते अंतरे पण्णत्ते । एवं चउसु वि दिसासु णातव्वं । बाहिराओ उत्तरातो णं कट्ठातो सूरिए पढ़मं छम्मासं अयमीणे चोयालीसइमे मंडलगते अठ्ठासीति एकसठ्ठिभागे मुहुत्तस्स-दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिणिवुड्वेत्ता सूरिए चारं चरतीति । दक्षिणकट्ठातो णं सूरिए दोच्च छम्मासं अयमीणे चोयालीसतिमे मंडलगते अट्ठासीतिं एगसट्ठिभागे मुहुत्तस्स रयणिखेत्तस्स णिवुड्ढेता दिवसखेत्तस्स अभिणिवुड्ढेता णं सूरिए चारं चरति । [८९]** उसमे णं अरहा कोसलिए इमीसे ओसप्पिणीए ततियाए समाए पच्छिमे भागे एकूणणउइए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगते वीतिकंते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । समणे भगवं महावीरे इमीसे ओसप्पिणीए चउत्थीए समाए पच्छिमे भागे एगणनउतीए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । हरिसेणे णं राया चाउरंतचक्कवटीएगणनउई वाससयाइं महाराया होत्था । संतिस्सणं अरहतो एगणनउई अज्जासाहस्सीतो उक्कोसिया अज्जासंपदा होत्था।[९०] **सीयले णं अरहा णउई धणूई उड्उच्चत्तेणं होत्था । अजियस्सणं अरहओ णउइं गणा नउई गणहरा होत्था । एवं संतिस्स वि । सयंभुस्स णं वासुदेवस्स णउतिं वासाई विजए होत्था । सव्वेसि णं वट्टवेयड्डपव्वयाणं उवरिल्लातो
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॥ श्री आगमगुणमंजूषा - २००55555555555555555555$$$$OOK
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(४) समवायंगसुत्तं ९०-१०० हाणई [२४]
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सिहरतलातो सोगंधियकंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एसणं नउतिं जोयणसयाई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते।[९१] ** एक्काणउइं परवेयावच्चकम्मपडिमातो पण्णत्तातो
। कालोयणे णं समुद्दे एक्काणउतिं जोयणसयसहस्साई साहियाइं परिक्खेवेणं पण्णत्ते । कुंथुस्स णं अरहतो एक्काणउतिं आहोहियसता होत्था। आउय-गोयवज्जाणं म छण्हं कम्मपगडीणं एक्काणउतिं उत्तरपगडीओ पण्णत्ताओ। [९२] *बाणउइं पडिमातो पण्णत्ताओ। थेरे णं इंदभूती बाणउतिं वासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे [जाव प्पहीणे] । मंदरस्स णं पव्वतस्स बहुमज्झदेसभागातो गोथुभस्स आवासपव्वतस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं बाणउतिं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं चउण्ह वि आवासपव्वयाणं। [९३] * चंदप्पभस्सणं अरहतो तेणउतिंगणा तेणउतिं गणहरा होत्था । संतिस्सणं अरहतो तेणउइं चोद्दसपुव्विसया होत्था । तेणउतिमंडलगते णं सूरिए अतिवट्टमाणे वा नियट्टमाणे वा समं अहोरत्तं विसमं करेति । [१४]★★★निसह-नेलवंतियाओ णं जीवातो चउणउइं चउणउइं जोयणसहस्साइं एवं छप्पण्णं जोयणसतं दोणि य एकूणविसतिभागे जोयणस्स आयामेणं पण्णत्ता(तो) अजितस्सणं णं अरहतो चउणउति ओहिनाणिसया होत्था।[९५]XXXसुपासस्सणं अरहतो पंचाणउतिंगणा पंचाणउतिं गणहरा होत्था। जंबुद्दीवस्सणं दीवस्स चरिमंताओ चउद्दिसिं लवणसमुई पंचाणउतिं पंचाणउतिं जोयणसहस्साई ओगाहित्ता चतारि महापायाला पण्णत्ता, तंजहा वलयामुहे केउए जुयते ईसरे। लवणसमुद्दस्स उभओपासिं पि पंचाणउतिं पंचाणउतिं पदेसा उव्वेधुस्सेधपरिहाणीए पण्णत्ता । कुंथू णं अरहा पंचाणउति वाससहस्साई परमाउयं पालयित्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । थेरे णं मोरियपुत्ते पंचाणउतिं वासाइं सव्वाउयं पालयित्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । [९६]*** एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स छण्णउति छण्णउतिं गामकोडीओ होत्था । वायुकुमाराणं छण्णउइं भवणावाससतसहस्सा पण्णत्ता । वावहारिए णं दंडे छण्णउतिं अंगुलाणि अंगुलपमाणेणं, एवं धणू नालिया जुगे अक्खे मुसले वि। अब्भंतराओ आइमुहुत्ते छण्णउतिं अंगुलच्छाये पण्णत्ते । [९७]*** मंदरस्स णं पव्वतस्स पच्चत्थिमिल्लातो चरिमंतातो गोथुभस्स णं आवासपव्वयस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं सत्ताणउतिं जोयणसहस्साइं अबाधाते अंतरे पण्णत्ते । एवं चउद्दिसिं पि । अट्ठण्हं कम्मपगडीणं सत्ताणउतिं उत्तरपगडीतो पण्णत्तातो। हरिसेणे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी देसूणाई सत्ताणउतिं वाससयाइं अगारमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगारातो जाव पव्वतिते । [९८]★★★नंदणवणस्सणं उवरिल्लातो चरिमंतातो पंडयवणस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं अट्ठाणउतिं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । मंदरस्स णं पव्वतस्स पच्चस्थिमिल्लातो चरिमंतातो गोथुभस्स आवासपव्वतस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते एसणं अट्ठाणउतिं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं चउदिसिं पि । दाहिणभरहड्डस्सणं धणुपट्टे अट्ठाणउतिं जोयणसयाइं किंचूणाई आयामेणं पण्णत्ते। उत्तरातो णं कट्ठातो सूरिए पढमं छम्मासं अयमीणे एक्कूणपन्नासतिमे मंडलगते अट्ठाणउति एक्कसट्ठिभागे मुहुत्तस्स दिवसखेतस्स निवुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुड्डेत्ता णं सूरिए चारं चरति । दक्खिणातो णं कठ्ठातो सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमीणे एक्कूणपन्नासतिमे मंडलगते अट्ठाणउति एक्कसट्ठिभाए मुहुत्तस्स रयणिखेत्तस्स निवुड्ढेत्ता दिवसखेतस्स अभिनिवुढेत्ता णं सूरिए चारं चरति। रेवतिपढमजेट्ठपज्जवसाणाणं एक्कूणवीसाए नक्खत्ताणं अट्ठाणउतितारातो तारग्गेणं पण्णत्तातो।[९९] *** मंदरेणं पव्वतेणवणउतिंजोयणसहस्साइं उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ते। नंदणवणस्सणं पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एसणं णवणउतिंजोयणसत्ताई अबाहाते अंतरे पण्णत्ते। एवं दक्खिणिल्लातो उत्तरे। पढमे सूरियमंडले णवणउतिजोयणसहस्साई सातिरेगाइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । दोच्चे सूरियमंडले णवणउति जोयणसहस्साई साहियाइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । ततिए सूरियमंडले नवनउतिं जोयणसहस्साई साहियाइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते। इमीसेणं रतणप्पभाए पुढवीए अंजणस्स कंडस्स हेट्ठिल्लातो चरिमंतातो वाणमंतरभोमेज्जविहाराणं उवरिमंते एस णं नवनउतिं जोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। [१००] ** दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा एगेणं राइंदियसतेणं अद्धछठेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं 5 जाव आराहिया यावि भवति । सयभिसयानक्खत्ते सएक्कतारे पण्णत्ते । सुविधी पुप्फदंते णं अरहा एगंधणुसतं उहुंउच्चत्तेणं होत्था । पासे णं अरहा पुरिसादाणीए एकं वाससयं सव्वाउयं पालयित्ता सिद्धे जाव प्पहीणे । एवं थेरे वि अज्जसुहम्मे । सव्वे वि णं दीहवेयड्डपव्वया एगमेगं गाउयसतं उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं
चुल्लहिमवंत-सिहरिवासहरपव्वया एगमेगंजोयणसतं उहुंउच्चत्तेणं एगामेगं गाउयसतं उव्वेधेणं पण्णत्ता। सव्वे विणं कंचणगपव्वया एगमेगंजोयणसयं उहुंउच्चत्तेणं, ve' 555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - २०१5555555555555555555555F OOR
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(४) समवायंगसत्तं १००.१५०-२००-२५०-३००-३४०-४००-४५०-५००-६००-७०० ढाणं [२५]
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र एगमेगं गाउयसतं उव्वेधेणं, एगमेगं जोयणसयं मूले विक्खंभेणं पण्णत्ता। [१०१]*** चंदप्पभे णं अरहा दिवढे धणुसतं उहुंउच्चत्तेणं होत्था। आरणे कप्पे दिवड्डे विमाणावाससतं पण्णतं । एवं अच्चुए वि।[१०२]★★★सुपासे णं अरहा दो धणुसयाई उहूंउच्चत्तेणं होत्था । सव्वे विणं महाहिमवंत-रुप्पीवासहरपव्वया दो दो जोयणसताई उहुंउच्चत्तेणं, दो दो गाउयसताई उव्वेधेणं पण्णत्ता । जंबुद्दीवे णं दीवे दो कंचणपव्वतसया पण्णत्ता । [१०३] पउमप्पभे णं अरहा अड्डाइज्जाइं धणुसताई उहुंउच्चत्तेणं होत्था । असुरकुमाराणं देवाणं पासायवडेंसगा अड्डाइज्जाइं जोयणसयाइं उडुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता। [१०४]XXX सुमती णं अरहा तिण्णि धणुसयाइं उहूंउच्चत्तेणं होत्था । अरिट्ठनेमी णं अरहा तिण्णि वाससयाई कुमारमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते । वेमाणियाणं देवाणं विमाणपागारा तिण्णि तिण्णि जोयणसताइं उहुंउच्चतेणं पण्णत्ता । समणस्स णं भगवतो महावीरस्स तिन्नि सयाणि चोद्दसपुव्वीणं होत्था । पंचधणुसतियस्स णं अंतिमसारीरियस्स सिद्धिगतस्स सातिरेगाणि तिण्णि धणुसयाणि जीवप्पदेसोगाहणा पण्णत्ता । [१०५]** पासस्स णं अरहतो पुरिसादाणीयस्स अछुट्ठाइं सयाइं चोद्दसपुव्वीणं होत्था । अभिनंदणे णं अरहा अछुट्ठाई धणुसयाई उहुंउच्चत्तेणं होत्था।[१०६] संभवे णं अरहा चतारि धणुसताई उड्डूंउच्चतेणं होत्था । सव्वे विणं णिसभ-नीलवंता वासहरपव्वया चतारि चतारि जोयणसताइं उडुंउच्चत्तेणं, चत्तारि चत्तारि गाउयसताई उव्वेधेणं पण्णत्ता । सव्वे वि यणं वक्खारपव्वया णिसभ-नीलवंतवासहरपव्वयं तेणं चत्तारि चत्तारि जोयणसत्ताइं उहुंउच्चत्तेणं चत्तारि चत्तारि गाउयसताइं उव्वेधेणं पण्णत्ता । आणय-पाणएसु णं दोसु कप्पेसु
चत्तारि विमाणसया पण्णत्ता। समणस्सणं भगवतो महावीरस्स चत्तारि सता वादीणं सदेवमणुयासुरम्मि लोगम्मि वाए अपराजिताणं उक्कोसिया वादिसंपया होत्था है ।[१०७] अजिते णं अरहा अद्धपंचमाइं धणुसताई उड्डेउच्चत्तेणं होत्था । सगरे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी अद्धपंचमाइं धणुसताई उहुंउच्चतेणं होत्था। ॥ [१०८]★★★ सव्वे विणं वक्खारपव्वया सीया-सीओयाओ महानईओ मंदरं वा पव्वयं तेणं पंच जोयणसयाइं उड्उच्चत्तेणं, पंच गाउयसयाइं उव्वेहेणं पण्णत्ता
। सव्वे विणं वासहरकूडापंच पंचजोयणसताइं उड्उच्चत्तेणं, मूले पंचपंच जोयणसताइं विक्खंभेणं पण्णत्ता। उसभेणं अरहा कोसलिएपंच धणुसताइं उडंउच्चत्तेणं होत्था । भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी पंच धणुसताइं उडुंउच्चत्तेणं होत्था । सोमणस-गंधमादण-विज्जुप्पभ-मालवंता णं वक्खारपव्वया णं मंदरपव्वयं तेणं पंच पंच जोयणसयाई उहुंउच्चत्तेणं, पंच पंच गाउयसताइं उव्वेधेणं पण्णत्ता । सव्वे विणं वक्खारपव्वयकूडा हरि-हरीसहकूडवज्जा पंच पंच जोयणसताई उहुंउच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसताइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं णंदणकूडा बलकूडवज्जा पंच पंच जोयणसताइं उडुंउच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसताइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणा पंच पंच जोयणसयाई उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता। [१०९]★★★ सणंकुमार-माहिदेसु कप्पेसु विमाणा' छ जोयणसताइं उडुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । चुल्लहिमवंतकूडस्स णं उवरिल्लाओ चरिमंतातो चुल्लहिमवंतस्सवासहरपव्वतस्स समे धरणितले एस णं छ जोयणसताइं अबाहाते अंतरे पण्णत्ते । एवं सिहरिकूडस्स वि। पासस्सणं अरहतो छ सता वादीणं सदेवमणुयासुरे लोए वाए अपराजियाणं उक्कोसा वादिसंपदा होत्था । अभिचंदे णं कुलगरे छ धणुसताई उहुंउच्चत्तेणं होत्था । वासुपुज्जे णं अरहा छहिं पुरिससतेहिं मुंडे भविता णं अगारातो अणगारियं पव्वतिते। [११०]★★★बंभ-लंतएसु कप्पेसु विमाणा सत्त सत्त जोयणसताई उडुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स सत्त जिणसता होत्था । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स सत्त वेउब्वियसया होत्था । अरिट्ठनेमी णं अरहा सत्त वाससताई देसूणाई केवलपरियागं पाउणित्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे । महाहिमवंतकूडस्स णं उवरिल्लातो चरिमंतातो महाहिमवंतस्स वासधरपव्वयस्स समे धरणितले एस णं सत्त जोयणसताई अबाहाते अंतरे पण्णत्ते । एवं रूप्पिकूडस्स वि।[१११]*** महासुक्कसहस्सारेसु दोसु कप्पेसु विमाणा अठ्ठ जोयणसताई उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए पढमे कंडे अठ्ठसु जोयणसतेसु वाणमंतरभोमेज्जविहारा
पण्णत्ता। समणस्सणं भगवओ महावीरस्स अठ्ठ सया अणुत्तरोववातियाणं देवाणं गतिकल्लाणाणं ठितिकल्लाणाणं आगमेसिभद्दाणं उक्कोसिया अणुत्तरोववातियसंपदा फू होत्था । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो अठ्ठहिं जोयणसएहिं सूरिए चारं चरति । अरहतो णं अरिठ्नेमिस्स अठ्ठ सताइं वादीणं
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555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- २०२॥5555555555555555555555$$5TIO
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(४) समवायंगसुतं ८००-९००-१०००-११००-२०००-९००० दस हजार अक लाख दस लाख हाणं
[२६]
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सदेवमणुयासुरम्मिलोगम्मि वाते अपराजियाणं उक्कोसिया वादिसंपदा होत्था।[११ आणय-पाणय-आरण-ऽच्चुतेसुकप्पेसु विमाणा णव जोयणसताइं # उहुंउच्चत्तेणं पण्णत्ता। निसढकूडस्स णं उवरिल्लातो सिहरतलातो णिसढस्स वासहरपव्वतस्स समे धरणितले एसणं नव जोयणसताइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं
नीलवंतकूडस्स वि। विमलवाहणे णं कुलगरे णव धणुसताई उड्डूंउच्चत्तेणं होत्था । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो णवहिं जोयणसतेहि सव्वुपरिमे तारारूवे चारं चरति । निसढस्स णं वासधरपव्वयस्स उवरिल्लातो सिहरतलातो इमीसे रतणप्पभाए पुढवीए पढमस्स कंडस्स बहुमज्झदेसभाए एसणं णव जोयणसताइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं नीलवंतस्स वि। [११३]* सव्वे विणं गेवेज्जविमाणा दस दस जोयणसताई उड्डंउच्चतेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं जमगपव्वया दस दस जोयणसताइं उडुंउच्चतेणं पण्णत्ता, दस दस गाउयसताइं उव्वेधेणं, मूले दस दस जोयणसत्ताइं आयामविक्खंभेणं । एवं चित्त-विचित्तकूडा वि भाणियव्वा । सव्वे विणं वट्टवेयड्डपव्वया दस दस जोयणसताई उहुंउच्चत्तेणं, दस दस गाउयसताइं उव्वेधेणं, मूले दस दस जोयणसताई विक्खंभेणं, सव्वत्थ समा पल्लगसंठाणसंठिया, दस दस जोयणसताइं विक्खंभेणं पण्णत्ता । सव्वे विणं हरि-हरिस्सहकूडा वक्खारकूडवज्जा दस दस जोयणसयाइं उठडंउच्चत्तेणं, मूले दस दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पण्णत्ता । एवं बलकूडा विनंदणकूडवज्जा । अरहा वि अरिट्ठनेमी दस वाससयाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे। पासस्स णं अरहतो दस सयाइं जिणाणं होत्था। पासस्सणं अरहतो दस अंतेवासिसयाई कालगताई जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई। पउमद्दह-पुंडरीयद्दहा दस दस जोयणसयाई आयामेणं पण्णत्ता।[११४]*** अणुत्तरोववातियाणं देवाणं विमाणा एक्कारसजोयणसताइं उड्डेच्चत्तेणं पण्णत्ता। पासस्सणं अरहतो एक्कारस सताई वेउव्वियाणं होत्था। [११५]** महापउम-महापुंडरीयद्दहा णं दो दो जोयणसहस्साइं आयामेणं पण्णत्ता । [११६]** इमीसे णं रतणप्पभाए पुढवीए वतिरकंडस्स उवरिल्लाओ चरिमंताओ लोहितक्खस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं तिणि जोयणसहस्साइं अबाहाते अंतरे पण्णत्ते । [११७]*** तिगिच्छि-केसरिद्दहा णं दहा चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साई आयामेणं पण्णत्ता। [११८]
k धरणितले मंदरस्स णं पव्वतस्स बहुमज्झदेसभागाओ रुयगणाभीतो चउद्दिसिं पंच पंच जोयणसहस्साई अबाहाए मंदरे पव्वते पण्णत्ते। [११९]*** सहस्सारेणं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा पण्णत्ता। [१२०] इमीसेणं रतणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लातो चरिमंतातो पुलगस्स कंडस्स हेट्ठिले चरिमंते एस णं सत्त जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । [१२१]*** हरिवस्स-रम्मयाणं वासा अट्ठजोयणसहस्साइं सातिरेगाइं वित्थरेणं पण्णत्ता। [१२२]★★★दाहिणड्डभरहस्सणं जीवा पाईणपडिणायया दुहतो समुदं पुट्ठाणव जोयणसहस्साई आयामेणं पण्णत्ता। [१२३]★★★ मंदरे णं पव्वते धरणितले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं पण्णत्ते। [१२४] जंबूदीवे णं दीवेएगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । [१२५]★★★लवणे णं समुद्दे दो जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पण्णत्ते । [१२६]** पासस्स णं अरहतो तिण्णि सयसाहस्सीतो सत्तावीसं च सहस्साई उक्कोसिया सावियासंपदा होत्था । [१२७] धायइसंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसतसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं पण्णत्ते । [१२८]** लवणस्स णं समुदस्स पुरथिमिल्लातो चरिमंतातो पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं पंच जोयणसयसहस्साई अबाधाते अंतरे पण्णत्ते । [१२९] भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्वसतसहस्साइं रायमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगारातो अणगारियं पव्वतिते। [१३०] जंबूदीवस्स णं दीवस्स पुरथिमिल्लातो वेइयंतातो धायइसंडचक्कवालस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते एस णं सत्त जोयणसतसहस्साई अबाधाते अंतरे पण्णत्ते।[१३१] माहिदेणं कप्पे अट्ठविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। [१३२]★★★ अजियस्सणं अरहतो सातिरेगाइं नव ओहिणाणिसहस्साई होत्था। [१३३]★★★ पुरिससीहे णं वासुदेवे दस वाससतसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता पंचमाए पुढवीए णरएसु नेरइयत्ताते उववन्ने। [१३४]*** समणे भगवं महावीरे तित्थकरभवग्गहणातो छवे पोट्टिलभवग्गहणे एगं वासकोडिं सामण्णपरियागं पाउणित्ता सहस्सारे कप्पे सव्वद्वे विमाणे देवत्ताते उववन्ने । [४३५]★★★ उसभसिरिस्स भगवतो चरिमस्स य महावीरवद्धमाणस्स एगा सागरोवमकोडाकोडी अबाधाए अंतरे पण्णत्ते । [१३६] XXXदुवालसंगे
गणिपिडगे पण्णत्ते, तंजहा आयारे सूतगडे ठाणे समवाए वियाहपण्णत्ती णायाधम्मकहाओ उवासगदसातो अंतगडदसातो अणुत्तरोववातियदसातो पण्हावागरणाई rer
5 555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - २०३555555555555555555555555OTOK
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PORO5555555555 (४) समवायंगसुत्तं -कोडिं - कोडाकोडि - समवायंगसुत्तं वालसंगे 'आयार-सूयगड' - 'ठाण'- 'समवाय' - वण्णाओ [२७]5555555555xog
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विवागसुते दिट्ठिवाए । से किं तं आयारे ? आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयारगोयर- विणयवेणइयट्ठाण -गमणचंकमणपमाण -जोगजुंजणभासासमितिगुत्तीसेज्जोवहिभत्तपाण -उग्गमउप्पायणएसणा -विसोहिसुद्धासुद्धग्गहण वयणियभतवोवधाण -सुप्पसत्थमाहिज्जति । से समासतो पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा णाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे । आयारस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जाअणुओगदारा, संखेज्जातो पडिवत्तीतो, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेजातो निज्जुत्तीतो। सेणं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे, दो सुतक्खंधा, पणुवीसे अज्झयणा, पंचासीती उद्देसणकाला, पंचासीई समुद्देसणकाला, अट्ठारस पदसहस्साई पदग्गेणं पण्णत्ते । संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासया कडा णिबद्धा णिकाइता जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविनंति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवं आता, एवं णाता, एवं विण्णाता एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति । सेतं आयारे । [१३७] ★★★ से किं तं सूयगडे ? सूयगडे णं ससमया सूइज्जति, परसमया सूइज्जति, ससमया-परसमया सूइज्जति,जीवा सूइज्जति, अजीवा सूइज्जति, जीवाजीवा सूइज्जति, लोगे सूइज्जति, अलोगे सूइज्जति, लोगालोगे सूइज्जति। सूयगडे णं जीवाऽजीवा-पुण्ण-पावा-ऽऽसव-संवर-णिज्जर-बंध-मोक्खावसाणा पयत्था सूइज्जति । समणाणं अचिरकालपव्वइयाणं कुसमयमोहमोहमतिमोहिताणं संदेहजायसहजबुद्धिपरिणामसंसइयाणं पावकरमइलमतिगुणविसोहणत्थं आसीतस्स किरियावादिसतस्सचउरासीतीए अकिरियावादीणं सत्तट्ठीए अण्णाणियवादीणं
बत्तीसाए वेणइयवादीणं तिण्हं तेसट्टाणं अण्णदिट्टियसयाणं वूहं किच्चा ससमए ठाविज्जति । णाणादिटुंतवयणणिस्सारं सुट्ठ दरिसयंता 4 विविहवित्थाराणुगमपरमसब्भावगुणविसिट्ठा मोक्खपहोदारगा उदारा अण्णाणतमंधकारदुग्गेसु दीवभूता सोवाणा चेव सिद्धिसुगतिघरुत्तमस्स णिक्खोभनिप्पकंपा
सुत्तत्था । सूयगडस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेजातो पडिवत्तीतो, संखेज्जा वेढा, [संखेज्जा] सिलोगा, [संखेज्जाओ] निज्जुत्तीतो। सेणं अंगठ्ठताए दोच्चे अंगे, दो सुतक्खंधा, तेवीसं अज्झयणा, तेत्तीसं उद्देसणकाला, तेत्तीसं समुद्देसणकाला, छत्तीसं पदसहस्साइं पयग्गेणं पण्णत्ते। संखेज्जा अक्खरा, तं चेव जाव परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासया कडा णिबद्धा णिकाइता जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति जाव उवदंसिज्जति । से [एवं आता,?] एवं णाते (णाता?) एवं विण्णाते(ता?) जाव चरणकरणपरूवणया आघविज्जति [पण्णविज्जति परूविज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति ?] सेत्तं सूयगडे। [१३८] ★★★ से किं तं ठाणे ? ठाणे णं ससमया ठाविजंति, परसमया ठाविज्जति, ससमय-परसमया [ठाविज्जति], जीवा ठाविजंति, अजीवा [ठाविज्जति], जीवाजीवा ठाविनंति], लोगो अलोगो लोगालोगो वा ठाविज्जति । ठाणे णं दव्व-गुण-खेत्त-काल-पज्जवपयत्थाणं । सेला सलिला य समुद्द सूर भवण विमाण आगरा णदीतो । णिधयो पुरिसज्जाया सरा य गोत्ता य जोतिसंचाला ॥६०।। एक्काविधवत्तव्वयं दुविह जाव दसविहवत्तव्वयं जीवाण पोग्गलाण य लोगट्ठाइं च णं परूवणया आघविज्जति जाव ठाणस्स णं परित्ता वायणा जाव संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जातो संगहणीतो । से तं(णं) अंगठ्ठताए ततिए अंगे, एगे सुतक्खंधे, दस अज्झयणा, एक्कवीसं उद्देसणकाला, एक्कवीसं समुद्देसणकाला, बावत्तरि पयसहस्साई पदग्गेणं पण्णत्ते । संखेज्जा अक्खरा जाव चरणकरणपरूवणया आघविज्जति । सेत्तं ठाणे
। [१३९]से किं तं समवाए ? समवाए णं ससमया सूइज्जति, परसमया सूइज्जति, ससमय-परसमया सूइज्जति, जीवा सूइज्जति, अजीवा सूइज्जति, # जीवाजीवा सूइज्जति, लोगे सूइज्जति, अलोगे सूइज्जति, लोगालोगे सूइज्जति। समवाए णं एकादियाणं एगत्थाणं एगुत्तरिय परिवढी यदुवालसंगस्स य गणिपिडगस्स
पल्लवग्गे समणुगाइज्जति । ठाणगसयस्स बारसविहवित्थरस्स सुतणाणस्स जगजीवहितस्स भगवतो समासेणं समायारे आहिज्नति । तत्थ य णाणाविहप्पगारा म जीवाजीवा य वण्णिता वित्थरेणं, अवरे वि य बहुविहा विसेसा नरग-तिरिय-मणुय-सुरगणाणं आहारुस्सास-लेस-आवास-संख-आययप्पमाण-उववाय-चवण5 ओगाहणोहि-वेयण-विहाण-उवओग-जोग-इंदिय-कसाय, विविहा य जीवजोणी, विक्खंभुस्सेहपरिरयप्पमाणं विधिविसेसा य मंदरादीणं महीधराणं, २ कुलगरतित्थगरगणधराणं समत्तभरहाहिवाण चक्कीण चेव चक्कहर-हलहराण य, वासाण य निग्गमा य, समाए एते अण्णे य एवमादि एत्थ वित्थरेणं अत्था समाहिज्जति mero
श्री आगमगुणमंजूषा- २०४
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(१) समवायंगसुत्तं -'वियाह' - 'णायाधम्मकहा' - 'उवासगदसा' वण्णाओ [२८]
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। समवायस्सणं परित्ता वायणा जाव से णं अंगठ्ठताए चउत्थे अंगे, एगे अज्झयणे, एगे सुयक्खंधे, एगे उद्देसणकाले, एगे समुद्देसणकाले, एगे चोयाले पदसतसहस्से पदग्गेणं पण्णत्ते । संखेज्जाणि अक्खराणि जाव से त्तं समवाए। [१४०] से किं तं वियाहे ? वियाहे णं ससमया विआहिज्जति, परसमया विआहिज्जंति, ससमय-परसमया विआहिजंति, जीवा विआहिज्जति, अजीवा विआहिज्नति, जीवाजीवा विआहिजति, लोए विआहिज्जति, अलोए विआहिज्जति, लोगालोगे विआहिज्जति । वियाहे णं नाणाविहसुरनरिंदरायरिसिविविहसंसइयपुच्छियाणं जिणेण वित्थरेण भासियाणं ॥ दव्वगुणखेत्तकालपज्जवपदेसपरिणामजहत्थिभावअणुगमनिक्खेवणयप्पमाण-सुनिउणोवक्कमविविहप्पकारपागडपयंसियाणं लोगालोगप्पगासियाणं संसारसमुहरुंदउत्तरणसमत्थाणं सुरवतिसंपूजियाणं भवियजणपयहिययाभिनंदियाणं तमरयविद्धंसणाण सुदिट्ठदीवभूयईहामतिबुद्धिवद्धणाणं छत्तीससहस्समणूणयाणं वागरणाण दंसणाओ सुयत्थबहुविहप्पगारा सीसहितत्थाय गुणहत्था । वियाहस्स णं परित्ता वायणा जाव अंगठ्ठताए पंचमे अंगे, एगे सुतक्खंधे, एगे साइरेगे' अज्झयणसते, दस उद्देसगसहस्साइं, दस समुद्देसगसहस्साई, छत्तीसं वागरणसहस्साई, चउरासीति पयसहस्साई पयग्गेणं पण्णत्ते । संखेज्जाई अक्खराई, अणंता गमा जाव सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जति । सेत्तं वियाहे। [१४१]*** से किं तं णायाधम्मकहाओ ? णायाधम्मकहासुणं णायाणं णगराई, उज्जाणाई, चेतियाई, वणसंडा, रायाणो, अम्मापितरो, समोसरणाई, धम्मायरिया, धम्मकहातो, इहलोइया पारलोइया इड्डिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जातो, सुतपरिग्गहा, तवोवहाणाई, परियागा, संलेहणातो, भत्तपच्चक्खाणाइं, पाओवगमणाई, देवलोगगमणाई, सुकुलपच्चायाती, पुण बोहिलाभो, अंतकिरियातो य आघविनंति जाव नायाधम्मकहासु णं पव्वइयाणं विणयकरणजिणसामिसासणवरे संजमपतिण्णापालणधिइमतिववसायदुब्बलाणं तवनियमतवोवहाणरणदुद्धरभरभग्गाणि-सहाणिसट्ठाणं घोरपरीसहपराजियासहप(पा १)रद्धरुद्धसिद्धालयमग्गनिग्गयाणं विसयसुहतुच्छ आसावसदोसमुच्छियाणं विराहियचरित्तणाणदंसणजतिगुणवि-विहप्पगारणिस्सारसुन्नयाणं संसारअपारदुक्खदुग्गतिभवविविहपरंपरापवंचा, धीराण य जियपरीसहक सायसेण्णधितिधणियसंजमउच्छाहनिच्छियाणं आराहियणाणदंसणचरित्तजोगणिस्सल्लसुद्धसिद्धालयमग्गमभिमुहाणं सुरभवणविमाणसोक्खाई अणोवमाई भोत्तूण चिरं च भोगभोगाणि ताणि दिव्वाणि महरिहाणि ततो य कालक्कमचुयाणं जह य पुणो लद्धसिद्धिमग्गाणं अंतकिरिया, चलियाण य सदेवमाणुसधीरकरणकारणाणि बोधणअणुसासणाणि गुणदोसदरिसणाणि, दिटुंते पच्चये य सोऊण लोगमुणिणोजह य ट्ठिय सासणम्मि जरमरणणासणकरे, आराहितसंजमा य सुरलोगपडिनियत्ता उति जह सासतं सिवं सव्वदुक्खमोक्खं, एते अण्णे य एवमादित्थ वित्थरेण य । णायाधम्मकहासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा जाव संखेज्जातो संगहणीतो । से णं अंगठ्ठताए छटे अंगे, दो सुतक्खंधा, एकूणवीसं अज्झयणा, ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तंजहा चरिता य कडता य । दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयसताई, एगमेगाए अक्खाइयाए पंचपंच उवक्खाइयसताइं, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयउवक्खाइयसताई, एवामेव सपुव्वावरेणं अद्भुट्ठातो अक्खाइयकोडीओ भवंती मक्खायाओ। एगूणतीसं उद्देसणकाला, एगूणतीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसतसहस्साई पयग्गेणं पण्णत्ते । संखेज्जा अक्खरा जाव चरणकरणपरूवणया आघविज्जति। सेतंणायाधम्मकहातो। [१४२] से किं तं उवासगदसातो? उवासगदसासुणं उवासयाणं णगराइं, उज्जाणाई, चेतियाइं, वणसंडा, रायाणो, अम्मापितरो, समोसरणाइं, धम्मायरिया, धम्मक हाओ, इहलोइया पारलोइया इड्डिविसेसा, उवासयाणं च सीलव्वयवेरमणगुणपच्चक्खाणपोसहोववासपडिवज्जणतातो, सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाई, पडिमातो, उवसग्गा, संलेहणातो, भत्तपच्चक्खाणाई, पाओवगमणाई,
देवलोगगमणाई, सुकुलपच्चायाती, पुण बोहिलाभो, अंतकिरियातोय आघविज्जति । उवासगदसासु णं उवासयाणं रिद्धिविसेसा, परिसा, वित्थरधम्मसवणाणि, ५ बोहिलाभ, अभिगमणं, सम्मत्तविसुद्धता, थिरत्तं, मूलगुणुत्तरगुणातियारा, ठितिविसेसा य बहुविसेसा, पडिमाभिग्गहगहणपालणा, उवसग्गाहियासणा, णिरुवसग्गा
5 5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-२०५55555555$$$$$$$$OOR
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) समवायगसुत्त -'उवासगदसा' 'अतगडदसा' - 'अणुतराववातियदसा' 'पण्हावागरणेसु' वण्णाओ [२९]
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य, तवा य चित्ता, सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासा, अपच्छिममारणंतियायसंलेहणाज्झोसणाहिं अप्पाणं जह य भावइत्ता बहूणि भत्ताणि अणसणाए य छेयइत्ता उववण्णा कप्पवरविमाणुत्तमेसु जह अणुभवंति सुरवरविमाणवरपोंडरीएसु सोक्खाइं अणोवमाई कमेण भोत्तूण उत्तमाई, तओ आउक्खएणं चुया समाणा जह जिणमयम्मि बोहिं लळूण य संजमुत्तमं तमरयोघविप्पमुक्का उवेति जह अक्खयं सव्वदुक्खमोक्खं, एते अन्ने य एवमादी [अत्था वित्थरेण य] । उवासयदसासु णं परित्ता वायणा, संखेजा अणु ओगदारा जाव संखेजातो संगहणीतो । से णं अंगट्ठयाए सत्तमे अंगे, एगे सुतक्खंधे, दस अज्झयणा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेज्जाई पयसयसहस्साई पयग्गेणं पण्णत्ते | संखेज्जाई अक्खराइं जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जति । से तं , उवासगदसातो। [१४३]** से किं तं अंतगडदसातो ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं णगराई, उज्जाणाई, चेतियाई, वणसंडा, रायणो, अम्मापितरो, समोसरणाई, धम्मायरिया, धम्मकहातो, इहलोइया पारलोइया इड्ढिविसेसा, भोगपरिच्चाया. पव्वज्जातो, सुतपरिग्गहा, तवोवहाणाई, पडिमातो बहुविहातो, खमा, अज्जवं, महवं च, सोयं च सच्चसहियं, सत्तरसविहोय संजमो, उत्तमंच बंभं, आकिंचणिया, तवो, चियातो, किरियातो, समितिगुत्तीओ चेव, तह अप्पमायजोगो, सज्झायज्झाणाण य उत्तमाणं दोण्हं पि लक्खणाई, पत्ताण य संजमुत्तमं जियपरीसहाणं चउव्विहकम्मक्खयम्मि जह केवलस्स लंभो, परियाओ जत्तिओ य जह पालिओ मुणीहिं, पायोवगतो य जो जहिं जत्तियाणि भत्ताणि छेयइत्ता अंतगडो मुणिवरो तमरयोघविप्पमुक्को, मोक्खसुहमणुत्तरं च पत्ता, एते अन्ने य एवमादी अत्था परू [विज्जति] जाव से णं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुतक्खंधे, दस अज्झयणा, सत्त वग्गा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेजाइं पयसतसहस्साई पयग्गेणं । संखेज्जा अक्खरा जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जति । से तं अंतगडदसातो। [१४४]*** से किं तं अणुत्तरोववातियदसातो? अणुत्तरोववातियदसासुणं अणुत्तरोववातियाणं णगराई, उज्जाणाई, चेतियाई, वणसंडा, रायाणो, अम्मापितरो, समोसरणाइं, धम्मायरिया, धम्मकहातो, इहलोइया पारलोइया इड्डिविसेसा, भोगपरिच्वाया, पव्वज्जाओ, सुतपरिग्गहा, तवोवहाणाई, पडिमातो, संलेहणातो, भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई, अणुत्तरोववत्ति, सुकुलपच्चायाती, पुण बोहिलाभो, अंतकिरिया [तो] य आघविनंति । अणुत्तरोववातियदसासुणं तित्थकरसमोसरणाइं परममंगल्लजगहिताणि, जिणातिसेसा य बहुविसेसा, जिणसीसाणं चेव समणगणपवरगंधहत्थीणं थिरजसाणं परिसहसेण्णरिवुबलपमद्दणाणं तवदित्तचरित्त-णाण-ई सम्मत्तसारविविहप्पगारवित्थरपसत्थगुणसंजुयाणं अणगारमहरिसीणं अणगारगुणाण वण्णओ उत्तमवरतवविसिट्ठणाणजोगजुत्ताणं, जह य जगहियं भगवओ, जारिसा य रिद्धिविसेसा देवासुरमाणुसाण। परिसाणं पाउब्भावा य जिणसमीवं, जहय उवासंति जिणवरं, जह य परिकहेति धम्मं लोगगुरू अमर-नरा-ऽसुरगणाणं, सोऊण य तस्स भासियं अवसेसकम्मा विसयविरत्ता नरा जहा अब्भुवेति धम्मं ओरालं संजमं तवं चावि बहुविहप्पगारं जह बहूणि वासाणि अणुचरित्ता आराहियनाणदंसणचरित्तजोगा जिणवयणमणुगयमहियभासिता जिणवराण हिययेणमणुणेत्ता जे य जहिं जत्तियाणि भत्ताणि छेयइत्ता लळूण य समाहिमुत्तमं ॥ झाणजोगजुत्ता उववन्ना मूणिवरुत्तमा जह अणुत्तरेसु पावंति जह अणुत्तरं तत्थ विसयसोक्खं तत्तो य चुया कमेण काहिंति संजया जह य अंतकिरियं, एते अन्ने य एवमादित्य जाव परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, [जाव] संखेजातो संगहणीतो। सेणं अंगठ्ठयाए नवमे अंगे एगे सुयक्खंधे, दस अज्झयणा, तिन्नि वग्गा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं पण्णत्ते । संखेज्जाणि अक्खराणि जाव एवं चरणकरणपरूवणया आधविज्जति । सेतं अणुत्तरोववातियदसातो। [१४५] ★★★से किं तं पण्हावागरणाणि ? पण्हावागरणेसु अद्रुतरं पसिणसतं, अठुतरं अपसिणसतं, अद्रुत्तरं पसिणापसिणसतं,
विज्जातिसया, नागसुपण्णेहिं सद्धिं दिव्वा संवाया आघविनंति । पण्हावागरणदसासु णं ससमय-परसमयपण्णवयपत्तेयबुद्धविविधत्थभासाभासियाणं म अतिसयगुणउवसमणाणपगारआयरियभासियाणं वित्थरेणं वीरमहेसीहिं विविहवित्थारभासियाणं च जगहिताणं अद्धागंगुट्ठबाहुअसिमणिखोमआइच्चमातियाणं
विविहमहापसिणविज्जामणपसिणविज्जादइवयपयोगपाहण्णगुणप्पगासियाणं सब्भूयबिगुणप्पभावनरगणमतिविम्हयकरीणं अतिसयमतीतकालसमये terC55555555555555555555[ श्री आगमगुणमंजूषा - २०६ 555555555555555555555555 FOOR
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(४) समवायंगसुत्तं - पण्डावागरण' - विवागसुत्त - दिट्टिवाय' वण्णाओ [३०]
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दमतित्थकरुत्तमस्स थितिकरणकारणाणं दुरभिगमदुरोवगाहस्स सव्वसव्वण्णुसम्मतस्साबुधजणविबोहकरस्स पच्चक्खयप्पच्चयकरीणं पण्हाणं विविहगुणमहत्था जिणवरप्पणीया आघविज्जति । पण्हावागरणेसु णं परित्ता वायणा, संखेजा जाव संखेज्जातो संगहणीतो। सेणं अंगठ्ठताए दसमे अंगे, एगे सुतक्खंधे, [पणतालीसं अज्झयणा], पणतालीसं उद्देसणकाला, पणतालीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पण्णत्ते, संखेना अक्खरा, अणंता गमा जाव चरणकरणपरूवणया आघविज्जति । सेत्तं पण्हावागरणाणि । [१४६]★★★से किंतं विवागसुते ? विवागसुए णं सुकडदुक्कडाणं कम्माणं फलविवागे आघविज्जति । से समासओ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा दुहविवागे चेव सुहविवागेचेव, तत्थणं दह दुहविवागाणि, दह सुहविवागाणि। से किं तं दुहविवागाणि ? दुहविवागेसुणं [दुहविवागाणं] )
णगराइं, चेतियाई, उज्जाणाई, वणसंडा, रायाणो, अम्मापितरो, समोसरणाइं, धम्मायरिया, धम्मकहातो, नरगगमणाई, संसारपवंचदुहपरंपराओ य आघविनंति, # सेत्तं दुहविवागाणि । से किं तं सुहविवागाणि? सुहविवागेसु सुहविवागाणं णगराइं जाव धम्मकहातो, इहलोइयपारलोइया इड्डिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जाओ,
सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाई, पडिमातो, संलेहणातो, भत्तपच्चक्खाणाई, पाओवगमणाई देवलोगगमणाई, सुकुलपच्चायाती, पुण बोहिलाभो, अंतकिरियातो य आघविज्जति । दुहविवागेसुणं पाणातिवायअलियवयण चोरिक्ककरण-परदारमेहुण-ससंगताए महतिव्वकसाय-इंदिय-प्पमायपावप्पओय-असुहज्झवसाणसंचियाणं कम्माणं पावगाणं पावअणुभागफलविवागा णिरयगति-तिरिक्खजोणिबहुविहवसणसयपरंपरापबद्धाणं मणुयत्ते वि आगताणं जह पावकम्मसेसेण पावगा होति फलविवागा वह- -वसणविणास -णास -कण्णोठेंगुट्टकर -चरण -नहच्छेयण -जिब्भच्छेयण - अंजण कडग्गिदाहण -गयचलणमलण -फालण -उल्लंबण -सूल -लता-लउड -लट्ठिभंजण -तउ-सीसग-तत्ततेल्लकलकलअभिसिंचण -कुंभि-पाग -कंपण -थिरबंधण-वेह -वज्झकत्तण -पतिभयकरकरपलीवणादिदारुणाणि
दुक्खाणि अणोवमाणि, बहुविविहपरंपराणुबद्धा णमुच्चंति पावकम्मवल्लीए, अवेयइत्ता हु णत्थि मोक्खो, तवेण धितिधणियबद्धकच्छेण सोहणं तस्स वा वि होज्जा है है । एत्तो य सुभविवागेसु सील-संजम-णियम-गुण-तवोवहाणेसु साहुसु सुविहिएसु अणुकंपासयप्पयोगतिकालमतिविसुद्धभत्तपाणाई पययमणसा
हितसुहनीसेसतिव्वपरिणामनिच्छियमती पयच्छिऊणं पयोगसुद्धाइं जह य निव्वत्तेति उ बोहिलाभं जह य परित्तीकरेति णर -णिरय तिरिय - सुरगतिगमणविपुलपरियट्ट -अरति -भय -विसाय -सोक - मिच्छत्तसेलसंकडं अण्णाणतमंधकारचिक्खल्लसुदुत्तारं जर -मरण -जोणिसंखुभितचक्कवालं सोलसकसायसावयपयंडचंडं अणातियं अणवयग्गं संसारसागरमिणं, जह य णिबंधंति आउगं सुरगणेसु, जह य अणुभवंति सुरगणविमाणसोक्खाणि अणोवमाणि, ततो य कालंतरे चुयाणं इहेव नरलोगमागयाणं आउ - वपु - वण्ण -रूव -जाति -कुल - जम्म - आरोग्ग - बुद्धि -मेहाविसेसा मित्तजण -सयण - धणधण्णविभवसमिद्धिसारसमुदयविसेसा बहुविहकामभोगुब्भवाण सोक्खाण सुहविवागुत्तमेसु, अणुवरयपरंपराणुबद्धा असुभाणं सुभाणं चेव कम्माणं भासिया बहुविहा विवागा विवागसुयम्मि भगवता जिणवरेण संवेगकारणत्था, अन्ने वि य एवमादिया, बहुविहा वित्थरेणं अत्यपरूवणया आघविज्जति । विवागसुयस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा जावसंखेज्जातो संगहणीतो। सेणं अंगठ्ठताए एक्कारसमे अंगे, वीसं अज्झयणा, वीसं उद्देसणकाला, वीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसयसहस्साई पयग्गेणं पण्णत्ते, संखेज्जाणि अक्खराणि, जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविज्जति से तं विवागसुए। १४७ से किं तं दिठिवाए ? दिट्ठिवाए णं सव्वभावपरूवणया आघविज्जति । से समासतो पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा परिकम्मं सुत्ताइं पुव्वगयं अणुओगो चूलिया। से किं तं परिकम्मे ? परिकम्मे सत्तविहे पण्णत्ते, तंजहा सिद्धसेणियापरिकम्मे मणुस्ससेणियापरिकम्मे पुट्ठसेणियापरिकम्मे ओगहणसेणियापरिकम्मे उवसंपज्जणसेणियापरिकम्मे विप्पजहणसेणियापरिकम्मे ' चुताचुतसेणियापरिकम्मे।से किं तं सिद्धसेणियापरिकम्मे ? सिद्धसेणियापरिकम्मे चोद्दसविहे पण्णत्ते, तंजहा माउयापदाणि १, एगट्ठितातिं २, पाढो ३, अट्ठपयाणि ४, (अट्ठपयाणि ३, पाढो ४,) आगासपदाणि ५, केउभूयं ६, रासिबद्धं ७, एगगुणं ८, दुगुणं ९, तिगुणं १०, केउभूतपडिग्गहो ११, संसारपडिग्गहो १२, नंदावत्तं
१३, सिद्धावत्तं १४, सेत्तं सिद्धसेणियापरिकम्मे । से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे ? मणुस्ससेणियापरिकम्मे चोद्दसविहे पण्णत्ते, तंजहा ताइं चेव माउयापयाई Re
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(४) समवायगसूत्त 'दिट्टिवाय' वण्णाओ [३१] जाव नंदावतं मणुस्सावत्तं, से त्तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे । अवसेसाइं परिकम्माई पाढाइयाई एक्कारसविहाणि पन्नत्ताई। इच्वेतानं सत्त परिकम्माई, छ ससमइयाणि, सत्त आजीवियाणि । छ चउक्कणइयाणि, सत्त तेरासियाणि । एवामेव सपुव्वावरेणं सत्त परिकम्माई ते सीतिं भवतीति मक्खायाति । से त्तं परिकम्माई । से किं तं सुत्ताई ? सुत्ताइं अट्ठासीतिं भवतीति मक्खायातिं, तंजहा उज्जगं परिणयापरिणयं बहुभंगियं विपच्चवियं अणंतरपरंपरं सामाणं संजूहं भिन्नं आहव्वायं सोवत्थितं घंट णंदावत्तं बहुलं पुट्ठापुढं वियावत्तं एवंभूतं दुयावत्तं वत्तमाणुप्पयं समभिरूढं सव्वतोभदं पणसं दुपडिग्गé २२ । इच्चेताइं बावीसं सुत्ताइं छिण्णच्छेयणइयाणि ससमयसुत्तपरिवाडीए, इच्चेताइं बावीसं सुत्ताइं अच्छिन्नच्छेयनइयाणि आजीवियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेताइं बावीस सुत्ताइं तिकणइयाणि तेरासियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेताइं बावीसं सुत्ताइं चउक्कणइयाणि ससमयसुत्तपरिवाडीए। एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीती सुत्ताइं भवंतीति मक्खायाइं । से त्तं सुत्ताई । से किं तं पुव्वगए ? पुव्वगए चोद्दसविहे पण्णत्ते, तंजहा उप्पायपुव्वं अग्गेणियं वीरियं अत्थिणत्थिप्पवायं णाणप्पवायं सच्चप्पवायं आतप्पवायं कम्मप्पवायं पच्चक्खाणं अणुप्पवायं अवंझं पाणाउं किरियाविसालं लोगबिंदुसारं १४ । उप्पायपुव्वस्स णं दस वत्थू, चत्तारि चूलियावत्थू पण्णत्ता । अग्गेणियस्स णं पुव्वस्स चोद्दस वत्थू, बारस चूलियावत्थू पण्णत्ता । वीरियपुव्वस्स अट्ठ वत्थू, अट्ठ चूलियावत्थू पण्णत्ता । अत्थिणत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू, दस चूलियावत्थू पण्णत्ता | प्पवास वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता । सच्चप्पवायस्स णं पुव्वस्स दो वत्थू पण्णत्ता । आतप्पवायस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू पण्णत्ता । कम्मप्पवायस्स वस तीसंवत्थू पण्णत्ता। पच्चक्खाणस्स णं पुव्वस्स वीसं वत्थू पण्णत्ता। अणुप्पवायस्स णं पुव्वस्स पण्णरस वत्थू पण्णत्ता। अवंझस्स णं पुव्वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता । पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस वत्थू पण्णत्ता । किरियाविसालस्स णं पुव्वस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता । लोगबिंदुसारस्स णं पुव्वस्स पणुवीसं वत्थू पण्णत्ता । "दस चोद्दस अट्ठऽट्ठारसेव बारस दुवे य वत्थूणि । सोलस तीसा वीसा पण्णरस अणुप्पवायम्मि” ॥६१|| “बारस एक्कारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण रस चोइसमे पण्णवीसाओ” ॥ ६२॥ " चत्तारि दुवाल अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि । आतिल्लाण चउण्हं सेसाणं चूलिया णत्थि ॥६३॥ से त्तं पुव्वगतं । से किं तं अणुओगे ? अणुओगे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा मूलपढमाणुओगे य गंडियाणुओगे य । से किं तं मूलपढमाणुओगे ? मूलपढमाणुओगे एत्थ णं अरहंताणं भगवंताणं पुव्वभवा, देवलोगगमणाणि, आउं, चयणाणि, जम्मणाणि य, अभिसेया, रायवरसिरीओ, सीयाओ, पव्वज्जाओ, तवा य, भत्ता, केवलणाणुप्पाता, तित्थपवत्तणाणि य, संघयणं, संठाणं, उच्चत्तं, आउं, वण्णविभागो, सीसा, गणा, गणहरा य, अज्जा, पवत्तिणीओ, संघस्स चउव्विहस्स जं वा वि परिमाणं, जिणा, मणपज्जवओहिणाणि समत्तसुयणाणिणो य वादी अणुत्तरगती य जत्तिया, जत्तिया सिद्धा, पातोवगतो य जो जहिं जत्तियाई भत्ताइं छेयइत्ता अंतगडो मुणिवरुत्तमो, तमरतोघविप्पमुक्का सिद्धिपहमणुत्तरं च पत्ता, एते अन्ने य एवमादी भावा पढमाणुओगे कहिया आघविज्जंति पण्णविज्जंति परूविज्जति [ दंसज्जति निंदसिज्जत्ति उवदंसिज्र्ज्जति]। से त्तं मूलपढमाणुओगे। से किं तं गंडियाणुओगे ? गंडियाणुओगे अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा कुलकरगंडियाओ तित्थकरगंडियाओ गणधरगंडियाओ चक्कवट्टिगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भहबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ चित्ततरगंडियाओ ओसप्पिणिगंडियाओ उस्सप्पिणिगंडियाओ अमर-नर- तिरिय - निरयगति-गमणविविहपरियट्टणाणुयोगे, एवमातियातो गंडियातो आघविनंति पण्णविज्जति परूविज्ज॑ति [ दंसिज्ज॑ति निंदंसिज्जति उवदंसिज्ज ] । से त्तं गंडियाणुओगे । से किं तं चूलियाओ ? जण्णं आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलियाओ, सेसाई पुव्वाई अचूलियाई । से त्तं चूलियाओ । दिट्ठिवायस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा जाव संखेज्जातो निज्जुत्तीओ। से णं अंगट्ठताए बारसमे अंगे, एगे सुतक्खंधे, चोद्दस पुव्वाइं, संखेज्जा वत्थू, संखेज्जा चूलवत्थू, संखेज्जा पाहुडा, संखेज्जा पाहुडपाहुडा, संखेज्जातो पाहुडियातो, संखेज्जातो पाहुडपाहुडियातो, संखेज्जाणि पयसयसहस्साणि पदग्गेणं, संखेज्ना अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, सासता कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति पण्णविज्जंति परूविज्जंति दंसिज्जति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जति । एवं णाते, एवं विण्णाते, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जति । से त्तं दिट्टिवाते
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श्री आगमगुणमंजूषा - २०८
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_(१) समवायंगसुत्तं -दुवालसंग 'गणिपिडग' - जीवाजीवरासि - णिरयावास - आवाससंखा वण्णाओ [३२]
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सेत्तं दुवालसंगे गणिपिडगे। [१४८] इच्चेतं दुवालसंगं गणिपिडगं अतीते काले अणंता जीवा आणाए विराहेत्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिसु,
इच्चेतं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पन्ने काले परित्ता जीवा आणाए विराहेत्ता चाउरतं संसारकतारं अणुपरियदृति, इच्चेतं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागते काले म अणंता जीवा आणाए विराहेता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिस्संति । इच्चेतं दुवालसंगं गणिपिडगं अतीते काले अणंता जीवा आणाए आराहेत्ता चाउरतं
संसारकंतारं वितिवतिंसु, एवं पडुपण्णे वि, अणागते वि । दुवालसंगेणं गणिपिडगेण कयाति ण आसी, ण कयातिणत्थि, ण कयाति ण भविस्सइ, भुवि च भवति अ य भविस्सति य, धुवे णितिए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिते णिच्चे । से जहाणामए पंच अस्थिकाया ण कयाइ ण आसि, ण कयाइ णत्थी, ण कयाइ ण भविस्संति,
भुवि च भवंति य भविस्संति य, धुवा णितिया जाव णिच्चा, एवामेव दुवालसंगे गणिपिडगे ण कयाति ण आसि, ण कयाति णत्थी, ण कयाति ण भविस्सति, भुविंच भवति य भविस्सइय, जाव अवहिते णिच्चे । एत्थ णं दुवालसंगे गणिपिडगे अणंता भावा, अणंता अभावा, अणंता हेऊ, अणंता अहेऊ, अणंता कारणा, अणंता अकारणा, अणंता जीवा, अणंता अजीवा, अणंता भवसिद्धिया, अणंता अभवसिद्धिया, अणंता सिद्धा, अणंता असिद्धा आघविज्जति पण्णविनंति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जंति।[१४९] दुवेरासी पण्णत्ता, तंजहा जीवरासी य अजीवरासीय। अजीवरासी दुविहा पण्णत्ता, तंजहा रूविअजीवरासी
ये अरूविअजीवरासीयासे किं तं अरूविअजीवरासी ? अरूविअजीवरासी दसविहा पण्णत्ता, तंजहा धम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए, जाव से किं तं अणुत्तरोववातिया 4 ? अणुत्तरोववातिया पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिय-सव्वठ्ठसिद्धया, सेत्तं अणुत्तरोववातिया, सेतं पंचेदियसंसारसमावण्णजीवरासी
दुविहाणेरइया पण्णत्ता, तंजहा पज्जत्ताय अपज्जत्ता य, एवं दंडओ भाणियव्वो जाव वेमाणिय त्ति । इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए केवइयं ओगाहेत्ता केवइया णिरया पण्णत्ता ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए आसीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेठ्ठा चेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अठ्ठहत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयाणं तीसं निरयावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खाया। ते णं णरया अंतो वट्टा, बाहिं चउरंसा, जाव असुभा निरया असुभातोणरएसुवेयणातो। एवं सत्त विभाणियव्वाओजंजासुजुज्जति आसीयं बत्तीसं अट्ठावीसं तहेव वीसं च । अट्ठारस सोलसगं अद्रुत्तरमेव बाहल्लं ॥६४॥ तीसा य पण्णवीसा पण्णरस दसेव सयसहस्साई । तिण्णेगं पंचूणं पंचेव अणुत्तरा नरगा ||६५|| चउसठ्ठी असुराणं चउरासीतिं च होति नागाणं । बावत्तरिं सुवण्णाण वाउकुमाराण छण्णउतिं ।।६६।। दीव-दिसा-उदधीणं विज्जुकुमारिंद-थणिय-मग्गीणं । छण्हं पि जुवलगाणं छावत्तरि मो सतसहस्सा ॥६७|| बत्तीसऽट्ठावीसा बारस अट्ठ चउरो सतसहस्सा । पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥६८॥ आणय-पाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुते तिन्नि । सत्त विमाणसताइं चउसु वि एएसु कप्पेसु॥६९।। एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु सत्तुत्तरं च मज्झिमए । सयमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥७०॥ दोच्चाए णं पुढवीए तच्चाए णं पुढवीए चउत्थी [एणं पुढवीए] पंचमी [ए णं पुढवीए] छट्ठी [एणं पुढवीए] सत्तमी [एणं पुढवीए] गाहाहि भाणियव्वा । सत्तमाए णं पुढवीए पुच्छा, गोतमा ? सत्तमाए पुढवीए अद्रुत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए उवरि अद्धतेवण्णं जोयणसहस्साइं ओगाहेत्ता हेट्ठा वि अद्धतेवण्णं जोयणसहस्साइं वज्जेत्ता मज्झे तिसु जोयणसहस्सेसु एत्थ णं सत्तमाए पुढवीए नेरइयाणं पंचं अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया पण्णत्ता, तंजहा काले, महाकाले, रोरुते, महारोरुते, अपतिट्ठाणे णामं पंचमए । ते णं निरया वट्टे य तंसा य, अधे खुरप्पसंठाणसंठिता जाव असुभा नरगा असुभाओ नरएसु वेयणातो। १५०. केवतिया णं भंते ! असुरकुमारावासा पण्णत्ता ? गोतमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से एत्थ णं रयणप्पभाए पुढवीए चउसद्धिं असुरकुमारावाससतसहस्सा पण्णत्ता । ते णं भवणा बाहिं वट्टा, अंतो चउरंसा, अहे पोक्खरकण्णियासंठाणसंठिता, उक्किण्णंतरविपुलगंभीरखावफलिहा अट्टालयचरियदारगोउरकवाडतोरणपडिदुवारदेसभागा जंतमुसलमुसंढिसतग्घिपरिवारिता अउज्झा अडयालकोट्टयरइया अडयालकतवणमाला लाउल्लोइयमहियां गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिण्णपंचंगुलितला
#555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा २०९ ]555555555555555555555555555OOT
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(४) समवायंगसुत्तं -आवासपण्ण - 'विमाणावसा द्वितीय' - 'सरीर वण्णाओ' [३३]
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कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमघेतगंधुद्धराभिरामा सुगंधवरगंधगंधिया गंधवट्टिभूता अच्छा सण्हालण्हा घट्ठा मट्ठा नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । एवं जस्स जं कमतीतं तस्स जं जंगाहाहिं भणियं तह चेव वण्णओ। केवतिया णं भंते! पुढविकाइयावासा पण्णत्ता? गोतमा ! असंखेज्जा पुढविकाइयावासा पण्णत्ता । एवं जाव मणूस त्ति । केवतिया णं भंते ! वाणमंतरावासा पण्णत्ता ? गोतमा इमीसेणं रतणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरि एगं जोयणसतं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगं जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसुजोयणसतेसु एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जणगरावाससतसहस्सा पण्णत्ता । ते णं भोमेज्जा नगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा, एवं जहा भवणवासीणं तहेव णेयव्वा, णवरं पडागमालाउळा सुरम्मा पासादीया [दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा] । केवतिया णं भंते ! जोतिसियावासा पण्णत्ता ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्तनउयाई जोयणसयाइं उडे उप्पतित्ता एत्थणं दसुत्तरजोयणसतबाहल्ले तिरियं जोतिसविसए जोतिसियाणं देवाणं असंखेज्जा जोतिसियविमाणावासा पण्णत्ता । ते णं जोतिसियविमाणावासा अब्भुग्गयभूसियपहसिया विविहमणिरयणभत्तिचित्ता वाउछुतविजयवेजयंतीपडागच्छत्तातिच्छत्तकलिया तुंगा गगणतलमणुलिहंतसिहरा जालंतररयणपंजरुम्मिलित व्व मणिकणगथूभियागा विगसितसतवत्तपुंडरीयतिलयरयणद्धचंदचित्ता अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्जवालुगापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । केवइया णं भंते ! वेमाणियावासा पण्णत्ता ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जओ भूमिभागाओ उड्डे चंदिमसूरियगहगणनक्खत्ततारारूवा णं वीतिवइत्ता बहूणि जोयणाणि बहूणि जोयणसताणि [बहूणि] जोयणसहस्साणि [बहूणि] जोयणसयसहस्साणि [बहुगीतो] जोयणकोडीतो [बहुगीतो] जोयणकोडाकोडीतो असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीतो उहुं दूरं वीइवइत्ता एत्थणं वेमाणियाणं देवाणं सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभ-लंतग-सुक्क-सहस्सारआणय-पाणय-आरण-ऽच्चुएसु गेवेज्जमणुत्तरेसु य चउरासीति विमाणावाससयसहस्सा सत्ताणउतिं च सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खाया। ते णं विमाणा अच्चिमालिप्पभा भासरासिवण्णाभा अरया नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा णिप्पंका णिक्वंकडच्छाया सप्पभा समिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । सोअम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावासा पण्णत्ता ? गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । एवं ईसाणाइसु २८।१२।८।४। एयाई सयसहस्साई, आणए पाणए चत्तारि, आरणच्चुए तिण्णि, एयाणि सयाणि, एवं गाहाहिं भाणियव्वं । [१५१] नेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । अपज्जत्तगाणं भंते ! नेरइयाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ! गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । पज्जत्तगाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई
अंतोमुहुत्तूणाई, उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई । इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए एवं विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिती 'पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं बत्तीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाणि । सव्वढे अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसंसागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। [१५२]★★★ कति णं भंते! सरीरापण्णत्ता ? गोतमा ! पंच सरीरा पण्णत्ता, तंजहा ओरालिए जाव कम्मए । ओरालियसरीरेणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा एगिदियओरालियसरीरे जाव गब्भवक्कंतियमणुस्सपंचिदियओरालियसरीरे य । ओरालियसरीरस्सणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं सातिरेंग जोयणसहस्सं । एवं जहा ओगाहणसंठाणे ओरालियपमाणं तहा निरवसेसं, एवं जाव मणुस्से उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । कतिविहे णं भंते ! वेउव्वियसरीरे पण्णत्ते? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तंजहा एगिदियवेउब्वियसरीरे य पंचिंदियवेउब्वियसरीरे य। एवं जाव सणंकुमारे आढतं जाव अणुत्तरा भवधारणिज्जा जा तेसिं रयणी रयणी परिहायति । आहारसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगाकारे पण्णत्ते । जइ एगाकारे पण्णत्ते
किं मणुस्सआहारयसरीरे अमणुस्सआहारसरीरे ? गोयमा ! मणुस्साहारगसरीरे, णो अमणूसाहारगसरीरे । एवं जति मणूस० किं गब्भक्कंतिय०संमुच्छिम० ? mero #5
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(४) समवायंग सुत्तं - 'सगर' ओहि वेयणा लेसा आउगबंध विरह आगरिसा संघयण संगणांइ [३४]
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गोयमा ! गब्भवक्कंतिय०, नो संमुच्छिम० । जइ गब्भवक्कंतिय० किं कम्मभूमग० अकम्मभूमग० ? गोयमा ! कम्मभूमग० नो अकम्मभूमग० । जइ कम्मभूमग० किं संखेज्जवासाउय० असंखेज्जवासाउय० ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय० नो असंखेज्जवासाउय० । जइ संखेज्जवासाउय० किं पज्जत्तय० अपज्जत्तय० ? गोयमा पज्जत्तय०, नो अपज्जत्तय० । जइ पज्जत्तय० किं सम्मद्दिट्ठी० मिच्छदिट्ठी० सम्मामिच्छदिट्ठी ? गोयम ! सम्मद्दिट्ठी०, नो मिच्छदिट्ठी नो सम्मामिच्छदिट्ठी । जइ सम्मद्दिट्ठी० किं संजत० असंजत० संजतासंजत० ? गोयमा ! संजत०, नो असंजत० नो संजतासंजत० । जइ संजत० किं पमत्तसंजत० अपमत्तसंजत ? गोयमा ! पत्तसंजत०, नो अपमत्तसंजत० । जइ पमत्तसंजत किं इड्डिपत्त० अणिडिपत्त० ? गोयमा ! इढिपत्त०, नो अणिडिपत्त० । वयणा वि भणियव्वा । आहारयसरी रे समचउरंससंठाणसंठिते । आहार [यसरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहाणा पन्नत्ता ? गोयमा !] जहन्नेणं देसूणा रयणि, उक्कोसेणं पडिपुण्णा रयणी । तेयासरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा एगिंदियतेयसरीरे य बेइंदियतेयसरीरे य तेइंदियतेयसरीरे य चउरिदियतेयसरीरे य पंचिदियतेयसरीरे य एवं जाव गेवेज्जयस्सणं भंते! देवस्स मारणंतियसमुग्धातेणं समोहतस्स समाणस्स [तेयासरीरस्स] केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभबाहल्लेणं, आयामेणं जहन्नेणं अहे जाव विज्जाहरसेढीओ, उक्कोसेणं अहे जाव अहोलोइया गामा, उड्डुं जाव सयाई विमाणाइं, तिरियं जाव मणुस्सखेत्तं, एवं जाव अणुत्तरोववाइया वि । एवं कम्मयसरीरं पि भाणियव्वं । भेदे विसय संठाणे अब्भंतर बाहिरे देसोधी । ओहिस्स वड्ढि हाणी पडिवाती चेव अपडिवाती ॥७१॥ J [१५३]★★★ कतिविहे णं भंते ! ओही पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते भवपच्चइए य खओवसमिए य। एवं सव्वं ओहिपदं भाणियव्वं । सीता य दव्व सारीर सा तह वेयणा भवे दुक्खा । अब्भुवगमुवक्कमिया णिताई चेव अणिदातिं ॥७२॥ नेरइया णं भंते ! किं सीतवेदणं वेयतिं, उसिणवेयणं वेयंति, सीतोसिणवेयणं वेयति ? गोयमा ! नेरइया० एवं चेव वेयणापदं भाणियव्वं । कति णं भंते! लेसातो पण्णत्तातो ? गोयमा ! छल्लेसातो पण्णत्तातो, तंजहा किण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा । एवं लेसापदं भाणियव्वं । अणंतरा य आहारे आहराभोयणा वि य। पोग्गला नेव जाणंति अज्झवसाणा य सम्मत्ते ||७३|| नेरइया णं भंते! अणंतराहारा ततो निव्वत्तणया ततो परियातियणता ततो परिणामणता ततो परियारणया ततो पच्छा विकुव्वणया ? हंता गोयमा ! एवं आहारपदं भाणियव्वं [१५४]★★★ कतिविहे णं भंते! आउगबंधे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे आउगबंधे पण्णत्ते, तंजहा जातिनामनिधत्ताउए, एवं गतिनाम० ठितिनाम० पदेसनाम० अणुभाग० ओगाहणानाम० । नेरइयाणं भंते! कतिविहे आउगबंधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! छव्विहे पण्णत्ते, तंजहा जातिनाम० जाव ओगाहणानाम० । एवं जाव वेमाणिय त्ति । निरयगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिता उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्वं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ते, एवं तिरियगति मणुस्स [गति] देव [गति] । सिद्धिगती णं भंते! केवइयं कालं विरहिया सिज्झणयाए पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं एवं समयं, उक्कोसेणं छम्मासे । एवं सिद्धिवज्जा उव्वट्टणा । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया केवइयं कालं विरहिया उववाएणं ? एवं उववायदंडओ भाणियव्वो उव्वट्टणादंडओ य । नेरइया णं भंते! जातिनामनिधत्ताउगं कतिहिं आगरिसेहिं पगरेति ? गो० ! सिय १, सिय २|३|४|५/६ ७, सिय अट्ठहिं, नो चेव णं नवहिं । एवं सेसाण वि आउगाणि जाव वेमाणिय त्ति । [ १५५] ★★★ कइविहे णं भंते ! संघयणे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे संघयणे पण्णत्ते, तंजहा वइरोसभनारायसंघयणे रिसभनारायसंघयण नारायसंघयणे अद्धनारायसंघयणे खीलियासंघयणे छेवट्टसंघयणे । नेरइया णं भंते! किंसंघयणी [पण्णत्ता ] ? गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी, गवट्ठी जेव छिरा णवि ण्हारू, जे पोग्ला • अता अप्पिया अमणुण्णा अमणावा ते तेसिं असंघयणत्ताए परिणमंति । असुकुमार णं [भंते ] ! किंसंघयणी पण्णत्ता ? गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी, णेवट्ठी णेव छिरा जाव जे पोग्गला इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा मणाभिरामा ते तेसिं असंघयणत्ताए परिणमंति । एवं जाव थणियकुमार त्ति | पुढवि [काइयाणं भंते ! किंसंघयणी पण्णत्ता ? गोयमा !] सेवट्टसंघयणी पण्णत्ता, एवं जाव संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिय त्ति । गब्भवक्कंतिया छव्विहसंघयणी । संमुच्छिममणुस्सा णं सेवट्टसंघयणी । गब्भवकंतियमणूसा छव्विहे संघयणे पण्णत्ता । जहा असुरकुमारा तहा वाणमंतरा जोतिसिया वेमाणिया । कतिविहे णं भंते ! संठाणे
श्री आगमगुणमंजूषा - २११ ॐ ॐ ॐ
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(४) समवायगसूत्त सगण वये कुलकर भारिया तित्थकर पिउ माउ वण्णा [३५]
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पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे संठाणे पण्णत्ते, तंजहा समचउरंसे, णग्गोहपरिमंडले, साति, खुज्जे, वामणे, हुंडे । णेरड्या णं भंते! किं [ संठाणी पण्णत्ता ?] गोयमा ! हुंडसंठाणी पण्णत्ता । असुरकुमारा [णं भंते ] ! किं [ संठाणी पण्णत्ता ?] गोयमा ! समचउरंससंठाणसंठिया पण्णत्ता जाव थणिय त्ति । पुढवि [काइया] मसूरयसंठाणा पण्णत्ता । आऊ [काइया] थिबुयसंठाणा पण्णत्ता । तेऊ [काइया] सूइकलावसंठाणा पण्णत्ता । वाऊ [काइया] पडातियासंठाणा पण्णत्ता । वणप्फति [काइया] णाणासठाणसंठिता पण्णत्ता। बेतिया तेतिया चउरिदिया संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणिया हुंडसंठाणा पण्णत्ता । गब्भवक्कंतिया छव्विहसंठाणा [पण्णत्ता ] | सम्मुच्छिममणूसा हुंडसंठाणसंठिता पण्णत्ता । गब्भवक्कंतियाणं [मणूसाणं] छव्विहा संठाणा [पण्णत्ता ] । जहा असुरकुमारा तहा वाणमंतरा जोतिसिया वेमाणिया । [१५६] कतिविहे णं भंते ! वेए पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे वेए पण्णत्ते, तंजहा इत्थिवेदे पुरिसवेदे णपुंसगवेदे । णेरतियाणं भंते १ किं इत्थिवेए पुरिसवेए णपुंसगवेए पण्णत्ते ? गोयमा ! णो इत्थि [वेदे], णो पुंवेदे, णपुंसगवेदे [पण्णत्ते ] । असुरकुमा [राणं भंते ] ! किं [ इत्थिवेए पुरिसवेए णपुसंगवेए पण्णत्ते ] ? गोयमा ! इत्थि [ ए ], पुमं [ ए ], णो णपुंसग [ वेए] जाव थणिय त्ति | पुढवि [काइया ] आउ [काइया] तेउ [काइया] वाउ [काइया] वण [प्फति काइया] बे [ इंदिया] ते [ इंदिया] चउ [रिदिया] संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्ख [जोणिया ] संमुच्छिममणूसा णपुंसगवेया। गब्भवक्कंतियमणूसा पंचेदियतिरिया तिवेया । जहा असुकुमारा तहा वाणमंतरा जोतिसिया वेमाणिया । [१५७] तेणं कालेणं तेणं समएणं कप्पस्स समोसरणं णेतव्वं जाव गणहरा सावच्चा णिरवच्चा वोच्छिन्ना। जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीताए उस्सप्पिणीते सत्त कुलकरा होत्या, तंजहा मित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपभे । विमलघोसे सुघोसे य, महाघोसे य सत्तमे ॥७४॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीताए उस्सप्पिणीए दस कुलकरा होत्या, तंजहा सतज्जले सताऊ य, अजितसेणे अणंतसेणे य । कक्कसेणे भीमसेणे, महासेणे य सत्तमे ||७५ || दढरहे दसरहे सतरहे। जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए समाते सत्त कुलगरा होत्था, तंजहा पढमेत्य विमलवाहण० [चक्खुम जसमं चउत्थमभिचंदे । तत्तो पसेणईए मरुदेवे चेव नाभी य ॥ ७६ ॥ |] गाहा । एतेसि णं सत्तण्डं कुलगराणं सत्त भारियातो होत्था, तंजहा चंदजस चंद० [कंता सुरुव पडिरूव चक्खुकंता य । सिरिकंता मरुदेवी कुलगरपत्तीण णामाई ||७७ ||] गाहा । जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे णं ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थकराण पितरो होत्या, तंज जियसतू या० जियारी संवरे इ य । मेहे धरे पइट्टे य महसेणे य खत्तिए ॥७८॥ सुग्गीवे दढरहे विण्हू वसुपुज्जे य खत्तिए । कयवम्मा सीहसेणे य भाणू विस्ससेणे इ य ॥७९॥ सूरे सुदंसणे कुंभे सुमित्तविजए समुद्दविजये य । राया य आससेणे सिद्धत्थे च्चिय खत्तिए ||८०|| गाहा। उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया । तित्थप्पवत्तयाणं एते पितरो जिणवराणं ॥ ८१ ॥ जंबुद्दीवे एवं मातरो मरुदेवा० विजय सेणा सिद्धत्था मंगला सुसीमा य। पुहई लक्खण रामा नंदा विण्हू जया सामा ॥८२॥ सुजसा सुव्वय अइरा सिरि देवी य पभावई । पउमावती य वप्पा सिव वम्मा तिसिला इ य ॥ ८३॥ गाहातो । जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चवीसं तित्थकरा होत्या, तंजहा उसभ १ अजित २ जाव वद्धमाणो २४ य । एतेसिं चउवीसाए तित्थकराणं चउवीसं पुव्वभविया णामधेज्जा होत्था, तंजहा पढमेत्थ वतिरणाभे विमले तह विमलवाहणे चेव । तत्तो य धम्मसीहे सुमित्त तह धम्ममित्ते य ॥८४॥ सुंदरबाहू तह दीहबाहु जुगबाहु लट्ठबाहू य। दिण्णे य इंददिण्णे सुंदर माहिंदरे चेव ||८५|| सीहरहे मेहरहे रूप्पी य सुदंसणे य बोधव्वे । तत्तो य णंदणे खलु सीहगिरी चेव वीसत्तिमे ||८६|| अद्दीणसत्तु संखे सुदंसणे णंदणे य बोधव्वे । ओसप्पिणीए एते तित्थकराणं तु पुव्वभवा ॥ ८७॥ एतेसि णं चउवीसाए तित्थयराणं चउवीसं सीयाओ होत्था, तंजहा सीया सुदंसणासुप्पभा य सिद्धत्थ सुप्पसिद्धा जय । विजया य वेजयंती जयंती अपराजिया | ८८|| अरुणप्पभ सूरप्पभ सुकप्पभ अग्गि सप्पभा चेव । विमला य पंचवण्णा सागरदत्ता तह णागदत्ता य ॥ ८९ ॥ अभयकर णिव्वुतिकरी मणोरमा तह मणोहरा चेव । देवकुरु उत्तरकुरा विसाल चंदप्पभा सीया ॥ ९०॥ एतातो सीयातो सव्वेसिं चेव जिणवरिंदाणं । सव्वजगवच्छलाणं सव्वोतुकसुभाए छायाए || ९१ ॥ पुव्विं उक्खित्ता माणुसेहिं सा हट्ठरोमकूवेहिं । पच्छा वहंति सीयं असुरिंद- सुरिंद- नागिंदा ||१२|| चलचवलकुंडलधरा सच्छंदविउव्वियाभरणधारी। सुर-असुरवंदियाणं वहंति सीयं जिनिंदाणं ॥ ९३ ॥ पुरतो वहंति देवा नागा पुण दाहिणम्मि पासम्मि । पच्चत्थिमेण असुरा गरुला पुण
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(४) समवायंगसूत्तं सीयारं चक्कवट्टि वण्णाओ य [३६] उत्तरे पासे ||९४|| उसभो य विणीताए बारवतीए अरिट्ठवरणेमी । अवसेसा तित्थकरा णिक्खंता जम्मभूमीसु || १५|| सव्वे वि एगदूसेण [णिग्गया जिणवरा चवीसं । ण य णाम अण्णलिंगे ण य गिहिलिंगे कुलिंगे य ॥ ९६ ॥ |] गाहा। एक्को भगवं वीरो पासो मल्ली य तिहिं तिहिं सएहिं । भगवं पि वासुपुज्जो छहिं पुरिससएहिं निक्खंतो || ९७||] गाधा । उग्गाणं भोगाणं रातिण्णा णं च खत्तियाणं च । चउहिं सहस्सेहिं उसभो सेसा उ सहस्सपरिवारा ||१८|| गाहा । सुमतित्थ णिच्चभत्तेण [णिग्गओ वासुपूज्जो जिणो चउत्थेणं । पासो मल्ली वि य अट्ठमेण सेसा उ छट्टेणं ] ||१९|| गाहा । एतेसि णं चउवीसाए तित्थकराणं चउवीसं पढमभिक्खादेया होत्था, तंजहा सेज्जंस बंभदत्ते सुरिंददत्ते य इंददत्ते य । तत्तो य धम्मसीहे सुमित्ते तह धम्ममित्ते य || १००|| पुस्से पुणव्वसू पुण णंदे सुणंदे जए य विजए य । पउमे य सोमदेवे महिंददत्ते य सोमदत्ते य ॥ १०१ ॥ अपरातिय वीससेणे वीसतिमे होति उसभसेणे य। दिण्णे वरदत्ते धन्ने बहुले य आणुपुवी ॥१०२॥ एते विसुद्ध सा जिणवरभत्तीय पंजलिउडाओ । तं कालं तं समयं पडिलाभेंती जिणवरिंदे || १०३ ॥ संवच्छरेण भिक्खा० [ लद्धा उसभेण लोगणाहेण । सेसेहिं बीयदिवसे लद्धाओ पढमभिक्खाओ || १०४ ||] गाहा । उसभस्स पढमभिक्खा ० [ खोयरसो आसि लोगणाहस्स । सेसाणं परमण्णं अमयरसरसोवमं आस ||१०५ || ] गाहा । सव्वेसि पि जिणाणं जहियं लद्धातो पढमभिक्खातो। तहियं वसुधारातो सरीरमेत्तीओ वुट्ठातो ॥ १०६ ॥ एतेसि णं चउवीसाए तित्थकराणं चउवीसं चेतियरुक्खा होत्था, तंजहा णग्गोह सत्तिवण्णे साले पियते पियंगु छत्तोहे । सिरिसे य णागरुक्खे माली य पिलुंक्खुरुक्खे य ॥ १०७॥ तेंदुग पाडलि जंबू आसोत्थे खलु तहेव दधिवणे । गंदीरुक्खे तिलए अंबगरुक्खे असोगे य ॥ १०८॥ चंपय बउले य तहा वेडसरुक्खे तहा य धायईरुक्खे। साले य वद्धमाणस्स चेतियरुक्खा जिणवराणं ॥ १०९ ॥ बत्तीसतिं धणूइं चेतियरुक्खो उ वद्धमाणस्स । णिच्चोउगो असोगो ओच्छन्नो सालरुक्खेणं ॥ ११०॥ तिण्णेव गाउयाइं चेतियरुक्खो जिणस्स उसभस्स । सेसाणं पुण रुक्खा सरीरतो बारसगुणा उ ॥ १११ ॥ सच्छत्ता सपडागा सवेइया तोरणे उववेया। सुरअसुरगरुलमहियाण चेतियरुक्खा जिणवराणं ॥११२॥ एतेसि णं चउवीसाए तित्थकराणं चउवीसं पढमसीसा होत्था, तंजहा पढमेत्थ उसभमेणे बितिए पुण होइ सीहसेणे उ । चारू य वज्जणाभे चमरे तह सुव्वय विदब्भे ॥११३॥ दिण्णे वाराहे पुण आणंदे गोत्थुभे सुहम्मे य । मंदर जसे अरिट्ठे चक्काउह सयंभु कुंभे य ॥ ११४ ॥ भिसए य इंद कुंभे वरदत्ते दिण्ण इंदभूती य । उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया । तित्थप्पवत्तयाणं पढमा सिस्सा जिणवराणं ॥ ११५ ॥ एतेसि णं चउवीसाए तित्थकराणं चउवीसं पढमसिस्सिणीओ होत्था, तंजहा बंभी फग्गू सम्मा अतिराणी कासवी रती सोमा। सुमणा वारुणि सुलसा धारणि धरणी य धरणिधरा ॥ ११६ ॥ पउमा सिवा सुयी अंजू भावितप्पा य रक्खिया । बंधू पुप्फवती चेव अज्जा वणिला य आहिया ॥११७॥ जक्खिणी पुप्फचूला य चंदणज्जा य आहिता । उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया । तित्थप्पवत्तयाणं पढमा सिस्सी जिणवराणं ॥ ११८ ॥। १५८. जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए बारस चक्कवट्टीपितरो होत्था, तंजहा - उसभे सुमितविजए समुद्दविजए य विस्ससेणे य । सूरिते सुदंसणे पउमुत्तर कत्तवीरिए चेव ॥ ११९ ॥ महाहरी य विजए य पउमे राया तहेव य । बंभे बारसमे वुत्ते पिउनामा चक्कवट्टी ॥१२०॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमाए ओसप्पिणीए बारस चक्कवट्टिमायरो होत्या, तंजहा सुमंगला जसवती भद्दा सहदेवा अतिरा सिरि देवी। जाला तारा मेरा वप्पा चुलणीय अपच्छिमा। जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमाए ओसप्पिणीए बारस चक्कवट्टी होत्था तंजहा भरहे सगरे मघवं० [सणंकुमारो य रायसद्दूलो। संती कुंथू य अरो हवइ सुभूमो य कोरव्वो ॥ १२१ ॥ नवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसद्दूलो। जयनामो य नरवई बारसमो बंभदत्तो य] ॥ १२२ ॥ गाधातो। एतेसिणं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस इत्थिरयणा होत्था, तंजहा पढमा होइ सुभद्दा भद्दा सुणंदा जया य विजया य । कण्हसिरी सूरसिरी, पउमसिरी वसुंधरा देवी। लच्छिमती कुरुमती, इत्थीरतणाण नामाई || १२३ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमाए ओसप्पिणीए नव बलदेव - वासुदेवपितरो होत्था, तंजहा पयावती य बंभे [रुद्दे सोमे सिवे ति त । महसीह अग्गिसीहे, दसरहे नवमे त वासुदेवे || १२४ || ] गाहा | जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णव वासुदेवमातरो होत्या, तंजहा- मियावती उमा चेव, पुढवी सीया य अम्मया । लच्छिमती सेसमती, केकई देवई इ य ॥ १२५ || जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमाए ओसप्पिणीए णव बलदेवमायरो होत्या,
ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - २१३
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PAGRO95595
(e) समवायगसुत्त बलदेव · वासुदेव वण्णाओं [३७)
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तंजहा- भद्दा सुभद्दा य सुप्पभा सुदंसणा विजया य वेजयंती। जयंती अपरातिया णवमिया य रोहिणी बलदेवाणं मातरो।।१२६|| जंबुद्दीवेणं दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नव दसारमंडला होत्था, तंजहा उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी छायंसी कंता सोमा सुभगा पियदंसणा सुरूवा सुहसील-सुहाभिगम-सव्वजण-णयणकंता ओहबला अतिबला महाबला अणिहता अपरातिया सत्तुमद्दणा रिपुसहस्समाणमधणा साणुकोस्सा अमच्छरा अचवला अचंडा मितमंजुपलावहसित-गंभीर-मधुरपडिपुण्णसच्चवयणा अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेता माणुम्माणपमाणपडिपुण्णसुजातसव्वंगसुंदरंगाससिसोमागारकंतपियदंसणाअमसणा पयंडदंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा तालद्धयोव्विद्धगरुलकेऊमहाधणुविकड्ढया महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा धीरपुरिसा जुद्धकित्तिपुरिसा विपुलकुलसमुन्भवा महारयणविहाडगा अद्धभरहसामी सोमा रायकुलवंसतिलया अजिया अजितरहा हल-मुसल-कणगपाणी संख-चक्क-गय-सत्ति-णंदगधरा पवरुज्जलसुकंतविमलगोत्थुमतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीयणयणा एकाबलिकंठलइतवच्छा सिरिवच्छसुलंछणा वरजसा सव्वोउयसुरभिकुसुमसुरचितपलंबसोभंतकंतविकसंतचित्तवरमालरइयवच्छा अट्ठसयविभत्तलक्खणपसत्थसुंदरविरतियंगमंगा मत्तगयवरिंदललिय-विक्कमविलसियगती सारतनवथणियमधुरगंभीरकोंचनिग्घोसदभिसरा कडिसुत्तगनीलपीयकोसेज्जवाससा पवरदित्ततेया नरसीहा नरवती नरिंदा नरवसहा मरुयवसभकप्पा अब्भहियं रायतेयलच्छिए दिप्पमाणा नीलग-पीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो होत्था, तंजहा तिविट्ठ य जाव कण्हे ॥१२७|| अयले वि० जाव रामे यावि अपच्छिमे॥१२८|| एतेसिणं णवण्हं बलदेव-वासुदेवाणं पुव्वभविया नव नामधेज्जा होत्था, तंजहा विस्सभुती पव्वयए धणदत्त समुद्ददत्त सेवाले। पियमित्त ललियमित्ते पुणव्वसू गंगदत्ते य ॥१२९॥ एताइं नामाइं पुव्वभवे आसि वासुदेवाणं । एत्तो बलदेवाणं जहक्कम कित्तइस्सामि ॥१३०॥ विस्सनंदी सुबंधूय सागरदत्ते असोग ललिए य। वाराह धम्मसेणे अपराइय रायललिए य॥१३१॥ एतेसिंणं णवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुव्वभविया नव धम्मायरिया होत्था, तंजहा संभुत्त सुभद्द सुदंसणेय सेयंस कण्ह गंगदत्ते य । सागर समुद्दनामे दुमसेणे यणवमए॥१३२।। एते धम्मायरिया कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं । पुव्वभवे आसिहं जत्थ निदाणाई कासीय ॥१३३|| एतेसिंणं णवण्हं वासुदेवाणं पुव्वभवे णव णिदाणभूमीतो होत्था, तंजहा महुरा जाव हत्थिणपुरं च ॥१३४॥ एतेसिणं णवण्हं वासुदेवाणं नव णिदाणकारणा होत्था, तंजहा गावी जुए जाव मातुका ति य ॥१३५|| एतेसि णं णवण्हं वासुदेवाणं णव पडिसत्तू होत्था, तंजहा अस्सग्गीवे जाव जरासंधे ।।१३६।। एते खलु पडिसत्तू जाव सचक्केहिं ॥१३७|| एक्को य सत्तमाए पंच य छठ्ठीए पंचमा एक्को । एक्को य चउत्थीए कण्हो पुण तच्चपुढवीए॥१३८।। अणिदाणकडा रामा० [सव्वे विय केसव नियाणकडा । उडुंगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी॥१३९||] गाहा । अटुंतकडा रामा, एगो पुण बंभलोयकप्पम्मि। एक्का से गब्भवसही, सिज्झिस्सति आगमिस्सेणं ॥१४०॥ जंबुद्दीवे णं दीवे एरवते वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थगरा होत्था, तंजहा चंदाणणं सुचंदं अग्गिसेणं च नंदिसेणं च । इसिदिण्णं वयहारिं वंदिमो सामचंदं च॥१४१।। वंदामि जुत्तिसेणं अजितसेणं तहेव सिवसेणं । बुद्धं च देवसम्म सययं निक्खित्तसत्थं च ॥१४२।। अस्संजलं जिणवसभं वंदे य अणंतयं अमियणाणिं । उवसंतं च धुयरयं वंदे खलु गुत्तिसेणं च ॥१४३|| अतिपासं च सुपासं देवीसरवंदियं च मरुदेवं । निव्वाणगयं च धरं खीणदुहं सामकोट्टं च ॥१४४|| जियरागमग्गिसेणं वंदे खीणरयमग्गिउत्तं च । वोकसियसियपेज्जदोसंच वारिसेणं गतं सिद्धिं ॥१४५|| जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे आगमेसाते उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा भविस्संति, तंजहा मित्तवाहणे सुभूमे य सुप्पभेय सयंपभे । दत्ते सुहुमे सुबंधूय आगमेसाणं होक्खति ॥१४६।। जंबुद्दीवेणं दीवे [भरहे वासे] आगमेसाते उस्सप्पिणीते दस कुलकरा भविस्संति, तंजहा विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे दढधणू दसधणू संयधणू पडिसुई सम्मुई त्ति । जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थकरा भविस्संति, तंजहा महापउमे १ सुरादेवे २ सुपासे य ३ सयंपभे ४ । सव्वाणुभूती ५ अरहा देवउत्ते य होक्खती ६ ॥१४७।। उदए ७ पेढालपुत्ते य ८ पोट्टिले ९ सतए ति य १० । मुणिसुव्वते य अरहा ११ सव्वभावविदू जिणे १२ ॥१४८॥ अममे १३ णिक्कसाए य १४, निप्पुलाए य १५ निम्ममे १६ । चित्तउत्ते. १७ समाही य १८ आगमिस्सेण होक्खई ॥१४९|| संवरे १९ अणियट्टी य २०, विवाए २१ विमले ति य २२ । देवोववाए अरहा २३ अणंतविजए ति य २४ ॥१५०|| एते वुत्ता चउव्वीसं भरहे वासम्मि केवली । आगमिस्साण होक्खंति Morrof# # ############### ###| श्री आगमगुणमंजूषा - २१४ 555555 # #### ##FOTO
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________________ FOROF555555555 (4) समवायंगमनं - अंगमकरवायं - अन्झयणं (38] 555555555OOK HOIC%听乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐$乐听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听FG धम्मतित्थस्स देसगा॥१५१।। एतेसिणं चउवीसाए तित्थकराणं पुव्वभविया चउवीसं नामधेज्जा भविस्संति, तंजहा सेणिय सुपास उदए, पोट्टिल अणगारे तह दढाऊ य / कत्तिय संखे य तहा, णंद सुणंदे सतए य बोधव्वा / / 152 / / देवई चेव सच्चति तह वासुदेवे बलदेवे। रोहिणि सुलसा चेव य तत्तो खलु रेवती चेव // 153|| तत्तो हवति मिगाली बोधव्वे खलु तहा भयाली य / दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु नारए चेव // 154|| अमंडे दारुमडे या सातीबुद्धे य होति बोधव्वे / उस्सप्पिणि आगमेसाए तित्थकराणं तु पुव्वभवा // 155 / / एतेसि णं चउवीसं तित्थकराणं चउवीसं पितरो भविस्संति, चउवीसं मातरो भविस्संति, चउवीसं पढमसीसा भविस्संति, चउवीसं पढमसिस्सिणीतो भविस्संति, चउवीसं पढमभिक्खादा भविस्संति. चउवीसं चेतियरुक्खा भविस्संति / जंबुद्दीवेणं दीवे भरहे वासे आगमेसाए उसप्पिणीए बारस चक्कवट्टी भविस्संति, तंजहा. भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुदंते य / सिरिउत्ते सिरिभूती सिरिसोमे य सत्तमे // 156|| पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव / रिट्ठे बारसमे वुत्ते आगमेसा भरहाहिवा // 157 / / एतेसिणं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पितरो भविस्संति, बारस मातरो भविस्संति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति / जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए णव बलदेव-वासुदेवपितरो भविस्संति, णव वासुदेवमातरो भविस्संति, णव बलदेवमातरो भविस्संति णव दसारमंडला भविस्संति, तंजहा उत्तिमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी एवं सो चेव वण्णतो भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भातरो भविस्संति, तंजहा णंदे य 1 णंदमित्ते 2 दीहबाहू 3 तहा महाबाहू 4 | अइबले 5 महब्बले 6 बलभद्दे य सत्तमे 7 // 158 // दुविठ्ठ य 8 तिव्विळू य 9 आगमेसाणं वण्हिणो। जयंते विजए भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे // आणंदे णंदणे पउमे संकरिसणे य अपच्छिमे // 159|| एतेसिणं नवण्हं बलदेव-वासुदेवाणं पुव्वभविया णव नामधेज्जा भविस्संति, णव धम्मायरिया भविस्संति, णव नियाणभूमीओ भविस्संति, णव नियाणकारणा भविस्संति, णव पडिसत्तू भविस्संति, तंजहा तिलए य लोहजंधे वइरजंधे य केसरी य पहराए। अपराजिये य भीमे महाभीमसेणे य सुग्गीवे य अपच्छिमे // 160 // एते खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / सव्वे य चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहिं // 161|| जंबुद्दीवे णं दीवे एरवते वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए चउवीसं तित्थकरा भविस्संति, तंजहा सुमंगले अत्थसिद्धे य, णेव्वाणे य महाजसे। धम्मज्झए य अरहा, आगमेसाण होक्खति / / 162 / / सिरिचंदे पुप्फकेऊ य, महाचंदे य केवली / सुयसागरे य अरहा, आगमेसाण होक्खती॥१६३|| सिद्धत्थे पुण्णघोसे य, महाघोसे य केवली। सच्चसेणे य अरहा, अणंतविजए इय॥१६४।। सूरसेणे महासेणे, देवसेणे य केवली / सव्वाणंदे य अरहा, देवउत्ते य होक्खती॥१६५|| सुपासे सुव्वते अरहा, महासुक्खे य कोसले। देवाणंदे अरहाणं विजये विमल उत्तरे // 166 / / अरहा अरहा य महायसे / देवोववाए अरहा आगमेस्साण होक्खती // 167|| एए वुत्ता चउव्वीसं, एरवतवासम्मि केवली। आगमेसाण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा // 168|| बारस चक्कवट्टिपितरो मातरो चक्कवट्टिइत्थीरयणा भविस्संति, नव बलदेव-वासुदेवपितरो मातरोणव दसारमंडला भविस्सति, तंजहा उत्तिमपुरिसा जाव रामकेसवा भायरो भविस्संति, नामा, पडिसत्तू, पुव्वभवणामधेज्जाणि, धम्मायरिया, णिदाणभूमीओ, णिदाणकारणा, आयाए, एरवते आगमेसा भाणियव्वा, एवं दोसु वि आगमेसा भाणियव्वा / 169. इच्चेतं एवमाहिज्नति, तंजहा कुलगरवंसे ति य एवं तित्थगरवंसे ति य चक्कवट्टिवंसे ति य दसारवंसे ति य गणधरवंसे ति य इसिवंसे ति य जतिवंसे ति य मुणिवंसे ति य सुते ति वा सुतंगे ति वा सुतसमासे ति वा सुतखंधे ति वा समाए ति वा संखेति वा / समत्तमंगमक्खायं, अज्झयणं ति त्ति बेमि // // समवाओ चउत्थमंगं सम्मत्तं // ] ग्रं० 1667 / / DIGI9555555555555555555555555555555555555555555QOXORY (સૌજન્ય: શ્રી ખામગામ જૈન સંઘ Keros155555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-२१५-555555555555555555555555555OOK