Book Title: Vruhhajain Vani Sangraha
Author(s): Ajitvirya Shastri
Publisher: Sharda Pustakalaya Calcutta
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दश पूजा
नाम पाठ
पृष्ठ नाम पाठ ६ आयकर्म . . ७५ आरती
.. .३९५ निश्चय आरती . चारप्रकारके ऋषि .. ३०५ आत्माको आरती . ४२६ वारह अनुप्रेक्षा .... ३७५ आरती श्रीवर्द्ध मानकी ४२७ दशप्रकारका प्रायश्चित्त , ..३७५ आरती निश्चयआत्माकी - ४२७ बारह प्रकारका तप ... ३७५ दीप धूप चढ़ानेके मंत्रादि - - ४२८ पाँचप्रकारका स्वाध्याय . ३७६ . नावां अध्याय।। दंशप्रकारका धर्मध्यान सातं परमस्थान ..
१ . भावनासंग्रह। । '
.३७६ । ग्यारह प्रकारको निर्जर
वारहभावना भगौतीदासकृत' ' ४२६ मतिज्ञानके ३३६ भेद ।। ३६
वारहभावना भूधरकृत '४३०
५ बारहभावना बुधजनकृत . ४३३ सातवां अध्याय। : वारहंभावना जयचन्द्रजीकृत ४३६ . ग्रंथसंग्रह । । । । बारहंभावना भूधरकृत। ४३७ मोक्षशास्त्रः ३७७ वजनाभिचक्रवर्तीको वैराग्यभावना ४३८ छहढाला ... ३१ सोलहकारण भावना ४४१ अरहंतपासाकेवली . ४०३ । 'दशवां अध्याय । ... ? आठवां अध्याय। परमार्थ जकड़ीसंग्रह। ... ..: आरतीसंग्रह ।” , जकड़ी भूधरकृत ...४४३ पंचपरमेष्ठी आदिकी आरती ४२४ जकड़ी रूपचंद्रकृत (१), ४४४ आरती श्रीजिनराजको ', '४२४ जकड़ी रूपचंद्रकृत (२) .. ४४६ आरती मुनिराजकी ' '४२५ जकड़ो दौलतरामजीकत (१) ४४७

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