Book Title: Vividh Puja Sangraha Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ प्रस्तावना. अगाउ अमारा तरफथी श्रावो पूजासंग्रह प्रसिद्ध करवामां आव्यो हतो, पण ते खपी जवाथी सुधारा वधारा साथे " विविध पूजासंग्रह " ए नामे त्रण नागनी योजना करवामां आवी बे. तेमांनो आ प्रथम नाग बे. श्रा नागनी श्रत्यार सुधीमां ७ श्रावृत्ति थ गडे, श्रने आ थाउमी आवृत्ति प्रगट करवामां श्रावी ने तेज बतावी आपे ने के जैन नामां धर्मपुस्तकनो आदर आने वांचवानी उत्कंठा वृद्धि पामतां जाय .आमां श्री देवचंडजी, वीरविजयजी, यशोविजयजी आदि महा. पुरुषोए गुजरात। नाषामा राग, रागणं, ढालरूपे स्नात्रपूजा, पंचकल्याणकनी पूजा, नव पदनी पूजा, बार व्रतनी पूजा, कर्मप्रकृतिनी, चोसम्प्रकारी पूजा आदि नक्ति अने ज्ञान विकसावे एवी पूजा रची डे ते तथा तेना अध्यापन विधि साथे समग्र बत्रीश विषयो दाखल करवामां आव्या बे. श्रा पूजाऊना कर्ता पुरुषो श्रीमद् यशोविजयजी, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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