Book Title: Vividh Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ श्रीवीरविजयजीकृत स्नात्रपूजा. ॥ गाथा आर्या गीति ॥ जसु परिमल बल दह दिसिं॥ महुकर ऊंकार सद्दसंगीया॥ जिण चलणोवरि मुक्का ॥ सुर नर कुसुमांजलि सिहा ॥ ए॥ ॥ नमोऽई सिकाचार्योपाध्यायसर्वसाधुन्यः ॥ ॥कुसुमांजलि ॥ ढाल॥ ॥पास जिणेसर जग जयकारी॥जल थन फूल उदक कर धारी ॥ कुसुमांजलि मेलो पार्श्व जिणंदा॥१०॥ ॥दोहा॥ सुमांजलि सुरा, वीरचरण सुकुमाल ॥ ते कुसुमांजलि नविकनां, पाप हरे त्रण काल ॥११॥ ॥ नमोऽर्ह सिकाचार्योपाध्यायसर्वसाधुन्यः ॥ ॥कुसुमांजलि ॥ ढाल ॥ ॥ विविध कुसुम वर जाति गहेवी ॥ जिनचरणे प्रणमंत उवेवी॥ कुसुमांजलि मेलो वीर जिणंदा ॥१॥ ॥ वस्तु बंद ॥ ॥ न्हवणकाले न्हवणकाले॥ देव दाणव समुच्चिय ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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