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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम.
विमान रत्नगंजी, अग्निशिखा धूमवर्जी ॥ ३ ॥ स्वप्न लही जइ रायने जाषे, राजा अर्थ प्रकाशे ॥ पुत्र तीर्थंकर त्रिभुवन नमशे, सकल मनोरथ फलशे ॥ ४ ॥ ॥ वस्तु बंद ॥
|| अवधिना अवधिनाणे, उपना जिनराज ॥ जगत जस परमाणुश्रा, विस्तस्या विश्वजंतु सुखकार ॥ मिथ्यात्व तारा निर्बला, धर्मउदय परजात सुंदर ॥ माता पण आणंदीयां, जागती धर्म विधान ॥ जाणंती जग तिलक समो, होशे पुत्र प्रधान ॥ १ ॥ ॥ दोहा ॥
॥ शुभ लग्ने जिन जनमीया, नारकीमां सुख ज्योत ॥ सुख पाम्या त्रिभुवन जना, हुई जगत उद्योत ॥ १ ॥ ॥ ढाल ॥ कडखानी देशी ॥
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॥ सांजलो कलश जन, महोत्सवनो इहां ॥ बप्पन कुमरी दिशि विदिशि वे तिहां ॥ माय सुत नमीय, आदधिको धरे ॥ ष्ट संवर्त्त वायुथी, कचरो हरे ॥ १ ॥ वृष्टगंध, अष्ट कुमरी करे ॥ ष्ट कलशा नरे, अष्ट दर्पण धरे ॥ अष्ट चामर धरे, अष्ट पंखा नही ॥ चार रक्षा करी, चार दीपक ग्रही ॥ २ ॥ घर करी केलनां, माय
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