Book Title: Vividh Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 13
________________ श्रीवीरविजयजीकृत स्नात्रपूजा. ५ वर्णवतां सुणतां थका, संघनी पूगे श्राश ॥ १॥ ॥ ढाल ॥ एक दिन अचिरा हुल रावती ॥ ए देशी॥ ॥ समकित गुणगणे परिणम्या, वली व्रतधर संयम सुख रम्या । वीश थानक विधिए तप करी, एसी नाव दया दिलमां धरी ॥१॥ जो होवे मुज शक्ति इसी, सवि जीव करूं शासनरसी॥ शुचि रस ढलते तिहां बांधतां, तीर्थकरनाम निकाचता ॥२॥सरागथी संयम आचरी, वचमां एक देवनो नव करी ॥ चवी पन्नर देत्रे अवतरे, मध्य खंडे पण राजवी कुले ॥३॥ पटराणी कुखे गुणनिलो, जेम मान सरोवर हंसलो ॥ सुखशय्याए रजनी शेषे, उतरतां चउद सुपन देखे ॥४॥ ॥ ढाल ॥ स्वप्ननी॥ ॥ पहेले गजवर दोगे, बीजे वृषन पश्छो॥त्रीजे केशरी सिंह, चोथे लक्ष्मी अबीह ॥ १॥ पांचमे फूलनी माला, बछे चंड विशाला ॥ रवि रातो ध्वज मोहोटो, पूरण कलश नहीं बोटो ॥५॥ दशमे पद्म सरोवर, अगीयारमे रत्नाकर ॥ जुवन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org


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