Book Title: Vidyaratna Mahanidhi
Author(s): Bhadraguptasuri, 
Publisher: Mahavir Granthmala

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Page 31
________________ प्रचलप्रचल विश्वकप विश्वकंप विश्वकंपावय ठः ठः ठः स्वाहा श्रीपीके पट्टीपर मंत्र लिखकर बुद्धिमान ताजे चमेलीके 3 विद्यारत्न KE फुलोंसे ५०००० जाप करे त्रिमधुर [मध दुध घृत] से भैसागुग्गुलकी गोली ५००० हजारसे आहुति देवे सिद्ध होताहै. तृतीयोऽ * काली अष्टमीकी रात्रिको नवमी सवेरको १०८ लालकणेरसे मंत्र जपे चेटकप्रतिमा [ महिकी ] बनावे उसके हृदयमें महानिधी धिकारः३ चितांगारसे शत्रुका नाम लिखे फिर उसके आगे जाप करे निघुमांगारसे भरे घडेमें होमकरे और लाल कणेरके फुलकी आहुति देवे विद्वेषन उच्चाटन सबकार्य करताहै. उसीतरह कपिलाक्ष चेटकपठित सिद्धका पाठ समझना. ज्यादा पाठकस्वयं विचारले. ॐ नमो भगवत्यादौ, शिवचक्रे च मालिनी । स्वाहापदं ततो देयं, मंत्रोयं लाभदो मतः ॥ ३९ ॥ भाषा-मंत्रोद्धारः- ॐ नमो भगवती शिवचक्रे मालिनी स्वाहा. यहमंत्र लाभदेनेवाला है. श्वेतार्कस्यचमूलेन, बिम्बंपार्श्वजिनेशितुः । विधायच प्रतिष्टाप्य, मंत्रेणानेनपूजयेत् ॥ ४० ॥ यद्यद्विचिंत्यते कार्य, मनुजैरिह लौकिकम् । तत्तत्संपद्यते सद्यो, मंत्रस्यास्य प्रभावतः ॥ ४१ ॥ राजद्वारे व्यवहारे, विवादे धान्यसंग्रहे । इत्येवमादिकार्येषु, सर्वेष्वेनं विचिन्तयेत् ॥ ४२ ॥ भाषा-पुष्यनक्षत्र सप्तमी शनिवार, 'सप्तमी रविपुत्रेण, पुष्यनक्षत्रेनयुतं, या पुष्यनक्षत्र रविवार आदिमें पहले निमंत्रन देकर पूजा कर दुसरे दिन सबेरे अपनी छायाबचाकर गुरु देवका नाम लेकर सफेद अर्ककी जडलाकर उसकी Jain Education For Personal Private Use Only

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