________________
सोधे भोजन ठाड़े लेवे मौन सहित बिन सेना। टाले अघ सबदोष असन मुनि मुख से कहत न बेना।। एषणा समिति पाले साधु मन वच काय त्रियोगा।
अष्ट द्रव्य से पजो याते नष्ट होय भव रोगा। ऊँ ह्रीं श्री एषणा समिति धारक साधु देवेभ्योऽयं निर्वपामीति स्वाहा।।3।
वस्तु उठावे छोड़े भूपर पहले देखे भाई। करे नहिं परमाद कभी भी अघ सारे टर जाई।। समिति निपेक्षण जे पाले मन वच काय त्रियोग।
अष्ट द्रव्य से पूजो याते नष्ट होय भव रोगा। ऊँ ह्रीं श्री आदान निक्षेपण समिति धारक साधु देवेभ्योऽयं निर्वपामीति स्वाहा।।4।।
त्रस थावर की रक्षा करके मूत्ररु जल को त्यागे।
करे नहि हे वैर किसी से हंसा का अघ भागे। समिति धरते प्रतिष्ठापन मन वच काय त्रियोगा।
अष्ट द्रव्य से पूजो याते नष्ट होय भव रोगा। ऊँ ह्रीं श्री प्रतिष्ठापन समिति धारक साधु देवेभ्योऽध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।5।।
पंचेन्द्रि रोध (अर्घ) चौपाई हल्का सु भारी ऊषण जान कोमल ठंडा करकस आन। रूक्ष चिकन अष्ट बखान इन्द्रिय कर्म सुभेद प्रमाण।। स्पर्शन इन्द्रिय है शैतान वीतरागि जन जीते महान।
पूजू वसुविधि अध्य सुआन भाव भक्ति उर में धरध्यान।। ॐ ह्रीं श्री स्पर्श इन्द्रिय विजय प्राप्त साधु देवेभ्योऽध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।1।।
999