Book Title: Vidhan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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आराधना श्लोकइन्द्र बनाभर्त्य कदंब केंद्र मंद्राखं पुण्य जनस्य पक्षम्। प्रत्यूह जालं विनिपात यंतं मुद्रस्य चूर्णे प्रयते सप्पैः।।16।।
आह्वान
ऊँ आं क्रौं ह्रीं अरुण वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे इन्द्र
आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
बलि विधानॐ इन्द्राय स्वाहा। इन्द्र परिजनाय स्वाहा। इन्द्रा अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भू (व स्वाहा। स्वः
स्वाहा स्वधा।
अर्घहे इन्द्रदेव इदमध्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ
भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा।16।
बलिं
मूंग का आटा, फूल। यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः।। (शान्तिधारा)
आराधना श्लोकइन्द्र राजगततंद्र निर्जिताराति वर्ग जिन वर्ग पोषक। कासराधि पति पक्षमाश्रिताऽऽतेहि पूपयुत मुद्रचूर्णकम्।।17॥
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