Book Title: Vidhan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
वास्तुमंत्र विधान
(मंदिर वेदी शिखर प्रतिष्ठा के समय जिनेन्द्र वेदी या शिखर के समीप सर्व प्रथम नीचे लिखे 14 मंत्रों को बेलकर अर्घ चढ़ायें पश्चात् 47 मंत्रों को बोलकर शिखर या वेदी पर आठों दिशाओं में इन्द्र खड़े कर पुष्प क्षेपण करें)
(अर्घ अर्पण करें)
ऊँ णमो अरहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहू ह्रौं शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। 1. ऊँ ह्रीं अक्षीणमहानसर्द्धिभ्यः स्वाहा। 2. ॐ ह्रीं अक्षीणमहालयर्द्धिभ्यः स्वाहा । 3. ॐ ह्रीं दशदिशात आगतविघ्नान् निवारय निवारय सर्व रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा। 4. ऊँ ह्रीं दुर्मुहूर्त्तदुः शकुनादि कृतोपद्रवशांतिं कुरु कुरु स्वाहा। 5. ऊँ ह्रीं सर्ववास्तुदेवेभ्यः स्वाहा। 6. ऊँ ह्रीं परकृतमन्त्रतन्त्रडाकिनीशाकिनी भूतपिशाचां विकृतोपद्रवशांति कुरु कुरु स्वाहा। 7. ऊँ ह्रीं सर्वविघ्नोपशांति कुरु कुरु स्वाहा। 8. ॐ ह्रीं सर्वाधि व्याधिशांति कुरु कुरु स्वाहा। 9. ॐ ह्रीं सर्वत्र क्षेमं आरोग्यतां विस्तारय विस्तारय सर्व हष्टपुष्टप्रसन्नचित्तं रक्ष रक्ष स्वाहा। 10. ऊँ ह्रीं यजमानाचार्यादीनां सर्वसंघस्य शांतिं तुष्टिं पुष्टि ऋद्धिं वृद्धिं समृद्धिं अक्षीणद्धिं पुत्रपौत्रादिवृद्धिं आयुर्वृद्धिं धनधान्यसमद्धिं धर्मवृद्धिं कुरु कुरु स्वाहा। 11. ऊँ क्षां क्षीं क्षं क्ष क्ष क्ष क्ष क्ष क्षः नमोऽर्हते सर्व रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा। 12. ॐ भूर्भुवः स्वः स्वाहा। 13. ॐ ह्रीं क्रौं आं अनुत्पन्नानां द्रव्याणामुत्पादकाय उत्पन्नानां द्रव्याणां वृद्धिकराय चिन्तामणिपार्श्वनाथाय वसुदाय नमः स्वाहा। 1 4. ऊँ ह्रीं इन्द्रवास्तुदेवाय स्वाहा।
1407

Page Navigation
1 ... 1405 1406 1407 1408 1409