Book Title: Vidhan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1402
________________ आह्वान आं क्रौं ह्रीं कुंद वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे उदिति आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। बलि विधानऊँ उदितये स्वाहा। उदित परिजनाय स्वाहा। उदिता अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भू (व स्वाहा। स्वः स्वाहा स्वधा। अर्घहे उदितदेव इदमध्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा।451 बलिं- तिलपपडी। यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः।। (शान्तिधारा) आराधना श्लोकविचारि सत्कृत्य विनोदशक्ते विचारियुक्ते सुजनानुरक्ते। कृशानु वाह्यावनि भाग भुक्त्यै गृहाण भक्ष्यं लवणोप युक्तम्।।46।। आह्वानॐ आं क्रौं ह्रीं अभि वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे विचारि आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। 1402

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