Book Title: Vidhan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 1389
________________ बलिं- सुंढ, पीपल। यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः ।। (शान्तिधारा ) आराधना श्लोक रक्ष परिवारक सत्व रक्षा दक्षे सुमार्गे विहित प्रमोदम् कला पसव्या श्रयराक्षसेंद्रं मधुः प्रदाना त्सुखितो भवत्वम्॥30॥ आह्वान ॐ आं क्रौं ह्रीं इन्दु वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे राक्षस आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा। बलि विधान ऊँ राक्षसाय स्वाहा। राक्षस परिजनाय स्वाहा। राक्षसा अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ॐ स्वाहा । ॐ भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भूर्भुव स्वाहा। स्वः स्वाहा स्वधा । अर्घ हे राक्षस इदमयं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा | 300 बलि-गुड़ा यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः ।। (शान्तिधारा) आराधना श्लोक सगंध गंधर्व सुपर्वहस्त प्रशस्त वीणानु गगानगतिं। गंधर्व देवं धनसार पूर्व गंधैः समर्चे यममा श्रयन्तम्॥31॥ 1389

Loading...

Page Navigation
1 ... 1387 1388 1389 1390 1391 1392 1393 1394 1395 1396 1397 1398 1399 1400 1401 1402 1403 1404 1405 1406 1407 1408 1409